नई दिल्ली: कसौली स्थित केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला (सीडीएल) पर दबाव कम करने के लिए, नरेंद्र मोदी सरकार ने पुणे में राष्ट्रीय कोशिका विज्ञान केंद्र (एनसीसीएस) और हैदराबाद में राष्ट्रीय पशु जैव प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईएबी) में टीकों के परीक्षण के लिए दो नई प्रयोगशालाएं विकसित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
वर्तमान में सीडीएल देश की एकमात्र ऐसी प्रयोगशाला है. आने वाले महीनों में कोविड-19 के और ज्यादा टीकों के क्लीयरेंस की जरूरत पड़ेगी जिससे हिमाचल प्रदेश की सीडीएल पर दबाव बढ़ेगा. यही वजह है कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत आने वाले जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) ने वैक्सीन जांच की सुविधा बढ़ाने के लिए दो अन्य स्थानों पर ध्यान केंद्रित किया है.
नाम न बताए जाने की शर्त पर एक सरकारी अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘दोनों केंद्रों को ध्यान से चुना गया है. हैदराबाद और पुणे देश के दो वैक्सीन हब हैं, यही वजह है कि हम इन दो स्थानों पर दो नई लैब विकसित करेंगे. वर्तमान में, राष्ट्रीय कार्यक्रम में दो टीकों, कोविशील्ड और कोवैक्सीन को क्रमशः पुणे और हैदराबाद में निर्मित किया जा रहा है.’
दिप्रिंट ने पिछले हफ्ते बताया था कि NCCS का निरीक्षण स्टेट ड्रग कंट्रोलर ऑफिस, शीर्ष ड्रग रेग्युलेटरी अथॉरिटी सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइज़ेशन और सीडीएल द्वारा किया जा रहा है, ताकि इसे कोविड 19 की टेस्टिंग के लिए अधिकृत किया जा सके.
दिप्रिंट ने फोन कॉल और व्हाट्सएप के जरिए कमेंट के लिए डीबीटी सेक्रेटरी रेणु स्वरूप से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन इस रिपोर्ट को प्रकाशित होने तक उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला.
भारतीय बाजार में उपलब्ध टीकों की सुरक्षा और प्रभावकारिता की जांच करने वाली भारत में एकमात्र सरकार अधिकृत प्रयोगशाला होने के अलावा, सीडीएल विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा अनुमोदित देश की एकमात्र प्रयोगशाला भी है जो भारत द्वारा दुनिया भर के 170 देशों को निर्यात किए जा रहे टीकों का परीक्षण भी करता है.
जनवरी में, जब से भारत में कोविड-19 वैक्सीन की शुरुआत हुई, तब से लेकर 14 जून तक सीडीएल ने 37 करोड़ से ज्यादा कोविड वैक्सीन की डोज़ को क्लियरेंस दी है. इनमें से कोविशील्ड की 32 करोड़ डोज, कोवैक्सीन की 3.94 करोड़ डोज और स्पुतनिक वी की 15 लाख डोज शामिल हैं.
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कोविड-19 टीकों में वृद्धि की उम्मीद
जून तक, भारत को कुल 12 करोड़ कोविड वैक्सीन डोज की आपूर्ति होने की उम्मीद है. इस साल अगस्त से दिसंबर के बीच सरकार ने कहा कि उसे 216 करोड़ डोज मिलने की उम्मीद है. अधिकारियों का कहना है कि इसमें कोई शक नहीं है कि वैक्सीन उत्पादन कई गुना बढ़ जाएगा, यही वजह है कि देश को बढ़े हुए लोड को संभालने के लिए सुविधाएं तैयार करने की जरूरत होगी.
2021 में देश में जिन टीकों के आने की उम्मीद है उनमें फाइजर और मॉडर्ना के एमआरएनए टीके, जाइडस कैडिला की डीएनए वैक्सीन और बायोलॉजिकल ई के प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन, भारत बायोटेक का नेज़ल वैक्सीन और जेनोवा फार्मास्यूटिकल्स का एक स्वदेशी एमआरएनए टीका शामिल है.
सरकार के सूत्रों का कहना है कि उम्मीद की जा रही है कि ये प्रयोगशालाएं अगले ‘एक से दो महीनों’ में काम करना शुरू कर देंगी. इनकी फंडिंग पीएम द्वारा की जा रही है जिन्हें पिछले साल पीएम मोदी द्वारा कोविड से निपटने के लिए बनाया गया था.
एनसीसीएस के डायरेक्टर डॉ मनोज कुमार भट्ट ने दिप्रिंट को बताया, ‘हम अब तैयार हो रहे हैं और हमारे लिए अभी प्राथमिकता इसकी गति को बनाए रखना है. एनसीसीएस के निदेशक डॉ मनोज कुमार भट ने दिप्रिंट को बताया, ‘हम इसके पूरा होने का इंतजार करेंगे और फिर प्रेस को बयान जारी करने से पहले जैव प्रौद्योगिकी विभाग को रिपोर्ट करेंगे.’
एनआईएबी के निदेशक डॉ सुबीर कुमार मजूमदार को फोन से संपर्क किया गया तो उन्होंने अपने संस्थान में ऐसी किसी भी सुविधा के आने की बात पर कमेंट करने से इनकार कर दिया.
वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने बताया कि प्रयोगशाला का निर्माण एक बहुत ही ‘जटिल प्रक्रिया’ है, यही वजह है कि सरकार सावधानी बरत रही है.
दिप्रिंट को एक अधिकारी ने बताया, ‘आपको यह समझना होगा कि दोनों संस्थानों में से किसी के भी पास इस काम का अनुभव नहीं है. साथ ही इस तरह के काम में समय लगता है और सावधानी की जरूरत होती है. पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए हर तरह का निरीक्षण किया जा रहा है.’
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