नई दिल्ली: विटामिन-डी और कोविड-19 संक्रमण के बीच अभी तक कोई संबंध स्पष्ट न हो पाने के बीच स्पेन में एक अध्ययन में पाया गया कि सैंटनडर शहर के एक अस्पताल में भर्ती कोविड पॉजिटिव मरीजों में से 80 प्रतिशत में विटामिन डी की कमी थी.
अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि अस्पताल में भर्ती मरीजों में 25 हाइड्रॉक्सीविटामिन डी (25ओएचडी) या 25 हाइड्रॉक्सीकोलेकैल्सीफेरोल, जो लिवर में उत्पादित होता है और वह रूप जिसमें हमारे शरीर में विटामिन डी इस्तेमाल होता है, की कमी थी.
अध्ययन के मुताबिक सामान्य लोगों की तुलना में अस्पताल में भर्ती कोविड-19 मरीजों में 25ओएचडी का स्तर कम पाया गया और ये मरीज काफी ज्यादा कमी के शिकार थे.
यह अध्ययन मंगलवार को जर्नल ऑफ क्लीनिकल एंडोक्रिनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म में प्रकाशित हुआ था.
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शोधकर्ताओं ने अस्पताल यूनिवर्सिटारियो मार्क्वेस डे वाल्डेसिला में 216 कोविड मरीजों और 197 पॉपुलेशन बेस्ड कंट्रोल-यानी जो कोविड पीड़ित नहीं थे-पर यह अध्ययन किया कि क्या पोषक तत्वों की कमी और वायरस के बीच कोई संबंध है.
हालांकि, उन्हें विटामिन की कमी और बीमारी की गंभीरता के बीच कोई संबंध नहीं मिला. अध्ययन में यह भी कहा गया है कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों में विटामिन डी का स्तर ज्यादा कम था.
पिछले अध्ययनों में कोविड में विटामिन डी की खुराक की सलाह
कोविड-19 और विटामिन के बीच लिंक पर महामारी की शुरुआत के बाद से ही चर्चा होती रही है.
कुछ अध्ययनों में संक्रमण रोकने के लिए विटामिन डी की खुराक लेने की सलाह तक दी गई है, क्योंकि कई तरीकों से दोनों एक दूसरे से जुड़े हैं. इसमें यह तथ्य भी शामिल है कि मधुमेह और मोटापे से ग्रस्त लोगों में विटामिन डी की कमी होने की संभावना अधिक होती है और दोनों को कोमोर्बिडिटी (एक साथ एक से ज्यादा गंभीर रोग) की स्थिति के तौर पर जाना जाता है जिसके कारण संक्रमण जानलेवा हो सकता है.
शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र में विटामिन डी की भी अहम भूमिका होती है.
जुलाई में जर्नल क्लीनिकल मेडिसिन में प्रकाशित अमेरिकी शोधकर्ताओं के एक अध्ययन में कहा गया है, ‘विटामिन डी का कम स्तर इनफ्लेमेटरी साइटोकिन्स बढ़ाने से जुड़ा है और निमोनिया और वायरल के दौरान सांस लेने में दिक्कत होने का जोखिम काफी बढ़ा देता है.’
अध्ययन के अनुसार, विटामिन की कमी थ्रोमबोसिस और ब्लड क्लाटिंग बढ़ने से भी जुड़ी हुई है, जो लक्षण कोविड मरीजों में अमूमन पाया जाता है.
अध्ययनकर्ताओं ने आगे जोड़ा, ‘यह पता चला है कि इन स्थितियां में कोविड-19 में मृत्यु दर अधिक होती है. यदि विटामिन डी निमोनिया/एआरडीएस, इनफ्लेमेशन, इनफ्लेमेशन साइटोकिन्स और थ्रोमबोसिस आदि स्थितियों के संदर्भ में कोविड-19 का जोखिम घटाता है तो हमारी राय है कि महामारी पर काबू पाने के लिए सप्लीमेंट देना अपेक्षाकृत आसान विकल्प होगा.
स्पैनिश अध्ययन के लेखकों ने इस पर भी जोर दिया कि खासकर बुजुर्गो, कोमोर्बिडिटी पीड़ितों और नर्सिंग होम में रहने वाले जैसे उच्च जोखिम वाले लोगों में विटामिन डी की कमी के कारणों की पहचान और उसके अनुरूप इलाज पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए.
अध्ययन में शामिल सैंटनडर स्थित कैंटब्रिट यूनिवर्सिटी के जोस एल. हर्नादेज ने कहा, ‘रक्त में विटामिन डी की कमी वाले कोविड-19 मरीजों को इलाज के तौर पर विटामिन डी देने की सिफारिश की जानी चाहिए क्योंकि यह मांसपेशियों और प्रतिरक्षा तंत्र दोनों के लिए ही फायदेमंद हो सकता है.’
भारत सहित कई देशों में विटामिन डी की कमी कथित रूप से बढ़ रही है, जबकि मानव शरीर में विटामिन डी की आवश्यक खुराक पूरी करने का सबसे अच्छा तरीका सूरज की रोशनी है जो शरीर को 25ओएचडी सोखने में मदद करता है.
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