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Sunday, 22 December, 2024
होमदेशअयोध्या में बाबरी की ही तरह 15000 स्क्वायर फीट में बनेगी नई मस्जिद, इक्कीसवीं सदी की दिखेगी झलक

अयोध्या में बाबरी की ही तरह 15000 स्क्वायर फीट में बनेगी नई मस्जिद, इक्कीसवीं सदी की दिखेगी झलक

राम मंदिर की तर्ज पर बाबरी मस्जिद कॉम्पलेक्स के लिए सुन्नी वक्फ़ बोर्ड लेगा लोगों से दान, मस्जिद में दिखेगी हिंदुस्तानीयत की झलक.

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नई दिल्ली: अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास के बाद बाबरी मस्जिद के निर्माण का काम शुरू होने जा रहा है. बाबरी मस्जिद 15 हजार स्क्वायर फीट में बनी थी, बाबरी के स्थान पर बन रही मस्जिद का आकार भी उतना ही बड़ा रखा जाएगा.

इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (आईआईसीएफ) ने मस्जिद की डिजाइन तैयार करने की जिम्मेदारी जामिया मिलिया इस्लामिया के डीन आर्किटेक्टर प्रो.एसएम.अख्तर को सौंपी है.

आईआईसीएफ बाबरी मस्जिद के विकल्प के तौर पर अयोध्या में दूसरी मस्जिद बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से स्थापित किया गया ट्रस्ट है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सरकार ने सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को अयोध्या के धन्नीपुर गांव में मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन दी है.

जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय (जेएमआईयू) नई दिल्ली में वास्तुकला संकाय के प्रो.एसएम.अख्तर ने दिप्रिंट से कहा, ‘कोर्ट की तरफ से जो पांच एकड़ भूमि मिली है इस पूरी जगह को एक कॉम्पलेक्स की तरह तैयार किया जाएगा.’

उन्होंने आगे कहा, ‘इस पूरी बिल्डिंग में हिंदुस्तानीयत, मानवता और इस्लामिक मूल्यों की झलक दिखाई देगी.

इस मस्जिद में पुरानी मस्जिद या अन्य किसी मस्जिद जैसी झलक के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘देश में जो भी पुरानी मस्जिदें बनी है वह उस वक्त के हिसाब से बनाई गई थी. आज 21 वीं सदी के हिसाब और जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाई जाएगी. इसमें 16 वीं सदी की डिजाइन तो नहीं चल सकेगी.’

उन्होंने आगे कहा,’आज पूरे यूरोप सहित भारत में नई तरीके से मस्जिदों का निर्माण हो रहा है.इसमें सभी बातों का ध्यान रखा जा रहा है.’

प्रो. अख्तर ने दिप्रिंट को बताया, ‘कॉम्पलेक्स के एक हिस्से में मस्जिद का निर्माण किया जाएगा. मस्जिद का आकार और प्रकार वैसा ही होगा जितना पुरानी मस्जिद का था.’ उन्होंने यह भी कहा कि बाबरी मस्जिद 15 हजार स्क्वायर फीट में बनी थी इसलिए इस मस्जिद का निर्माण भी इसी साइज़ में किया जाएगा.

उन्होंने कहा, ‘मस्जिद का डिजाइन इस तरह तैयार किया जाएगा, जैसी पूरे भारत में कहीं नहीं होगी.’


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क्या क्या होगा मस्जिद कॉम्पलेक्स में 

चूंकि अभी मस्जिद की डिजाइन तैयार नहीं की गई है लेकिन परिसर में क्या होगा इसपर प्रो. अख्तर ने कहा, ‘कॉम्लेक्स के एक हिस्से में अस्पताल और एक हिस्से में शैक्षणिक संस्थान भी तैयार किए जाने पर बात हुई है.’

उन्होंने कहा, ‘इसके लिए सुझाव भी आमंत्रित किए गए है और विचार विमर्श किया जा रहा है.’ प्रो अख्तर को मंगलवार शाम को ही इमारत की डिजाइन करने का काम आईआईसीएफ ने सौंपा है.

अयोध्या जाने के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘अभी फिलहाल वहां जाने की अभी कोई जरुरत नहीं है पूरा क्षेत्र देखा हुआ है. जल्द ही इसकी डिजाइन का काम करना शुरु हो जाएगा. मेरी एक टीम इसके लिए काम करेगी. जैसे ही इसकी डिजाइन पूरी होगी वैसे ही वे आईआईसीएफ के सामने रखेंगे. इसमें थोड़ा वक्त लग सकता है क्योंकि वहां की जरुरत और लोगों की राय का पूरा ध्यान रखा जाएगा.’

मस्जिद निर्माण के अनुमानित समय और अनुमानित लागत के सवाल पर प्रो.अख्तर ने कहा,’ मेरा पहला काम जल्द से इसकी डिजाइन तैयार करना है. लागत और समय पर अभी से कुछ कहना बहुत जल्दबाजी होगी.’

हालांकि डिजाइन की बात पर उन्होंने यह जरूर कहा कि किसी भी डिजाइन में किसी तरह की ‘नकल’ नहीं होती है. हर बार हर डिजाइन में आर्किटेक्टर कुछ ‘नयापन’ लाता है.

टाउन प्लानर और लेखक भी हैं प्रो.

करीब 40 वर्षों से वास्तुकला के क्षेत्र से जुड़े जामिया मीलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ एसएम अख्तर मूलत:उत्तर प्रदेश लखनऊ के रहने वाले है. इनके परिवार में वे अकेले ही आर्किटेक्ट है.

कई छोटी बड़ी मस्जिदों की डिजाइन करने वाले डॉ अख्तर वर्तमान में भी जमिया क्षेत्र में भी एक मस्जिद के आर्किटेक्चर का काम देख रहे हैं.

प्रोफेसर डॉ एसएम अख्तर वास्तुकला के साथ साथ में टाउन प्लानिंग, सामाजिक विज्ञान और पर्यावरण के क्षेत्रों में अच्छी पकड़ रखते हैं.

अख्तर की अबतक चार किताबें भी प्रकाशित हो चुकी हैं इनमें अर्बन हाउसिंग-इशूज एंड स्ट्रैटेजीस, इस्लामिक आर्किटेक्चर एट क्रॉस रोड्स, हबीब रहमान-द आर्किटेक्ट ऑफ इंडिपेंडेंट इंडिया और इन्वायरमेंटल रेमेडिएशन एंड रीजुवेनेशन जैसी किताबे शामिल है.


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इसके अलावा प्रो.एसएम.अख्तर इस्लामिक कला और वास्तुकला पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों के संयोजक भी रहे हैं. वे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ आर्किटेक्ट्स के यूपी चैप्टर के अध्यक्ष और इंस्टीट्यूट ऑफ टाउन प्लानर्स इंडिया के यूपी चैप्टर के सचिव भी रह चुके हैं.

एकता की मिसाल बनेगी मस्जिद

इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के सचिव व प्रवक्ता अतहर हुसैन ने दिप्रिंट से कहा, ‘इंडो इस्लामिक कल्चरल ट्रस्ट का उद्देश्य है कि जो भी इमारत बने वे पूरे देश में एकता की मिसाल हो.पांच एकड़ में जो इमारत बनने जा रही है उसे हमने मस्जिद कॉम्पलेक्स नाम दिया है.

कॉम्पलेक्स में मस्जिद के अलावा इंडो इस्लामिक कल्चरल रिसर्च सेंटर, हॉस्पिटल, कम्युनिटी किचन और म्यूजियम का भी निर्माण किया जाएगा. इन सभी इमारतों में एक समन्वय सा हो इसलिए प्रो.अख्तर का चयन किया गया है. वे इस तरह की इमारतों में बनाने के लिए फेमस हैं. अख्तर साहब आर्किटेक्ट के साथ-साथ एक टाउन प्लानर भी है.इनका पूरा परिवार अयोध्या से भी ताल्लुकात रखता है.’

उन्होंने कहा,’कॉम्पलेक्स निर्माण में कितना समय और खर्चा लगेगा इस पर कहना जल्दबाजी होगी.’

अतहर हुसैन ने आगे कहा,’दान के लिए हम लोगों से अपील भी करे रहे है. मस्जिद निर्माण के लिए हमने लखनऊ के आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक में खाता भी खुलवाया है. जल्द लोग आनलाइन भी दान कर सकेंगे.’


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