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Friday, 3 May, 2024
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सुशांत राजपूत के कज़िन से शाहनवाज़ तक- बिहार कैबिनेट में BJP के चेहरे पार्टी की सियासत के बारे में क्या बताते हैं

मंगलवार को बिहार में 17 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई जिससे उनकी कुल संख्या 31 पहुंच गई जिनमें से 13 जेडी(यू) से और 16 बीजेपी से हैं.

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पटना: मंगलवार को बिहार मंत्रिमंडल का बहु-प्रतीक्षित विस्तार किया गया जिसमें 17 और मंत्रियों को शपथ दिलाई गई- नौ बीजेपी से और आठ जेडी(यू) से.

इससे बिहार सरकार के मंत्रियों की कुल संख्या 31 पहुंच गई (मुख्यमंत्री समेत)- 13 जेडी(यू) से, 16 बीजेपी से और एक-एक विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) और हिंदुस्तान अवाम पार्टी (हम) से.

प्रमुख नए चेहरों में हैं, बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सैयद शाहनवाज़ हुसैन और पूर्व आईपीएस अधिकारी सुनील कुमार- सेंट स्टीफन कॉलेज के पूर्व छात्र, जो जेडीयू से हैं.

जहां बीजेपी ने मुख्य रूप से अपने पुराने चेहरों पर भरोसा किया, वहीं बीजेपी नए चेहरों के साथ आगे आई और सिर्फ प्रमोद कुमार, जो पिछले मंत्रिमंडल में थे, फिर से मंत्री बनने में कामयाब रहे.


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बीजेपी ने जाति कार्ड खेला

मंगलवार को हुए विस्तार ने दिखा दिया कि बीजेपी ने जातीय समीकरणों का खयाल रखा है. एक ओबीसी (तारकिशोर प्रसाद) और एक ईबीसी (रेणु देवी) को पहले ही स्थापित करने के बाद बीजेपी ने इस विस्तार में ऊंची जातियों से चार चेहरों को जगह दी है.

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बीजेपी ऊंचि जाति के एक कायस्थ नितिन नवीन को लाई है, जिन्होंने पटना की बांकीपुर सीट से, शत्रुघ्न सिन्हा के बेटे लव सिन्हा को हराया था. तीन दशक बीत गए हैं, जबसे बिहार में कायस्थ समुदाय से कोई मंत्री रहा है.

पार्टी ने एक मंत्री (सम्राट चौधरी) कुशवाहा समुदाय से भी शामिल किया है, जो दूसरा सबसे बड़ा ओबीसी समूह है.

बिहार में पहली बार पार्टी ने शाहनवाज़ हुसैन को नियुक्त करके, मुस्लिम संप्रदाय को एक संदेश भेजा है. बीजेपी ये अपेक्षा भी कर रही है कि हुसैन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को टक्कर देंगे.

इस बीच, जेडी(यू) ने यथास्थिति बनाए रखने का रास्ता अपनाया है और जातीय गणित के चलते, नए चेहरों को लाने की इच्छा नहीं दिखाई है. उसने दो सीटें राजपूतों को दी हैं, एक ब्राह्मण को और एक कुर्मी को दी है. इसके अलावा मंत्रियों में एक ईबीसी, एक मुसलमान और एक कुशवाहा है.


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बीजेपी में नए चेहरे, जेडी(यू) पुराने नेताओं के साथ

जहां बीजेपी ने पिछली एनडीए सरकार से सिर्फ प्रमोद कुमार को रखा है, वहीं नीतीश कुमार ने अधिकतर अपने पुराने वफादारों को ही जगह दी है.

उनमें शामिल हैं संजय झा, अरुण जेटली के पूर्व वफादार, जो एक दशक से अधिक से नीतीश के करीबी रहे हैं और नालंदा ज़िले से सात बार के विधायक श्रवण कुमार, जो विधानसभा के भीतर फ्लोर प्रबंधन और दल बदल को देखने या दूसरी पार्टियों से बातचीत करने के मामले में नीतीश के भरोसेमंद रहे हैं.

मंगलवार को मंत्रिमंडल में शामिल किए नए चेहरों में, पूर्व आईपीएस ऑफिसर सुनील कुमार और जयंत राज शामिल हैं. कुल मिलाकर, मंत्रिमंडल में जेडी(यू) के 13 मंत्रियों में केवल तीन मंत्री पहली बार शामिल किए गए हैं.

लेकिन बीजेपी ने नए नेताओं की अपनी तलाश की नीति को जारी रखा है. वो पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को पहले ही बाहर कर चुकी है और उसने नंद किशोर यादव जैसे पुराने नेताओं को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया है.

जिन लोगों को पार्टी सामने लाई है, उनमें एक हैं नीरज कुमार बबलू, जो 2005 से सहरसा ज़िले के छतरपुर से विधायक हैं. बबलू बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के कज़िन हैं और बाढ़-प्रभावित कोसी क्षेत्र से एक प्रमुख राजपूत चेहरा हैं.

जेडी(यू) ने मलाईदार विभाग रखे

बीजेपी के नीतीश कुमार पर कुछ और महत्वपूर्ण विभागों के लिए दवाब बनाने के बावजूद नीतीश कुमार ने उसकी बात मानने से इनकार कर दिया.

शाहनवाज़ हुसैन को भी उद्योग विभाग दिया गया है, जिसकी बिहार में कोई खास अहमियत नहीं है. बीजेपी के नितिन नवीन को सड़क निर्माण विभाग दिया गया है, जबकि विजय चौधरी शिक्षा मंत्री हैं और सम्राट चौधरी पंचायती राज मंत्री हैं.

जेडी(यू) के पुराने धड़े के नेताओं के पास अभी भी प्रमुख विभाग हैं, जैसे ग्रामीण विकास, शिक्षा और जल संसाधन. पूर्व आईपीएस अधिकारी सुनील कुमार को शराब बंदी वाले राज्य में आबकारी तथा शराब बंदी विभाग दिया गया है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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