नई दिल्ली: वैक्सीन को लेकर लोगों में हिचकिचाहट, इंटरनेट कनेक्टिविटी धीमी होने के कारण कोविन पर अपडेट बाधित होना, दुर्गम पहाड़ी इलाके और बर्फबारी- ये कुछ ऐसे तर्क हैं जिन्हें 11 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों ने कोविड-19 से बचाव के लिए कुल पंजीकृत स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं में से 30 प्रतिशत से भी कम का टीकाकरण हो पाने के कारणों के तौर पर गिनाया है.
दिप्रिंट ने 7 फरवरी को प्रकाशित रिपोर्ट में बताया था कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की तरफ से जारी एक आदेश के मुताबिक, केंद्र इन राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में चल रहे देशव्यापी टीकाकरण कार्यक्रम के दौरान अपने कोविड-19 टीकाकरण लक्ष्यों पर बेहतर ढंग से अमल सुनिश्चित करने में अपनी तरफ से पूरा सहयोग करेगा.
इन 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में असम, चंडीगढ़, दादर नगर हवेली, दिल्ली, मणिपुर, मेघालय, नगालैंड, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, तमिलनाडु और पुडुचेरी शामिल हैं.
मंत्रालय के आदेश के तहत विभिन्न मंत्रालयों से चुने गए केंद्रीय नोडल अधिकारियों (सीएनओ) को निर्देश दिया गया कि उन्हें जिन राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का जिम्मा मिला है, वहां जाकर टीकाकरण गतिविधियों की समीक्षा करें और जरूरत पड़े तो उपयुक्त कार्ययोजना तैयार करें. सीएनओ संबंधित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रमुख सचिव और स्वास्थ्य सचिव के साथ टीकाकरण से संबंधित मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं.
दिप्रिंट ने सात राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के अधिकारियों से बात की, जो वहां टीकाकरण अभियान पर काम कर रहे हैं. ताकि यह पता लगाया जा सके कि वहां गति धीमी होने के पीछे क्या वजह है.
इन सात में चार राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में अधिकारियों ने, खासकर नाम न छापने की शर्त पर ‘टीके पर झिझक’ को सबसे अहम कारण बताया क्योंकि ज्यादातर लाभार्थी खुराक लेने से पहले ‘थोड़ा रूककर इंतजार’ करना चाहते हैं.
टीकाकरण धीमा रहने के अन्य जो भी कारण बताए गए, वे मुख्यत: स्थानीय स्तर के थे. मिसाल के तौर पर बर्फबारी के कारण पहाड़ी क्षेत्रों में वैक्सीन को पहुंचाना और उसे स्टोर करने के उपाय करना मुश्किल हो रहा है. इसके अलावा धीमी इंटरनेट कनेक्टिविटी भी एक वजह है.
इस बीच, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि सीएनओ इस सप्ताह से राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का दौरा शुरू करेंगे और टीका कवरेज बढ़ाने की दिशा में काम शुरू कर देंगे.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘सीएनओ अपने दौरों की तैयारी कर रहे हैं और इस सप्ताह के भीतर संबंधित राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में पहुंच जाएंगे. जैसे ही सीएनओ पहुंचेंगे, काम शुरू हो जाएगा.’ साथ ही उन्होंने कहा कि नेशनल हेल्थ मिशन के तहत राज्यों में काम करने वाले अधिकारी इसमें आ रही मुश्किलों और उन्हें दूर करने की संभावित योजनाओं पर पहले से ही काम कर रहे हैं.
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‘वैक्सीन पर झिझक’ तोड़ने के लिए नई योजना की जरूरत
चंडीगढ़ में एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि आने वाले दिनों में कपड़ा मंत्रालय के एक अतिरिक्त सचिव के यहां पर आने की उम्मीद की जा रही है.
उन्होंने कहा, ‘हमें टीके पर झिझक को खत्म करने के लिए एक कार्ययोजना तैयार करने की जरूरत है. स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को वैक्सीन से दीर्घकालिक सुरक्षा मिलने को लेकर संदेह है. टीकों की सुरक्षा पर कम्युनिकेशन संबंधी बेहतरीन योजना के बावजूद हम लक्ष्यों को पूरा करने में पिछड़ रहे हैं.’
दिल्ली में भी स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘झिझक’ टीकाकरण कवरेज कम होने का एक सबसे बड़ा कारण है.’
उन्होंने कहा, ‘यद्यपि अभियान शुरू होने के दौरान की तुलना में लोगों में हिचकिचाहट घटी है लेकिन यह अब भी हमें निर्धारित लक्ष्य तक पहुंचने देने में बाधा बन रही है.’
मेघालय में एक अधिकारी ने भी कुछ इसी तरह की चिंताओं को सामने रखा.
उन्होंने कहा, ‘हम कम आबादी वाले एक बहुत छोटे राज्य हैं. यदि कोई व्यक्ति खुराक लेने से मना कर दे तो उसे देखकर साथ के 10 और लोग भी पीछे हट जाते हैं.’
उन्होंने कहा कि लोग ‘सेफ्टी डाटा’ के बारे में भी पूछ रहे हैं. साथ ही कहा, ‘जब हम उन्हें समझाने की कोशिश करते हैं तब उनका तर्क होता है कि हम और डाटा आने तक इंतजार करना चाहते हैं.’
अधिकारी ने ऐसे तीन जिलों- री-भोई, साउथ वेस्ट खासी हिल्स और साउथ गारो हिल्स— के नाम बताए जहां लोगों में सबसे ज्यादा झिझक देखी गई.
अधिकारी ने आगे कहा, ‘हम एक नया एक्शन और कम्युनिकेशन प्लान बना रहे हैं, जिस पर केंद्रीय नोडल अधिकारी के साथ चर्चा की जाएगी.’
इस बीच, असम ने डॉक्टरों, नर्सों और सिविल सेवकों को लोगों को टीकाकरण के महत्व को प्रभावी ढंग से समझाने के काम में लगाया है.
अधिकारी ने कहा, ‘टीकाकरण पर एक व्यापक संचार और जागरूकता अभियान पर हर किसी की राय एक जैसी नहीं थी. अब जानी-मानी हस्तियों, डॉक्टरों, नर्सों और सिविल सेवकों को जागरूकता बढ़ाने की योजना का हिस्सा बनाकर इस अभियान से जोड़ा जा रहा है और इस वजह से इससे अगले कुछ हफ्तों में आंकड़ें तेजी से बढ़ सकते हैं.
नेशनल हेल्थ मिशन, असम में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी पॉमी बरुआ ने दिप्रिंट को बताया कि शुरुआत में मुख्यत: लोगों के अंदर हिचक होने की वजह से टीकाकरण के आंकड़ें काफी कम रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘हालांकि, हमें उम्मीद है कि जल्द ही अपेक्षित नतीजे सामने आने लगेंगे क्योंकि जागरूकता बढ़ने से लोगों में हिचकिचाहट घट रही है.’
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जम्मू-कश्मीर और मणिपुर में लॉजिस्टिक आपूर्ति का मुद्दा
कश्मीर और लद्दाख के अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि टीका लगवाने को लेकर लोगों में झिझक तो कम हो रही है, लेकिन बर्फबारी और धीमे इंटरनेट कनेक्शन के कारण बाधाएं आ रही हैं.
कश्मीर के एक अधिकारी ने कहा, ‘हमने गुरेज और तंगधार के हेलिकॉप्टरों के जरिये बांदीपोरा, कुपवाड़ा जिलों के कुछ हिस्से भी बर्फबारी के कारण कटे हुए हैं.’
जम्मू के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि क्षेत्र में इंटरनेट कनेक्टिविटी एक बड़ा मुद्दा है लेकिन टीकाकरण अभियान धीरे-धीरे गति पकड़ रहा है.
अधिकारी ने कहा, ‘लक्षित आबादी के एक वर्ग के बीच वैक्सीन लगवाने को लेकर झिझक थी और क्षेत्र में इंटरनेट कनेक्टिविटी खराब होने के कारण भी शुरुआत धीमी रही थी. लेकिन अब क्षेत्र में 4जी कनेक्टिविटी के साथ अभियान तेज हो रहा है. उदाहरण के तौर पर जम्मू ने सोमवार के अंत तक कुल लक्ष्य का 50 प्रतिशत पूरा कर लिया है.’
अधिकारी ने कहा कि शुरू में ऐसे कुछ पॉकेट जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी खराब थी, में रहने वाली आबादी को टीकाकरण में शामिल ही नहीं किया गया था.
उन्होंने कहा, ‘कोविन एप्लिकेशन उन क्षेत्रों में ठीक से चल नहीं पाएगी जहां कनेक्टिविटी कमजोर है, इसलिए उन्हीं जगहों की आबादी के लिए टीकाकरण निर्धारित किया गया था जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी ठीक है.’
लेकिन सरकार की तरफ से 4जी इंटरनेट सेवाओं को बहाल किए जाने के साथ यहां अभियान जोर पकड़ रहा है.
अधिकारी ने कहा, ‘सोमवार को 10,000 से अधिक लोगों को टीका लगाया गया था और आगे भी यह आंकड़ा और भी बढ़ने की उम्मीद है क्योंकि अब एप का ठीक से इस्तेमाल हो पा रहा है.’
अधिकारियों ने मणिपुर में ‘दुर्गम भौगोलिक स्थितियों’ के कारण रसद पहुंचाने में आ रही दिक्कतों का हवाला दिया.
अधिकारी ने कहा, ‘हम यहां एक रैपिड रिस्पांस टीम तैनात करेंगे. इलाका दुर्गम है क्योंकि यह एक पहाड़ी क्षेत्र है. यहां वैक्सीनेशन सेशन की व्यवस्था करना आसान काम नहीं है. हमें रसद पहुंचाने के मुद्दे पर योजना बनाने के लिए साथ मिलकर काम करना होगा.’
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