scorecardresearch
Saturday, 22 June, 2024
होमहेल्थसरकार की PM-JAY स्वास्थ्य योजना के तहत दूसरा सबसे बड़ा खर्च क्या है? सस्ता कोविड टेस्ट!

सरकार की PM-JAY स्वास्थ्य योजना के तहत दूसरा सबसे बड़ा खर्च क्या है? सस्ता कोविड टेस्ट!

कोविड टेस्ट के भुगतान के लिए 440 करोड़ रुपये से अधिक की राशि स्वीकृत की गई है. अधिकारियों का कहना है कि इन टेस्ट को प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत शामिल किया गया, जब उनकी लागत कुछ हजार थी और पहुंच कम थी.

Text Size:

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) 2018 में जब शुरू की गई थी, तो इसका उद्देश्य तमाम परिवारों को भारी-भरकम स्वास्थ्य खर्च के कारण गरीबी के कगार पर पहुंचने से बचाना था. हालांकि, योजना का प्रबंधन करने वाले राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) के डेटा से पता चलता है कि टरशियरी स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत अधिक दावों के मामले में कोविड स्क्रीनिंग टेस्ट दूसरे नंबर पर है.

एनएचए डेटा (8 अगस्त, 2022 तक अपडेटेड) से पता चलता है कि पीएमजेएवाई के तहत वित्त पोषण के मामलों में 48,18,746 दावों के साथ कोविड स्क्रीनिंग टेस्ट दूसरे नंबर पर है और हेमोडायलिसिस (59,67,913 दावों के साथ) पहले स्थान पर है. टेस्ट के लिए स्वीकृत कुल धनराशि 441,41,22,350 रुपये है (यानी प्रति टेस्ट औसतन लागत 900 रुपये से थोड़ा अधिक है).

Graphic: Ramandeep Kaur | ThePrint
ग्राफिक: रमनदीप कौर | दिप्रिंट

कोविड स्क्रीनिंग टेस्ट—रैपिड एंटीजन टेस्ट और आरटी-पीसीआर—दोनों ही अब कुछ सौ रुपये में उपलब्ध हैं, हालांकि अधिकारियों का कहना है कि उन्हें पहले पीएमजेएवाई में इसलिए शामिल किया गया था क्योंकि तब वे अधिक महंगे थे. इसके अलावा, टेस्ट को न तो उपचार की श्रेणी में रखा जाता है और न ही इसके लिए अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ती है.

इस बीच, पीएमजेएवाई के तहत किए सबसे अधिक दावों के मामले में हेमोडायलिसिस शीर्ष पर है, यद्यपि सरकार के पास 2016 से ही इलाज तक पहुंच को आसान बनाने के लिए एक डेडिकेटेड नेशनल डायलिसिस प्रोग्राम है.

दिप्रिंट ने एनएचए के सीईओ आर.एस. शर्मा से फोन और व्हाट्सएप पर और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से ईमेल के जरिये संपर्क साधा, लेकिन यह रिपोर्ट प्रकाशित होने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई. प्रतिक्रिया मिलने पर रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.


यह भी पढ़ें: क्रेच सुविधा, सप्ताह में 40 घंटे काम- नर्सों के काम करने की स्थितियां कैसे सुधारना चाहती है मोदी सरकार


कोविड टेस्ट क्यों पीएमजेएवाई का हिस्सा बना

पीएमजेएवाई एनडीए सरकार के प्रमुख स्वास्थ्य कार्यक्रम आयुष्मान भारत की तृतीयक शाखा है, और इसके तहत प्रति पात्र परिवार को 5 लाख रुपये का वार्षिक स्वास्थ्य कवर प्रदान किया जाता है.

प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो ने 2018 में योजना के शुभारंभ के मौके पर जारी एक बयान में कहा था, ‘आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) माध्यमिक और तृतीयक देखभाल के लिए अस्पताल में भर्ती होने पर प्रति परिवार हर वर्ष 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य कवर प्रदान करेगी. योजना का उद्देश्य अस्पताल में भर्ती होने पर होने वाले खर्च को कम करना, अधूरी जरूरतों को पूरा करना और पात्र परिवार को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल और सर्जरी की सुविधा प्रदान करना है.’

सरकारी सूत्रों ने बताया कि पहली बार जब पीएमजेएवाई कवरेज प्रदान करने वाले पैकेजों की सूची में कोविड स्क्रीनिंग टेस्ट को शामिल किया गया था तब ये टेस्ट बहुत अधिक महंगे होते हैं, और इन पर कुछ हजार रुपयों का खर्च आता था.

एनएचए से काफी समय से जुड़े एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘जब इन्हें सूची में शामिल किया गया, तो टेस्ट की कीमत 4,500 रुपये थी. उस समय यह समझ में आता था, क्योंकि यह ऐसा कुछ नहीं था जिसे पीएमजेएवाई लक्षित आबादी वहन कर सकती थी, और बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए आवश्यक होने पर टेस्ट की आवश्यकता थी.’

उन्होंने कहा, ‘लेकिन टेस्ट की लागत में काफी कमी आई है. इसे बहुत पहले हटा दिया जाना चाहिए था, क्योंकि अब इसकी कीमत 150 रुपये के करीब ही है. यह संसाधनों का दुरुपयोग है. पीएमजेएवाई के तहत इसे जारी रखना एक घोटाला है, खासकर तब जब खुद प्रधानमंत्री ने कई मौकों पर कहा है कि इस योजना का उद्देश्य भारी-भरकम स्वास्थ्य व्यय का भार घटाना है.

हालांकि, एनएचए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह कहकर आंकड़ों को कमतर करने की कोशिश की कि ये मामले ‘ज्यादातर 2020-21 के’ थे, जब महामारी अपने चरम पर थी.

अधिकारी ने कहा, ‘जब कोविड फैला तो बड़ी आबादी के लिए टेस्ट को सुलभ बनाने के लिए यह निर्णय लिया गया था. मुझे नहीं लगता कि पिछले एक साल के दौरान कोविड टेस्ट के संबंध में कोई बहुत ज्यादा दावे किए गए हैं. हम माध्यमिक और तृतीयक देखभाल के अलावा कुछ भी फंड नहीं करते हैं.’

प्रोग्रामैटिक ओवरलैप

पीएमजेएवाई के तहत जिस प्रक्रिया को लेकर सबसे अधिक दावे किए गए, वह हेमोडायलिसिस है. जबकि एक तथ्य यह भी है कि 2016 से ही भारत सरकार इसकी सुविधा के लिए एक राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम भी चला रही है. हेमोडायलिसिस महंगा है, और एक बार प्रक्रिया शुरू होने पर इसे बंद नहीं किया जा सकता.

एनएचए सूत्रों का कहना है कि मोतियाबिंद सर्जरी और सामान्य प्रसव सहित कम से कम 12 राष्ट्रीय कार्यक्रम हैं, जिन्हें पीएमजेएवाई के तहत कवर किया गया है, लेकिन उन्हें पीएमजेएवाई सूची से बाहर करने के निर्णय पर कभी कार्रवाई नहीं की गई. इससे योजना के संभावित दुरुपयोग का रास्ता खुला है.

पूर्व में योजना से जुड़े रहे एक व्यक्ति ने कहा, ‘इनकी छंटनी होनी चाहिए, तभी पीएमजेएवाई के लिए आवंटित धन का उपयोग उस उद्देश्य के लिए किया जा सकेगा जिसके लिए वो है. हालांकि, इस बदलाव का काफी विरोध हो रहा है.’

ऊपर उद्धृत एनएचए के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत डायलिसिस कार्यक्रम निजी क्षेत्र में डायलिसिस को सपोर्ट नहीं करता है.

अधिकारी ने कहा, ‘हमने अपने लाभार्थियों के लिए डायलिसिस को एक अतिरिक्त सहायता प्रणाली के रूप में शामिल करने का फैसला किया है, जिनमें कई ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं जहां डायलिसिस सुविधाओं तक पहुंच सीमित है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: ‘कुमकुम, लाल कपड़ा और दफनाने के लिए जमीन’: लंपी स्किन डिजिस से कच्छ में मरने वाली गायों को अंतिम विदाई


 

share & View comments