scorecardresearch
Sunday, 22 September, 2024
होमदेशउप्र साइबर पुलिस ने दो साइबर ठग गिरफ्तार किये

उप्र साइबर पुलिस ने दो साइबर ठग गिरफ्तार किये

Text Size:

नोएडा, 22 अप्रैल (भाषा) उत्तर प्रदेश पुलिस ने जामताड़ा के साइबर ठगों से कथित रूप से जुड़े दो व्यक्तियों की शुक्रवार को गिरफ्तारी के साथ एक ऑनलाइन रैकेट का भंडाफोड़ किया जिसमें ठग लोगों को उनके मोबाइल फोन का रिमोट एक्सेस लेकर उनसे ठगी की।

अधिकारियों ने बताया कि साइबर ठग ऐसे ऐप्लीकेशन का उपयोग कर रहे हैं जो उन्हें किसी दूर स्थान से मोबाइल फोन तक पहुंच प्रदान करते हैं, जिसमें उपयोगकर्ता के नंबर पर भेजे जाने वाले वन-टाइम पासवर्ड (ओटीपी) तक पहुंच भी शामिल है।

राज्य पुलिस की साइबर इकाई ने इसके मद्देनजर लोगों से गूगल पर ‘‘विज्ञापन’’ श्रेणी के तहत प्रकाशित बैंकों या अन्य सेवाओं के ‘‘टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर’’ का उपयोग नहीं करने का आग्रह किया है।

पुलिस अधीक्षक (उत्तर प्रदेश साइबर पुलिस) त्रिवेणी सिंह ने कहा कि साइबर पुलिस थाना, नोएडा के अधिकारियों ने दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है, जिनकी पहचान मोहम्मद रियाज और लियाक अहमद के रूप में हुई है, जो झारखंड के जामताड़ा के ठगों के गिरोह से जुड़े हैं।

उन्होंने कहा कि गाजियाबाद में रहने वाले सीआईएसएफ के एक सेवानिवृत्त अधिकारी की बेटी के साथ 5.97 लाख रुपये की ऑनलाइन धोखाधड़ी की जांच के तहत आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।

सिंह ने कहा, ‘‘सेवानिवृत्त अधिकारी की बेटी विदेश में रहती है। उसके पिता ने इस साल जनवरी में शिकायत के साथ पुलिस से संपर्क किया कि उनकी बेटी अपने आईसीआईसीआई बैंक खाते की इंटरनेट बैंकिंग सुविधा शुरू करना चाहती थी, जिसके लिए उसने गूगल सर्च पेज पर दिये गए बैंक के टोल फ्री नंबर का इस्तेमाल किया।’’

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘बाद में सेवानिवृत्त अधिकारी की बेटी को एक मोबाइल नंबर से कॉल आयी, जिसमें दूसरी तरफ के व्यक्ति ने खुद की पहचान बैंक प्रतिनिधि के तौर पर दी और उसे काम के लिए एक मोबाइल एप्लिकेशन – क्विक सपोर्ट – डाउनलोड करने के लिए मना लिया।’’

उन्होंने कहा कि जल्द ही, महिला ने 5.97 लाख रुपये गंवा दिये जो उसके बैंक खाते में बैंक में पंजीकृत उसके मोबाइल फोन नंबर से जुड़ा था।

अधिकारी ने कहा कि मामले की जांच साइबर पुलिस थाने, नोएडा ने की थी, जिसने आरोपियों को गिरफ्तार किया है और दोनों को कुख्यात जामताड़ा गिरोह के साथ जुड़ा पाया है।

मेरठ से दोनों को गिरफ्तार करने वाली टीम का नेतृत्व करने वाली निरीक्षक रीता यादव ने कहा कि आरोपी एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा हैं और कमीशन के आधार पर काम करते हैं। उन्होंने कहा कि रियाज कंप्यूटर एप्लीकेशन में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा धारक हैं, जबकि लियाक ने कक्षा 5 तक पढ़ाई की है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर, वे लोगों को आसानी से बैंक ऋण उपलब्ध कराने के बहाने फोन करते थे।

यादव ने कहा, ‘‘उनका काम संभावित लक्ष्यों को कॉल करना और उन्हें रिमोट एक्सेस टूल (आरएटी) डाउनलोड करने के लिए राजी करना था, जो उन्हें पीड़ितों के मोबाइल फोन तक पहुंच प्रदान की, यहां तक ​​कि उन्हें इसका एहसास भी नहीं हुआ।’’

उन्होंने कहा, ‘‘एक बार जब दोनों पीड़ित के फोन तक पहुंच प्राप्त करने के बाद वे धन को कई बैंक खातों में भेज देते थे, जो उन्होंने गांवों में रहने वाले लोगों की पहचान का उपयोग करके खोले थे। यह पैसा उनके आका द्वारा निकाल लिया जाता था, जबकि उन्हें एक कमीशन मिलता था।’’

यादव ने कहा कि रियाज को 20 फीसदी और लियाक को 10 फीसदी कमीशन मिलता था। निरीक्षक ने कहा कि दोनों अब लगभग पांच साल से अपराध में सक्रिय हैं और कम से कम 150 लोगों को ठग चुके हैं और 35 लाख रुपये से अधिक कमाए हैं।

साइबर पुलिस ने लोगों से, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों से, धोखाधड़ी के जोखिम से बचने के लिए अपने बैंक खाते के विवरण को असत्यापित व्यक्तियों के साथ साझा नहीं करने की अपील की है।

पुलिस ने कहा कि आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है।

भाषा सं नेत्रपाल अमित

अमित

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments