राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का कहना है कि मांग ‘असमर्थनीय‘ है लेकिन भाजपा सरकार लोकसभा चुनाव से पहले इस संदेश को प्रसारित नहीं कर सकती।
नई दिल्लीः हिन्दू समूहों की राजनीतिक प्रतिक्रिया से डरते हुए दिल्ली में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की बैठक में अध्यक्ष सैयद गैयरुल हसन रिजवी (आर) ।ट्विटर (एनसीएम) ने अपनी रिपोर्ट पर धीमी गति से काम करने का फैसला किया है जिसका उद्देश्य यह पता लगाना है कि सात राज्यों में हिन्दुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जा सकता है या नहीं। यह 2019 चुनाव के बाद ही अपनी रिपोर्ट सौंपेगा।
आयोग के एक अधिकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि “हिन्दुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने की माँग असमर्थनीय है…इस तरह से, प्रत्येक राज्य के पास अपने ही अल्पसंख्यक होंगे|”
“लेकिन भाजपा सरकार इस संदेश को प्रसारित नहीं कर सकती है कि वह हिन्दुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने के पक्ष में नहीं है। इसलिए हमने 2019 के चुनावों के बाद इस रिपोर्ट को सौंपने का फैसला लिया है। सरकार ने चुनाव के बाद तक इस मुद्दे को स्थगित करने का मन बना लिया है।”
दुविधाग्रस्त स्थिति
50% से कम हिन्दू आबादी वाले राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय की याचिका के आधार पर जनवरी में आयोग द्वारा एक तीन सदस्यीय उप-समिति का गठन किया गया था| इन राज्यों में जम्मू-कश्मीर, पंजाब, मिजोरम, नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर सहित केन्द्रशासित राज्य लक्षद्वीप शामिल हैं।
सर्वोच्च न्यायालय ने नवंबर में उपाध्याय की याचिका खारिज कर दी और उन्हें अल्पसंख्यक आयोग के पास जाने को कहा।
प्रारंभ से ही एनसीएम हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने के खिलाफ रहा है। मीडिया में रिपोर्टों के मुताबिक अपनी अंतरिम रिपोर्ट में आयोग ने पहले ही यह निष्कर्ष निकाला था कि “संवैधानिक सीमाओं” के कारण राष्ट्रीय स्तर पर हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देना संभव नहीं है। इसके अलावा, यदि इन राज्यों में ऐसा होता है तो देश भर में अल्पसंख्यक दर्जे की मांग करने वाले समुदायों की संख्या बढ़ेगी।
भारत के राजपत्र में अभी तक छह धार्मिक समुदायों- मुसलमानों, ईसाइयों, सिखों, बौद्धों, पारसियों और जैनों को पूरे देश में ‘अल्पसंख्यक’ समुदायों के रूप में अधिसूचित किया गया है।
हालांकि, अपनी रिपोर्ट में ऐसा उल्लेख करना अगले साल आम चुनावों के मद्देनजर भाजपा के कोर वोट बैंक को नाराज कर सकता है।
एनसीएम अध्यक्ष सैयद गैयूरुल हसन रिजवी ने शुरू में ही कहा था कि संविधान केवल इन छह समुदायों को अल्पसंख्यक दर्जा देने की अनुमति देता है और इस प्रावधान में कोई बदलाव सम्भव नहीं है। यह पूछे जाने पर कि क्या अंतिम रिपोर्ट में इसकी सिफारिश की जाएगी, रिज़वी ने दिप्रिंट को बताया, “रिपोर्ट बनने की प्रक्रिया अभी भी जारी है, और हम अभी इसकी सामग्री का खुलासा नहीं कर सकते हैं।”
भाजपा के उपाध्याय अपनी बात पर कायम रहे कि अल्पसंख्यक दर्जे की गैरमौजूदगी में, गैर हिंदू प्रभावशाली राज्यों में हिंदूओं को अल्पसंख्यकों को दिये जाने वाले लाभों से “अवैध और एकपक्षीय तरीके” से वंचित रखा गया है।
Read in English : Decision on minority status for Hindus won’t be revealed before 2019 polls