पटियाला: ‘मेरी पोशाक मेरी मर्ज़ी, अरे आओ शंकर, हमसे मत घबराओ शंकर, ना कंसेंट बचा न शान, अब तो छोड़ दो हमारी जान; रेस्ट इन पीस फंडामेंटल राइट्स’ — नीले, गुलाबी, पीले और सफेद पोस्टरों पर लिखे ये नारे पटियाला की राजीव गांधी नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (RGNUL) के अंदर कॉलेज प्रशासन के लिए हैं, जहां छात्र कुलपति जय शंकर सिंह के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं.
प्रदर्शन स्थल पर स्टूडेंट्स का एक समूह — पुरुष और महिला दोनों के हाथों में एक बड़ा-सा कपड़ा है जिस पर विरोध के प्रतीक के रूप में हाथों के निशान हैं. वह इस बैनर के पीछे अपना चेहरा छिपाते हुए इसे व्यक्तिगत सीमाओं के प्रतीक के रूप में पेश कर रहे हैं.
यूनिवर्सिटी के गेट के सामने खड़ी फॉर्थ ईयर की एक स्टूडेंट ने कहा, “किसी को भी हमारे प्राइवेट स्पेस में घुसने और हमारे कपड़ों पर कॉमेन्ट करने की इज़ाज़त नहीं है, हम इसे नहीं मानेंगे, हम इसके खिलाफ लड़ेंगे.”
यूनिवर्सिटी प्रदर्शनकारी छात्रों और प्रशासन के बीच युद्ध का मैदान बन गई है, कुलपति को हटाने की मांग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय तक पहुंच गई है. गुरुवार को राज्य महिला संगठन की प्रमुख ने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को पत्र लिखकर कुलपति के इस्तीफे की मांग की और उनके कार्यों को “बेहद अनुचित” बताया.
कैंपस में आरजीएनयूएल के प्रदर्शनकारी छात्र पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. उनका आरोप है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन आंदोलन को खत्म करने की पूरी कोशिश कर रहा है. कुछ छात्रों ने यह भी दावा किया कि कुलपति कार्यालय उनके पैरेंट्स को बुला रहा है और उन पर अपने बच्चों को विरोध-प्रदर्शन से बाहर निकालने का दबाव बना रहा है. इस बीच, कुलपति, जिनके बारे में छात्रों का कहना है कि वे अक्सर “सीमाओं का उल्लंघन करते हैं” ने इस मुद्दे पर चुप्पी साधी है.
रविवार दोपहर हॉस्टल में मौजूद एक छात्रा ने कहा, “पोस्टरों पर हाथ का निशान कुलपति द्वारा छात्रों की निजता और गरिमा के गंभीर उल्लंघन का प्रतीक है.” सिंह ने कथित तौर पर ‘सरप्राइज चेक’ के बहाने मेस एरिया और महिला हॉस्टल के कमरों में एंट्री की और उनके ड्रेसिंग सेंस पर सवाल उठाए.
मीडिया की एंट्री पर लगे बैन के कारण प्रदर्शनकारी छात्रों ने गेट के अंदर से ही पत्रकारों से बातचीत की. वह चाहते हैं कि उनका संदेश सरकार में शीर्ष पदों पर बैठे लोगों तक पहुंचे. छात्रों का एक समूह प्रशासन कार्यालय से मेन गेट तक पोस्टर पकड़े और कुलपति के खिलाफ नारे लगाते हुआ चल रहा है.
थर्ड ईयर लॉ की एक स्टूडेंट ने ‘मेरी पोशाक मेरी मर्ज़ी’ नारे वाला पोस्टर दिखाते हुए कहा, “यहां तक कि हमारे पैरेंट्स और परिवार की महिला सदस्यों को भी हॉस्टल के कमरों में जाने की अनुमति नहीं है. कुलपति बिना किसी सूचना या महिला कर्मचारियों के वहां कैसे आ सकते हैं?”
सिंह ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि उन्होंने कभी भी छात्रों के कपड़ों पर टिप्पणी नहीं की और दावा किया कि उन्होंने हॉस्टल का निरीक्षण केवल कुछ फर्स्ट ईयर के छात्रों से छात्रावास के कमरों में ‘स्थान संबंधी मुद्दों’ के बारे में शिकायत मिलने के बाद किया था. हालांकि, छात्रों ने ऐसी कोई शिकायत करने से इनकार किया.
पोस्टरों पर हाथ का निशान कुलपति द्वारा छात्रों की निजता और गरिमा के गंभीर उल्लंघन का प्रतीक है
— लॉ स्टूडेंट, आरजीएनयूएल
दिप्रिंट ने कुलपति जयशंकर और प्रशासन से टिप्पणी के लिए संपर्क किया, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. अगर वह कोई प्रतिक्रिया देते हैं तो रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.
यह भी पढ़ें: राजस्थान के सीदड़ा गांव में सरकारी नौकरी का ज़रिया है उर्दू सीखना, इसकी अहमियत अंग्रेज़ी से भी ज्यादा
‘वीसी पुलिस’
रविवार को हॉस्टल में हुई जांच ने छात्रों को उकसा दिया, जिससे वह विरोध पर निकल पड़े. उनमें से कई ने कहा कि गुस्सा काफी समय से उबल रहा था.
महिला छात्रों के कपड़ों पर टिप्पणी करने से लेकर उनके विषय चयन पर सवाल उठाने और मनमाने ढंग से कक्षाओं में प्रवेश करने तक, RGNUL के छात्रों ने कई ऐसे खतरे बताए, जिनके कारण उन्हें सिंह के खिलाफ आवाज़ उठानी पड़ी.
स्कॉलरशिप स्टूडेंट ने वीसी के इस कथन को याद किया, आप जैसे छात्र अपने परिवार की आर्थिक स्थिति जानने के बावजूद ऐसे हाई-लेवल कोर्स में क्यों आते हैं? आपने इसके बजाय तीन साल का बीए क्यों नहीं किया?
लेकिन जब से विरोध शुरू हुआ है, वीसी कहीं दिखाई नहीं दे रहे हैं.
एक स्टूडेंट ने कहा, “रविवार को दोपहर में लंच के बाद, जब मैं और मेरी रूममेट लैपटॉप पर काम कर रहे थे, वीसी अचानक हमारे कमरे में आए और हमारे नाम और कोर्स पूछने लगे. हमें यह समझने में थोड़ा समय लगा कि क्या हो रहा है, क्योंकि हमने पहले कभी इस तरह की जांच नहीं देखी थी, खासकर प्रशासन के किसी पुरुष सदस्य द्वारा.”
थर्ड ईयर की स्टूडेंट ने याद किया जिनकी दोस्त के कमरे में वीसी ने जांच की, “उन्होंने मुझे पूछा कि तुम इतने छोटे कपड़े पहनकर क्यों बाहर जाती हो; क्या तुम्हारे माता-पिता ने तुम्हें यह सब खरीदने के लिए पैसे दिए हैं?”
एक अन्य स्टूडेंट जिनके कमरे की जांच हुई, ने कहा, “यहां तक कि अगर कोई इलेक्ट्रीशियन हमारे कमरे में आता है, तो हमें हमेशा पहले से सूचना और जानकारी दी जाती है, लेकिन यह दौरा बिना किसी पूर्व सूचना के हुआ, जिससे हम असहज हो गए.”
इस बीच मई में जब बीए एलएलबी (ऑनर्स) के फॉर्थ ईयर के स्कॉलरशिप स्टूडेंट ने कॉलेज की फीस समय पर नहीं चुकाई, तो कुलपति ने उन्हें फटकार लगाई. यह छात्र की स्कॉलरशिप में देरी के बावजूद था, क्योंकि परिणाम देर से जारी किए गए थे.
स्टूडेंट ने कुलपति के शब्दों को दोहराया, “अगर तुम्हारे पास दर्जा नहीं था, तो तुमने इतने प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में दाखिला क्यों लिया?” कुलपति ने उन्हें एक “बेकार” स्टूडेंट बताया, जो उनकी पहुंच से परे है. उन्होंने कहा, “तुम जैसे छात्र अपने परिवारों की वित्तीय स्थिति को जानते हुए भी ऐसे हाई-लेवल कोर्स में दाखिला क्यों लेते हो? तुमने इसके बजाय तीन साल का बीए क्यों नहीं किया?”
इस घटना ने उन्हें पैनिक अटैक दिया, जिसके कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा और उनकी एक महत्वपूर्ण परीक्षा छूट गई
rgnul में महिला पीएचडी स्टूडेंट ने बताया, उन्होंने (वीसी) ने सैद्धांतिक आपराधिक न्यायशास्त्र पर मेरे पीएचडी विषय को अस्वीकार कर दिया और उन्हें घरेलू हिंसा, तलाक और विवाह पर अधिनियमों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा. “तुम एक लड़की हो, घर पर शांति से अपना पीएचडी करो. इतना मुश्किल और नया विषय क्यों उठा रही हो.”
यूनिवर्सिटी के कई फैकल्टी मेंबर्स जिनसे दिप्रिंट ने बात की, उन्होंने सिंह के लाइब्रेरी और क्लास में अघोषित दौरे को स्वीकार किया. हालांकि, उन्होंने किसी भी अप्रिय घटना या वीसी के सामान्य “अस्वीकार्य व्यवहार” से इनकार किया.
आरजीएनयूएल में एक सहायक प्रोफेसर ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “जब क्लास चल रही होती है, तो वीसी को अक्सर घूमते और छात्रों से बात करते हुए देखा जाता है, लेकिन हमने उन्हें कभी ऐसी टिप्पणी करते नहीं सुना और कथित तौर पर जिन घटनाओं में वह शामिल थे, वो पिछले कुछ दिनों में ही उजागर हुई हैं.”
26 सितंबर को विरोध के पांचवें दिन, कुछ महिला छात्रों ने पोस्टरों के पीछे अपना चेहरा छिपाते हुए चिल्लाते हुए कहा कि जब वो अपने शोध प्रबंध के विषय को अंतिम रूप देने के लिए उनके पास पहुंचीं, तो कुलपति ने उनके कोर्स के चयन पर भी टिप्पणी की.
बीए एलएलबी की थर्ड ईयर की एक स्टूडेंट अपने लैपटॉप के साथ लाइब्रेरी में थीं, जब सिंह अचानक आए और उनकी स्क्रीन पर अच्छी तरह से नज़र डाली और पूछा, “मैं कागज़ और पैन के बजाय नोट्स लेने के लिए ‘गैजेट्स’ का इस्तेमाल क्यों कर रही हूं.”
पांच सितंबर को जब कुछ स्टूडेंट्स ने शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में सेमिनार हॉल में अपने प्रोफेसरों के साथ डांस परफॉर्मेंस की, तो कुलपति ने अचानक बाहर जाने का फैसला किया.
कार्यक्रम से पहले जब कुछ छात्र कुलपति से अनुमति लेने गए और उन्हें आमंत्रित किया, तो उन्होंने उन पर कटाक्ष करते हुए पलटवार किया.
चौथे ईयर के स्टूडेंट ने दावा किया, “उन्होंने कहा कि छात्र केवल छोटे कपड़ों में डांस करने और समय बर्बाद करने के लिए ही ऐसे कोर्स में प्रदर्शन करते हैं.”
यह भी पढ़ें: ‘गवाह बनने की कीमत’ — नीतीश कटारा मामले के चश्मदीद अजय कटारा की 37 मामलों, गोलियों और ज़हर से लड़ाई
बारिश, धूप और प्रशासन की अनदेखी
26 सितंबर को विरोध प्रदर्शन के छठे दिन स्टूडेंट्स छात्रों ने मीडिया से बात की, लेकिन छाते के पीछे छिपकर. वह मुश्किल स्थिति में हैं — कॉलेज अधिकारियों के गुस्से से बचते हुए सरकार के सामने अपनी चिंताएं व्यक्त करने की कोशिश कर रहे हैं.
काली छतरी के पीछे से एक स्टूडेंट ने कहा, “हमें डर है कि अगर मीडिया ने हमारी पहचान उजागर कर दी, तो कॉलेज प्रशासन भविष्य में हमारे लिए कई समस्याएं खड़ी कर देगा.”
एक अन्य स्टूडेंट ने कहा, “अगर विरोध प्रदर्शन खत्म भी हो जाता है, तो भी हमें इसी कॉलेज में पढ़ना है और प्रशासन हमारी पहचान के आधार पर हमें निशाना बना सकता है. आखिरकार, वो ही हमारी परीक्षाएं लेंगे और हमें ग्रेड देंगे.”
बारिश और चिलचिलाती धूप के बीच, छात्रों को कम से कम चार बार अपना विरोध स्थल बदलना पड़ा. यह वीसी के आवास के सामने शुरू हुआ, फिर एडमिशन हॉल और बाद में विश्वविद्यालय के गेट पर स्थानांतरित हो गया, जहां उन्होंने टेंट लगाए थे जिन्हें कॉलेज ने हटवा दिया. अब, विरोध प्रदर्शन प्रशासनिक ब्लॉक में स्थानांतरित हो गया है, जहां इमारत का एक बड़ा हिस्सा उन्हें मौसम की मार से बचा रहा है. कुछ स्टूडेंट्स ने यहां रात भी बिताई है, जब भी उन्हें मीडिया से बातचीत करनी होती है तो वो सामने के गेट पर चले जाते हैं.
आरजीएनयूएल के चौथे ईयर के एक स्टूडेंट ने आरोप लगाया, “कॉलेज प्रशासन ने कई शौचालयों और पीने के पानी को भी प्रतिबंधित कर दिया है.”
लेकिन शनिवार को यूनिवर्सिटी प्रशासन ने छात्रों को मेन गेट पर फिर से टेंट लगाने की अनुमति दे दी. यह फैसला छात्रों द्वारा प्रतिनिधि निकाय की निरंतर मांग के बीच लिया गया.
उक्त चौथे ईयर के स्टूडेंट ने कहा, “अगर आज हमारे पास एक स्टूडेंट कमिटी होती, तो हमारी आवाज़ अधिकारियों तक और अच्छे से पहुंच पाती.”
हालांकि, यूनिवर्सिटी ने स्टूडेंट्स को फिर से टेंट लगाने की अनुमति दे दी है, लेकिन उसने बहुत अधिक सहानुभूति नहीं दिखाई है. बजाय इसके, यह कथित तौर पर विरोध करने वाले छात्रों के माता-पिता को उनकी आवाज़ दबाने के लिए कह रहा है.
सेकंड ईयर के बीए एलएलबी के एक स्टूडेंट ने कहा, “मैं अपनी पहचान उजागर नहीं कर रहा हूं क्योंकि वीसी ने हमारे घरों में फोन करके हमारे पैरेंट्स को चेतावनी दी है कि अगर हमने विरोध प्रदर्शन बंद नहीं किया, तो हमें कॉलेज से निकाल दिया जाएगा.”
चौथे ईयर के स्टूडेंट ने कहा, “यह किसी घटना विशेष का विरोध नहीं है, बल्कि किसी व्यक्ति विशेष का विरोध है. कुलपति के इस्तीफा देने के बाद ही विरोध समाप्त होगा.”
रविवार को विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद, अगली सूचना तक क्लास बंद कर दी गई है. छात्रों और विश्वविद्यालय द्वारा गठित नौ-सदस्यीय समिति के बीच बैठक के बाद, फैसला लिया गया कि शुक्रवार को कक्षाएं फिर से शुरू होंगी, लेकिन जब फैकल्टी और प्रशासन ने काम फिर से शुरू किया, तब भी छात्रों ने इसका बहिष्कार किया.
उन्होंने बैठक से असंतुष्ट होने का दावा करते हुए आरोप लगाया कि फैकल्टी मेंबर्स ने उनकी परेशानियों को सुनने से इनकार कर दिया और इसके बजाय विरोध प्रदर्शन बंद करने के लिए उन पर चिल्लाए.
उन्होंने कहा कि जब तक कुलपति को बाहर नहीं निकाला जाता, वह पीछे नहीं हटेंगे. उन्होंने साथी छात्रों के साथ एक व्हाट्सएप पोल भी किया, जिसमें एक सप्ताह पुराने विरोध प्रदर्शन की दिशा का पता चला.
अपने फोन पर सर्वेक्षण के परिणाम दिखाते हुए एक छात्रा ने कहा, “हमने प्रदर्शनकारी छात्रों से पूछा कि क्या वो क्लास जाएंगे, तो 100 प्रतिशत उत्तर नहीं में थे.”
(इस ग्राउंड रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: ‘यह आत्महत्या नहीं हत्या’ — इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय में MBA के छात्र की मौत के बाद विरोध जारी