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Friday, 1 November, 2024
होमदेशचुनाव बाद हिंसा में NHRC पैनल को मिलीं 1600 शिकायतें, बंगाल सरकार ने कहा 'टीम पर BJP का कंट्रोल'

चुनाव बाद हिंसा में NHRC पैनल को मिलीं 1600 शिकायतें, बंगाल सरकार ने कहा ‘टीम पर BJP का कंट्रोल’

तथाकथित राजनीतिक हत्याओं की जांच के लिए कलकत्ता हाई कोर्ट की ओर से नियुक्त एनएचआरसी की अगुवाई वाली टीम जल्द ही अपनी दूसरी रिपोर्ट सौंप सकती है. बंगाल के कानून मंत्री ने टीम की निष्ठा और निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं.

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कोलकाता: पश्चिम बंगाल में तथाकथित राजनीतिक हत्याओं की जांच के लिए कलकत्ता हाई कोर्ट के निर्देश पर नियुक्त की गई राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की अगुवाई वाली टीम जल्द ही अपनी दूसरी रिपोर्ट कोर्ट को सौंप सकती है. वहीं, ममता बनर्जी सरकार इस टीम की निष्ठा और राजनीतिक निष्पक्षता को लेकर सवाल खड़े कर रही है.

दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक, इस टीम को अब तक राज्य भर में चुनाव बाद झड़पों के मामले में 1,600 से अधिक शिकायतें मिली हैं.

पश्चिम बंगाल सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नियुक्ति के बाद 24 जून से लेकर अब तक इस टीम ने नौ जिलों के 34 स्थानों का दौरा किया है, जहां कथित तौर पर हत्या और हिंसा की घटनाएं हुई थीं.

एनएचआरसी की टीम ने अपनी पहली रिपोर्ट 30 जून को हाई कोर्ट को सौंप दी थी, जिसके बाद कोर्ट ने 2 जुलाई को जारी एक अंतरिम आदेश में राज्य पुलिस को निर्देश दिया कि सभी शिकायतों को और ‘पीड़ितों’ के बयानों को कानून के मुताबिक दर्ज किया जाए.

कोर्ट ने यह कहते हुए कि टीम को ऐसे मामलों की जांच के लिए और ज्यादा समय चाहिए होगा, राज्य सरकार को इसे पूरा लॉजिस्टिक और प्रशासनिक सहयोग मुहैया कराने का निर्देश भी दिया था.

टीम ने मंगलवार को राज्य के मुख्य सचिव को एक पत्र लिखकर हुगली, हावड़ा और कोलकाता जिलों के कुछ हिस्सों में अपनी जांच जारी रखने के सिलसिले में लॉजिस्टिक और सुरक्षा संबंधी सहायता मांगी है. दिप्रिंट के पास इस पत्र की एक प्रति मौजूद है.

हालांकि, सरकार का मानना है कि यह टीम भाजपा के इशारे पर काम कर रही है.

पश्चिम बंगाल के विधि मंत्री मलोय घटक ने दिप्रिंट को बताया, ‘जिन सज्जन को टीम का नेतृत्व सौंपा गया है वह राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) के उपाध्यक्ष और एनएचआरसी के सदस्य हैं, उनका ट्विटर हैंडल Atif Rasheed@AtifBjp है.’

उन्होंने कहा, ‘एनएचआरसी और एनसीएम संवैधानिक निकाय हैं, लेकिन वरिष्ठ सदस्य के सोशल मीडिया प्रोफाइल में उनका उल्लेख एक राष्ट्रवादी के तौर पर मिलता है और एबीवीपी का हैशटैग भी होता है. क्या आप चाहते हैं कि अब भी मैं यह मान लूं कि टीम पर भाजपा का नियंत्रण नहीं है?’

घटक ने आगे कहा, ‘ऐसी तमाम समितियों और इसके कुछ सदस्यों की राजनीतिक निष्ठाएं हैं, और मामले राजनीति प्रेरित हैं. हालांकि, हमारे पास कोर्ट के आदेश पर टिप्पणी करने जैसा कुछ भी नहीं है. हम कोर्ट के निर्देशों और आदेशों का पालन करेंगे.’

दिप्रिंट ने एनएचआरसी की टीम का नेतृत्व कर रहे आतिफ रशीद को टेक्स्ट मैसेज भेजा और फोन भी किया लेकिन यह रिपोर्ट प्रकाशित होने तक उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.


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ममता को बदनाम करने की मुहिम

विधि मंत्री घटक ने कहा कि एनएचआरसी टीम के दौरे ‘राजनीति से प्रेरित हथकंडों’ का हिस्सा हैं और यह सब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बदनाम करने की साजिश है.

घटक ने कहा, ‘नई सरकार के पद संभालने के बाद (5 मई को) से राजनीतिक हिंसा की कोई घटना नहीं हुई है. छिटपुट हिंसा की कुछ घटनाएं हुई थीं लेकिन वे तब हुई थीं जब प्रशासनिक व्यवस्था भारतीय निर्वाचन आयोग के अधीन थी.’

उन्होंने कहा, ‘कुछ लोग हैं जो राष्ट्रीय स्तर पर ममता बनर्जी सरकार और उनकी छवि को खराब करने के लिए हर दिन सुप्रीम कोर्ट और कलकत्ता हाई कोर्ट में मामले दर्ज करा रहे हैं. अगर वे राजनीतिक हिंसा पर चर्चा करना चाहते हैं, तो उन्हें उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा को भी ध्यान में रखना चाहिए.’

घटक ने आगे बताया कि राज्य सरकार ने मंगलवार को 39 पन्नों की एक रिव्यू पिटीशन दायर करके हाई कोर्ट के 2 जुलाई के अंतरिम आदेश को रद्द करने या संशोधित करने की मांग की.

सरकार की इस याचिका में कोर्ट से ‘विशेष पीठ (पांच न्यायाधीशों की) की प्रथम दृष्टया टिप्पणियां हटाने का आग्रह भी किया गया है, जो एनएचआरसी की अंतरिम रिपोर्ट और उसके साथ संलग्न दस्तावेजों पर आधारित हैं…’

कानून मंत्री ने यह भी बताया कि राज्य सरकार ने शिकायतों के निपटारे और उनके सत्यापन के लिए एक ‘विशेष प्रकोष्ठ’ गठित किया है. उन्होंने कहा, ‘हम कोर्ट के आदेश का पालन कर रहे हैं. हमारी सरकार ने शिकायतों के निपटारे, उन्हें सत्यापित करने और सही होने पर प्राथमिकी दर्ज करने के लिए एक विशेष प्रकोष्ठ का गठन किया है.’


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पुलिस ने कहा—शिकायतों को देख रहे

एक शीर्ष पुलिस अधिकारी ने कहा कि पश्चिम बंगाल का पुलिस महानिदेशालय शिकायतकर्ताओं या पीड़ितों के बारे में पड़ताल कर रहा है और 10 मई से जिले के अधिकारियों या आयोग के पास पहुंचने वाली सभी शिकायतों की जांच की जा रही है.

अधिकारी ने कहा, ‘हमने कई शिकायतें दर्ज की हैं. लेकिन हम इसकी सही संख्या के बारे में जानकारी नहीं दे सकते क्योंकि मामला कोर्ट में लंबित है. कुछ मामलों में हमने पाया कि शिकायतकर्ता सामने आने से इनकार कर रहे थे और इस बात से भी इनकार कर रहे हैं कि उन्होंने आयोग को शिकायत भेजी थी. हम उनकी भी जांच कर रहे हैं. प्रत्येक मामले में हम कोर्ट के आदेश के मुताबिक एनएचआरसी की टीम को वापस रिपोर्ट कर रहे हैं.’

हालांकि, पुलिस विभाग के एक सूत्र ने कहा कि पुलिस को सीधे तौर पर पीड़ितों से करीब 2,000 शिकायतें मिली हैं, वहीं, एनएचआरसी की तरफ से करीब 400 शिकायतें हैं और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक आयोगों की तरफ से 1,400 के करीब शिकायतें फॉरवर्ड की गई हैं.

सूत्र ने आगे बताया, ‘कई मामलों में शिकायतकर्ताओं ने इस बात से इनकार किया है कि उन्होंने किसी के पास कोई शिकायत दर्ज कराई थी.’

स्पेशल सेल में शामिल एक दूसरे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘हम सबूतों के आधार पर दस्तावेज तैयार कर रहे हैं और फिर आयोगों को इस बारे में रिपोर्ट कर रहे हैं. हमने भौतिक सत्यापन और जांच के लिए इन शिकायतों को संबंधित जिलों और संबंधित अधिकारियों के पास भेजना शुरू कर दिया है.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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