नई दिल्ली: कोवैक्सिन और कोविशील्ड को महामारी के मद्देनजर इमर्जेंसी इस्तेमाल के लिए ऑथराइज्ड किए जाने के एक साल से अधिक समय के बाद, अब इन दो टीकों को पूरी तरह बाजार से ऑथराइजेशन मिल चुका है.
हालांकि, फिर भी राज्य टीकों का एक स्वस्थ सरप्लस- शुक्रवार की सुबह तक 13 करोड़ से अधिक खुराक का स्टॉक रखना जारी रखे हुए हैं – आप अभी भी निकट भविष्य में अपने पड़ोस के केमिस्ट से कोविड वैक्सीन लेकर बूस्टर डोज नहीं ले पाएंगे जिसके लिए आप पात्र नहीं हैं.
ऐसा इसलिए है क्योंकि भारत निर्मित दो टीके पूरी तरह बाजार की मंजूरी शर्तों के साथ आते हैं. इन शर्तों में से एक यह है कि ये टीके केवल वयस्कों के लिए पूर्ण ऑथराइजेशन प्राप्त किए हुए हैं (कोवैक्सिन का इस्तेमाल 15-18 वर्ष के बच्चों के लिए किया जा सकता है, लेकिन इस उम्र ग्रुप के केवल इमर्जेंसी इस्तेमाल के लिए अधिकृत है), और दूसरा यह है कि उन्हें ‘प्रोग्रामेटिक सेटिंग’ में इस्तेमाल किया जा सकेगा – जिसका मतलब है कि इनके इस्तेमाल के लिए CoWIN पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन जरूरी है.
ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने गुरुवार को कोवैक्सिन और कोविशील्ड के लिए रेग्युलर बाजार की मंजूरी दे दी है.
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने गुरुवार को कहा: ‘कोवैक्सिन और कोविशील्ड को इमर्जेंसी-इस्तेमाल का ऑथराइजेशन मिला था. उसके बाद, उन्होंने नियमित ऑथराइजेशन के लिए आवेदन किया था. विषय विशेषज्ञ समिति ने उनके द्वारा दिए गए डाटा को देखा और दोनों को अब कुछ शर्तों के साथ नियमित ऑथराइजेशन दे दिया गया है. नियमों के अनुसार, वे नई दवाओं के रूप में क्वालीफाई करते हैं.’
उन्होंने यह भी कहा कि दो टीकों के प्रतिकूल नतीजों पर डाटा – अब तक हर पखवाड़े जमा किया गया – अब केवल हर छह महीने में उपलब्ध कराए जाने की जरूरत होगी. उन्होंने कहा, ‘चाहे वह कोवैक्सिन हो या कोविशील्ड या एस्ट्राजेनेका (विदेशों में परीक्षण के लिए) डाटा को भी हर छह महीने में जमा करना होगा.’ ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को भारत में कोविशील्ड नाम से बेचा जाता है, जहां इसे सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा बनाया जाता है.
हालांकि, अग्रवाल ने कहा कि दोनों टीकों को वयस्कों में इस्तेमाल के लिए अप्रूव किया गया था, और वे केवल ‘प्रोग्रामेटिक सेटिंग’ में इस्तेमाल के लिए थे. उन्होंने कहा, ‘इसका मतलब है कि चूंकि निगरानी आवश्यक है, इसलिए टीके कोविन पर रजिस्ट्रेशन के बाद ही दिए जा सकते हैं.
जबकि खुदरा बिक्री तत्काल विकल्प नहीं है, ऐसी खबरें आई हैं कि 275 रु. मूल्य लिमिट प्रति खुराक टीकों पर तय की जा सकती है. हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि ऐसा कोई फैसला नहीं हुआ है.
कोवैक्सिन और कोविशील्ड को जनवरी 2021 में इमर्जेंसी इस्तेमाल का ऑथराइजेशन मिल था, और तब से भारत के कोविड टीकाकरण कार्यक्रम में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा है. शुक्रवार की सुबह तक, 164,44,73,216 टीके की खुराक – लगभग सभी कोवैक्सिन या कोविशील्ड – भारत में लगाई गई थीं. स्पुतनिक वी भी उपयोग में रही है, लेकिन कार्यक्रम में इसका हिस्सा बेहद ही सीमित रहा है.
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चौथा फेज है, खुदरा बिक्री पर अभी भी रोक
स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि वैक्सीन दवा की किसी भी दुकान पर जल्द उपलब्ध नहीं होगा, निजी अस्पताल उन्हें निर्माताओं से खरीदना जारी रख सकते हैं. खुदरा बिक्री की अनुमति पर उन्होंने कहा कि भारत में दवा बिक्री नियमों के खराब अनुपालन को देखते हुए वैक्सीन पाने वालों या यहां तक कि प्रतिकूल घटनाओं का दस्तावेजीकरण करना जटिल हो जाएगा.
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘खुदरा बिक्री को लेकर कई मसले हैं. पहला तो, इन टीकों का बच्चों के लिए पूर्ण बाजार ऑथराइजेशन नहीं हैं. लेकिन एक बार जब हम बिक्री की अनुमति देते हैं, तो हम इस पर कंट्रोल गंवा देते हैं कि इसे कौन हासिल या प्रप्त करता है.’
अधिकारी ने कहा, ‘दूसरी ओर, कई चीजें हैं जिन पर अभी भी नजर रखने की जरूरत है. जब तक ऐसा करने के लिए कोई बना बनाया सिस्टम नहीं है, हम इन पर नज़र नहीं रख सकते. मसला वैक्सीन की उपलब्धता का नहीं है, बल्कि ये कि हम उनके बारे में डाटा एकत्र करने के लिए कितने तैयार हैं. यह महत्वपूर्ण है क्योंकि एक चौथे फेज का ट्रायल भी कहा जाता है.’
न्यू ड्रग्स एंड क्लीनिकल ट्रायल रूल्स, 2019 के अनुसार, ‘नई दवाओं के चौथे चरण या पोस्ट-मार्केटिंग ट्रायल दवा के अप्रूवल के बाद और स्वीकृत संकेत से जोड़े जाते हैं. ऐसे ट्रायल्स दवा की सुरक्षा, प्रभावकारिता और खुराक की परिभाषा के पूर्व प्रदर्शन से परे होते हैं.’
इसमें कहा गया है कि इस तरह के ट्रायल्स को तब आवश्यक नहीं माना जा सकता था जब तक नई दवाओं को पहली बार ‘रोगी के जोखिम को लेकर सीमा, दवा के क्लीनिकल विकास के दौरान उपचार की अवधि, रोगियों आदि के हित में नई दवा के जल्द जानकारी की जरूरत’ जैसे फैक्टर्स के कारण अप्रूवल दिया गया हो.’
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