चंडीगढ़: कनाडा के सरे शहर में कॉमेडियन कपिल शर्मा के ‘कैप्स कैफे’ की आलीशान और शांत फिज़ा अचानक गोलियों की तड़तड़ाहट से दहल गई. यह एक बार नहीं, बल्कि जुलाई से अक्टूबर के बीच तीन बार हुआ. किसी की जान नहीं गई, लेकिन एक संदेश ज़रूर देने की कोशिश की गई. टूटे शीशों के पीछे जो साझा कड़ी दिखती है, वह है पंजाब के गैंग वॉर का लगातार फैलता और उलझता जाल.
जो शुरुआत में पंजाब में कॉलेजों की आपसी रंजिश और स्थानीय इलाकों की लड़ाई के रूप में शुरू हुआ था, वह पहले संगीत, मनोरंजन और कबड्डी जैसे खेलों में घुसा. अब यह एक ग्लोबल नेटवर्क में बदल चुका है, जिसे एक नई तिकड़ी चला रही है: अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क, ट्रक और आतंकवाद.
गैंग लीडर अमेरिका और कनाडा में सुरक्षित ठिकानों से धमकियां देते हैं, जबकि पुरानी दुश्मनियां फ्रेस्नो के ट्रक यार्ड, सरे के कैफे और लिस्बन के सबअर्ब तक भड़क रही हैं. उत्तरी अमेरिका में ट्रकिंग इंडस्ट्री इसकी लॉजिस्टिक रीढ़ बन गई है, जहां कैलिफोर्निया और टेक्सास में पंजाबी-बहुल नेटवर्क का इस्तेमाल कथित तौर पर ड्रग्स, फेंटानिल के कच्चे माल और हथियारों की तस्करी में किया जा रहा है और फिर अपराध और आतंक के बीच की रेखा धुंधली हो रही है. पुलिस का कहना है कि कुछ गैंगस्टर अब पाकिस्तान में बैठे ISI हैंडलरों से हिट लिस्ट और ग्रेनेड चलाने की ट्रेनिंग ले रहे हैं, जबकि कुछ बाबर खालसा जैसे संगठनों के लिए काम कर रहे हैं.
चंडीगढ़ में अपने दफ्तर में पंजाब एंटी-गैंगस्टर टास्क फोर्स (AGTF) के डीआईजी गुरमीत सिंह चौहान जिन्हें पंजाब का ‘गैंगबस्टर’ कहा जाता है, उन्होंने 2022 में सिद्धू मूसेवाला की सरेआम हत्या को टर्निंग पॉइंट बताया. इस हत्या ने विदेशी ठिकानों से संचालित बिखरे हुए नेटवर्क का खुलासा किया और पंजाब को आपराधिक हिंसा के एक नए, खतरनाक दौर में धकेल दिया.
चौहान ने कहा, “पंजाब में एक नया आयाम आया. गैंगस्टर भारत के बाहर बैठकर काम करने लगे और भारत की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए उन्हें ट्रैक करना एक बड़ी चुनौती बन गया.” वे पिछले करीब दो दशकों से जिन गैंगस्टरों पर नज़र रख रहे हैं, उनके नाम गिनाते हुए बीच-बीच में पंजाबी स्लैंग भी इस्तेमाल करते हैं.

बताया जाता है कि यह हत्या कनाडा में बैठे गोल्डी बराड़ ने, जो उस समय बिश्नोई का करीबी सहयोगी था, मूसेवाला की कथित तौर पर प्रतिद्वंद्वी बंबीहा गैंग से नज़दीकी का बदला लेने के लिए रची थी. इस हत्या ने साबित कर दिया कि पंजाब का अपराध अब राष्ट्रीय सीमाओं में बंधा नहीं रहा. साथ ही, इसने गैंगस्टर संस्कृति के ग्लैमर को और बढ़ावा दिया. 2014 से जेल में बंद होने के बावजूद बिश्नोई घर-घर में जाना-पहचाना नाम बन गया; उसकी तस्वीरें टी-शर्ट्स पर छपने लगीं और उसके स्टाइल से “लॉरेंस बिश्नोई जैकेट” का ट्रेंड शुरू हो गया.
गैंग संकट से निपटने के लिए राज्य ने 2022 में AGTF का गठन किया, लेकिन जैसा कि चौहान बताते हैं, समस्या अब सिर्फ अपराध तक सीमित नहीं रही.
उन्होंने कहा, “पंजाब में गैंगस्टर कल्चर बढ़ रहा है, लेकिन सबसे नई और सबसे बड़ी चुनौती है गैंग्स और आतंकवाद का मेल.”
यह पंजाब में एक नया ट्रेंड है, जहां आतंकी संगठन गैंग्स का इस्तेमाल कर रहे हैं. पाकिस्तान धर्म के आधार पर राज्य को बांटने में नाकाम रहा है और अब वे जमीन पर अपने ‘फुट सोल्जर्स’ चाहते हैं
— गुरमीत सिंह चौहान, डीआईजी, पंजाब AGTF
10 जुलाई को कैप्स कैफे पर हमले के बाद जर्मनी में बैठे गैंगस्टर हरजीत सिंह लड्डी, जो बब्बर खालसा इंटरनेशनल से जुड़ा है, उसने इसकी जिम्मेदारी ली और आरोप लगाया कि शर्मा ने निहंग सिखों का मज़ाक उड़ाया था, लेकिन 7 अगस्त को जब फिर से गोलियां चलीं, तो लॉरेंस बिश्नोई के सहयोगी गोल्डी ढिल्लों से जुड़ा एक पोस्ट सामने आया, जिसमें हमले की जिम्मेदारी लेते हुए मुंबई में “अगले ऑपरेशन” की चेतावनी दी गई. पिछले महीने दिल्ली पुलिस ने इन हमलों के समन्वय में भूमिका के लिए बंधु मान सिंह सेखों को गिरफ्तार किया. सेखों, जो भारत और कनाडा के बीच समय बिताता है, उसके ISI से जुड़े गैंगस्टर और हथियार तस्कर हैरी चाठा के साथ-साथ गोल्डी ढिल्लों से भी करीबी संबंध बताए जाते हैं. पुलिस के अनुसार, सेखों ने बताया कि अगर शर्मा ने फिरौती की मांग नहीं मानी होती, तो योजना उन्हें मारने की थी.

भारतीय और कनाडाई एजेंसियां अब बिश्नोई नेटवर्क से जुड़े दो कथित शूटरों की तलाश में हैं. यह गैंगस्टरवाद का एक नया, हाइब्रिड रूप है, जहां सीमाएं, निष्ठाएं और मकसद पहले से कहीं ज्यादा बदलते और धुंधले हैं.
इसी बीच, कथित आतंकी संबंधों के बावजूद, ये डॉन खुद को नैतिक रूप से ऊंचा बताते हैं. कभी सहयोगी रहे और अब दुश्मन बने लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़, दोनों खुद को “राष्ट्रवादी” बताते हैं.
वास्तव में, कनाडाई पुलिस ने आरोप लगाया है कि भारतीय एजेंटों ने बिश्नोई गैंग का इस्तेमाल खालिस्तान समर्थक चेहरों को निशाना बनाने में किया, जिसमें हरदीप सिंह निज्जर की हत्या भी शामिल है, जिसे भारत ने सख्ती से खारिज किया है. इसी तरह, अज़रबैजान और पुर्तगाल से ऑपरेट कर रहा रोहित गोदारा ने दावा किया कि उसने कैलिफोर्निया के एक घर को फिरौती के लिए नहीं, बल्कि इसलिए निशाना बनाया क्योंकि पीड़ित ISI को फंडिंग कर रहा था.
गैंग–आतंक का मेल
25 नवंबर की शाम, जब मुख्यमंत्री भगवंत मान के अगले दिन गुरदासपुर दौरे पर जाने का कार्यक्रम था, शहर के पुलिस थाने के बाहर अफरा-तफरी मच गई. चश्मदीदों ने बताया कि एक जलती हुई चीज़ ज़मीन पर गिरी और जोरदार धमाका हुआ. धातु के छर्रों से कम से कम चार लोग घायल हो गए. पुलिस ने शुरुआत में इस ग्रेनेड हमले के लिए “अराजक तत्वों” को जिम्मेदार ठहराया, लेकिन जांच एक ऐसे जाल में जा पहुंची, जिसमें ISI, पाकिस्तानी गैंगस्टर शहजाद भट्टी और यहां तक कि हर जगह मौजूद लॉरेंस बिश्नोई का नाम भी सामने आया.
धमाके के कुछ ही दिनों के भीतर पुलिस ने चार संदिग्धों को गिरफ्तार किया और एक पी-86 हैंड ग्रेनेड व दो पिस्तौल बरामद कीं, जबकि 3 दिसंबर को पांचवीं गिरफ्तारी हुई.
इसके पीछे आतंक की एक ऐसी साजिश थी, जिसमें गैंगस्टर बनने के ग्लैमर भरे सपनों का इस्तेमाल किया गया. कथित मास्टरमाइंड, दुबई में बैठा गैंगस्टर शहजाद भट्टी, अमेरिका में मौजूद हैंडलर अमनदीप सिंह (उर्फ अमन पन्नू) के साथ मिलकर सोशल मीडिया के जरिए युवाओं की भर्ती करता था. अब बंद हो चुके अकाउंट्स से भट्टी ने कथित तौर पर महंगी गाड़ियों, बंदूकों की तस्वीरें और मासूम शर्मा के गाने ‘ट्यूशन बदमाशी का’ जैसे गीतों पर बने रील्स पोस्ट किए. जैसा कि दिप्रिंट पहले रिपोर्ट कर चुका है, भर्ती किए गए लोगों, जिनमें ज्यादातर बिना किसी आपराधिक रिकॉर्ड के युवा थे, को ग्रेनेड हमले करने के लिए महज 20,000 से 30,000 रुपये तक का लालच दिया जाता है.

नवंबर के पहले तीन हफ्तों में ही पंजाब पुलिस ने गैंग–आतंक के सात मॉड्यूल तोड़े, जहां कुछ भर्तियों को पाकिस्तान और कनाडा में बैठे उनके हैंडलरों ने कथित तौर पर ‘टारगेट किलिंग’ सौंपी, वहीं कुछ को ISI ने यूट्यूब वीडियो के जरिए दूर से ही हैंड ग्रेनेड चलाने और उन्हें फोड़ने की ‘ट्रेनिंग’ दी. पुलिस ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद ऐसे मामलों में तेज़ी देखी गई है.
पंजाब पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “2015 से ISI राज्य में अराजकता फैलाने की कोशिश कर रही है. उन्होंने राज्य में RSS नेताओं और सिख नेताओं की टारगेट किलिंग शुरू की थी. विदेशी हैंडलर टारगेट किलिंग के लिए गैंगस्टरों का इस्तेमाल करते हैं.”
करीब एक दशक पहले, लंबे समय तक अपेक्षाकृत शांति के बाद पंजाब में टारगेट किलिंग शुरू हुई. 2016 में लुधियाना में आरएसएस कार्यकर्ता नरेश कुमार और शिवसेना नेता अमित अरोड़ा को कम समय के अंतराल में गोली मार दी गई थी. पुलिस ने ऐसे हमलों को पाकिस्तान समर्थित संगठनों, जैसे खालिस्तान लिबरेशन फोर्स, से जोड़ा, जो कथित तौर पर अलगाववाद को फिर से ज़िंदा करने और अशांति फैलाने के लिए सांप्रदायिक हिंसा का सहारा ले रहे थे.
चौहान ने कहा, “यह पंजाब में एक नया ट्रेंड है, जहां आतंकी संगठन गैंग्स का इस्तेमाल कर रहे हैं. पाकिस्तान धर्म के आधार पर राज्य को बांटने में नाकाम रहा है और अब वे जमीन पर अपने ‘फुट सोल्जर्स’ चाहते हैं.” वे पिछले दो दशकों से राज्य में गैंग्स पर नज़र रख रहे हैं.
मौजूदा हालात बेरोजगारी, ड्रग कार्टेल और हिंसक संगीत के ग्लैमर के जमाव का नतीजा हैं. पंजाब का युवा गलत कामों के जरिए आसान पैसे के जाल में फंस रहा है. जब तक ड्रग्स से आने वाला पैसा पंजाब में बहता रहेगा, तब तक हिंसा खत्म नहीं होगी
— विनोद कुमार, समाजशास्त्र के प्रोफेसर, पंजाब विश्वविद्यालय
भर्ती की प्रक्रिया में गैंगस्टर बनने की महत्वाकांक्षाएं और विदेश जाने का बड़ा पंजाबी सपना भी साथ जुड़ जाता है. हैंडलर बड़ी संख्या में शरण मांगने वालों को भर्ती करते हैं और अक्सर उन्हें विदेशों में ट्रकिंग कारोबार में ड्राइवर के रूप में लगा देते हैं. कई ट्रकर्स पकड़े जा चुके हैं, जैसे गगनदीप सिंह, जिसे पिछले साल अमेरिका में कनाडा से 8.7 मिलियन डॉलर की कोकीन ले जाने की कोशिश करते हुए गिरफ्तार किया गया था.
इन नेटवर्क्स को मुनाफा और ताकत चलाते हैं, लेकिन जब ज़रूरत होती है, तो विचारधारा का भी इस्तेमाल किया जाता है.
बताया जाता है कि पहलगाम हमले के बाद भट्टी और बिश्नोई के बीच अनबन होने तक वे सहयोगी थे. जब बिश्नोई गैंग के सदस्यों ने पाकिस्तान में घुसकर बदला लेने की कसम खाई, तो भट्टी ने तंज कसते हुए कहा कि वे तो एक चिड़िया भी नहीं मार सकते.
अलगाववाद के साथ भी कुछ ऐसा ही लचीला और बदलता समीकरण है.
इंस्टीट्यूट फॉर कॉन्फ्लिक्ट मैनेजमेंट के संस्थापक सदस्य और कार्यकारी निदेशक अजय साहनी ने पहले दिप्रिंट से कहा था, “ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां पश्चिम में सिख अलगाववादियों द्वारा दिए गए पैसों पर हिंदू गैंगस्टर हत्याओं में शामिल रहे हैं और वही गैंग अपने भीतर अलगाववाद समर्थक और अलगाववाद विरोधी—दोनों तरह के लोग रख सकता है. गैंगस्टरों के लिए यह सिर्फ समुदाय के बीच कुछ वैधता और प्रभाव हासिल करने का जरिया है.”

गोल्डी बराड़, अर्शदीप सिंह उर्फ अर्श डाला और सुखदूल सिंह जैसे गैंगस्टर पंजाब में रहते हुए स्थानीय गैंग दुश्मनियों तक सीमित थे, लेकिन विदेश पहुंचने के बाद संगठित अपराध नेटवर्क का हिस्सा बन गए.
बराड़ के मामले में, जब वह 2019 में स्टूडेंट वीजा पर कनाडा गया, तब उसके खिलाफ दर्ज चारों मामलों में वह बरी हो चुका था, लेकिन वहां पहुंचते ही उसने भारत में जबरन वसूली और कॉन्ट्रैक्ट किलिंग के नेटवर्क खड़े करने शुरू कर दिए.
इधर, पंजाब पुलिस इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस और लुक आउट सर्कुलर का इस्तेमाल कर कार्रवाई तेज कर रही है. पिछले हफ्ते, बीकेआई से जुड़े दो गैंगस्टर-आतंकियों—साजन मसीह और सुखदेव कुमार—को मलेशिया से लौटते समय मुंबई एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया गया. पंजाब के डीजीपी गौरव यादव ने कहा कि वे पाकिस्तान में बैठे, आईएसआई-समर्थित हरविंदर सिंह (उर्फ रिंडा) और अमेरिका में मौजूद बीकेआई ऑपरेटिव हैप्पी पासिया से जुड़े थे.
यादव ने एक्स पर पोस्ट किया, “वे दुबई और आर्मेनिया सहित विदेशों से ऑपरेट कर रहे थे और पंजाब में आपराधिक व आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की कोशिश कर रहे थे.”
Major crackdown on terrorism and organised crime, two gangster-turned-terrorists arrested.
They were operating from overseas locations, including #Dubai and #Armenia, while attempting to orchestrate criminal and terror activities in #Punjab. pic.twitter.com/Rm2FUwHkWp
— DGP Punjab Police (@DGPPunjabPolice) December 15, 2025
पंजाब में असर
धमकियां अक्सर विदेशी फोन कोड वाले कॉल से शुरू होती हैं, लेकिन पंजाब में गहराई तक फैले गैंग नेटवर्क के चलते हिंसा के सीधे दरवाजे तक पहुंच जाने का खतरा हमेशा बना रहता है.
सितंबर में, होंडा एक्टिवा पर सवार कम से कम दो लोगों ने डेरा बस्सी के अमन होटल पर गोलियां चलाईं और फरार हो गए. आठ दिन बाद, मोहाली पुलिस ने दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया और दो पिस्तौल बरामद कीं. पुलिस ने बताया कि ये लोग गोल्डी बराड़ गैंग से जुड़े थे और होटल के मालिक करण कुमार से 50 लाख रुपये की फिरौती मांगी जा रही थी.
स्टाफ के एक सदस्य ने याद करते हुए बताया, “फायरिंग की आवाज़ सुनकर हम सब डर गए थे. होटल मालिक को एक विदेशी नंबर से धमकी भरा कॉल आया था.” उन्होंने यह भी कहा कि मालिक ज्यादातर दुबई में रहते हैं.

लुधियाना के एक कारोबारी ने, जो अपनी परेशानियों पर बात करने में साफ तौर पर घबराए हुए थे, कहा कि हर मोड़ पर किसी के इंतज़ार में होने का डर उनकी रोजमर्रा की ज़िंदगी को उलट-पुलट कर चुका है.
उन्होंने कहा, “राज्य में कारोबारी और व्यापारी खतरे में हैं. हम अब लो-प्रोफाइल में जी रहे हैं. दो महीने पहले जब मुझे एक गैंगस्टर ने 5 करोड़ रुपये की फिरौती के लिए कॉल किया, तो मैंने पुलिस में शिकायत की.” उन्होंने यह भी बताया कि कॉल कनाडा से ट्रेस हुई थी.
हालांकि, इन कॉल्स को ट्रेस करना हमेशा आसान नहीं होता.
चौहान ने कहा, “कई मामलों में कॉल करने वालों को ट्रेस करना मुश्किल होता है, क्योंकि वे VPN (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) का इस्तेमाल करते हैं.”
राज्य में कारोबारी और व्यापारी खतरे में हैं. हम अब लो-प्रोफाइल में जी रहे हैं. दो महीने पहले जब मुझे एक गैंगस्टर ने 5 करोड़ रुपये की फिरौती के लिए कॉल आया, तो मैंने पुलिस में शिकायत की
— लुधियाना के कारोबारी
एंटी-गैंगस्टर टास्क फोर्स के आंकड़ों के मुताबिक, 2023 से 2025 के बीच पंजाब में गैंगस्टर धमकियों से जुड़े 569 एफआईआर दर्ज की गईं, जिनमें फिरौती और डराने-धमकाने के मामले शामिल हैं. इससे पहले के वर्षों के गैंगस्टर-संबंधित मामलों का समेकित डेटा उपलब्ध नहीं है.
अक्सर पुलिस के हाथ बंधे रहते हैं. चौहान ने कहा कि कई गैंगस्टर अब फर्ज़ी पासपोर्ट पर भारत छोड़ देते हैं और ऐसे देशों से काम करते हैं, जहां से प्रत्यर्पण की प्रक्रिया बेहद धीमी और जटिल होती है.
उन्होंने कहा, “सर्बिया, केन्या, इथियोपिया, यूरोप, अमेरिका और कनाडा उनके सुरक्षित ठिकाने हैं. वे अवैध रास्तों से वहां पहुंचते हैं और जानते हैं कि एक बार भारत से बाहर निकल जाने के बाद उन्हें वापस लाना बेहद पेचीदा प्रक्रिया बन जाता है.”
पंजाब डीजीपी के एक्स हैंडल पर सीमा-पार हथियार तस्करी मॉड्यूल तोड़े जाने से जुड़ी पोस्ट्स भरी पड़ी हैं. मसलन, 26 नवंबर को हेडलाइन थी—“बड़ी आतंकी साजिश नाकाम”.
पोस्ट में लिखा था, “पंजाब पुलिस गैंगस्टर नेटवर्क को ध्वस्त करने और पूरे पंजाब में शांति व सुरक्षा सुनिश्चित करने के अपने मिशन पर अडिग है.”
Major Terror Plot Foiled
In a major breakthrough, Anti-Gangster Task Force (#AGTF) and SAS Nagar Police apprehends four operatives of foreign-based gangster Goldy Dhillon of the Lawrence Bishnoi gang after an exchange of fire near Steal Strips Towers on the Dera Bassi–Ambala… pic.twitter.com/OslZN1UW1A
— DGP Punjab Police (@DGPPunjabPolice) November 26, 2025
इसके बावजूद, फिरौती की धमकियां और फायरिंग की घटनाएं राज्य में कानून-व्यवस्था की बड़ी समस्या बनी हुई हैं और डर का माहौल कायम है. पिछले हफ्ते, लुधियाना से कांग्रेस के लोकसभा सांसद अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से हस्तक्षेप की मांग की. उन्होंने कारोबारियों के साथ-साथ अधिकारियों और पुलिस को मिल रही फिरौती की धमकियों का हवाला दिया.
उन्होंने संसद में कहा, “लोगों, खासकर कारोबारियों को, विदेशों से और जेलों से कॉल आ रहे हैं और उनसे फिरौती मांगी जा रही है. राज्य सरकार लोगों को सुरक्षा देने में नाकाम रही है.”
उलझी हुई दुश्मनियां
लुधियाना का बाथ कैसल बैंक्वेट हॉल एक किले की तरह बना है—लाल बलुआ पत्थर और ऊंची दीवारों के साथ, लेकिन ये किलेबंदी भी तब कोई काम नहीं आई, जब 1 दिसंबर की दरमियानी रात एक शादी समारोह में कम से कम 20 गोलियां चलीं. इस हिंसा में दो लोगों की मौत हो गई. हिंसा की वजह एक गलत तरीके से तैयार की गई गेस्ट लिस्ट थी, जिसमें अंकुर और शुभम मोटा के नेतृत्व वाले दो प्रतिद्वंद्वी गैंग्स को बुला लिया गया था.
लुधियाना पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “ये स्थानीय गैंग हैं और लंबे समय से इनके बीच दुश्मनी चली आ रही है. दूल्हे ने अपनी शादी में दोनों गैंग्स को बुलाकर गलती कर दी.”

पंजाब के आपराधिक गैंग्स में गहरी दुश्मनियां हैं और निष्ठाएं लगातार बदलती रहती हैं.
पंजाब पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “पंजाब के गैंग्स अपनी अव्यवस्थित और हिंसक प्रकृति के लिए जाने जाते हैं. इलाके की लड़ाइयां और अंदरूनी सत्ता संघर्ष आम हैं. आपसी झगड़े और विश्वासघात भी खूब होते हैं, जिससे गैंग्स के लिए स्थिरता बनाए रखना मुश्किल हो जाता है.”
शायद लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ के बीच हुआ विभाजन जितना खूनी और व्यापक रहा है, वैसा कोई और नहीं. कभी दोनों एक-दूसरे को प्यार से ‘भाई’ कहकर बुलाते थे. अब वे एक-दूसरे की जान के पीछे हैं. पंजाब यूनिवर्सिटी के ये पूर्व सहपाठी पिछले साल अलग हो गए, जब कथित तौर पर बराड़ ने बिश्नोई के भाई को, जो अमेरिका में अवैध रूप से घुसने के आरोप में गिरफ्तार हुआ था, ज़मानत दिलाने में पर्याप्त मदद नहीं की.
पंजाब के गैंग्स अपनी अव्यवस्थित और हिंसक प्रकृति के लिए जाने जाते हैं. इलाके की लड़ाइयां और अंदरूनी सत्ता संघर्ष आम हैं. आपसी झगड़े और विश्वासघात भी खूब होते हैं, जिससे गैंग्स के लिए स्थिरता बनाए रखना मुश्किल हो जाता है.
— पंजाब पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी
इस टकराव का एक शिकार इंदरप्रीत सिंह उर्फ पैरी भी बना. 2015 में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान रोपड़ जेल से लॉरेंस बिश्नोई को भगाने में पैरी ने मदद की थी, यह जेलब्रेक पंजाब को हिला देने वाला था. दस साल बाद, पैरी की चंडीगढ़ में बिश्नोई गैंग के सदस्यों ने तब हत्या कर दी, जब वह अपनी SUV में क्लब से निकलने वाला था. वजह: उसने गोल्डी बराड़ के प्रति अपनी निष्ठा बदल ली थी.
इंदरप्रीत पैरी की चंडीगढ़ के सेक्टर 26 में हत्या की गई. हम (आरजू बिश्नोई, हरी बॉक्सर, शुभम लोंकर और हरमन संधू) इसकी जिम्मेदारी लेते हैं. पैरी हमारे गद्दारों गोल्डी या रोहित, को कॉल कर क्लबों से पैसे वसूलता था. इसी वजह से हमने उसे मारा
— फेसबुक पोस्ट, हैंडल: Hari Boxer Aarzoo Bishnoi

बदले का यह सिलसिला विदेशों में भी जारी है. अक्टूबर में, कैलिफोर्निया के फ्रेस्नो में एक ट्रक रिपेयर यार्ड के पास बॉक्सर को निशाना बनाकर फायरिंग की गई; उसके एक साथी की मौत हो गई. बराड़ के सहयोगी रोहित गोदारा ने इसकी जिम्मेदारी ली.
गैंग की लड़ाइयां पुर्तगाल तक पहुंच चुकी हैं, जहां अमेरिका में रहने वाले ट्रांसपोर्टर रणदीप मलिक, जिसे लॉरेंस बिश्नोई गैंग से जुड़ा बताया जाता है, उसने लिस्बन के ओडिवेलस इलाके में रोमी और प्रिंस गैंग के सदस्यों पर फायरिंग करवाई. कथित तौर पर उसके नाम से किए गए एक फेसबुक पोस्ट में उसने दावा किया कि वह उनकी “अवैध गतिविधियों” को रोकना चाहता था. पोस्ट की शुरुआत ‘जय श्री राम’ और ‘सत श्री अकाल’ से हुई और गैंगस्टरों की एक सूची के लिए “RIP” लिखकर खत्म हुई.
एक पुराना आकर्षण
1980 के दशक में अपने शुरुआती दिनों में भी पंजाब की गैंगस्टर दुनिया के साथ एक अजीब-सा सेलिब्रिटी स्टेटस जुड़ा हुआ था. जब पंजाब यूनिवर्सिटी के छात्र नेता माखन सिंह की डिम्पी चंदभान ने हत्या कर दी, तो बाद में गानों की पंक्तियों में डिम्पी चंदभान का महिमामंडन किया गया—जैसे, ‘नी तेड़ी पग्ग बन्ने डिम्पी चंदभान वरगी’.
चौहान ने कहा कि अपराधी के प्रति यह आकर्षण अचानक पैदा नहीं हुआ. औपनिवेशिक दौर में मलंगी, निज़ाम लोहार और जग्गा जट्ट जैसे डकैत पंजाब में एक अहम मौजूदगी थे और उन्हें ज़मींदारों की ज्यादतियों के खिलाफ रॉबिन हुड की तरह रोमांटिक किया जाता था.
चौहान ने कहा, “पंजाबी हमेशा से उनसे प्रभावित रहे हैं और उन्हें रोल मॉडल की तरह देखते हैं. आज़ादी के बाद उन डकैतों का सफाया हो गया और शांति का दौर आया… और फिर नक्सल आंदोलन और आतंकवाद शुरू हुआ.”
पंजाबी गैंगस्टर अपहरण से जुड़े रहते थे और उत्तर प्रदेश व बिहार की माफिया के लिए काम करते थे. वे यूपी-बिहार के माफिया मॉडल से प्रेरित थे और उसे यहां लाने की कोशिश की. उनके मुंह में खून लग चुका था
— गुरमीत सिंह चौहान, डीआईजी, पंजाब AGTF
जबकि शुरुआत में गैंगस्टर खुले तौर पर अपराध को आसान बनाने वाले बनकर उभरे और कॉलेज चुनावों में दखल देने लगे, 2000 के दशक की शुरुआत तक उन्होंने मुख्तार अंसारी और आनंद सिंह जैसे कुख्यात डॉनों से रिश्ते बना लिए.
चौहान ने कहा, “पंजाबी गैंगस्टर अपहरण से जुड़े थे और उत्तर प्रदेश व बिहार की माफिया के लिए काम करते थे. वे यूपी-बिहार के माफिया मॉडल से प्रेरित थे और उसे यहां लाने की कोशिश कर रहे थे.उनके मुंह में खून लग चुका था”.
इसी दौरान, पंजाब में कई लोग गैंगस्टरों के इर्द-गिर्द बने खतरे और पैसों के आभामंडल से भी आकर्षित होने लगे—खासतौर पर रील्स और म्यूजिक वीडियो में इस लाइफस्टाइल के ग्लैमर के चलते.
लुधियाना के 22 वर्षीय शुभम गिल ने कहा, “बचपन से ही मैं ऐसे गाने सुनता आया हूं जो ताकत, बंदूक और पैसों की शान दिखाते हैं. हमारे जैसे युवा इससे आकर्षित होते हैं और आलीशान जिंदगी जीने की कोशिश करते हैं.”

पंजाब यूनिवर्सिटी के समाजशास्त्र के प्रोफेसर विनोद कुमार ने कहा कि जल्दी पैसा, ताकत और इज्जत का लालच आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि के युवाओं को आकर्षित करता है.
कुमार ने कहा, “1990 के शुरुआती दौर में पंजाबी गानों में युवक ‘दुनाली’ और गोली के साथ दिखते थे. पिछले कुछ सालों में यह बंदूकों, बड़ी जीपों और कारों में बदल गया है.” उन्होंने आगे कहा कि समाज अक्सर उस संगीत की नकल करता है, जो हिंसा को ग्लैमराइज़ करता है.
हालांकि, पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री खुद उसी गैंगस्टर संस्कृति से घिरती जा रही है, जिसे वह इतनी असरदार तरीके से पैक करके पेश करती है.
पुलिस सूत्रों ने बताया कि म्यूजिक इंडस्ट्री गैंगस्टरों की निगरानी में है और इसमें काले धन की भी भूमिका है. 2021 में मोहाली पुलिस ने दो म्यूजिक कंपनियों ठग लाइफ और गोल्ड मीडिया पर कार्रवाई की थी, जिनके बारे में कहा गया कि वे विदेश में बैठे गैंगस्टरों द्वारा चलाई जा रही थीं. मनकीरत औलख, गिप्पी ग्रेवाल और राय जुजहर जैसे कलाकारों ने फिरौती की धमकियां मिलने की शिकायत की है. हाल ही में, भोजपुरी अभिनेता और गायक पवन सिंह को बिश्नोई गैंग ने धमकी दी और बिग बॉस 19 के फिनाले से पहले सलमान खान के साथ मंच साझा न करने की चेतावनी दी. बिश्नोई की दुश्मनी की वजह सलमान खान पर काले हिरण के शिकार का आरोप है, जिसे बिश्नोई समुदाय पवित्र मानता है.

लुधियाना के एक गायक ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “पंजाबी म्यूजिक तेज़ी से बढ़ने वाली इंडस्ट्री है और इसकी कीमत 700 करोड़ रुपये से ज्यादा है, लेकिन यह फिरौती के पैसे और धमकी भरे कॉल्स के एक दुष्चक्र में फंसी हुई है. कलाकार समुदाय डर के साये में जी रहा है.”
समाजशास्त्रियों का कहना है कि राज्य में गैंग और हिंसा के बढ़ने के पीछे कई वजहें हैं.
विनोद कुमार ने कहा, “मौजूदा हालात बेरोजगारी, ड्रग कार्टेल और हिंसक संगीत के ग्लैमर के जमाव का नतीजा हैं. पंजाब का युवा गलत कामों के जरिए आसान पैसे के जाल में फंसा हुआ है. जब तक ड्रग्स से आने वाला पैसा पंजाब में बहता रहेगा, तब तक हिंसा खत्म नहीं होगी.”
‘वे सारी हदें पार कर रहे थे’
चंडीगढ़ में एंटी-गैंगस्टर टास्क फोर्स के दफ्तर के भीतर एक दीवार पर 36 गैंगस्टरों की तस्वीरें लगी हैं. कुछ पर लाल क्रॉस लगे हैं, कुछ पर हथकड़ी का निशान है और कुछ उन लोगों को दर्शाते हैं जो भारत छोड़कर फरार हो चुके हैं, जिसमें गोल्डी बराड़ भी शामिल है. ‘न्यूट्रलाइज़’ किए गए लक्ष्यों की सूची में सबसे ऊपर नाम है हरजिंदर सिंह उर्फ विक्की गोंडर का, जो कभी राज्य का मोस्ट वांटेड अपराधी था.
पंजाब सरकार ने संगठित अपराध के खिलाफ कार्रवाई एक दशक पहले शुरू की थी, जब 2016 में स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) बनाई गई. तब अधिकारियों को एहसास हुआ कि गैंग की समस्या फैलकर गंभीर रूप ले चुकी है.
गुरमीत सिंह चौहान, जो सालों से इन अभियानों के केंद्र में रहे हैं, उन्होंने कहा, “यह पहली बार था जब पुलिस विभाग और सरकार ने समझा कि गैंग सिर्फ एक जिले तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उनके नेटवर्क पूरे राज्य में फैले हुए हैं. गैंग अपनी हदें पार करने लगे थे. इसलिए मुख्यालय स्तर पर STF बनाई गई; हमने राज्य में काम कर रहे सभी गैंग्स और गैंगस्टरों का रिकॉर्ड इकट्ठा किया.”

2017 में इस यूनिट का नाम बदलकर ऑर्गनाइज़्ड क्राइम कंट्रोल यूनिट (OCCU) कर दिया गया और चौहान ने अतिरिक्त पुलिस महानिरीक्षक (AIG) के रूप में इसकी कमान संभाली. उन्होंने बताया कि यूनिट ने अपराधियों को A, B और C श्रेणियों में बांटा और फिर कार्रवाई शुरू की.
चौहान ने कहा, “श्रेणीकरण के बाद हमने राज्य में ऑपरेशन चलाए. कई गिरफ्तार हुए और कई एनकाउंटर में मारे गए.”
सबसे बड़ी सफलताओं में से एक 2018 में मिली, जब चौहान के नेतृत्व में OCCU टीम ने राजस्थान सीमा के पास विक्की गोंडर को ढेर कर दिया. गोंडर 2016 के चर्चित नाभा जेल ब्रेक के बाद से फरार था. इस ऑपरेशन के लिए चौहान और उनकी टीम को 2020 में पुलिस मेडल फॉर गैलेंट्री (PMG) से सम्मानित किया गया.
राज्य सरकार और पंजाब पुलिस गैंगस्टर संस्कृति को खत्म करने और राज्य के लोगों के लिए डर-मुक्त माहौल सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं
— गौरव यादव, डीजीपी, पंजाब
लेकिन गैंग अपराध ‘व्हैक-ए-मोल’ जैसा खेल साबित हुआ और चौहान ने माना कि गिरफ्तार किए गए कई गैंगस्टर जेल से ही अपने नेटवर्क चलाते रहे. अप्रैल 2022 में, सिद्धू मूसेवाला की मानस में हत्या से करीब एक महीने पहले, मुख्यमंत्री भगवंत मान ने गैंगस्टरों पर लगाम कसने के लिए AGTF का गठन किया. टास्क फोर्स को मोहाली, अमृतसर और फाजिल्का में स्टेट स्पेशल ऑपरेशन सेल्स (SSOCs) के इस्तेमाल की अनुमति दी गई और पटियाला, बठिंडा, लुधियाना और फिरोजपुर सहित आठ रेंज में यूनिट्स बनाई गईं.
चौहान ने कहा, “हम मूल रूप से जिलों की मदद कर रहे हैं. हमारी फील्ड यूनिट्स संदिग्धों के बारे में खुफिया जानकारी जुटाती हैं और फिर हम उन्हें ट्रैक करते हैं.”

स्थापना के महज तीन महीने बाद ही AGTF ने स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर अमृतसर में भारत–पाक सीमा के पास पांच घंटे तक चले मुठभेड़ में गैंगस्टर जग्गरूप सिंह रूपा और मनप्रीत सिंह उर्फ मन्नू कुसा को मार गिराया. दोनों पर मूसेवाला की हत्या में शामिल होने का आरोप था.
अप्रैल 2022 से अब तक राज्य पुलिस ने 324 एनकाउंटर दर्ज किए हैं, जिनमें 24 खूंखार गैंगस्टर न्यूट्रलाइज़ किए गए. पुलिस ने 900 से ज्यादा मॉड्यूल ब्रेक किए, करीब 2,500 अपराधियों को गिरफ्तार किया और 2,090 हथियार व 516 वाहन बरामद किए. अकेले 2025 में ही AGTF ने 11 गैंगस्टरों को ढेर किया और 896 अपराधियों को गिरफ्तार किया.
पंजाब डीजीपी गौरव यादव ने कहा, “राज्य सरकार और पंजाब पुलिस गैंगस्टर संस्कृति को खत्म करने और राज्य के लोगों के लिए डर-मुक्त माहौल सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं.”
हालांकि, ज़मीन पर शिकंजा कसने के साथ-साथ आसमान से एक नया खतरा सामने आया है, ड्रोन के जरिए सीमा-पार हथियार और ड्रग्स की तस्करी. इस साल की शुरुआत में राज्य ने ‘बाज़ अख’ (हॉक आई) नाम का एंटी-ड्रोन सिस्टम लॉन्च किया और सीमा इलाकों में काउंटर-इंटेलिजेंस प्रयास तेज़ किए. 7 दिसंबर को पुलिस ने तरन तारन में एक मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया और पांच पिस्तौल व एक रॉयल एनफील्ड बरामद की. डीजीपी यादव के मुताबिक, आरोपी पाकिस्तान में बैठे हैंडलर के साथ काम कर रहा था और पंजाब के गैंगस्टरों को हथियार सप्लाई कर रहा था.
चौहान ने कहा, “ये सभी एडवांस हथियार हैं और हाल के वर्षों में पाकिस्तान से ड्रोन की आवाजाही बढ़ी है. यह पंजाब में एक नया ट्रेंड है और हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती है.”
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