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Thursday, 25 April, 2024
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भारत-चीन गतिरोध जारी रहने के बीच रक्षा मंत्रालय ने सशस्त्र बलों को आपातकालीन शक्तियां दीं

आपातकालीन शक्तियों के तहत प्रमुख तौर पर एंटी-ड्रोन सिस्टम, राफेल जेट के लिए हैमर वेपन सिस्टम आदि की पूंजी खरीद की जा सकेगी.

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नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ गतिरोध जारी रहने के बीच रक्षा मंत्रालय ने पिछले साल भारतीय थल सेना, नौसेना और वायुसेना को आकस्मिक राजस्व खरीद और अन्य कार्यों के लिए दी गई आपातकालीन शक्तियों को एक बार फिर बढ़ा दिया है.

शीर्ष रक्षा सूत्रों के अनुसार, राजस्व खरीद के लिए आपातकालीन शक्तियां—फास्ट ट्रैक प्रक्रिया के माध्यम से—31 अगस्त तक बढ़ा दी गई हैं.

पिछले महीने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने भी पूंजी अधिग्रहण के लिए रक्षा सेवाओं की आपातकालीन शक्तियों को 31 अगस्त 2021 तक बढ़ा दिया था.

आपातकालीन पूंजी और राजस्व खरीद शक्तियों को पहले मार्च 2021 तक बढ़ाया गया था.

पूंजीगत खरीद शक्तियां कैपिटल एसेट, हथियार/हथियार प्रणालियों और परिचालन के लिहाज से अन्य महत्वपूर्ण उपकरणों को हासिल करने से संबंधित हैं जो रक्षा बलों की ऑपरेशनल क्षमताओं को स्थायी रूप से बढ़ाते हैं.

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राजस्व खरीद शक्तियां इन परिसंपत्तियों को बनाए रखने या व्यवस्थित रखने के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण कलपुर्जों और गोला-बारूद की खरीद से संबंधित हैं.

सरकार के एक सूत्र ने कहा, ‘राजस्व और पूंजीगत खरीद दोनों के लिए आपातकालीन शक्तियों को बढ़ाना हमारी युद्धक और हमलों से निपटने की क्षमताओं को अगले स्तर तक बढ़ाने और उन्हें लंबे समय तक बनाए रखने की सरकार की मंशा को दर्शाता है.’

पिछले साल जून में गलवान घाटी संघर्ष के बाद रक्षा मंत्रालय ने पहली बार सशस्त्र बलों को आपातकालीन पूंजीगत खरीद के अधिकार दिए थे जिसके तहत लंबी और जटिल खरीद प्रक्रिया के बिना तत्काल आधार पर 300 करोड़ रुपये तक की हथियार प्रणालियों की खरीद की जा सकती थी.

इससे पहले, फरवरी 2019 में बालाकोट हवाई हमले के बाद सेवाओं को आपातकालीन शक्तियां दी गई थीं और 2016 की उरी सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान केवल राजस्व खरीद को मंजूरी दी गई थी.


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सीडीएस ने लद्दाख में सशस्त्र बलों की ऑपरेशनल तैयारियों का हवाला दिया

शीर्ष रक्षा सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि राजनाथ सिंह की तरफ से आपातकालीन शक्तियां बढ़ाने को मंजूरी दिए जाने देने से पहले, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, जनरल बिपिन रावत ने इस कदम के लिए लद्दाख में सुरक्षा बलों की हाई ऑपरेशनल तैयारियों का हवाला दिया.

सूत्रों के मुताबिक इस दौरान सीडीएस ने बताया कि ऐसी संभावना नजर नहीं आती है कि एलएसी पर स्थितियां जल्द सामान्य हो सकती हैं और ऐसे में सशस्त्र बलों को अपनी ऑपरेशनल तैयारियों को एकदम चरम पर बनाए रखने की जरूरत पड़ेगी, और इसके लिए उन्होंने पूंजीगत और राजस्व दोनों ही तरह की आपातकालीन शक्तियों को बढ़ाने की जरूरत बताई.

पिछले एक साल में भारत ने लद्दाख क्षेत्र में लगभग 50,000 अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती की है और किसी भी आकस्मिक स्थिति के लिए बड़ी संख्या में जमीनी और हवाई संपत्तियों को भी तैनात किया गया है.

आपातकालीन शक्तियों में कलपुर्जों, हैमर की खरीद होगी

सूत्रों ने कहा कि कुछ प्रमुख पूंजीगत खरीद के अलावा आपातकालीन राजस्व खरीद शक्तियों के तहत कई कलपुर्जों और अन्य छोटे-मोटे उपकरणों की खरीद की जाएगी.

एक सूत्र ने कहा, ‘कुछ प्रमुख पूंजीगत खरीद के अलावा अग्रिम मोर्चों पर तैनात हमारी संपत्तियों के रख-रखाव, इनकी ओवरहालिंग और रिफिटिंग के लिए कई कलपुर्जों और अन्य छोटी-मोटी चीजों की खरीद जरूरी है.’

कुछ आपातकालीन राजस्व खरीद शक्तियां पूर्वी लद्दाख में सड़कों और पुलों जैसे व्यापक बुनियादी ढांचे को तैयार करने में भी मददगार साबित होंगी.

रक्षा मंत्रालय की तरफ से शुरू की गई प्रमुख पूंजी खरीद में सेना द्वारा खरीदे जा रहे एंटी-ड्रोन सिस्टम शामिल हैं जो दुश्मनों के ड्रोन के कम्युनिकेशन और नेविगेशन सिग्नल जाम कर सकते हैं या इसे भ्रमित कर सकते हैं.

रक्षा सूत्रों ने यह भी कहा कि भारतीय वायुसेना आपातकालीन शक्तियों का इस्तेमाल करके अपने राफेल लड़ाकू जेट विमानों के लिए हवा से जमीन पर सटीक निशाना साधने वाली हथियार प्रणाली हैमर की एक और लॉट खरीदने की योजना बना रही है.

हैमर यानी हाईली एजाइल एंड मैन्युवरेबल म्यूनिशन एक्सटेंडेड रेंज की कीमत लगभग 70 लाख रुपये है और इसमें एक गाइडेंस किट और 250 किलोग्राम के मानक स्तर वाले एमके 82 बम के लिए रेंज-एक्सटेंशन किट है.

अन्य खरीद में टी-72 और टी-90 मुख्य युद्धक टैंकों से दागे जाने वाला आर्मर-पियर्सिंग फिन-स्टेबलाइज्ड डिस्कार्डिंग सैबोट (एपीएफएसडीएस) गोला-बारूद, अतिरिक्त हेरॉन ड्रोन, लॉटरिंग म्यूनिशन, स्पाइस बम और मैन पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम (मैनपैड्स) शामिल है.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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