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Wednesday, 8 May, 2024
होमशासनभीमा- कोरेगांव गिरफ्तारियों की जांच के लिए एसआईटी गठित करने से सुप्रीम कोर्ट का इंकार

भीमा- कोरेगांव गिरफ्तारियों की जांच के लिए एसआईटी गठित करने से सुप्रीम कोर्ट का इंकार

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सुप्रीम कोर्ट ने कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज, वरवर राव, गौतम नवलखा, वर्नन गोंज़ाल्वेज़ और अरुण फरेरा के हाउस अरेस्ट की अवधि चार और हफ़्तों तक बढ़ा दी.

नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को भीमा – कोरेगांव हिंसा के मामले में नामित पांच कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी में दखल देने से इंकार कर दिया. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इन गिरफ्तारियों की जांच के लिए एक एसआईटी का गठन करने से भी मना किया.

2:1 के अनुपात वाले फैसले में, भारतीय न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने कार्यकर्ताओं – सुधा भारद्वाज, वरवर राव, गौतम नवलखा, वर्नन गोंज़ाल्वेज़ और अरुण फरेरा के हाउस अरेस्ट को चार और हफ्ते के लिए बढ़ा दिया.

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ट्रायल कोर्ट का सहारा ले सकते हैं.

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फैसले से असहमति जताते हुए न्यायमूर्ति डीवाय चंद्रचूड़ ने कहा : “यह मामला अदालत की निगरानी वाली एसआईटी द्वारा जांचे जाने के लिए पूर्णतया उपयुक्त है…. पुणे पुलिस का आचरण इस धारणा को पुष्ट करता है कि यह जांच निष्पक्ष नहीं रही है.”

पुणे पुलिस ने इन कार्यकर्ताओं को 28 अगस्त को कई शहरों में छापे मारकर गिरफ्तार किया था.


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पुलिस ने इन कार्यकर्ताओं पर “क़ानून और व्यवस्था को ध्वस्त करने” और “बड़े पैमाने पर विनाश फैलाने” की बड़ी साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया. पुलिस का कहना है कि ये कार्यकर्ता “राजीव गांधी हत्याकांड ” की ही तर्ज़ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश में शामिल थे.

उनकी गिरफ्तारी के एक दिन बाद सर्वोच्च न्यायालय ने कार्यकर्ताओं को हाउस अरेस्ट में डाल दिया.

गिरफ्तारी के बाद न्यायमूर्ति डीवाय चंद्रचूड़ ने टिप्पणी की, ” असहमति लोकतंत्र सुरक्षा वाल्व है … यदि आप सुरक्षा वाल्व हटा देंगे तो प्रेशर कुकर फट जाएगा.”

सुनवाई के दौरान, अदालत ने पुणे पुलिस द्वारा प्रस्तुत किए गए “सबूतों” और याचिकाकर्ताओं के वकीलों द्वारा दी गयी दलीलों के प्रकाश में कड़ी टिप्पणी की.


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इन याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकीलों , एएम सिंघवी , इंदिरा जयसिंह , नित्या रामकृष्णन और अन्य ने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ पेश किये सबूत झूठे और मनगढंत थे.

अदालत ने इतिहासकार रोमिला थापर द्वारा पिछले हफ्ते दायर याचिकाओं के एक बैच पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था. थापर ने कथित तौर पर माओवादियों से सम्बन्ध रखने के संदेह में इन कार्यकर्ताओं के घर हुए छापों और उनकी गिरफ़्तारी की जांच एक एसआईटी द्वारा किये जाने की मांग की थी.

Read in English : Supreme Court refuses special probe into arrest of five activists in Bhima-Koregaon case

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