नयी दिल्ली, 23 अप्रैल (भाषा) प्रतिकूल मौसम और जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव 2023 में भी एशिया में जारी रहे, जिसने इसे विश्व के सर्वाधिक आपदा प्रभावित क्षेत्र में तब्दील कर दिया। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) की एक नयी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन की 2023 में एशिया में जलवायु की स्थिति पर रिपोर्ट में कहा गया है कि बाढ़ और तूफान के कारण सर्वाधिक संख्या में लोगों की मौतें हुईं तथा आर्थिक नुकसान हुआ तथा ‘लू’ का कहर और बढ़ा।
रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर पश्चिम प्रशांत महासागर में समुद्र के सतह का तापमान अपने उच्च स्तर पर पहुंच गया और यहां तक कि आर्कटिक महासागर में समुद्री उष्ण लहर (हीट वेव) की स्थिति देखने को मिली।
डब्ल्यूएमओ महासचिव सेलेस्टो साउलो ने कहा, ‘‘क्षेत्र में कई देशों ने 2023 को सबसे गर्म वर्ष के रूप में दर्ज किया, जिस दौरान सूखा और भीषण गर्मी से लेकर बाढ़ एवं तूफान जैसी मौसम की कई प्रतिकूल स्थितियां रहीं।
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन ने इस तरह की परिघटनाओं की बारंबरता और गंभीरता को बढ़ाया, जिसका समाज, अर्थव्यवस्था और सबसे अधिक मानव जीवन तथा पर्यावरण को प्रभावित किया।
जलवायु कार्यकर्ता हरजीत सिंह ने कहा कि नयी रिपोर्ट यह रेखांकित करती है कि क्षेत्र को जलवायु परिवर्तन के खतरे बढ़ रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में, अप्रैल और जून (2023) के बीच ‘लू’ लगने से करीब 110 लोगों की मौत हुई।
जून, जुलाई और अगस्त में बाढ़ और तूफान की कई घटनाओं में, भारत, पाकिस्तान और नेपाल में 600 लोगों की मौतें हुईं। भारी बारिश के कारण सउदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात(यूएई) और यमन में बाढ़ आई।
भाषा सुभाष रंजन
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