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Wednesday, 24 April, 2024
होमहेल्थवैक्सीन की तीसरी खुराक की मांग, बूस्टर शॉट के तौर पर मिक्स डोज पर विचार कर रहा है भारत

वैक्सीन की तीसरी खुराक की मांग, बूस्टर शॉट के तौर पर मिक्स डोज पर विचार कर रहा है भारत

कुछ स्वास्थ्य कर्मियों, जिन्हें फरवरी 2020 में टीकाकरण के पहले दौर में टीका लगाया गया उन्हें पूरी तरह से टीका लगाए जाने के करीब 10 महीने बीतने वाले हैं, मगर अभी तक इस बारे में कोई निर्णय नहीं लिया गया है कि क्या उन्हें टीके की बूस्टर खुराक दी जाएगी या नहीं.

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नई दिल्ली: विशेषज्ञों द्वारा स्वास्थ्य कर्मियों और कम इम्यूनिटी वाले लोगों के लिए कोविड के टीके की बूस्टर शॉट (तीसरी खुराक) की बढ़ती मांग के साथ ही भारत में पहले दो खुराक के रूप में दी गई वैक्सीन से अलग किसी और वैक्सीन को उपयोग करने के विकल्प पर विचार किया जा रहा है.

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, टीकों से संबंधित वैज्ञानिक डेटा का मूल्यांकन करने वाली सर्वोच्च संस्था, नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन (एनटीएजीआई) के कोविड वैक्सीन पर काम कर रहे वर्किंग ग्रुप्स में से एक ने बूस्टर शॉट के लिए कई प्रकार के टीके के उपयोग के विकल्प पर चर्चा की है.

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने अपना नाम न बताने की शर्त पर कहा कि बूस्टर खुराक के बारे में की जा रही चर्चाओं में यह विकल्प भी शामिल हो सकता है.

कई अध्ययनों से पता चला है कि जब विभिन्न टीकों की खुराक मिलाई जाती है तो प्रतिरक्षा की प्रतिक्रिया और बेहतर होती है.

पिछले शुक्रवार को नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वी.के.पॉल ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के एक सलाहकार पैनल द्वारा उन लोगों के लिए जिन्होंने वायरस को निष्क्रिय करने के लिए इनएक्टिवेटेड वैक्सीन ली है, बूस्टर खुराक की सिफारिश किए जाने के बारे में दिप्रिंट के एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि आंकड़ों से ऐसा लगता है कि टीकों को मिश्रित रूप से देने से बेहतर परिणाम मिलते हैं.

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नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप ऑन वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन के सह-अध्यक्ष, पॉल ने कहा, ‘डब्ल्यूएचओ में (बूस्टर शॉट्स पर) चर्चा चल रही है और जैसे ही टीके के प्रभाव पर ताजा डेटा आए थे… उसके आधार पर कुछ अवलोकन किए गए थे. जहां तक मुझे पता है, वे भिन्न टीकों (जैसे ए और बी) के मिश्रण के बारे में बात कर रहे हैं. विभिन्न वैज्ञानिक समूह इस पर निगाह रखे हुए हैं और साथ ही हम भी इस डेटा को देख रहे हैं.’

वे कहते है, ‘उन्होंने पाया है कि प्रयोगशाला में इम्युनिटी बेहतर है. यह संभव है कि होमोलोगस (एकसमान) टीकाकरण संयोजनों का एक अपना स्थान हो और हेटेरोलोगोस संयोजन (मिश्रण और मिलान का तरीका) के इससे ज्यादा बेहतर परिणाम हो सकते हैं. हम इस पर नजर बनाए रखेंगे. हम इस के पुरे विज्ञान के प्रति सचेत हैं.’


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लंबे समय से प्रतीक्षित है बूस्टर शॉट के बारे में कोई फैसला

एनटीएजीआई पिछले कुछ समय से बूस्टर शॉट्स के बारे में विचार कर रहा है लेकिन इस पर कोई भी निर्णय अभी तक आना बाकी है. भारत में 16 जनवरी को टीकाकरण शुरू किया गया था जब को-वैक्सिन और कोविशील्ड दोनों टीकों को 28 दिनों के अंतराल पर लगाया जाने लगा था. इसका अर्थ यह है कि जिन स्वास्थ्य कर्मियों को सबसे पहले टीका लगाया गया था उन्हें जल्द ही सम्पूर्ण टीकाकरण के 10 महीने पूरे हो जाएंगे.

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने पिछले हफ्ते एक संसदीय समिति को बताया था कि नौ महीने के बाद बूस्टर शॉट्स की आवश्यकता होती है.

वर्तमान में, देश में छह ऐसे कोविड टीके हैं जिन्हें आपातकालीन उपयोग के लिए अधिकृत किया गया है.  ये हैं – कोविशील्ड, कोवैक्सिन, स्पुतनिक वी, मॉडर्ना, जॉनसन एंड जॉनसन और जाइ-कोव-डी.

कोविशील्ड और स्पुतनिक-वी दोनों ही एक जैसे वायरल-वेक्टर आधारित वैक्सीन प्लेटफॉर्म हैं. हालांकि स्पुतनिक दोनों खुराकों के लिए दो अलग-अलग वायरस का उपयोग करता है, कोविशील्ड एक ही वायरस का उपयोग करता है. कोवैक्सिन एक संपूर्ण रूप से निष्क्रिय वायरस वाला टीका है. यह एक ऐसा टीका है जिसे डब्ल्यूएचओ पैनल शुरुआती बूस्टर खुराक के रूप में दिए जाने के पक्ष में लगता है. जाइ-कोव-डी, जिसे सार्वजानिक रूप से जारी किया अभी जाना बाकी है, एक डीएनए वैक्सीन है.

अन्य दो टीके अभी भी भारत में क्षतिपूर्ति की शर्तों (इन्डेम्निटी क्लॉज़) से जुड़े मुद्दों की वजह से उपलब्ध नहीं हैं.

अधिकारियों का कहना है कि स्पुतनिक वी और जाइ-कोव-डी दोनों की आपूर्ति की स्थिति को देखते हुए, वर्तमान स्तर पर एकमात्र मिश्रण जो तार्किक रूप से संभव है, वह कोविशिल्ड के बाद कोवैक्सिन लगाया जाना या फिर इसके उलट संयोजन (कोवैक्सिन के बाद कोविशिल्ड) का प्रयोग किया जाना.

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन (जिसे भारत में कोविशील्ड के नाम से जाना जाता है) और एमआरएनए वैक्सीन (फाइजर-बायोएनटेक या मॉडर्ना द्वारा विकसित एस्ट्राजेनेका वैक्सीन) के मिश्रण पर बहुत सारा वैश्विक स्तर का डेटा उपलब्ध हैं. जेनोवा बायोपर्मासिटिकल्स द्वारा विकसित किया जा रहा भारत का अपना एमआरएनए वैक्सीन अभी भी परीक्षण के चरण में है.

वैक्सीन मिश्रण से मिला डेटा उत्साहजनक है

विश्व स्तर पर, वैक्सीन के मिश्रित प्रयोग पर बहुत सारा डेटा उस वक्त उत्पन्न हुआ था जब कई यूरोपीय देशों ने गंभीर दुष्प्रभावों के डर से एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को लगाया जाना बंद कर दिया. ऐसे कई देशों में जिन लोगों को ऑक्सफोर्ड के टीके की पहली खुराक मिली थी, उन्हें दूसरी खुराक के रूप में एमआरएनए वैक्सीन मिली है.

इस साल जून में, मेडिकल जर्नल द लैंसेट ने स्पेन, जहां एस्ट्राजेनेका और फाइजर टीकों का मिश्रित इस्तेमाल किया गया था, में किए गए एक अध्ययन से प्राप्त निष्कर्ष प्रकाशित किए थे.

इस अध्ययन के निष्कर्ष में कहा गया है की  ‘ChAdOx1-S (एस्ट्राजेनेका) के साथ मुख्य रूप से पहली खुराक के टीकाकरण वाले व्यक्तियों में BNT162b2 (फाइजर-बायोएनटेक) को दूसरी खुराक के रूप में दिए जाने पर एक स्वीकार्य और प्रबंधन योग्य रेएक्टोजेनिसिटी प्रोफ़ाइल के साथ एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न हुई है.’

अक्टूबर में, अमेरिका की फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने वयस्कों के कुछ विशिष्ट समूहों के लिए बूस्टर खुराक के रूप में टीकों के मिश्रण की अनुमति दी थी. इसने कहा था, ‘वर्तमान में उपलब्ध कोविड -19 टीकों (मॉडर्ना, जानसेन) में से प्रत्यक का उपयोग पहले उपलब्ध किसी दूसरे कोविड -19 टीकों के साथ, प्राथमिक टीकाकरण पूरा करने बाद पात्र व्यक्तियों में एक हेटेरोलोगोस (मिश्रण और मिलाना) बूस्टर खुराक के रूप में किया जा सकता है.’

(यह ख़बर अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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