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Friday, 10 May, 2024
होमहेल्थCovid की ओमिक्रॉन लहर के दौरान अस्पताल में भर्ती होने की दर 1-2% से कम, पर तमिलनाडु, महाराष्ट्र में हालात अलग

Covid की ओमिक्रॉन लहर के दौरान अस्पताल में भर्ती होने की दर 1-2% से कम, पर तमिलनाडु, महाराष्ट्र में हालात अलग

मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की उपस्थिति में हुई एक समीक्षा बैठक में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने के निम्न स्तर की सूचना दी. डेल्टा वैरिएंट वाली लहर के दौरान अस्पताल में भर्ती होने की दर 22-23% की सीमा तक पहुंच गई थी.

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नई दिल्ली: केंद्र सरकार के साथ हुई बैठकों में, कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने तीसरी कोविड लहर- जो मुख्य रूप से कोरोनवायरस के ओमिक्रॉन संस्करण द्वारा बड़े पैमाने पर संक्रमण की वजह से आई है – के दौरान औसतन 1-2 प्रतिशत मरीजों के ही अस्पताल में भर्ती होने की सूचना दी है. केंद्र सरकार के शीर्ष सूत्रों के अनुसार एक ओर जहां दिल्ली और केरल जैसे राज्यों ने अस्पताल में भर्ती होने की दर लगभग 3-4 प्रतिशत दर्ज की, वहीं तमिलनाडु में अस्पताल में भर्ती होने की दर 6 प्रतिशत और महाराष्ट्र में लगभग 10-15 प्रतिशत के आसपास है.

केंद्र द्वारा किये गए प्रारंभिक आकलन से लगता है कि डेल्टा संस्करण – जिसने दूसरी लहर के दौरान कहर बरपाया था – के बचे-खुचे संक्रमण का प्रसार तमिलनाडु में अस्पताल में भर्ती होने की उच्च दर की वजह हो सकता है.

हालांकि, केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि, 10-11 प्रतिशत की अस्पताल में भर्ती होने की दर के साथ मुंबई विशेष रूप से मेडिकल प्रैक्टिस से जुड़े मुद्दों का सामना कर रहा हो सकता है, क्योंकि डॉक्टरों द्वारा अक्सर मोनोक्लोनल एंटीबॉडी जैसे अधिक लगत वाले उपचारों के लिए रोगियों को भर्ती किया जा रहा है, भले ही वे काम करते हों या नहीं.

इस महामारी के प्रबंधन से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘पिछले 10 दिनों में, अधिकांश राज्य लगभग 1-2 प्रतिशत के आसपास मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने की दर की सूचना दे रहे हैं. दिल्ली में यह करीबन 3.3 फीसदी है. लेकिन तमिलनाडु में यह 6 फीसदी और मुंबई में 10-11 फीसदी है. हम तमिलनाडु के मामले को देख रहे हैं और हमारा प्रारंभिक आकलन यह है कि वहां अस्पताल में भर्ती होने की दर इस वजह से अधिक है क्योंकि वहां अभी भी डेल्टा वैरिएंट वाले संक्रमण प्रचलन में हैं, लेकिन मुंबई एक अधिक उलझा हुआ मामला है.’

उन्होंने कहा, ‘हमारे उपचार सम्बन्धी दिशा-निर्देश एकदम से स्पष्ट हैं, लेकिन डॉक्टर अभी भी मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का उपयोग करने जैसे निर्णय ले रहे हैं, भले ही वे ओमिक्रॉन के मामले में कारगर सिद्ध न हों रहे हों. ये पेशेवर चिकित्सकीय निर्णय हैं, हमारे लिए इन पर सवाल उठाना बहुत मुश्किल है.’

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Graphic: Ramandeep Kaur/ThePrint
रमनदीप कौर का चित्रण | दिप्रिंट.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया के साथ मंगलवार को हुई एक समीक्षा बैठक में, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने पिछली लहर की तुलना में अस्पताल में भर्ती होने काफी निम्न लेवल के दर की सूचना दी.

बैठक में मौजूद एक सूत्र ने कहा, ‘बैठक में, जम्मू और कश्मीर ने बताया कि उनके यहां अस्पताल में भर्ती होने की दर लगभग 1 प्रतिशत है, हरियाणा में यह लगभग 2 प्रतिशत है. यह हमारे लिए एक अच्छी स्थिति है क्योंकि डेल्टा वाली लहर के दौरान यही दर 22-23 प्रतिशत के रेंज में थी.’

दिप्रिंट ने महाराष्ट्र के प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) डॉ प्रदीप व्यास से राज्य में, विशेष रूप से मुंबई में, अस्पताल में भर्ती होने की उच्च दर के बारे में फोन कॉल और संदेशों के माध्यम से उनकी टिप्पणी मांगी है. उनकी प्रतिक्रिया मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.

‘चिकित्सा के बुनियादी ढांचे की उपलब्धता भी है एक फैक्टर’

हालांकि तमिलनाडु के स्वास्थ्य सचिव जे. राधाकृष्णन ने दिप्रिंट को बताया कि राज्य सरकार अस्पताल में भर्ती होने की उच्च दर को लेकर बेवजह चिंतित नहीं है.

उन्होंने आगे कहा, ‘मेडिकल डाटा (चिकित्सकीय आंकड़ा) साधारण गणित नहीं है, हमें मामलों की गहराई में जाने की जरूरत है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि परीक्षण (टेस्टिंग) कैसे किया जा रहा है. हमारे अस्पतालों में भर्ती बहुत सारे मामले आकस्मिक कोविड के हैं जहां लोग अन्य चीजों के इलाज लिए अस्पताल आ रहे हैं, डॉक्टर उनका परीक्षण कर रहे हैं और वे उनकी कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है. चिकित्सा के बुनियादी ढांचे की उपलब्धता, निजी अस्पतालों का प्रसार, ये सभी यहां और महाराष्ट्र दोनों राज्यों में एक कारक हैं. यह उन शहरों में ज्यादा है जहां अस्पतालों की संख्या ज्यादा हैं. लेकिन यह सच है कि हम जिन नमूनों को जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेज रहे हैं, उनमें से 15 प्रतिशत अभी भी डेल्टा वैरिएंट के लिए पॉजिटिव रिपोर्ट वाले आ रहे हैं.’

राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार, मंगलवार को तमिलनाडु ने 30,055 नए कोविड -19 के मामले दर्ज किए गए. पिछले कुछ हफ्तों में, राज्य में कोविड के मामलों में तेजी आई है. 4 जनवरी तक भी राज्य में रोजाना मिलने वाले मामलों की संख्या 3,000 (2,731) से कम थी. हालांकि राधाकृष्णन ने कहा कि इसका एक हिस्सा इस तथ्य से भी जुड़ा है कि राज्य के 13 जिलों की सीमा केरल से जुड़ी है, जहां पिछले कुछ दिनों में ऐसे मामलों की संख्या बढ़ रही है.

‘केरल में ओमिक्रॉन वाले मामलों में देर से आया उछाल देखने को मिल रहा है’

एक राज्य जहां मामलों की संख्या लगातार ऊपर की ओर बढ़ रही है, वह है केरल, जो कुछ समय के लिए कोविड मामलों की तालिका में शीर्ष स्थान से थोड़ा नीचे चला गया था. राज्य के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी एक बुलेटिन के अनुसार, मंगलवार को इस राज्य में 55,475 मामले सामने आए. इसमें यह भी कहा गया है कि ‘कोविड संक्रमण के कुल 2,85,365 मामलों में से केवल 3.8 प्रतिशत सक्रिय मामले ही या तो अस्पताल/फील्ड हॉस्पिटल में भर्ती हैं.’

हालांकि राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने इस राज्य में अस्पताल के बेड्स की कमी की खबरों का खंडन किया है.

ऐसा लगता है कि केरल ओमिक्रॉन वाले उछाल के दौर से थोड़ी देर से गुजर रहा है. वहां आयी तेजी दिल्ली, मुंबई, कोलकाता के साथ नहीं हुई थी. केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी, जो इस महामारी की शुरुआत के बाद से ही विभिन्न राज्यों के आंकड़ों को बहुत करीब से देख रहे हैं, ने दिप्रिंट को बताया, ‘वास्तव में, हालांकि ओमिक्रॉन के पहले मामलों का पता कर्नाटक में ही चला था, फिर भी सभी दक्षिणी राज्य इस बार एक तरह से सुरक्षित जैसे लगते हैं. कर्नाटक में भी मामलों में उछाल देखने को मिल रहा है, लेकिन वहां यह फिलहाल बेंगलुरू तक ही केंद्रित है.‘

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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