scorecardresearch
Friday, 3 May, 2024
होमफीचरउत्तर भारत में पहुंच बनाने का रास्ता — ग्रेनो में सद्गुरु करवाएंगे आदियोगी की विशाल प्रतिमा का निर्माण

उत्तर भारत में पहुंच बनाने का रास्ता — ग्रेनो में सद्गुरु करवाएंगे आदियोगी की विशाल प्रतिमा का निर्माण

सियाचिन ग्लेशियर में सैनिकों को योग सिखाने से लेकर मिट्टी बचाओ आंदोलन के लिए अभियान चलाने और अंबानी के छोटे बेटे की शादी में शामिल होने तक, सद्गुरु के विशाल धार्मिक-सामाजिक साम्राज्य का विस्तार हो रहा है.

Text Size:

कोयंबटूर: सद्गुरु जग्गी वासुदेव का ईशा फाउंडेशन एनसीआर में एक नए पते की तलाश कर रहा है. ग्रेटर नोएडा में आदियोगी की सबसे बड़ी और सबसे ऊंची प्रतिमा लगाने पर चर्चा चल रही है — जो एक तरफ यमुना नदी से घिरा होगा और दूसरी तरफ आगामी जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से घिरा रहेगा.

यह नया आश्रम उत्तर भारत में ‘सद्गुरु’ जग्गी वासुदेव के आगमन का प्रतीक होगा.

तमिलनाडु के कोयंबटूर में ईशा फाउंडेशन सेंटर में अपने भक्तों के जयकारों के बीच वासुदेव ने कहा, “लोग मेरे पास आते हैं और कहते हैं कि कोयंबटूर में आदियोगी की प्रतिमा इतनी बड़ी नहीं है. हम आदियोगी की बड़ी प्रतिमा चाहते हैं. इसलिए मैं आपको बता सकता हूं कि उत्तर भारत की धरती पर आदियोगी का सबसे बड़ा चेहरा होगा.”

1992 में कोयंबटूर में अपना पहला आश्रम खोलने और बाद में अमेरिका के टेनेसी में विस्तार करने के बाद से सद्गुरु ने अपना प्रभाव दूर-दूर तक बढ़ाया है. सियाचिन ग्लेशियर में सैनिकों को योग सिखाने से लेकर दुनिया भर में मिट्टी बचाओ आंदोलन के लिए अभियान चलाने और अंबानी के छोटे बेटे की शादी में शामिल होने तक, उनका धार्मिक-सामाजिक साम्राज्य बहुत बड़ा है और इसका विस्तार हो रहा है.

अब, सद्गुरु एक मिशन पर हैं: भारत के चारों कोनों – पूर्व, उत्तर, दक्षिण और पश्चिम – में शिव की एक प्रतिमा स्थापित करने के. दक्षिण भारत में कोयंबटूर में 2017 में नरेंद्र मोदी द्वारा 112 फीट ऊंची शिव प्रतिमा का अनावरण किया गया था. उत्तर प्रदेश का ग्रेटर नोएडा इस मिशन में अगले स्थान के रूप में दौड़ में सबसे आगे है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

शाम के लेजर शो के दौरान कोयंबटूर, तमिलनाडु में 112 फीट ऊंची आदियोगी शिव की प्रतिमा | फोटो: सागरिका किस्सू/दिप्रिंट

दिल्ली से सटा होने और अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से सुसज्जित होने के कारण ग्रेटर नोएडा इस प्रोजेक्ट को शहरी लुक दे सकता है. एक अधिकारी ने पुष्टि की कि यह प्रोजेक्ट जेवर को अयोध्या से जोड़ने वाले प्रस्तावित हेरिटेज कॉरिडोर का भी हिस्सा बनेगा.

ग्रेटर नोएडा के फलैदा बांगर में चुनी गई ज़मीन, जहां ईशा फाउंडेशन शिव प्रतिमा का निर्माण करने का इरादा रखता है, यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) के अंतर्गत आती है. प्राधिकरण के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मोटोजीपी (एक प्रमुख मोटरसाइकिल रेसिंग कार्यक्रम) के दौरान सद्गुरु ने हरे-भरे चरागाहों और पास में बहती यमुना के कारण इस स्थान में रुचि जताई थी. ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एक सूत्र ने कहा कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने सद्गुरु की टीम को मूर्ति के निर्माण के लिए आगे बढ़ने की अनुमति दे दी है.

अधिकारी ने कहा, “सद्गुरु की टीम ने तीन बार फलैदा बांगर का दौरा किया है और ज़मीन खरीदने में रुचि दिखाई है, लेकिन अभी तक हमें कोई प्रस्ताव नहीं मिला है. सद्गुरु की टीम ने यह जानने के लिए दिल्ली में नागरिक उड्डयन मंत्रालय का भी दौरा किया कि क्या यह प्रोजेक्ट व्यवहार्य है क्योंकि पास में ही जेवर हवाई अड्डा है. यमुना प्राधिकरण बातचीत के लिए तैयार है क्योंकि यह एक बड़ा प्रोजेक्ट है और यह मानचित्र पर यमुना प्राधिकरण का नाम डालेगा.”


यह भी पढ़ें: तमिलनाडु के तिरुपुर में बिहार से गए मजदूर शुरू कर रहे खुद का बिजनेस और बन रहे मालिक


सोशल मीडिया स्वयंसेवक काम पर

फूड कोर्ट से लेकर बैलगाड़ी तक और पर्यटकों के लिए कॉटेज से लेकर फैमिली सुइट्स तक, ईशा हेल्थकेयर, एक गौशाला जिसमें देशी गायें रहती हैं, एक बोर्डिंग स्कूल और एक लाइफस्टाइल स्टोर — सद्गुरु का ईशा फाउंडेशन, कोयंबटूर में 150 एकड़ की विशाल ज़मीन पर बना है. यह अपने आप में एक शहर है. ग्रेटर नोएडा में प्रस्तावित आश्रम में इनमें से कई विशेषताओं को दोहराने की उम्मीद है.

कोयंबटूर आश्रम में फर्श पर पालथी मारकर बैठे इंद्रेशा सद्गुरु की पांच शिक्षाओं को दर्शाने वाले ऑनलाइन पोस्टर बनाने में व्यस्त हैं. कंप्यूटर स्क्रीन के बगल में स्वामी विवेकानन्द, लाइफ ऑफ भगत सिंह और अरुंधति रॉय की द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स जैसी किताबें करीने से रखी गई हैं. इंद्रेशा उन कई सोशल मीडिया स्वयंसेवकों में से एक हैं जो ऑनलाइन दुनिया में सद्गुरु के ब्लूप्रिंट का विस्तार करने के लिए काम कर रहे हैं.

तमिलनाडु के कोयंबटूर में ईशा फाउंडेशन आश्रम के कैंपस में एक बोर्डिंग स्कूल | फोटो: सागरिका किस्सू/दिप्रिंट

इंद्रेशा ने कहा, “आज की दुनिया में जनता से जुड़ने के लिए सोशल मीडिया महत्वपूर्ण है, इसीलिए मेरे जैसे लोग स्वेच्छा से काम करते हैं. सद्गुरु एक आधुनिक गुरु हैं. वे ऐसी किसी भी चीज़ के खिलाफ नहीं हैं जो उनकी आध्यात्मिक शिक्षाओं का प्रसार करती हो.” वे याद करते हैं कि जब वे चार साल पहले यहां जुड़े थे, तब सद्गुरु इंस्टाग्राम पेज पर 2.3 मिलियन फॉलोअर्स थे; अब इसकी संख्या 12 मिलियन है.

इंद्रेशा और उनकी टीम ने दर्शकों की सहभागिता बढ़ाने के लिए ‘11 Questions’ नाम से एक इंस्टाग्राम पेज शुरू किया है. इंद्रेशा ने कहा, “हमारे पास कई अन्य पेज हैं जिनके जरिए हम लोगों को आध्यात्म के मार्ग पर लाने की कोशिश करते हैं.”

इसके अलावा, सोशल मीडिया टीम प्रभावशाली लोगों के साथ सक्रिय रूप से सहयोग कर रही है, अपने फॉलोअर्स के बीच आश्रम और इसकी प्रथाओं को बढ़ावा देने के बदले में उनके खर्चों को कवर कर रही है.

एक अन्य स्वयंसेवक ने कहा, “ये प्रभावशाली लोग यहां कुछ दिन बिताते हैं और योग सीखते हैं और अभ्यास को अपने दर्शकों तक ले जाते हैं.” अब, सोशल मीडिया टीम दुनिया भर के 80 सामग्री रचनाकारों का स्वागत करने के लिए पर्चे तैयार कर रही है, सत्र तैयार कर रही है और छोटे टेकअवे उपहारों का प्रबंधन कर रही है.

सद्गुरु ने कहा, “हमने संयुक्त राज्य अमेरिका में यहां कोयंबटूर में एक संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र बनाया है और हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कहीं और भी जाएंगे.”

एक अन्य स्वयंसेवक, बिहार की साक्षी (बदला हुआ नाम), ईशा फाउंडेशन में पर्यटकों को विभिन्न मंदिरों और ध्यान स्थलों का मार्गदर्शन करने में व्यस्त है. 26-वर्षीया ब्रेक-अप से जूझ रही थीं जब उन्हें इंस्टाग्राम पर सद्गुरु की रील दिखी.

साक्षी ने कहा, “मैंने इस दुनिया में अपने उद्देश्य पर सवाल उठाना शुरू कर दिया था. तभी मैंने पहली बार सदगुरु को सुना और नियमित रूप से यूट्यूब पर उन्हें सुनना शुरू कर दिया. दो महीने बाद, मैं आश्रम में थी.” अब, वे एक पूर्णकालिक स्वयंसेवक हैं और कहती हैं कि उन्हें आश्रम में एक घर मिल गया है.

“मैं सद्गुरु की पैदल सैनिक हूं. यहां मुझे अपनेपन का एहसास होता है. मुझे लगता है कि मैं उस ताकत का हिस्सा हूं जो इस दुनिया को बदल देगी.”


यह भी पढ़ें: ग्रेटर नोएडा की हालत प्रदूषण के मामले में दिल्ली से भी बदतर, और वे ‘तुम्हारी हवा मेरी हवा’ का खेल खेल रहे


सद्गुरु के इंतज़ार में

वेल्लियांगिरी की तलहटी पर स्थित कोयंबटूर आश्रम में बातचीत में आदियोगी प्रतिमा के उत्तर भारत में विस्तार के बारे में चर्चा जोरों पर है. स्वामी सुयज्ञ, एक ब्रह्मचारी जिनकी सद्गुरु के साथ मित्रता 1996 से है, बताते हैं कि स्वयंसेवकों की एक विशेष टीम फाउंडेशन और सरकार के बीच बातचीत को सुविधाजनक बना रही है.

सुयग्ना ने कहा, “अभी तक कुछ भी तय नहीं हुआ है. ज़मीन की कीमत बढ़ गई है और हम बातचीत करने की कोशिश कर रहे हैं और देख रहे हैं कि हमारे लिए क्या उपयुक्त है.”

लेकिन सद्गुरु यहीं नहीं रुकना चाहते. वे आदियोगी पर एक अंतरराष्ट्रीय अभियान शुरू करने की भी योजना बना रहे हैं.

सद्गुरु ने अपने आश्रम में एक प्रश्न-उत्तर सत्र के दौरान कहा, “अब तक, हमने कभी भी उनके (आदियोगी) लिए प्रचार नहीं किया. भारत में भी नहीं. यह तो अपने आप ही फैल गया है, लेकिन अब हम इस पर एक अंतरराष्ट्रीय अभियान चलाएंगे कि आदियोगी क्या हैं.”

ग्रेटर नोएडा में YEIDA के अधिकारी औपचारिक प्रस्ताव के इंतज़ार में सद्गुरु की टीम के संपर्क में हैं.

लेकिन एक बड़ी चिंता है — चूंकि तमिलनाडु के सद्गुरु केवल अंग्रेज़ी बोलते हैं, इसलिए ग्रेटर नोएडा में उनका आश्रम खुलने पर उनके उपदेशों और शिक्षाओं को हिंदी भाषी क्षेत्र में भाषाई बाधा का सामना करना पड़ सकता है.

साक्षी के पास एक सरल समाधान है: “हम एक अनुवादक नियुक्त करेंगे.”

(इस ग्राउंड रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: शराब की नई राजधानी है UP- रिकॉर्ड राजस्व, घर में बार, मॉडल शॉप योगी सरकार को ये पसंद है


 

share & View comments