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Thursday, 2 May, 2024
होमदेशसरकार ने कहा- 69% योग्य लोगों में से केवल 11% ने ली है कोविड की बूस्टर डोज, घटते डर को ठहराया जिम्मेदार

सरकार ने कहा- 69% योग्य लोगों में से केवल 11% ने ली है कोविड की बूस्टर डोज, घटते डर को ठहराया जिम्मेदार

वैक्सीन्स को मुफ्त किए जाने के बाद एहतियाती डोज़ की कवरेज थोड़ी बढ़ी है. लेकिन इसमें और बढ़ोतरी की ज़रूरत पर बल देने के लिए सरकारी अधिकारी ‘बहुत से देशों में कोविड में उछाल’ का हवाला देते हैं.

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नई दिल्ली: कोविड की बूस्टर डोज सभी वयस्कों के लिए ओपन होने के चार महीने और दूसरे तथा तीसरे डोज़ के बीच अंतराल को 9 से घटाकर 6 महीने कर देने के बाद भी, तीसरी ख़ुराक की कम मांग से केंद्र सरकार की भौहें तन रही हैं.

सरकारी अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल देश में 69 करोड़ लोग टीके की तीसरी ख़ुराक के पात्र हैं. वो आगे कहते हैं कि इनमें से केवल लगभग 7.58 करोड़ लोगों ने ही अभी तक ये ख़ुराक ली है, जिसके लिए अभी केवल वयस्क लोग पात्र हैं.

इस साल अप्रैल में सभी वयस्क भारतीय तीसरे डोज़ के पात्र बन गए थे, बशर्ते कि उन्होंने दूसरा डोज़ लेने के बाद 9 महीने पूरे कर लिए हों. इसी महीने इस अंतराल को घटाकर 6 महीना कर दिया गया.

टीकों की इस कम खपत के लिए सरकारी अधिकारी लोगों की झिझक को नहीं, बल्कि कोविड के कम होते डर को ज़िम्मेवार ठहराते हैं, जो उनके हिसाब से कोई अच्छा लक्षण नहीं है, क्योंकि ये बीमारी अभी भी दबे पांव घूम रही है.

केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम छिपाने की शर्त पर कहा, ‘देश में क़रीब 4 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिन्होंने वैक्सीन का पहला डोज़ भी नहीं लिया है. क़रीब 7 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिन्होंने पहला डोज़ लेने के बाद भी दूसरा डोज़ नहीं लिया है.’

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अधिकारी ने आगे कहा, ‘अभी तक, क़रीब 69 करोड़ लोग एहतियाती डोज़ के पात्र हो चुके हैं. हाल ही में, हमने अंतराल को घटाकर छह महीने कर दिया है. कुछ ही दिन में, 93 करोड़ लोग- जो भारतीय वयस्कों की कुल संख्या है- इसके पात्र हो जाएंगे. अभी तक क़रीब 7.58 करोड़ एहतियाती ख़ुराकें दी जा चुकी हैं.’

अधिकारी ने ज़ोर देकर कहा कि ‘एहतियाती ख़ुराक की खपत बढ़ाने की ज़रूरत है, क्योंकि दुनिया के बहुत से देशों में मामलों में उछाल देखा जा रहा है और भारत के बहुत से हिस्सों में भी ज्यादा पाजिटिविटी देखी जा रही है.’

सरकारी अधिकारियों का कहना है कि एहतियाती ख़ुराकों की खपत में इस महीने मामूली वृद्धि देखी गई, जिससे पहले सरकार ने आज़ादी का अमृत महोत्सव अभियान के तहत सभी पात्र वयस्कों के लिए एहतियाती ख़ुराक मुफ्त कर दी थी.

फ्री बूस्टर पहल के शुरू किए जाने से एक दिन पहले, 14 जुलाई तक सिर्फ 8 प्रतिशत के क़रीब पात्र भारतीयों ने एहतियाती डोज़ लिया था. सरकारी अधिकारियों ने कहा कि उसके बाद से ये संख्या बढ़कर 11 प्रतिशत हो गई है.


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‘कोविड का डर घट रहा है’

अधिकारियों का कहना है कि भारत उन गिने-चुने देशों में रहा है, जहां जनवरी 2021 में पहली बार कोविड टीके शुरू किए जाने के समय, वैक्सीन के प्रति झिझक से ज़्यादा उत्सुकता देखी गई.

यही कारण है कि सरकार में उच्चतम स्तर पर ये आंकलन है, कि एहतियाती ख़ुराकों की कम खपत का कारण वैक्सीन के प्रति झिझक नहीं है, बल्कि सिर्फ ये संकेत है कि भारत के लोग अब कोविड से डर नहीं रहे हैं और सरकार को ये निडरता अच्छी नहीं लग रही है.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘देखिए, पहली बार जब सभी भारतीयों को टीके लगने शुरू हुए तो वो दूसरी लहर के बाद था (अप्रैल 2021 से पहले वो केवल बुज़ुर्ग और हेल्थकेयर तथा फ्रंटलाइन वर्कर्स जैसे संवेदनशील लोगों को दिए जा रहे थे).उस समय एक डर था इसलिए लोग वैक्सीन लेने के लिए उत्सुक थे.’

‘लेकिन अब हुआ ये है कि लोगों ने कोविड से डरना बंद कर दिया है. हमें वैक्सीन की खपत को बढ़ाने की ज़रूरत है, वरना चीज़ें फिर से ख़राब हो सकती हैं.’

एक और अधिकारी ने एहतियाती ख़ुराक की कम खपत के लिए ‘आत्मसंतोष’ को ज़िम्मेवार ठहराया. अधिकारी ने कहा, ‘हम आत्मसंतुष्ट हो गए हैं. अब हम अपेक्षाकृत एक आरामदेह जीवन जी रहे हैं, और ऐसा लगता है कि लोगों की समझ में आ गया है कि कुछ नहीं होने वाला.’

उसने आगे कहा, ‘हमें ये समझने की ज़रूरत है कि ये बीमारी अभी भी दबे पांव घूम रही है. इसीलिए हमें विशिष्ट लक्षित संदेश भेजने की ज़रूरत है, ख़ासकर उन इलाक़ों में जहां सकारात्मकता दर ऊंची है’.

25 जुलाई को समाप्त हुए सप्ताह में, भारत के 181 ज़िलों में जांच सकारात्मकता दर 10 प्रतिशत से अधिक पाई गई- जिसका मतलब है कि 10 प्रतिशत टेस्ट पॉज़िटिव पाए गए. सबसे ऊंची दर (26 प्रतिशत) असम में दर्ज हुई, जिसके बाद पश्चिम बंगाल में 16 प्रतिशत, और अरुणाचल प्रदेश में 13 प्रतिशत थी.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )


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