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Saturday, 20 April, 2024
होमहेल्थMNC GSK की क्रोसिन से कैसे आगे बढ़ गई देसी डोलो 650 की बिक्री, Covid में बनी भारत की ‘पसंदीदा स्नैक’

MNC GSK की क्रोसिन से कैसे आगे बढ़ गई देसी डोलो 650 की बिक्री, Covid में बनी भारत की ‘पसंदीदा स्नैक’

डोलो 650 अब भारत का सबसे पसंदीदा पैरासिटेमॉल ब्राण्ड है, जिसकी मार्च 2020 के बाद से 567 करोड़ रुपए की बिक्री हो चुकी है. ये सोशल मीडिया पर भी ख़ूब चल रही है, और इसके मीम्स बन रहे हैं.

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नई दिल्ली: आप समझते थे कि सिरदर्द, बदन दर्द या बुख़ार के लिए क्रोसिन ही आपकी पसंदीदा पैरासिटामोल गोली है? आप ग़लत थे.

ये है डोलो 650, जो मार्च 2020 के बाद से कोविड के दौरान 567 करोड़ रुपए की बिक्री कर चुकी है और तालिका में सबसे ऊपर है, इतना कि जब भारत कोविड की तीसरी लहर से जूझ रहा है, तो इसे एक ‘पसंदीदा स्नैक’ कहा जा रहा है. पिछले हफ्ते #Dolo650 एक मीम फेस्ट में सोशल मीडिया पर ट्रेण्ड कर रही थी.

लेकिन इस गोली के पीछे ऐसा क्या जादू है कि सब डॉक्टर्स इसी को लिख रहे हैं?

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जनवरी 2020 से पैरासिटेमॉल की बिक्री के आंकड़ों पर नज़र डालने से पता चलता है कि डोलो 650 अभी तक एक सबसे बड़ी खिलाड़ी रही है, जिसके बाद कालपोल और सुमो एल आती हैं. कुल मिलाकर भारत में पैरासिटामोल के 37 ब्राण्ड्स हैं, जिनकी भारत के अलग अलग क्षेत्रों में सबसे अधिक बिक्री है.

हेल्थकेयर में एक ह्यूमन डेटा साइंस और अडवांस्ड अनैलिटिक्स फर्म ईकविया (IQVIA) के आंकड़ों से पता चलता है, कि डोलो और कालपोल दो प्रमुख ब्राण्ड हैं जो पैरासिटामोल के हिस्से को आगे बढ़ा रहे हैं. डोलो 650 को बेंगलुरू स्थित माइक्रो लैब्स लि. बनाती है, वहीं कालपोल का उत्पादन जीएसके फार्मास्यूटिकल्स में होता है. इन दोनों ब्राण्ड्स का क्षेत्रीय प्रभुत्व है, और डॉक्टर इन्हें व्यापक रूप से लिखते हैं.

डोलो 650 ने दिसंबर 2021 में 28.9 करोड़ रुपए की बिक्री की, जो पिछले साल इसी महीने की बिक्री से 61.45 प्रतिशत अधिक थी. लेकिन, इसकी सबसे अधिक बिक्री अप्रैल और मई 2021 में कोविड की दूसरी लहर के दौरान हुई, जब ये क्रमश: 48.9 करोड़ और 44.2 करोड़ रुपए पहुंच गई.

इसकी तुलना में कालपोल की बिक्री- जो दिसंबर 2021 में दूसरा सबसे अधिक बिकने वाला पैरासिटामोल ब्राण्ड था, 28 करोड़ रुपए रही जो दिसंबर 2020 की बिक्री से 56 प्रतिशत अधिक थी. दूसरी लहर के चरम पर कालपोल सबसे ज़्यादा बिकने वाला ब्राण्ड था, जब अप्रैल 2021 में इसकी 71.6 करोड़ रुपए की बिक्री हुई थी.

पैरासिटामोल के अन्य लोकप्रिय ब्राण्ड्स हैं फेमानिल, पी-250 और क्रोसिन.


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Graphic: Ramandeep Kaur | ThePrint
रमनदीप कौर का ग्राफिक | दिप्रिंट

डोलो 650 ही क्यों?

डॉक्टरों तथा फार्मास्यूटिकल्स एसोसिएशन्स ने दिप्रिंट को बताया कि डोलो 650 की सफलता का एक कारण ये है कि क्रोसिन के विपरीत ये अभी भी एक दवा है, जिसे डॉक्टर नुस्ख़े में लिखते हैं.

इसके अलावा डॉक्टर्स डोलो 650 इसलिए भी लिखते हैं कि ये हर आयु वर्ग के लोगों को दी जा सकती है, और इसके बहुत कम साइड इफेक्ट्स होते हैं.

दिल्ली में फोर्टिस-सी डॉक हॉस्पिटल फॉर डायबिटीज़ एंड मेटाबॉलिक डिज़ीज़ेज़ के एडिशनल डायरेक्टर डॉ रितेश गुप्ता ने कहा, ‘डोलो 650 पैरासिटामोल का एक ब्राण्ड है, जो बुख़ार का इलाज करने के लिए लंबे समय से आज़माई हुई और आम दवा है. ये क्रोसिन, कालपोल, पैसिमॉल जैसे दूसरे ब्राण्ड्स से अलग नहीं है. ये अपेक्षाकृत एक सुरक्षित दवा है और इसे सभी आयु वर्गों के लोग ले सकते हैं, और वो लोग भी ले सकते हैं जो ह्रदय रोग, गुर्दे की बीमारी या मधुमेह आदि से पीड़ित हैं’.

डॉ गुप्ता ने कहा कि तीसरी लहर में कोविड के मुख्य लक्षण हैं बुख़ार, खांसी, गले में दर्द और बदन दर्द. ये लक्षण हल्के होते हैं और आमतौर से चार या पांच दिन में ठीक हो जाते हैं.

महाराष्ट्र स्टेट कैमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के महासचिव अनिल नवंदर ने कहा कि डोलो 650 एक ऐसा ब्राण्ड बन गया है, जिसका नाम ख़ुद पैरासिटामोल की जगह ही इस्तेमाल होने लगा है- ठीक वैसे ही जैसे बिस्लेरी या ज़ीरॉक्स नाम उनसे संबंधित उत्पादों से जुड़ गया है- और इसलिए इसका नाम याद हो जाता है.

नवंदर ने कहा, ‘एक प्रवृत्ति है कि हल्के बुख़ार और बदन दर्द में पैरासिटामोल ली जाती है. जिस तरह बिस्लेरी एक बड़ा ब्राण्ड बन गया है, उसी तरह डोलो 650 भी एक ब्राण्ड बन गया है. बल्कि इस हिस्से के लिए ये एक प्रवृत्ति बन गया है’.

कौन बनाता है डोलो 650?

डोलो 650 को बेंगलुरू स्थित एक कंपनी माइक्रो लैब्स लिमिटेड बनाती है, जो निजी हाथों में है और जिसकी स्थापना 1973 में एक औषधि वितरक जीसी सुराणा ने की थी. कंपनी को अब उनके बेटे, प्रबंध निदेशक दिलीप सुराणा चलाते हैं.

कंपनी की विशेषज्ञता के मुख्य क्षेत्र हैं कार्डियॉलजी, डायबेटॉलजी, ऑप्थेल्मॉलजी और डर्मेटॉलजी आदि. डोलो 650 के अलावा कंपनी एमलॉन्ग जैसे ब्राण्ड भी बेचती है, जिससे उच्च रक्तचाप का इलाज किया जाता है और डायबिटीज़-विरोधी दवा टेनिप्राइड भी बनाती है.

कंपनी की वेबसाइट के अनुसार इसका सालाना कारोबार 2,700 करोड़ रुपए का है, जिसमें 920 करोड़ रुपए का निर्यात भी शामिल है.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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