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Wednesday, 5 November, 2025
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गर्भवती और ‘जिद्दी’—दिल्ली पुलिस की कॉन्स्टेबल ने भारतीय सोच से लड़कर जीता पावरलिफ्टिंग में मेडल

सोनिका यादव ने कहा, ‘परिवार बोला मैं धारा के खिलाफ जा रही हूं. उन्होंने कहा खेल का मैदान बच्चों के लिए है, मेरे जैसी बड़ी महिलाओं के लिए नहीं.’

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नई दिल्ली: स्टेज पर कदम रखने से दो मिनट पहले 31 साल की सोनिका यादव ने खुद से कहा, “जो भी हो, सिर्फ अपने बच्चे के बारे में सोच. कुछ गलत नहीं होना चाहिए.” दिल्ली पुलिस की यह कॉन्स्टेबल, जो पहले कबड्डी खिलाड़ी थीं, अब पावरलिफ्टर हैं. वह आंध्र प्रदेश में ऑल इंडिया पुलिस वेटलिफ्टिंग क्लस्टर 2025-26 में हिस्सा लेने गई थीं. सभी ने उन्हें मना किया था, लेकिन वह नहीं मानीं. 17 अक्टूबर को, जब वह 145 किलो डेडलिफ्ट करने जा रही थीं, वह 7 महीने की गर्भवती थीं.

विदेशी खिलाड़ियों की तस्वीरों ने उन्हें हिम्मत दी. उन्होंने जुलाई 2024 में टीवी पर मिस्र की फेंसर नदा हाफेज़ को देखा—जो 7 महीने की गर्भवती होकर पेरिस ओलंपिक में उतरी थीं. सोनिका के मन में ख्याल आया—“वो कर सकती हैं, तो मैं क्यों नहीं?”

अब सोनिका दिल्ली लौट आई हैं, अपने कांस्य (ब्रॉन्ज) मेडल के साथ. उन्होंने 125 किलो स्क्वाट, 80 किलो बेंच प्रेस किया और फिर 135 की जगह 145 किलो डेडलिफ्ट चुनकर अपना मेडल पक्का किया.

गुरुवार को, उत्तर जिला डीसीपी के कार्यालय में मीडिया के सामने खड़ी सोनिका ने मुस्कुराते हुए कहा, “मुझे ये करना था, ताकि महिलाएं समझें कि उन्हें अपने शरीर का ध्यान रखना चाहिए और वे सब कुछ कर सकती हैं.”

ट्रेनिंग में उन्हें डर नहीं लगा, लेकिन जब उन्होंने दिल्ली पुलिस की काली टी-शर्ट और नीले शॉर्ट्स पहने, तो दबाव महसूस हुआ. फिर भी, उन्होंने सांस भरी, पेट को थोड़ा अंदर खींचा और 145 किलो वजन उठा लिया.

उन्होंने कहा, “मैं नहीं चाहती थी कि लोग गर्भावस्था को कमज़ोरी समझें.”

सोशल मीडिया पर उनके वीडियो वायरल हो गए हैं. कुछ लोग उनकी तारीफ कर रहे हैं, तो कुछ जोखिम को लेकर सवाल. पुरुषों का कहना है, “महिलाओं को ये नहीं करना चाहिए.” लेकिन महिलाएं लिख रही हैं—“आपने असली ताकत दिखा दी.”

सिर्फ सोनिका या नदा हाफेज़ ही नहीं—दुनिया भर में कई महिलाएं गर्भावस्था के बावजूद खेल में नई सीमाएं बना रही हैं.

अज़रबैजान की तीरंदाज यायला गुल रामज़ानोवा ने भी 7 महीने में ओलंपिक खेला, जर्मन खिलाड़ी डायना सार्टर ने 9 हफ्ते की गर्भावस्था में विंटर गेम्स में हिस्सा लिया, अमेरिकी धाविका एलिसिया मोंटानो 5 और 8 महीने की गर्भवती होकर रेस दौड़ीं और पावरलिफ्टर लूसी मार्टिन ने 30 हफ्ते की गर्भावस्था में 205 किलो तक लिफ्ट किया.

सोनिका ने भी खूब पढ़ाई की. लूसी मार्टिन से ही उन्होंने सीखा कि कैसे पेट को कसकर, सुरक्षित तरीके से वजन उठाया जाता है.

मुश्किल फैसले

31 साल की उम्र में सोनिका यादव आत्मविश्वासी, शांत और ऊर्जा से भरी दिखती हैं. वह अपनी मां की चाहत को आगे बढ़ा रही हैं.

उनकी मां कहा करती थी, “मेरी दोनों बेटियों को पुलिस में ही जाना है.” वहीं पिता खेल और एडवेंचर पर फकस करते थे. सोनिका और उनकी बहन मोनिका (33) के लिए रास्ता पहले से तय था. दोनों ने 2014 में दिल्ली पुलिस जॉइन की. आज सोनिका नॉर्थ डिस्ट्रिक्ट में हैं और मोनिका नॉर्थ-वेस्ट डिस्ट्रिक्ट में.

खेल हमेशा से सोनिका की ज़िंदगी का हिस्सा रहा है. इंदिरा गांधी स्टेडियम के पास रहते हुए, दोनों बहनों ने खेल कैंप जॉइन किया और छोटी उम्र में जिम्नास्टिक शुरू की. पहले ही साल में दोनों को स्टेट मेडल मिले, फिर वे नेशनल्स तक पहुंचीं. मोनिका जिम्नास्टिक में ही रहीं, लेकिन सोनिका कबड्डी में आ गईं. छठी से लेकर बारहवीं तक वह अपने स्कूल की टीम में रहीं.

2014 में उन्होंने दिल्ली पुलिस जॉइन की. 2016 में शादी हुई और 2017 में पहला बच्चा हुआ. बच्चा होने के बाद उन्होंने कुछ समय का ब्रेक लिया.

उन्होंने कहा, “मुझे खेल, मैदान, अपनी टीम और अपनी जर्सी की बहुत याद आती थी. आराम मेरे लिए नया था और मैं रुक नहीं सकती थी.”

2019 में उन्होंने फिर वापसी की. दिल्ली पुलिस स्पोर्ट्स टीम में शामिल हुईं. उन्होंने 2019 और 2022 में महिलाओं की कबड्डी टीम का प्रतिनिधित्व किया.

उन्होंने धीरे से कहा, “इंसान स्पॉर्ट्स को छोड़ सकता है, लेकिन स्पॉर्ट्स इंसान को नहीं छोड़ता.”

लेकिन 2023 में उन्हें लगा कि अब उन्हें अकेले लड़ाई लड़नी है. टीम गेम बच्चे के साथ संभालना मुश्किल था. तभी उन्हें पावरलिफ्टिंग का रास्ता मिला.

स्वीकार होना आसान नहीं था.

उन्होंने कहा, “शादीशुदा औरत में हमारे घरों में ‘बहू’ को विद्रोह की इजाज़त नहीं होती. परिवार ने कहा तुम उल्टी दिशा में जा रही हो. उनकी सोच थी कि अब बच्चों और परिवार पर ध्यान देने का वक्त है.”

यादव ने बताया, “उन्होंने कहा—खेल का मैदान बच्चों के लिए है, मेरे जैसी बड़ी महिलाओं के लिए नहीं.”

लेकिन उनकी मां प्रैक्टिस में साथ जाती थीं और बच्चा प्रैम में बैठा रहता था.

वे मुस्कुराकर कहती हैं, “शुरुआत में कोई सपोर्ट नहीं था, लेकिन धीरे-धीरे सब बदलने लगा. ससुराल वाले भी सपोर्ट करने लगे. मैं उनकी ‘जिद्दी बहू’ थी और मैं ना सुनने वाली नहीं थी.”

फिर मई में पता चला कि वह गर्भवती हैं. परिवार ने सोचा अब वह रुक जाएंगी, लेकिन सोनिका ने तय कर लिया था. अगस्त में जब पता चला कि टूर्नामेंट है, तो उन्होंने घोषणा कर दी—मैं खेलूंगी.

परिवार और पुलिस विभाग ने कहा, “अगले साल खेल लेना.”

डॉक्टरों ने भी सावधान रहने को कहा. गर्भावस्था में शरीर बदलता है. कहा गया कि ज्यादा ज़ोर मत लगाना. उनकी सामान्य अधिकतम क्षमता 165-170 किलो है, लेकिन प्रतियोगिता में उन्होंने खुद को 145 किलो तक सीमित रखा.

उन्होंने कहा, “मैंने ये फैसला सोच-समझकर और डॉक्टर्स की सलाह लेकर लिया.”

और फिर आया स्टेज का समय—भीड़, रोशनी, सीटी और शोर.

ब्रॉन्ज तक की लंबी यात्रा

दिल्ली पुलिस की दूसरी बटालियन में एक स्पोर्ट्स ब्रांच होती है. इस पोस्टिंग में खिलाड़ियों को प्रैक्टिस करने का टाइम मिल जाता है. 2019 में, सोनिका को कुछ वक्त के लिए इस ब्रांच में आने का मौका मिला. वे अक्सर ड्यूटी से पहले जिम जाती थीं, फिर घर आकर तैयार होतीं और फिर आठ घंटे की ड्यूटी करतीं और घर लौटने पर मां की ज़िम्मेदारी भी निभातीं.

उन्होंने कहा, “मैं अपने बेटे को स्कूल भेजती. फिर चुपचाप अपने लोकल जिम में ट्रेनिंग करने चली जाती. फिर घर आकर काम करती. फिर ड्यूटी और रात को बेटे के साथ खाना.”

हर दिन सुबह 5 बजे, जिम सिर्फ उनका होता है. कोई देखने वाला नहीं, कोई ध्यान भटकाने वाला नहीं — सिर्फ वो और उनकी मेहनत. साथ ही, वह दिल्ली पुलिस में स्टूडेंट्स को सेल्फ डिफेंस भी सिखाती हैं.

रविवार को रूटीन बहुत आसान होता है — वह अपने बेटे के साथ रंग भरती हैं. उसकी हंसी पूरे घर में गूंजती है. शनिवार की रातें भी खास होती हैं — ना काम, ना जिम, ना स्कूल.

लेकिन उनकी अब तक की सब मेहनत में, एक पल उनके लिए सबसे खास रहा और वह उनकी जीत वाला लिफ्ट नहीं था.

वह पल तब आया जब आंध्र प्रदेश पुलिस के एक असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर उनके पास आए. उन्होंने टूटी-फूटी हिंदी में कहा कि उन्होंने बहुत अच्छा किया.

सोनिका बताती हैं, “उन्होंने कहा — हमने इतिहास में झांसी की रानी जैसी फाइटर्स देखी हैं, जो अपने बच्चे को पीठ पर लेकर लड़ती थीं, लेकिन तुमने अपने बच्चे को अपने अंदर रखकर लड़ा है — तुम भी किसी फाइटर से कम नहीं.”

सोनिका मुस्कुराईं, थोड़ा भावुक होकर— “मैं उसे कभी कैसे भूल सकती हूं?”

(इस ग्राउंड रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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