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Friday, 17 May, 2024
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हरियाणा के इन जिलों में नहीं है वैक्सीन को लेकर हिचकिचाहट, लोग अब ‘जागरूक’ हैं लेकिन टीकों की भारी कमी

जींद, झज्जर और कैथल में भी इसी तरह की निराशा भरी कहानियां साझा की गई हैं, जहां लोग टीका लगवाने के लिए लाइनें लगा रहे हैं लेकिन खुराकों की सप्लाई में कमी के चलते उन्हें वापस लौटाया जा रहा है.

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जींद/पानीपत/झज्जर: रविवार दोपहर लगभग 3 बजे पानीपत के करहांस गांव में सात लोग बरगद के पेड़ के नीचे बैठे ताश खेलने में मस्त नज़र आ रहे थे. ये खेल कई सालों से उनकी दिनचर्या का एक हिस्सा बना हुआ था. लेकिन पिछले दो महीनों से ग्रुप के सदस्य, जो सभी 50 की उम्र पार कर चुके हैं, कई दूसरे काम भी अंजाम दे रहे हैं, भले ही इनकी निगाहें अपने पत्तों पर लगी हों.

बरगद के पेड़ के सामने स्थित है गांव की सरकारी चिकित्सा डिस्पेंसरी. ग्रुप के लोग वहां डॉक्टर के आने और जाने पर नज़र रखते हैं और टीकाकरण के लिए आने वाले लोगों को खुराकों की उपलब्धता से अवगत कराते रहते हैं.

अप्रैल-मई में गर्मियों के चरम पर भी, जब गर्म हवाओं ने लोगों को घरों में बंद किया हुआ था, ये लोग अपनी चौकी पर जमे हुए थे और जैसे ही मेडिकल प्रोफेशनल्स की टीम ग्रामीणों को टीका लगाने के लिए आती थी, ये लोगों को सूचित कर देते थे.

75 वर्षीय रामफल ने जो सिर्फ अपना पहला नाम इस्तेमाल करते हैं, कहा, ‘हर दिन 15-20 लोग टीकों के बारे में पूछने के लिए डिस्पेंसरी आते हैं. अगर हमें पता होता है कि डिस्पेंसरी में कोई डोज़ उपलब्ध नहीं हैं, तो हम उन्हें वापस भेज देते हैं- हमारे यहां बैठने से दो काम हो जाते हैं, एक तो हमारा ताश का खेल चलता रहता है, दूसरे हम ये भी नज़र रखते हैं कि डॉक्टर कब उपलब्ध है’.

रामफल को पहला टीका 4 अप्रैल को लगा था. अपने मोबाइल में एक मैसेज की ओर इशारा करते हुए उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘30 जून को मुझे संदेश मिला था कि मेरी दूसरी खुराक का समय हो गया है. 9 जुलाई को मुझे वो संदेश दोबारा मिला. लेकिन गांव में वैक्सीन की कोई खुराक उपलब्ध नहीं है. मैं अभी भी अपनी दूसरी खुराक का इंतज़ार कर रहा हूं’.

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Ramphal shows the message that states he is due for his second vaccine dose | Jyoti Yadav | ThePrint
दूसरी डोज लेने के लिए आए मैसेज को दिखाते रामफल | ज्योति यादव/दिप्रिंट

मुख्य पानीपत शहर से 15 किलोमीटर दूर स्थित करहांस गांव की आबादी, पंचायत प्रधान सरोज देवी के अनुसार करीब 6,500 है. प्रधान के ससुर राजेश चौहान ने बताया कि जो लोग टीका लगवाने के योग्य हैं, उनमें कम से कम 50 प्रतिशत को कोविड वैक्सीन की पहली खुराक दी जा चुकी है.

बाकी लोग भी अपनी बारी के इंतज़ार में हैं लेकिन वैक्सीन की कथित कमी के चलते उन्हें अभी टीके नहीं लग पाए हैं.

करहांस की ये स्थिति न सिर्फ ज़िले के बाकी हिस्सों बल्कि हरियाणा के बहुत से दूसरे ज़िलों- जैसे जींद और झज्जर और देशभर के हालात को भी दर्शाती है, चूंकि आबादी के एक हिस्से में वैक्सीन के प्रति हिचकिचाहट की जगह अब लोगों में टीके लगवाने को लेकर उत्साह बढ़ता जा रहा है.

जहां देश के दूसरे हिस्सों में टीकाकरण के पक्ष में लोगों की धारणा अप्रैल से नज़र आने लगी थी, वहीं सूत्रों का कहना है कि हरियाणा में टीकाकरण के प्रति लोगों का उत्साह ‘मध्य जून से’ ही जाकर दिखना शुरू हुआ.

जींद के नोडल अधिकारी डॉ पालेराम कटारिया का कहना था, ‘देश में कोविड की दूसरी लहर से लोगों की समझ में आ गया कि खतरा किस हद तक था. तीसरी लहर की भी आशंका जताई जा रही है. इसलिए अब लोग जल्दी से जल्दी टीका लगवाना चाहते हैं’.

कोविन पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, 13 जुलाई तक हरियाणा की आबादी में उन लोगों का प्रतिशत ज़्यादा है, जिन्हें वैक्सीन का कम से कम एक डोज़ मिल चुका है- देश भर के 23 प्रतिशत के मुकाबले हरियाणा में ये संख्या 28.4 प्रतिशत है.

2011 की जनगणना के अनुसार राज्य की कुल आबादी 2.92 करोड़ है, जिसमें से कोविन के मुताबिक प्रशासन ने (13 जुलाई तक) एक करोड़ लोगों को टीके की पहली खुराक दे दी है जबकि 18.12 लाख लोगों को दोनों डोज़ मिल चुके हैं.

ये संख्या शायद और अधिक हो सकती थी लेकिन वैक्सीन खुराकों की सप्लाई में कमी के चलते टीकाकरण की रफ्तार कथित रूप से धीमी पड़ रही है.

पूरे हरियाणा में 925 सरकारी टीकाकरण केंद्र और 63 निजी केंद्र हैं. लेकिन सुने सुनाए सबूतों से संकेत मिलता है कि सभी केंद्रों पर वैक्सीन खुराकों की आपूर्ति निर्बाध नहीं है.

दिप्रिंट ने हरियाणा के अतिरिक्त स्वास्थ्य सचिव राजीव अरोड़ा से फोन और लिखित संदेशों के ज़रिए वैक्सीन खुराकों की आपूर्ति में कथित कमी को लेकर बात करनी चाही लेकिन इस खबर के छपने तक उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला.


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‘जागरूकता बढ़ी है’

रामफल के ताश के एक दोस्त मनोज ने कहा, ‘गांवों में वैक्सीन की कमी के चलते बहुत से लोग टीका लगवाने के लिए शहरों का रुख कर रहे हैं. लेकिन वहां भी टीका केंद्रों पर बहुत भीड़ है, इसलिए वहां बैठकर इंतज़ार करना संक्रमण को दावत देना है’.

मनोज अभी अपने पहले डोज़ का इंतज़ार कर रहे हैं. मनोज भी पिछले महीने वैक्सीन की तलाश में शहर गए थे लेकिन उन्हें मायूस होकर लौटना पड़ा.

कोविन के अनुसार 13 जुलाई तक पानीपत ज़िले में 3.43 लाख लोगों को वैक्सीन का पहला डोज़ मिल चुका था. जिन लोगों को दोनों डोज़ मिल गए हैं उनकी संख्या 58,877 थी. 2011 की जनगणना के अनुसार ज़िले की आबादी 12.05 लाख है.

गांव वाले स्वीकार करते हैं कि शुरू में टीका लगवाने को लेकर लोग आशंकित थे लेकिन उनका दावा है कि अब लोग ज़्यादा जागरूक हो गए हैं. ज़िले में टीकाकरण का दैनिक औसत जो मई में 2,061 था, जून में बढ़कर 2,788 हो गया, जो 35 प्रतिशत की वृद्धि थी.

मनोज उन लोगों में थे जो शुरू में टीका लगवाने से झिझक रहे थे. उन्होंने कहा, ‘शुरू में लोगों के मन में बहुत शंकाएं थीं, वैक्सीन के प्रति झिझक थी. लेकिन अब लोग ज़्यादा जागरूक हो गए हैं’.

हालांकि दुर्भाग्यवश, टीकों की कथित रूप से कम आपूर्ति के कारण लोगों में उत्साह होने के बावजूद उन्हें वैक्सीन के लिए इंतज़ार करना पड़ रहा है.

पानीपत में पिछले बृहस्पतिवार टीकाकरण को लेकर एक विवाद खड़ा हो गया, जब पानीपत शहर के आर्य कॉलेज में 2,000 लोग टीके का पहला डोज़ लगवाने के लिए आ गए. केंद्र के मेडिकल स्टाफ के पास पहली खुराक लेने वालों के लिए कुल 300 डोज़ उपलब्ध थे.

पानीपत सिविल अस्पताल के एक डॉक्टर मनीष पासी ने कहा, ‘टीके लगाने में कुछ देरी हुई है लेकिन हम सरकार की ओर से भेजी गई वैक्सीन्स का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं. मध्य-जून के बाद से टीका लगवाने के लिए आने वाले लोगों की संख्या बहुत बढ़ गई है’.


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अलग-अलग ज़िले लेकिन वही नज़ारा

जींद, झज्जर और कैथल जैसे पड़ोसी ज़िलों से भी इसी तरह की निराशा भरी कहानियां साझा की गई हैं, जहां लोग टीका लगवाने के लिए लाइनें लगा रहे हैं लेकिन खुराकों की सप्लाई में कमी के चलते उन्हें वापस लौटाया जा रहा है.

दिप्रिंट से बात करते हुए जींद के नोडल अधिकारी डॉ पालेराम कटारिया ने कहा, ‘पहले, किसान आंदोलन के चलते ग्रामीण इलाकों में वैक्सीन के प्रति लोगों में हिचकिचाहट देखी जा रही थी (किसानों का कहना था कि कोविड सरकार का षड्यंत्र था) लेकिन अब (मध्य-जून से) लोगों में उत्साह है. ज़्यादा से ज़्यादा लोग टीका लगवाना चाहते हैं. लेकिन कभी कभी डोज़ मिलने में देरी हो जाती है. इसलिए प्रशासन को इस तरह की स्थिति (पानीपत की तरह का झगड़ा) का सामना करना पड़ता है’.

कोविन के अनुसार, जींद में 13 जुलाई तक 2,53,271 लोगों को वैक्सीन की पहली खुराक मिल चुकी है, जबकि दोनों डोज़ ले चुके लोगों की संख्या 40,024 है. 2011 की जनगणना के अनुसार ज़िले की कुल आबादी 13.34 लाख है.

ज़िले में टीकाकरण का दैनिक औसत मई में 1,837 से बढ़कर जून में 2,301 हो गया, जो 25 प्रतिशत की वृद्धि थी.

जींद के निरंजन गांव की 60 वर्षीय लाडो देवी ने घोषित किया कि, ‘अब यहां कोई डर नहीं है’.

उन्होंने बच्चों की तरह खुश होते हुए कहा, ‘डॉक्टरों ने मुझे, मेरे परिवार और दोस्तों को समझा दिया कि अगर कुछ होता भी है तो हमारा खयाल रखा जाएगा. आखिर में हम (गांव की दस महिलाओं की टोली) एक साथ गईं और पिछले महीने अपना पहला डोज़ लगवा लिया. कुछ नहीं हुआ. मैं खड़ी हूं आपके सामने’. महिलाएं अब अपनी दूसरी खुराक के इंतज़ार में हैं.

Lado Devi in her village in Haryana | Jyoti Yadav | ThePrint
हरियाणा के अपने गांव में लाडो देवी | ज्योति यादव/दिप्रिंट

झज्जर ज़िला उपायुक्त श्याम लाल पूनिया ने दिप्रिंट को बताया कि उनके ज़िले में भी कमोबेश यही स्थिति थी.

9.58 लाख की आबादी (2011 की जनगणना के अनुसार) के साथ झज्जर में 13 जुलाई तक कोविन के अनुसार 2,92,742 लोगों को वैक्सीन का पहला डोज़ दिया जा चुका था. लेकिन उन लोगों की संख्या जिन्हें दोनों खुराकें मिली हैं केवल 61,771 थी. ज़िले में दैनिक टीकाकरण औसत जो मई में 1,709 था, जून में बढ़कर 3,088 हो गया- जो कि 81 प्रतिशत का इजाफा है.

उन्होंने कहा, ‘टीका केंद्रों पर (मध्य-जून से) लोगों की भारी संख्या देखने को मिल रही है. कभी-कभी टीकों की संख्या सीमित होती है और लोग पूछते रहते हैं कि डोज़ कब उपलब्ध होंगे. ये एक स्पष्ट संकेत है कि वैक्सीन के प्रति हिचकिचाहट अब उत्साह में बदल रही है’.

इस बीच करहांस में टीके का दूसरा डोज़ लेने की हताशा में रामफल दो बार पानीपत शहर के ज़िला मुख्यालय पर टीका केंद्र का चक्कर लगा चुके हैं लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी.

उन्होंने शिकायत की, ‘मुझे दो बार संदेश मिला है कि मेरे दूसरे डोज़ का समय हो गया है. मेरी पत्नी भी अपनी खुराक का इंतज़ार कर रही है. जब हम गांव की डिस्पेंसरी के डॉक्टर से पूछते हैं, तो वो कहता है कि अभी वैक्सीन डोज़ उपलब्ध नहीं हैं’.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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