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Friday, 19 April, 2024
होमहेल्थवैक्सीन एक्सपर्ट गगनदीप कांग ने कहा -रीइंफेक्शन तय करेगा कि भारत को कितने कोविड शॉट्स की जरूरत है

वैक्सीन एक्सपर्ट गगनदीप कांग ने कहा -रीइंफेक्शन तय करेगा कि भारत को कितने कोविड शॉट्स की जरूरत है

कांग का कहना है कि पिछले कोविड इंफेक्शन से मिली इम्यूनिटी के बारे में, सबसे अच्छे जवाब ‘सेरोपॉज़िटिव और पहले से संक्रमित लोगों में ह्यूमन चेलेंज स्टडीज़ से हासिल हो सकते हैं’.

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नई दिल्ली: भारत की एक अग्रणी मेडिकल वैज्ञानिक और वैक्सीन एक्सपर्ट गगनदीप कांग का कहना है कि हमें कोविड-19 वैक्सीन के कितने शॉट्स ख़रीदने पड़ेंगे, ये इसपर निर्भर करेगा कि कोरोनावायरस के इंफेक्शन फिर से कैसे पैदा होते हैं.

बहुत से वैक्सीन्स के उत्साहजनक नतीजे सामने आ रहे हैं और इसी बीच कांग ने दिप्रिंट से बात की कि इस खोज का भारत पर क्या प्रभाव होगा.

उन्होंने कहा कि अभी सही से अंदाज़ा लगाना जल्दबाज़ी होगी और ये भी कहा कि बहुत कुछ इस पर निर्भर करता है कि ठीक हो गए कोविड मरीज़ों में, किस सीमा तक फिर से संक्रमण होते हैं. उन्होंने एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया के उस सुझाव को भी ‘संभव’ बताया, कि हर्ड इम्यूनिटी– वो स्टेज जिसमें एक जगह पर इतने सारे लोग संक्रमित हो जाएं कि संक्रमण की कड़ी ही टूट जाए- सबके लिए कोविड वैक्सीन मुहैया होने से पहले ही सामने आ सकती है.

उन्होंने ये भी कहा कि वैक्सीन्स के इमर्जेंसी इस्तेमाल की अनुमति एक ऐसी चीज़ है जिसके लिए जल्दबाज़ी नहीं की जानी चाहिए, जब तक कि उसके समर्थन में पर्याप्त डेटा न मिल जाए.

कोविड इन्फेक्शन से मरीज़ों को मिलने वाली, इम्यूनिटी के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि इसे जांचने की ज़रूरत है.

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उन्होंने कहा, ‘ये याद रखना ज़रूरी है कि वैक्सीन्स यथा संभव इम्यून रेस्पॉन्स पैदा करने के लिए डिज़ाइन की जाती हैं. हमारे पास डेटा है जो बताता है कि इम्यून रेस्पॉन्स, बीमारी की गंभीरता के हिसाब से बदलता रहता है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘हमें नहीं मालूम कि क्या ये, बचाव में अंतर के बराबर होता है, लेकिन समय के साथ हम जान जाएंगे, जब पहले संक्रमित हुए ज़्यादा लोग, बाद में फिर से संक्रमित होंगे’.

कांग का कहना है कि पिछले कोविड इनफेक्शन से मिली इम्यूनिटी के बारे में, सबसे अच्छे जवाब ‘सेरोपॉज़िटिव और पहले से संक्रमित लोगों में ह्यूमन चेलेंज स्टडीज़ से हासिल हो सकते हैं’.


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विवादास्पद ह्यूमन चेलेंज स्टडीज़ में टेस्ट की विषय वस्तु को जानबूझकर उस संक्रमण के संपर्क में लाया जाता है, जिससे सुरक्षा हासिल करना उस ट्रायल का उद्देश्य होता है.

भारत को क्या योजना बनानी है

कांग, जो लंदन की रॉयल सोसाइटी की फेलो बनने वाली, भारत की पहली महिला वैज्ञानिक के तौर पर जानी जाती हैं, फिलहाल क्रिस्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर में प्रोफेसर हैं. उनके नाम वैक्सीन्स के क्षेत्र में कई उपलब्धियां हैं, जिनमें भारत की स्वदेशी रोटावायरस वैक्सीन के विकास में उनकी भूमिका भी शामिल है.

महामारी की शुरूआत में, उन्हें कोविड-19 ड्रग्स और वैक्सीन्स पर बने एक सरकारी पैनल का अध्यक्ष बनाया गया, लेकिन बाद में अप्रैल में पैनल को भंग कर दिया गया.

डॉ कांग के मुताबिक़, वैक्सीन के दाम, इसके प्रभाव, कार्यक्रम के लिए इसकी उपयुक्तता और निरंतर व समय पर आपूर्ति आदि का, उसे ख़रीदने में ख़ास ध्यान रखा जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि इसके अलावा, भारत को संभावित धोखाधड़ी रोकने के लिए पहले से ही नियंत्रण और जांच-पड़ताल आदि का प्रावधान रखना चाहिए.

‘ये सब सप्लाई-चेन और लॉजिस्टिक्स के मसले हैं, जो इसके बहुमूल्य उत्पाद (दाम नहीं बल्कि महत्व में) होने की वजह से, और जटिल हो जाते हैं, इसलिए चोरी और धोखाधड़ी से योजना बनाने की जटिलता और बढ़ जाती है’.

उन्होंने कुछ ऐसे फैक्टर्स भी बताए जिनका केंद्र सरकार को, पर्याप्त कोल्ड-चेन स्टोरेज सुनिश्चित करने के अलावा, वैक्सीन के भंडारण और वितरण की रणनीति बनाते समय ध्यान रखना चाहिए.

उनका कहना था, ‘टीकाकरण कैम्पों की जगह और उनकी अवधि, पहचान किए गए लोगों की जानकारी, उनकी उपस्थिति पर नज़र, टीकाकरण सत्रों के दौरान टेम्प्रेचर की निगरानी, और टीकाकरण के लिए प्रशिक्षित स्टाफ, इस काम में अहम रोल अदा करेंगे’. उन्होंने आगे कहा कि ये सब काम, नियमित टीकाकरण गतिविधियों के प्रभावित हुए बिना, किए जाने की ज़रूरत है.

‘भारत ने इस पैमाने के टीकाकरण अभियान पहले कभी नहीं देखे हैं. इसलिए सरकार के पास लोगों तक सूचना पहुंचाने, और लगातार ताज़ा जानकारी साझा करने की, एक मज़बूत संचार रणनीति होनी चाहिए’.

वैक्सीन्स के लिए आपात सहमति

जो वैक्सीन कैंडिडेट्स आशाजनक विकल्प के तौर पर सामने आए हैं, उनमें से एक है एस्त्रा-ज़ेनेका-ऑक्सफोर्ड का प्रयास, जिसका भारत में एक साझीदार, पुणे स्थित सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया है.

एसआईआई के सीईओ आदर पूनावाला का, ये कहते हुए हवाला दिया गया है, कि अगले महीने तक एसआईआई को, वैक्सीन के आपात-इस्तेमाल की अनुमति मिल सकती है. वैक्सीन्स के आपात-इस्तेमाल की अनुमति के बारे में पूछे जाने पर, कांग ने एहतियात बरतने का आग्रह किया.

उन्होंने कहा, ‘जब तक हम निश्चिंत नहीं हो जाते कि वैक्सीन दुनिया में कहीं काम कर रही है, तब तक आपात अनुमति देना बिल्कुल भी उचित नहीं रहेगा. सिर्फ एज़ेड (एस्त्रा-ज़ेनेका) ही नहीं, ये बात सभी वैक्सीन कैंडिडेट्स पर लागू होती है’.

ये पूछे जाने पर कि आपात इस्तेमाल की अनुमति के लिए, किन मानदंडों का ध्यान रखा जाना चाहिए, उन्होंने आगे कहा, ‘मेरे विचार में हमारे पास रसायन निर्माण के नियंत्रण और प्रतिरक्षाजनकता का डेटा होना चाहिए, जो हमें दिखाए कि भारत में बनी वैक्सीन, एस्त्रा-ज़ेनेका द्वारा निर्मित वैक्सीन के बराबर है, और फिर एस्त्रा-ज़ेनेका के प्रभाव के डेटा का इस्तेमाल करते हुए, रेगुलेटर आपात लाइसेंस पर विचार कर सकता है’.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )

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