नयी दिल्ली, तीन मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने उस याचिका पर केंद्र और अन्य पक्षों से जवाब मांगा है, जिसमें प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों और अन्य द्वारा आयोजित सरकारी प्रेस वार्ताओं में सांकेतिक भाषा के दुभाषिए उपलब्ध कराने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है।
न्यायमूर्ति एस ए नज़ीर और न्यायमूर्ति विक्रमनाथ की पीठ ने केंद्र और अन्य को नोटिस जारी किया।
शीर्ष अदालत अधिवक्ता एम करपगम द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें कहा गया है कि दिव्यांग लोगों को सूचना और संचार का समान अधिकार है।
करपगम ने प्रधानमंत्री, केंद्र सरकार के अन्य मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और राज्य सरकारों के मंत्रियों द्वारा आयोजित सभी आधिकारिक प्रेस वार्ताओं में दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के अनुसार सांकेतिक भाषा का एक दुभाषिया रखने के लिए निर्देश दिए जाने का आग्रह किया है।
याचिका में कहा गया है कि अधिनियम दिव्यांग व्यक्तियों के खिलाफ भेदभाव को रोकता है, जिसमें सार्वजनिक लाभ, कार्यक्रमों या सेवाओं तक सार्थक पहुंच प्रदान करना शामिल है।
इसमें यह भी कहा गया है कि बधिर लोगों के लिए सांकेतिक भाषा तक पहुंच संचार बाधाओं को तोड़ने और समाज में उनके किसी अन्य व्यक्ति की तरह शामिल होने की कुंजी है।
भाषा नेत्रपाल दिलीप
दिलीप
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