जांच एजेंसी के 13 अधिकारी हटाए गए. ममता बनर्जी बोलीं, सीबीआई ‘बीजेपी ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन’ बन गई है. भाजपा ने सरकार के कदम का बचाव किया.
नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) में भ्रष्टाचार को लेकर चल रही कलह के बीच केंद्र सरकार ने बुधवार को एजेंसी के निदेशक आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने के साथ ही 13 अन्य अधिकारियों का भी तबादला कर दिया है. इस कदम के साथ केंद्र ने सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ रिश्वतखोरी के मामले की जांच कर रहे लगभग सभी अधिकारियों को हटा दिया है.
इस बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को केंद्रीय जांच एजेंसी को ‘बीजेपी ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन’ बताया. दूसरी तरफ, भाजपा ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने के कदम का बचाव किया है.
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सूत्रों के अनुसार, जिन 13 सीबीआई अधिकारियों का तबादला किया गया है, उसमें अस्थाना के खिलाफ आरोपों की जांच कर रहे पुलिस उपाधीक्षक अजय कुमार बस्सी भी शामिल हैं. बस्सी को ‘जनहित’ में तत्काल प्रभाव से पोर्ट ब्लेयर स्थांतरित कर दिया गया है.
अस्थाना के विरुद्ध जांच कर रहे सीबीआई के एसी-3 इकाई के सुपरवाइजरी पुलिस अधीक्षक एसएस गुरम को भी तत्काल प्रभाव से मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थानांतरित कर दिया गया है.
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संयुक्त निदेशक (पॉलिसी) अरुण कुमार शर्मा से भ्रष्टाचार रोधी प्रमुख का प्रभार छीन लिया गया है और उन्हें अन्यत्र तैनात कर दिया गया है.
अस्थाना के विरुद्ध जांच की अगुवाई कर रहे उपमहानिरीक्षक मनोज सिन्हा को नागपुर स्थानांतरित कर दिया गया है.
सूत्रों के अनुसार, पुलिस अधीक्षक सतीश डागर, उपमहानिरीक्षक तरुण गौबा और संयुक्त निदेशक वी. मुरुगेसन अब अस्थाना के खिलाफ प्राथमिकी की जांच को देखेंगे.
ममता ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण
ममता बनर्जी ने ट्वीट कर कहा, ‘सीबीआई अब बीबीआई (बीजेपी ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन) बन गई है. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.’
नरेंद्र मोदी सरकार ने बुधवार को सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेज दिया. सरकार ने वर्मा व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच एक दूसरे पर रिश्वत से जुड़े आरोपों-प्रत्यारोपों के बीच यह फैसला लिया.
केंद्र सरकार ने संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को सीबीआई निदेशक के कर्तव्यों व कार्यों को संभालने का निर्देश दिया है.
भाजपा ने किया सरकार का बचाव
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने केंद्रीय जांच ब्यूरो के निदेशक आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने के अपने कदम का बचाव करते हुए कहा कि ऐसा एजेंसी की ‘संस्थागत ईमानदारी’ को बचाने के लिए किया गया है. वहीं, विपक्ष ने मोदी सरकार के कदम के खिलाफ आक्रमक रुख अख्तियार कर लिया है. मध्यरात्रि में की गई कार्रवाई में सरकार ने वर्मा से छुट्टी पर जाने को कहा है.
भाजपा सांसद और प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने कहा, ‘सरकार ने उन सभी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है जो एक-दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं.’
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उन्होंने कहा, ‘इस सरकार ने वास्तव में एजेंसी से पर्याप्त दूरी बरकरार रखी है. लेकिन जब चीजें नियंत्रण से बाहर होना शुरू हो गईं तो सरकार का कर्तव्य है कि वह आदेश को बहाल करे और एजेंसी की ‘संस्थागत ईमानदारी’ को बचाए.’
भाजपना नेता ने कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर मुद्दे को लेकर तुच्छ राजनीति करने का आरोप लगाया. वहीं विपक्ष ने संयुक्त निदेशक एम. नागेश्वर राव को सीबीआई निदेशक के पद अंतरिम नियुक्ति देने को संस्था की आजादी में आखिरी कील करार दिया.
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वर्मा को दो साल के लिए सीबीआई निदेशक नियुक्त किया था और उनका कार्यकाल दिसंबर में समाप्त होने वाला था. वर्मा ने उन्हें हटाए जाने को लेकर सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है, जिस पर शुक्रवार को सुनवाई होनी है.
(समाचार एजेंसी आईएएनएस से इनपुट के साथ )