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Saturday, 2 November, 2024
होमशासनकैंसर और एड्स का है रामबाण इलाज- सिख उद्योगपति बाबा का दावा

कैंसर और एड्स का है रामबाण इलाज- सिख उद्योगपति बाबा का दावा

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त्रिलोचन दास का दावा है कि उनकी दवाओं को आयुष मंत्रालय द्वारा ‘वैकल्पिक श्रेणी’ के तहत वर्गीकृत किया गया है. हालाँकि सरकार ने ऐसी कोई भी मंज़ूरी देने की खबरों का खंडन किया है.

नई दिल्ली: यह जन्माष्टमी की पूर्व संध्या है. उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद की एक गेटेड इमारत में, फारसी गलीचे के ऊपर रखे हल्के भूरे रंग के सोफे पर बैठे संत त्रिलोचन दास दावा करते हैं कि उन्होंने जानलेवा रोगों से पीड़ित मरीजों का सफलतापूर्वक इलाज किया है.

एक नामधारी सिख संप्रदाय दास धरम के प्रमुख, दास बताते हैं, “हम एचआईवी और एंड-स्टेज कैंसर का इलाज करने में विशेषज्ञ हैं. हमने चौथे स्टेज के स्तन कैंसर के कई रोगियों का इलाज किया है.” उनकी वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार उन्होंने चार साल से भी कम समय में 10 लाख से ज़्यादा मरीज़ों का इलाज किया है.

हालाँकि उनके इन विस्मयकारी दावों के पीछे सच्चाई काफी थोड़ी है लेकिन इससे इनके अनुयायियों को ख़ास फर्क नहीं पड़ता. आज के दिन 2 लाख से अधिक भक्त गाज़ियाबाद के दरबार के लॉन के बाहर उनकी एक झलक देखने की प्रतीक्षा कर रहे हैं.

अमनप्रीत कौर की तरह कुछ ऐसे भी हैं जो उनसे परामर्श लेने के इच्छुक हैं. आठ महीने की गर्भवती, कौर बताती हैं कि उनके अजन्मे बच्चे की किडनी में एक सिस्ट है.

उन्होंने दास को उनके अनुयायियों से भरे कमरे में कहा, “मुझे कोई डाक्टरी सहायता नहीं चाहिए. मैंने यहाँ ऐसे लोगों को देखा है जो बीमारी के आखिरी चरणों में आये और वापस अपने पैरों पर, स्वस्थ एवं मुस्कराते हुए गए. मुझे पता है कि अगर मैं आपकी सलाह लेती हूं तो मेरा बच्चा ठीक रहेगा.”

दास द्वारा 2015 में लॉन्च किए गए एवं लगातार बढ़ते फार्मास्यूटिकल बिज़नेस के पीछे यही विशवास काम कर रहा है.
दास का कहना है कि इनके पोर्टफोलियो में वह दवाएं भी शामिल हैं जो “कैंसर और एचआईवी का इलाज कर सकतीं हैं.”
दास का दावा है कि इन औषधीय दवाओं को केंद्र सरकार का समर्थन भी प्राप्त है – वे बताते हैं कि आयुष मंत्रालय ने उन्हें ‘वैकल्पिक दवाओं’ की श्रेणी के तहत अनुमोदित किया है.

दास कहते हैं, “हमारी सभी दवाएं आयुष मंत्रालय द्वारा अनुमोदित की जाती हैं,” वे आगे बताते हैं कि भारत सरकार उनकी दवाओं की बिक्री को मान्यता देने में अकेली नहीं है.

संत त्रिलोचन दास के कार्यक्रम में दवाएं बेचते हुए । फेसबुक

अपनी अफ्रीका यात्रा के दौरान खींची गयी तस्वीरों को दिखते हुए वे कहते हैं , “हमने अफ्रीकी देशों में सरकारों के साथ दवाओं की बिक्री हेतु समझौते किये हैं जिनमें एचआईवी और कैंसर का इलाज करने वाली दवाएं भी शामिल हैं ”

हालांकि, आयुष मंत्रालय ने दवाइयों को मंज़ूरी देने की ख़बरों का खंडन किया है और कानूनी कार्रवाई की धमकी भी दी है.

आयुष के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने दिप्रिंट को बताया, “आयुष मंत्रालय ने ऐसे किसी भी उत्पाद को मंज़ूरी नहीं दी है और मैं अधिक जानकारी प्राप्त करके आपसे मुखातिब होऊंगा.”

कंपनी की वेबसाइट की जांच करने के बाद आयुष के शोध अधिकारी राजेश्वरी सिंह ने कहा, “हमने वेबसाइट पर बेचे जाने वाले किसी भी उत्पाद को मंज़ूरी तो नहीं ही दी है , उल्टा हम इस मामले पर कानूनी परामर्श पूरा करने के बाद एक कारण बताओ नोटिस जारी करने की योजना बना रहे हैं.”

मेडिकल प्रोफेशनल भी ऐसी जानलेवा बीमारियों का इलाज करने का दावा करनेवालों का भरपूर विरोध करते हैं.

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के.के अग्रवाल. कहते हैं, “मैं किसी कंपनी विशेष पर टिप्पणी नहीं करूंगा लेकिन जानलेवा बीमारियों के इलाज का दावा करने वाली कोई भी कंपनी, चाहे वह आयुष द्वारा अनुमोदित या नहीं, अपराध कर रही है और उसे दंडित किया जाना चाहिए.”

वे आगे बताते हैं ,”हम कई मरीज़ों को आशा की तलाश में देखते हैं और इन्हीं उत्पादों की वजह से उन्हें या तो धोखा मिलता है या वे सही इलाज से वंचित रह जाते हैं.”


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‘गुरु का आशीर्वाद’

दास की दवाएं उनकी कंपनी, अभिमंत्रित गुरुप्रसादम आयुर्वेद हर्बल फूड्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा ब्रांड नाम गुरु प्रसादम से बेची जाती हैं जिसका मतलब गुरु का आशीर्वाद है.

यह सिख संत प्रोटीन पाउडर और बच्चों के ‘सुपर-फूड’ से लेकर नशामुक्ति उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला बेचते हैं. इस फर्म का मुख्यालय ग़ाज़ियाबाद के लोनी में है जहाँ कैंसर, हेपेटाइटिस, हेमोफिलिया, पक्षाघात और तंत्रिका संबंधी विकारों के लिए दवाओं सहित 100 के आसपास उत्पाद 250 रूपये के औसत मूल्य पर उपलब्ध हैं.

कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक इसके उत्पाद इस्तेमाल के लिए ‘जेनरली सेफ (आम तौर पर सुरक्षित)’ हैं.
दास बताते हैं कि बिक्री का अधिकांश भाग देश भर में फैले हुए इस संप्रदाय के 500 केंद्रों के अलावा उनकी अपनी वेबसाइट से ई-कॉमर्स के माध्यम से होता है. कंपनी के अधिकारियों का दावा है कि वेबसाइट पर एक दिन में एक लाख से ज़्यादा उपयोगकर्ताओं का ट्रैफिक आता है.

कंपनी के एक अधिकारी का कहना है, “हम अपनी बाबा आदम के ज़माने की वेबसाइट पर भारी ट्रैफिक देख रहे हैं जिसके नतीजतन यह लोड को संभालने में असमर्थ है. इस सप्ताह के भीतर हम एक ऐसी वेबसाइट लॉन्च करेंगे जो अमेज़ॅन की वेबसाइट जितना अच्छा काम करेगी.

हालांकि, अधिकारियों ने राजस्व विवरण साझा करने से इनकार कर दिया.

एक खुदरा विश्लेषक ने नाम न बताने की शर्त पर अनुमान लगाते हुए बताया कि औसत वेबसाइट रूपांतरण दर 2.35 प्रतिशत है, अतः 1 लाख दैनिक विज़िटर्स में से लगभग 2,350 आगंतुक खरीददार हो सकते हैं.

250 रुपये प्रति उत्पाद की औसत कीमत पर दैनिक बिक्री राजस्व 5.87 लाख रुपये तक पहुंच सकता है. कुल मिलाकर, अनुमानित वार्षिक राजस्व 21 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है.

बाबा और बिज़नसमैन

दाढ़ी से ढंका चेहरा और सफ़ेद कुर्ता पजामा पहने हुए दास अपनी फर्म के बिक्री आंकड़ों और राजस्व के बारे में बात करने में संकोच करते हैं जोकि एक ऐसे आदमी के लिए, जिसने “सांसारिक सुख छोड़ दिया” हो, आश्चर्यजनक है.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि वे जो कुछ भी करते हैं वह केवल परोपकार के लिए है और वह इसे व्यवसाय के रूप में प्रचारित नहीं करना चाहते.

वे कहते हैं, “मैं इन जड़ी बूटियों की बिक्री व्यवसाय के रूप में नहीं कर रहा . यह उन लोगों का भरोसा है जिसकी वजह से ये दवाइयां काम करती हैं. हम तो दरअसल वृद्ध और बीमार लोगों को पेंशन देते हैं. इसके साथ साथ हम इन उत्पादों को भारी छूट पर भी बेचते हैं, ”


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हालांकि, दास आध्यात्मिकता के बाज़ार को भुनाते ‘बाबाओं ‘ की लगातार बढ़ती भीड़ का हिस्सा हैं जोकि योग गुरु बाबा रामदेव और उनके दस साल पुराने पतंजलि आयुर्वेद की देन है.

2007 में शून्य से शुरुआत करनेवाले पतंजलि ने ‘स्वदेशी’ व्यापार की रणनीति के अनुसार 2016-17 वित्तीय वर्ष में 10,000 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज किया. इस रणनीति ने पतंजलि को कई क्षेत्रों में पहले से स्थापित बहुराष्ट्रीय कंपनियों का सामना करने में मदद की है.

पतंजलि की सफलता की कहानी ने 5,000 करोड़ रुपये के हर्बल बाज़ार और 3.4 लाख करोड़ रुपये के तेज़ी से बढ़ रहे उपभोक्ता उत्पादों के क्षेत्र पर नज़र डालने के लिए अन्य ‘बाबाओं ‘ को प्रोत्साहित किया है.

हालाँकि रवि शंकर का श्री श्री आयुर्वेद 2003 में ही लांच हो गया था लेकिन हाल ही में उन्होंने पतंजलि की सफलता के बाद अपने उत्पादों का आक्रामक रूप से प्रचार करना शुरू किया है.

फरवरी 2016 में सिरसा के ‘आध्यात्मिक नेता’ गुरमीत राम रहीम सिंह, जो अब बलात्कार के आरोप में जेल में हैं, ने घोषणा की थी कि वह स्वदेशी और जैविक उत्पादों का अपना ब्रांड लॉन्च करनेवाले थे.

एक रिटेल कंसल्टेंसी टेक्नोपैक एडवाइजर्स के चेयरमैन अरविंद सिंघल कहते हैं,”इन बाबाओं के लाखों अनुयायी हैं. व्यापारिक भाषा में, उनके पास एक तैयार, बंधुआ बाज़ार है.”

हालांकि, उसके अनुसार सावधानी बरतने की ज़रुरत है. “पतंजलि अपनी तरह का एकमात्र सफल मॉडल है. मुझे नहीं लगता कि सिर्फ अनुयायियों के भरोसे रहना एक दीर्घकालिक बाज़ार प्रदान कर सकता है.”

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