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Saturday, 21 December, 2024
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10 ट्रेड यूनियनों का किसानों के आंदोलन में शामिल होने का ऐलान, कहा- देशी-विदेशी कंपनियों हवाले की जा रही खेती

देश के 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने एक साझा बयान में कहा कि वे और क्षेत्र के श्रमिक संघों के संयुक्त मंच ने किसानों और कृषि श्रमिकों के साझा मंच- अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की पहल को अपना समर्थन देने का ऐलान किया है.

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नई दिल्ली: केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने 25 सितंबर को किसानों और खेतिहर मजदूरों के देशव्यापी विरोध प्रदर्शन को अपना समर्थन देने की सोमवार को घोषणा करते हुए कहा कि भाजपा सरकार को किसान विरोधी कदम उठाना बंद करना चाहिये. किसानों ने संसद में पारित दो कृषि विधेयकों का विरोध करने के लिए इस प्रदर्शन का आह्वान किया है.

देश के 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने एक साझा बयान में कहा कि वे और क्षेत्र के श्रमिक संघों के संयुक्त मंच ने किसानों और कृषि श्रमिकों के साझा मंच – अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की पहल को अपना समर्थन देने का ऐलान किया है. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने 25 सितंबर 2020 को देशव्यापी विरोध एवं प्रतिरोध जताने का ऐलान किया है.

बयान में कहा गया, ‘हम विनाशकारी बिजली संशोधन विधेयक 2020 के विरोध में भी उनका साथ देते हैं.’ 10 ट्रेड यूनियनों में एनटीयूसी, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, एसईडब्ल्यूए, एक्टू, एलपीएफ और यूअीयूसी शामिल हैं.

दोनों पारित विधेयकों को सरकार कृषि क्षेत्र में सबसे बड़ा सुधार बता रही है. इसे राज्यसभा में रविवार को ध्वनि मत से पारित किया गया.

किसान उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2020, और किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा करार विधेयक, 2020 को लोकसभा पहले ही पारित कर चुकी है और अब वह मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास जाएगा. इससे बाद ये कानून के रूप में अधिसूचित हो जाएगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे भारतीय कृषि के इतिहास में एक गौरवशाली क्षण करार देते हुए कहा कि ये विधेयक, कृषि क्षेत्र का पूर्ण कायांतरण सुनिश्चित करेगा और किसानों की आय को दोगुना करने के प्रयासों में तेजी लाएगा.

कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इन विधेयकों को किसानों के ‘मौत का वारंट’ करार दिया है.

बयान में कहा गया है कि केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और सेक्टोरल फेडरेशनों ने अपने-अपने क्षेत्रों में और आसपास के क्षेत्रों में श्रमिकों और उनके यूनियनों को विरोध और प्रतिरोध के कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से शामिल होने का आह्वान किया है.

ट्रेड यूनियनों ने आरोप लगाया कि प्रस्तावित कानूनों का उद्देश्य, कृषि उपज पर पूरी तरह से बड़े-जमींदार कॉरपोरेट गठजोड़ एवं बहुराष्ट्रीय व्यापारिक समूहों के कब्जे को स्थापित करने के लिए कृषि अर्थव्यवस्था के प्रबंधन को पूरी तरह से पुनर्गठित करना है.

ट्रेड यूनियनों ने आरोप लगाया कि नए उपायों का उद्देश्य अडानी, विल्मर, रिलायंस, वॉलमार्ट, बिड़ला, आईटीसी जैसी बड़ी कंपनियों तथा विदेशी और घरेलू दोनों तरह की बड़ी व्यापारिक कंपनियों द्वारा मुनाफाखोरी को बढ़ावा देना भी है.

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