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Friday, 29 March, 2024
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लांसेट में दावा- चीनी कोविड वैक्सीन पहले व दूसरे दौर के ट्रायल्स में सुरक्षित, बनाती है एंटीबॉडीज

वैक्सीन बीबीआईबीपी-कोरवी में, मारे गए वायरस एक अन्य घटक एलुमीनियम हाइड्रॉक्साइड के साथ मिलाए जाते हैं, जिसे एक सहायक पदार्थ एडजूवांट कहा जाता है, जो इम्यून रेस्पॉन्स को बढ़ाता है.

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नई दिल्ली: लांसेट ने शुक्रवार को ख़बर दी कि एक चीनी कंपनी द्वारा विकसित एक कोविड-19 वैक्सीन, जो एक निष्क्रिय किए गए सार्स-सीओवी-2 वायरस पर आधारित है. फेज़ 1 और 2 के ट्रायल्स में सुरक्षित और कारगर साबित हुई है.

बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स कंपनी लिमिटेड के रिसर्चर्स ने दि लांसेट इंफेक्शियस डिज़ीज़ेज़ में ख़बर दी है, ‘निष्क्रिय की गई सार्स-सीओवी-2 वैक्सीन बीबीआईबीपी-कोरवी सुरक्षित है और दो आयु वर्गों में टेस्ट किए इसके डोज़ अच्छी तरह सहन किए गए.’

उन्होंने आगे कहा, ‘सभी वैक्सीन प्राप्तकर्ताओं को 42वें दिन सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ ह्यूमोरल रेस्पॉन्सेज़ दिए गए. ज़ीरो और 21वें दिन या ज़ीरो और 28वें दिन, 4 एमजी वैक्सीन के साथ दिए गए दो डोज़ इम्यूनाइज़ेशन से 8 एमजी के एक अकेले डोज़, या ज़ीरो और 14वें दिन 4 एमजी के डोज़ देने की अपेक्षा बेअसर करने वाले ज़्यादा एंटीबॉडीज़ पैदा हुए.’

इम्यूनॉलजी की बोली में ह्मूमोरल रेस्पॉन्स का मतलब होता है कि वैक्सीन वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज़ हासिल करने में कामयाब हो गई.


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वैक्सीन बीबीआईबीपी-कोरवी में मारे गए वायरस एक अन्य घटक एलुमीनियम हाइड्रॉक्साइड के साथ मिलाए जाते हैं, जिसे एक सहायक पदार्थ एडजूवांट कहा जाता है, जो इम्यून रेस्पॉन्स को बढ़ाता है.

इसे बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स कंपनी लिमिटेड ने तैयार किया है, जो सरकारी फार्मा कंपनी साइनोफार्म से संबद्ध है. ये उन पांच कोविड वैक्सीन्स में से एक है, जो चीन में विकास के अलग-अलग चरणों में हैं.

ज़्यादा उम्र के प्रतिभागियों को एंटीबॉडीज़ बनाने में अधिक समय लगा

स्टडी में 18 से 80 वर्ष की उम्र के प्रतिभागियों को शामिल किया गया था. हालांकि, 60 से अधिक उम्र वालों में एंटीबॉडी रेस्पॉन्स धीमी गति से बना. कभी-कभी उसमें 42 दिन तक लग गए.

इस बीच युवा प्रतिभागियों को एंटीबॉडी रेस्पॉन्स पैदा करने में 28 दिन लगे, 60 से 80 वर्ष की उम्र के लोगों में, एंटीबॉडी लेवल भी कम पाए गए.

स्टडी के एक लेखक प्रोफेसर शियाओमिंग यांग ने कहा, ‘अधिक उम्र के लोगों को बचाना कामयाब कोविड-19 वैक्सीन का एक प्रमुख उद्देश्य है, चूंकि बुज़ुर्गों को इस बीमारी से गंभीर रूप से पीड़ित होने का ख़तरा ज़्यादा रहता है.

‘लेकिन वैक्सीन्न कभी कभी इस ग्रुप में कम असर करती हैं, चूंकि उम्र के साथ इम्यून सिस्टम कमज़ोर हो जाता है. इसलिए ये उत्साहवर्धक है कि बीबीआईबीपी-कोरवी 60 या उससे अधिक उम्र के लोगों में एंटीबॉडीज़ रेस्पॉन्स पैदा करती है और हमारा मानना है कि इसमें और जांच की ज़रूरत है.’

इस ट्रायल को जिन संस्थाओं ने वित्त पोषित किया वो हैं- नेशनल प्रोग्राम ऑन की रिसर्च प्रोजेक्ट ऑफ चाइना नेशनल मेगा प्रोजेक्ट्स ऑफ चाइना फॉर मेजर इनफेक्शियस डिज़ीज़ेज़ नेशनल मेगा प्रोजेक्ट्स ऑफ चाइना फॉर न्यू ड्रग क्रिएशन, और बीजिंग साइंस एंड टेक्नोलॉजी प्लान.

दुष्प्रभाव

लांसेट ने कहा कि सबसे आम विपरीत प्रतिक्रियाएं दर्द और बुख़ार थीं, जो हल्के से मध्यम नेचर की थीं.

रिसर्चर्स ने पत्रिका में लिखा, ‘प्री-क्लीनिकल स्टडीज़ में हमने दिखाया कि बीबीआईबीपी-कोरवी का टीका लगाने से चूहों, गिनी पिग्स, ख़रगोशों, और ग़ैर-इंसानी प्राईमेट्स (साइनोमोलगस बंदरों और रीसस मकाक्स) में काफी ऊंचे स्तर के बेअसर करने वाले एंटीबॉडीज़ पैदा हो सकते हैं, जो सार्स-सीओवी-2 से बचा सकते हैं.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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