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Sunday, 22 December, 2024
होमदेश200 घंटे, 300 द्विपक्षीय बैठक और 15 मसौदे: ऐसे शेरपा अमिताभ कांत और उनकी टीम ने फतह किया G20 Summit

200 घंटे, 300 द्विपक्षीय बैठक और 15 मसौदे: ऐसे शेरपा अमिताभ कांत और उनकी टीम ने फतह किया G20 Summit

शेरपा अमिताभ कांत ने कहा कि ‘लीडर्स समिट’ में अपनाए गए ‘G20 डिक्लेरेशन’ (घोषणापत्र) पर आम सहमति बनाने के लिए भारतीय राजनयिकों के एक दल ने 200 घंटे से भी अधिक समय तक लगातार बातचीत की.

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नई दिल्ली: भारत की अध्यक्षता में देश की राजधानी में 9-10 सितंबर को हुए G20 सम्मेलन का आज आखिरी दिन है. रविवार की दोपहर पीएम मोदी ने समिट के समापन की घोषणा कर दी. अगला G20 शिखर सम्मेलन ब्राजील में होगा. शनिवार को जब पीएम मोदी दूसरे सत्र के दौरान बोल रहे थे तब उन्होंने कहा कि हमें ये बताते हुए खुशी हो रही है कि डिक्लेरेशन पर सहमति बन गई है और फिर हॉल में बैठे सभी राष्ट्राध्यक्षों ने इसका स्वागत किया. इस डिक्लियरेशन का सर्वसम्मति से पास होना भारत की बड़ी सफलता माना गया.

यूक्रेन युद्ध के चलते संयुक्त घोषणा पत्र पर आम सहमति बनाना चुनौतीपूर्ण था लेकिन भारत ने अपने कूटनीतिक कौशल से इस मुश्किल काम को भी अंजाम दे दिया है.

हालांकि, एक तरफ दुनियाभर में जहां चारों ओर भारत की G20 अध्यक्षता की तारीफ हो रही है वहीं दूसरी तरफ चर्चा का विषय बने हुए हैं भारत के शेरपा और उनकी टीम. G20 के शेरपा अमिताभ कांत ने अपनी यंग टीम की जमकर तारीफ की.

अमिताभ ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा, “मैं अपनी यंग, डायनामिक और कमिटेड ऑफिसर्स टीम के साथ जिन्होंने G20 को सफल बनाने में अपना 100 फीसदी एफर्ट लगाया है.”

शेरपा अमिताभ कांत ने रविवार को कहा कि यहां ‘लीडर्स समिट’ में अपनाए गए ‘G20 डिक्लेरेशन’ (घोषणापत्र) पर आम सहमति बनाने के लिए भारतीय राजनयिकों के एक दल ने 200 घंटे से भी अधिक समय तक लगातार बातचीत की.

अमिताभ ने इस टीम की तारीफ करते हुए लिखा, ‘जबरदस्त काम’ सारे क्रेडिट के हकदार मेरे ये जवान.

संयुक्त सचिव ईनम गंभीर और के नागराज नायडू समेत राजनयिकों के एक दल ने 300 द्विपक्षीय बैठकें कीं और ‘G20 लीडर्स समिट’ के पहले दिन ही सर्वसम्मति बनाने के लिए विवादास्पद यूक्रेन क्राइसिस पर अपने समकक्षों को 15 ड्रॉफ्ट बांटे.

उनकी टीम में थे अभय ठाकुर, नागार्जुन नायडु, आशीष और एनम गंभीर..एनम तो याद होंगी आपको..ये वहीं हैं जिन्होंने पाकिस्तान मामले में यूएन में भारत की तरफ से पाकिस्तान को टेरेरिस्तान कह कर करारा जवाब दिया था.

कांत ने कहा, “पूरे G20 शिखर सम्मेलन का सबसे जटिल हिस्सा भूराजनीतिक पैराग्राफ (रूस-यूक्रेन) पर आम सहमति बनाना था. यह 200 घंटे से अधिक समय तक लगातार बातचीत, 300 द्विपक्षीय बैठकों, 15 ड्रॉफ्ट के साथ किया गया.’’

भारत इस विवादित मुद्दे पर G20 देशों के बीच अभूतपूर्व आम सहमति बनाने में कामयाब रहा और उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं जैसे कि ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया ने इसमें अग्रणी भूमिका निभाई.

‘G20 लीडर्स डिक्लेरेशन’ में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण का उल्लेख करने से बचा गया और इसके बजाय सभी देशों से एक-दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता एवं संप्रभुत्ता के सिद्धांतों का सम्मान करने का आह्वान किया गया.

घोषणापत्र में कहा गया है, ‘‘हम सभी देशों से क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता, अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून एवं शांति तथा स्थिरता की रक्षा करने वाली बहुपक्षीय प्रणाली सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों को बनाए रखने का आह्वान करते हैं.’’


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G20 की सफलता के सूत्रधार

G20 के इस सम्मेलन में जिस डेक्लेरेशन की काफी चर्चा हो रही है. उसका पूरा क्रेडिट जाता है केरल कैडर के रिटायर्ड आईएएस अमिताभ कांत को. भारत ने अपना शेरपा अमिताभ कांत को बनाया और फिर उन्होंने अपने लिए एक स्पेशल टीम बनाई. लेकिन सवाल यह है कि कांत को शेरपा क्यों कहा जा है और ये नाम कहां से आया. इसकी कहानी दिलचस्प है और शुरू होती है नेपाल और तिब्बत की दुर्गम पहाड़ियों से.

दरअसल शेरपा एक समुदाय है जो नेपाल और तिब्बत की दुर्गम पहाड़ियों वाले इलाके में रहते हैं. इस समुदाय के लोग एवरेस्ट ट्रैकिंग में लोगों की आज भी मदद करते हैं. इस कम्युनिटी के लोग बहुत बहादुर बताए जाते हैं और ये देखते ही देखते हिमालय की कठिन ऊंचाई वाली चढ़ाई पर सरपट चढ़ जाते हैं. तो जी20 भी हिमालय की दुर्गम चढ़ाई ही है जिसमें किसी एक विषय पर 20 राष्ट्रों को एक मंच पर लाना और उन्हें आर्थिक, सामाजिक, पर्यावरण जैसे मुद्दों पर सहमति बनाना.

सबसे पहले बात टीम की एकमात्र महिला अधिकारी एनम गंभीर की..एनम फिलहाल G20 सम्मेलन की संयुक्त सचिव हैं और 2005 बैच की आईएफएस अधिकारी हैं. एनम उस समय खूब वाहवाही बटोरी थी जब उन्होंने यूएन में पाकिस्तान को टेरेरिस्तान कहा था.

उन्होंने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74 वें सत्र के अध्यक्ष के कार्यालय में शांति और सुरक्षा मुद्दों पर वरिष्ठ सलाहकार के रूप में काम किया है. एनम ने मैक्सिको, अर्जेंटीना समेत लैटिन अमेरिका के दूतावासों में भी काम किया है. वह धाराप्रवाह स्पेनिश बोलती हैं.

उन्होंने यूनाइटेड नेशन में भारत के स्थाई मिशन में भी काम किया है. दिल्ली विश्वविद्यालय से गणित में और जिनेवा यूनीवर्सिटी से अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा में दो मास्टर डिग्री हासिल की है.

अब बात अभय ठाकुर की जो फिलहाल एडिशनल सेक्रेटरी हैं और शेरपा अमिताभ कांत के बाद दूसरे नंबर के सूस-शेरपा भी हैं. अभय मॉरीशस और नाइजीरिया में भारत के दूत रहे हैं और विदेश मंत्रालय में नेपाल और भूटान को भी बारीकी से जानते हैं. रूसी भाषा के अच्छे जानकार हैं.

अमिताभ कांत की चार पिलर में से एक नागराज नायडु 1998 बैच के आईएफएस हैं और टीम के जबरदस्त पिलर हैं और वो चीनी भाषा के अच्छे जानकार हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक नायडू ने बीजिंग, हांगकांग और गुआंगजो में अलग अलग पदों पर काम किया है. साथ ही उन्होंने विदेश मंत्रालय में कूटनीतिक प्रभाग को भी संभाला है. वह G7 देशो, जिनमें यूके, फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन और यूरोपीय संघ शामिल है, के प्रभारी भी रहे हैं. यूक्रेन संघर्ष में वह भारत की ओर से मुख्य वार्ताकार रहे हैं. यूएन महासभा के 76 वें सत्र के अध्यक्ष के रूप में शेफ डी कैबिनेट का कार्यभार संभाला था और उन्हें इसका जबरदस्त अनुभव भी है.

अब बात 2005 के ही दूसरे आईएफएस आशीष सिन्हा की जिनकी स्पेनिश में जबरदस्त पकड़ है और वो भी मैड्रिड, काठमांडू, न्यूयॉर्क और नैरोबी में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.विदेश मंत्रालय में पाकिस्तान के लिए डेस्क अधिकारी का कार्यभार संभाल चुके आशीष G20 में सचिव बनने से पहले कई देशों से भारत के लिए बातचीत करते रहे हैं.

पिछले कुछ दिनों में शेरपा शब्द बार बार इस्तेमाल किया गया. कूटनीति में जो माहिर हो जाते हैं जिन्हें देश विदेश के मामलों की पूरी पूरी जानकारी हो, ऐसे आईएएस और आईएफएस अधिकारी को शेरपा बनाया जाता है. और सिर्फ भारत नहीं दुनिया के हर वो देश जो G20 में शामिल हैं, उनके भी एक एक शेरपा होते हैं जो अपने अपने देश का प्रतिनिधित्व करते हैं और अपने राष्ट्राध्यक्षों की मदद करते हैं.


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