scorecardresearch
Thursday, 25 April, 2024
होमहेल्थजल्द शुरू होगी ZyCov-D की सप्लाई, पर इसे तुरंत नेशनल वैक्सीन प्रोग्राम में शामिल करने की संभावना कम

जल्द शुरू होगी ZyCov-D की सप्लाई, पर इसे तुरंत नेशनल वैक्सीन प्रोग्राम में शामिल करने की संभावना कम

ओमीक्रॉन की दस्तक और बच्चों के टीकाकरण पर फैसला फिलहाल लंबित होने के बीच सरकार नाबालिगों पर इस्तेमाल के लिए लाइसेंस प्राप्त एकमात्र टीके जायकोव-डी की एक करोड़ खुराकों का उपयोग करने से पहले कुछ इंतजार कर सकती है.

Text Size:

नई दिल्ली: दुनिया की पहली डीएनए वैक्सीन जायकोव-डी की सप्लाई अगले कुछ दिनों के भीतर शुरू होने वाली है, लेकिन ओमीक्रॉन वैरिएंट की दस्तक और बच्चों के टीकाकरण संबंधी नीति पर अभी तक कोई फैसला न हो पाने के बीच इसे फिलहाल राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम का हिस्सा बनाए जाने की संभावना कम ही है.

यह वैक्सीन इस समय देश में 18 वर्ष से कम आयु के लोगों में उपयोग के लिए अधिकृत एकमात्र टीका है.

भारत सरकार ने लगभग तीन हफ्ते पहले निर्माता कंपनी जायडस कैडिला को वैक्सीन की एक करोड़ खुराक का ऑर्डर दिया था और पहली खेप की आपूर्ति दिसंबर के पहले सप्ताह में होने की संभावना है.

जायकोव-डी एक तीन-खुराक वाली वैक्सीन है जिसमें सुई के बजाय एक विशेष एप्लिकेटर का उपयोग किया जाता है. प्रत्येक खुराक में एप्लीकेटर के दो शॉट शामिल हैं. इसे सितंबर में 12 वर्ष से अधिक आयु के बच्चों में उपयोग के लिए अनुमोदित किया गया था.

राज्यों के साथ गुरुवार को हुई एक बैठक में सात राज्यों (बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, पंजाब, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल) की पहचान उन राज्यों के तौर पर की गई, जहां रोलआउट होते ही जायकोव-डी वैक्सीन का इस्तेमाल सबसे पहले किया जाएगा. राज्यों को वैक्सीन लगाने के लिए उन जिलों की पहचान करने को कहा गया है जहां बिना टीकाकरण वाले लोगों की संख्या अधिक है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें


यह भी पढ़ेंः जायडस कैडिला ने ZyCov-D वैक्सीन की मंजूरी के लिए किया आवेदन, 12-18 साल के लोगों पर की गई टेस्टिंग


स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमने जायकोव-डी केट

लिए ऑर्डर दे दिए हैं और दिसंबर के पहले हफ्ते में ही आपूर्ति शुरू हो जाएगी. हम पूरी तरह तैयार हैं, विशेष एप्लीकेटर का इस्तेमाल करते हुए टीके लगाने का प्रशिक्षण भी पूरा हो चुका है. लेकिन हम इसे तुरंत ही राष्ट्रीय कार्यक्रम में शामिल नहीं कर सकते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘वैक्सीन की शेल्फ लाइफ छह महीने है. बच्चों के टीकाकरण और बूस्टर डोस पर कोई भी फैसला अभी एनटीएजीआई (भारत में टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह) के पास विचाराधीन है. ऐसा लगता है कि वे आम सहमति तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. हम इस मामले में एनटीएजीआई के फैसले का इंतजार करेंगे.’

बच्चों के टीकाकरण पर फैसले का इंतजार

ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने अक्टूबर में सिफारिश की थी कि भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को कम से कम दो साल तक की उम्र के बच्चों में इस्तेमाल की मंजूरी दे दी जाए, लेकिन मामला अभी भी ड्रग कंट्रोलर के विचाराधीन है.

इस बीच, बच्चों के टीकाकरण के बारे में कोई भी फैसला अभी टीकाकरण पर देश के सर्वोच्च वैज्ञानिक निकाय एनटीएजीआई के कोविड वर्किंग ग्रुप के पास लंबित है.

पिछले कुछ महीनों में देश में वैक्सीन की उपलब्धता की स्थिति में काफी सुधार आया है. सरकार की तरफ से गुरुवार सुबह जारी एक बयान के मुताबिक, लोगों के टीकाकरण के लिए राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के पास कोविड वैक्सीन की 22.78 करोड़ (22,78,95,731) से अधिक खुराक उपलब्ध हैं जिनका अभी तक इस्तेमाल नहीं किया गया है.

हालांकि, जायकोव-डी की इस्तेमाल योग्य रहने की अवधि (शेल्फ लाइफ) अभी राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत उपयोग में आने वाली सभी वैक्सीन की तुलना में सबसे कम है. कोवैक्सीन की शेल्फ लाइफ 12 महीने है और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित कोविशील्ड की शेल्फ लाइफ नौ महीने है.


यह भी पढ़ेंः भारत की वयस्क आबादी में 69% को कोविड वैक्सीन की कम से कम एक डोज लगी: मोदी सरकार


कोमोर्बिडिटी वाले बच्चों को प्राथमिकता पर कोई सिफारिश नहीं

एनटीएजीआई के कोविड वर्किंग ग्रुप के प्रमुख डॉ. एन.के. अरोड़ा कई बार कह चुके हैं कि टीकाकरण के लिए उन बच्चों को प्राथमिकता देने का फैसला किया गया है, जो कोमोर्बिडिटी के शिकार हैं. हालांकि, सरकारी अधिकारियों का कहना है कि कई महीनों तक चले विचार-विमर्श के बावजूद एनटीएजीआई की ओर से कोई ठोस सिफारिश नहीं की गई है.

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘हमने कोमोर्बिडिटी वाले बच्चों को तरजीह देने संबंधी कुछ बयान पढ़े हैं, लेकिन हमारे पास अभी तक ऐसी कोई सिफारिश नहीं आई है.’

माना जा रहा है कि बच्चों को टीके के मामले में कोमोर्बिडिटी की सूची में शामिल की जाने वाली बीमारियों पर कुछ तय न हो पाने की वजह से मामला अटका है. इस सूची के बिना यह स्पष्ट नहीं हो पाएगा कि पहले चरण में देश में कितने बच्चों का टीकाकरण किया जाएगा. वैक्सीन की उपलब्धता को लेकर भी संतुलन बनाने की जरूरत पड़ेगी.

अधिकारियों का कहना है कि भारतीय बच्चों का टीकाकरण नए साल में ही शुरू होने की उम्मीद कर सकते हैं.

जायकोव-डी अब तक की सबसे महंगी वैक्सीन

अभी सरकार की तरफ खरीदे जा रहे सभी टीकों में से डीएनए वैक्सीन सबसे महंगी होने वाली है, जिसकी कीमत करीब 358 रुपये प्रति खुराक होगी. इसमें एप्लीकेटर की लागत भी शामिल है. एप्लीकेटर में इस्तेमाल होने वाली गन की कीमत 30,000 रुपये है और इसे हर 20,000 शॉट्स के बाद बदलना पड़ता है.

कोवैक्सीन 215 रुपये प्रति खुराक और कोविशील्ड 205 रुपये प्रति खुराक पर खरीदी जा रही है. देश में अब तक लगाई गई वैक्सीन की 124.96 करोड़ खुराकों में से 10 प्रतिशत से कुछ अधिक यानी 13.81 करोड़ खुराक कोवैक्सीन की रही हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. )


यह भी पढ़ेंः जायडस कैडिला का कोविड वैक्सीन अभी केवल वयस्कों को लगाया जाएगा: सूत्र


 

share & View comments