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Sunday, 22 December, 2024
होमहेल्थक्या है नोरोवायरस? है फैलने वाला लेकिन इलाज आसान, पेट का कीड़ा जिसने केरल में 2 को संक्रमित किया है

क्या है नोरोवायरस? है फैलने वाला लेकिन इलाज आसान, पेट का कीड़ा जिसने केरल में 2 को संक्रमित किया है

केंद्र सरकार ने केरल से अपने यहां पुष्ट हुए नोरोवायरस के दो मामलों पर एक रिपोर्ट भेजने के लिए कहा है. केरल में नोरोवायरस संक्रमण का पहला मामला जून 2021 में दर्ज हुआ था.

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नई दिल्ली: ऐसे समय जब भारत में कोविड नियंत्रण में नज़र आता है, केरल में नोरोवायरस के दो मामलों ने- जिसे दस्त और उल्टी से जोड़कर देखा जाता है- चिंता पैदा कर दी है. हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है कि इस दक्षिणी सूबे में इस वायरस का पता चला है, लेकिन ये इसकी बहुत ऊंची संक्रामक क्षमता है जो चिंता का विषय बन गई है, और दूसरी बात ये भी कि अभी तक सामने आए दोनों मामले बच्चों से जुड़े हैं.

केंद्र सरकार ने सोमवार को केरल के राज्य निगरानी कार्यालय (एसएसओ) को राज्य के नोरोवायरस मामलों पर एक विस्तृत रिपोर्ट भेजने के लिए कहा है. इस बीच इस वायरस की बेहद संक्रामक नेचर की वजह से, राज्य सरकार ने लोगों से अच्छा साफ-सफाई बनाए रखने का आग्रह किया है.

समाचार एजेंसी पीटीआई ने केरल की स्वाथ्य मंत्री वीणा जॉर्ज का ये कहते हुए हवाला दिया, ‘दो बच्चों में नोरोवायरस संक्रमण पाया गया है और उनके स्वास्थ्य की स्थिति स्थिर है. फिलहाल चिंता करने की ज़रूरत नहीं है लेकिन हर किसी को सावधान रहना चाहिए और सफाई का ध्यान रखना चाहिए’.

इन ताज़ा मामलों के सामने आने से एक साल पहले, केरल में जून 2021 में नोरोवायरस संक्रमण का पहला मामला सामने आया था, जब अलप्पुझा और उसके आसपास की नगर पालिकाओं में गंभीर दस्तों के 950 से अधिक मामलों का वायरस से संबंध पाया गया था.

सर्दी में उल्टियों का कीड़ा

नोरोवारस जिसे सर्दी में उल्टी का कीड़ा भी कहा जाता है पेट में बहुत तेज़ इनफेक्शन पैदा करता है- जिसमें पेट और आंतों में सूजन आ जाती है- और इसे उल्टी और दस्तों से जोड़कर देखा जाता है.

स्कॉटलैण्ड की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा के अनुसार इसे सर्दियों का कीड़ा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि ये सर्दियों में ज़्यादा आम होता है, हालांकि ये आपको साल के किसी भी समय हो सकता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार, दुनिया भर में हर साल नोरोवायरस के 68.5 करोड़ अनुमानित मामले दर्ज किए जाते हैं- जिनमें से 20 करोड़ मामले 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में होते हैं.

इससे हर साल 200,000 अनुमानित मौतें होती हैं-जिनमें 50,000 बच्चे शामिल होते हैं. ये मौतें कम आय वाले देशों में ज़्यादा होती हैं.

डब्लूएचओ का अनुमान है कि दुनिया भर में इस वायरस की वजह से स्वास्थ्य सेवा की लागत और आर्थिक नुक़सान, क़रीब 60 बिलियन डॉलर का होता है.

चूंकि ये वासरसों के एक परिवार से है, इसलिए संभावना रहती है कि जीवन भर में इस वायरस संक्रमण से कई बार सामना हो सकता है.


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लक्षण क्या हैं?

पेट से जुड़े लक्षणों के अलावा, वायरस से संक्रमित मरीज़ों में तेज़ बुख़ार, बदन दर्द, और सरदर्द भी हो सकता है.

वायरस की इनक्युबेशन अवधि छोटी होती है- क़रीब 1-2 दिन. इस पैथोजन का बेहद संक्रामक माना जाता है हालांकि इसकी संक्रामकता के अनुमानों में- जिनका आर वैल्यू के तौर पर हिसाब लगाया जाता है- व्यापक रूप से अंतर होता है.

आर वैल्यू जिसे ‘आरओ’ के रूप में दिखाया जाता है, एक बुनियादी प्रजनन दर या प्रजनन संख्या होती है जो किसी वायरस की संक्रामकता की डिग्री को बताती है. ये एक अनुमान होता है कि कोई संक्रमित व्यक्ति आगे कितने लोगों को ये संक्रमण फैला सकता है. मसलन 1 आर वैल्यू का मतलब होता है कि हर संक्रमित व्यक्ति एक और व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है. 1 से कम आरओ का मतलब है कि बीमारी महामारी का रूप नहीं लेगी.

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने 2018 में एपीडेमियॉलजी एंड इनफेक्शन पत्रिका में एक लेख में लिखा, ‘लेकिन हमने पाया कि नोरोवायरस के लिए बुनियादी प्रजनन संख्या में 1.1 से 7.2 तक व्यापक रूप से अंतर होता है. आमतौर से, आरओ का जनसंख्या-आधारित अनुमान क़रीब 2 है, जिसमें विशेष प्रकोपों के लिए अनुमानित वैल्यू बढ़ जाती है’.

केरल में क्या हुआ और वायरस का इलाज कैसे हो रहा है

केरल के ताज़ा मामले अलप्पुझा ज़िले के कायमकुलम में एक सरकारी उच्च प्राइमरी स्कूल के दो छात्रों में सामने आए थे. डॉक्टरों ने शनिवार को दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया था, चूंकि पहले उन्हें फूड पॉयज़निंग का शक हो रहा था.

सोमवार को आउटलुक ने ख़बर दी कि पिछले साल का मामला, जो जून में ही हुआ था, क़रीब डेढ़ महीना चला था. रिपोर्ट में केरल के सरकारी अधिकारियों का ये कहते हुए हवाला दिया गया था, कि पिछले साल के प्रकोप में नोरोवायरस के 92 प्रतिशत मरीज़ों को सिर्फ बाह्य रोगी देख-रेख की ही ज़रूरत पड़ी थी.

नोरोवायरस किसी संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने से फैलता है. ये संक्रमित भोजन के ज़रिए और ऐसे में भी फैलता है यदि संक्रमित व्यक्ति किसी दूषित सतह को छू ले, और फिर अपने हाथ को बिना धोए मुंह में ले जाए.

नोरोवायरस संक्रमण के इलाज का सहसे महत्वपूर्ण पहलू पानी की कमी को रोकना होता है. दस्त और उल्टी की वजह से शरीर से जो पानी निकल गया है उसकी भरपाई सबसे ज़रूरी होती है.

मरीज़ों को प्रचुर मात्रा में तरल पदार्थ लेने होते हैं, और उसे ओरल रीहाइड्रेशन सॉल्यूशन भी दिया जा सकता है. इस बीमारी के इलाज के लिए कोई विशेष दवा नहीं है. बच्चों में, उनका रोना अकसर शरीर में पानी की कमी का संकेत हो सकता है, और पेशाब की मात्रा में अचानक आई कमी से भी इसका पता चल सकता है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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