शीर्ष अदालत की नई न्यायाधीश ने कहा कि प्लाजो और ट्राउजर (पायजामा) प्रोफेशनल पोशाक नहीं हैं। उनके इस फैसले से वरिष्ठ महिला वकील सहमत हैं लेकिन कुछ जूनियर वकील इससे सहमत नहीं ।
नई दिल्लीः काले रंग के समुद्र सुप्रीम कोर्ट में महिला वकील रंग बिरंगी पोशाकों में नजर आती हैं। सुप्रीम कोर्ट के काले और सफेद रंग के निर्धारित ड्रेस कोड के बावजूद भी कुछ महिला वकील हैंड बैग्स, घड़ियां और बॉबल्स के जरिए अपने फैशन की समझ का प्रदर्शन करतीं हैं जिसमें उनकी अंगूठियां, घड़ी, कान की बालियाँ और मेकअप शामिल होता है।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की नई न्यायाधीश, जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने युवा महिला वकीलों के पहनावे और पोशाक को लेकर चल रहे मनमाने रवैये पर अपने अधिकार व्यक्त किए हैं।
जस्टिस मल्होत्रा के सम्मान में गुरुवार को रखे गए दोपहर के भोजन पर उन्होंने विशेष रूप से प्लाजो पैंट और ¾ साइज़ के पायजामों के प्रति अपनी नापसंद जाहिर की। उन्होंने एक वरिष्ठ महिला वकील, जो हमेशा अदालत में पश्चिमी सभ्यता पर आधारित प्रोफेशनल पोशाक ही पहन कर आती हैं, का उदाहरण देते हुए कहा, भले ही ये पैंट कमर पर फिट होते हों, मोहरी की ओर ढीले व आरामदायक हों लेकिन ये सजीले और कैज़ुअल कपडे हैं, ये दिल्ली की गर्मी के लिए तो उत्तम हैं, लेकिन ये किसी भी तरह से प्रोफेशनल पोशाकों की श्रेणी में नहीं आते हैं।
वरिष्ठ महिला वकील सहमत हैं
वरिष्ठ महिला वकील वी.मोहाना, जो दोपहर के भोजन में शामिल थीं, ने दिप्रिंट को बताया कि जस्टिस मल्होत्रा ने अपनी सलाह जूनियर महिला वकीलों के लिए निर्देशित की है। मोहाना ने कहा कि वे उन अन्य वरिष्ठ वकीलों, जिनके साथ मल्होत्रा की बातचीत हुई, के साथ साथ खुद भी मल्होत्रा की सलाह से सहमत हैं।
उन्होंने कहा, “मैं जस्टिस मल्होत्रा से सहमत हूं जब उन्होंने कहा कि हमारा लुक मायने रखता है और अदालत में हम जो पहनते हैं, उससे फर्क पड़ता है। “हमें बार काउंसिल द्वारा निर्धारित की गई ड्रेस पहन कर आना चाहिए और प्रोफेशनल तरीके से पोशाक पहननी चाहिए, अन्यथा हमारी कोई अहमियत नहीं रहेगी।”
सुप्रीम कोर्ट परिसर में स्थित महिलाओं के बार रूम में दोपहर के भोजन के लिए उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने भी नई न्यायाधीश के साथ अपनी सहमति व्यक्त करते हुए कहा, “महिला न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा के साथ मैं भी महिला वकीलों से अनुरोध करती हूं कि वे अदालत में अच्छी तरह से और पेशेवर कपड़े पहनें। वह स्वयं भी पेशेवर कपड़ों में अच्छी तरह से तैयार वकीलों में से एक थी”।
एडवोकेट माधवी दिवान ने भी न्यायाधीश के साथ अपनी सहमति व्यक्त करते हुए कहा: “हम महिलाएं वैसे भी प्रतिकूल परिस्थिति में हैं। अदालत में जो जैसे कपड़े पहनता है और जैसा दिखता है अन्य लोगों पर उसकी वैसी ही छाप पड़ती है। अदालत में सभी को हमेशा पेशेवर कपड़े पहनने चाहिए।”
हालांकि, दोपहर के भोजन में मौजूद एक जूनियर एडवोकेट ने अपनी पहचान गुप्त रखने की इच्छा के साथ – इस सलाह पर आपत्ति जताई। “यह तो स्पष्ट है कि कोई जीन्स और टी-शर्ट पहनकर अदालत में नहीं आता है, लेकिन मुझे पलाज़ो पैंट और टखने तक की लंबाई वाली पैंट पहनने में कुछ भी गलत नहीं लगता है। एडवोकेट ने आगे कहा, “हम जो कपड़े पहनते हैं वो आरामदायक होने चाहिए, क्योंकि हमें पूरे दिन अदालत में घूमना होता है।”
“यदि उचित तरीके से और सही मिलान में पहना जाए तो पलाजो और टखने की लंबाई वाली पैंट भी औपचारिक हो सकती हैं।”
अन्य सलाह
पिछले महीने सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण करने वाली एक पूर्व अधिवक्ता मल्होत्रा ने विशेष रूप से अदालत में अधिवक्ताओं के आचरण पर सलाह के साथ-साथ कई अन्य मुद्दों पर भी अपनी सलाह साझा की।
उन्होंने जूनियर अधिवक्ताओं से प्रतिदिन अदालत आने को कहा भले ही उनके पास कोई केस न हो और वरिष्ठ अधिवक्ताओं से बहस करने के बेहतर तरीके सीखने की भी सलाह दी।
उन्होंने यह भी कहा कि अधिवक्ताओं को सुनवाई की पूरी तैयारी के साथ आना चाहिए और यह जानना चाहिए कि काम के साथ किसी के व्यक्तिगत जीवन को कैसे संतुलित किया जाए।
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