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Tuesday, 19 November, 2024
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वाशिंगटन पोस्ट, WSJ, फाइनेंशियल टाइम्स से लेकर द इकोनॉमिस्ट तक, महिला संपादकों के जिम्मे ये प्रकाशन

2023 में 12 देशों के 240 ब्रांडों के शीर्ष 180 संपादकों में से केवल 22 प्रतिशत ही महिलाएं थीं. लेकिन पिछले कुछ सालों में इसमें काफी बदलाव देखने को मिला है.

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नई दिल्ली: वॉल स्ट्रीट जर्नल में फरवरी में प्रधान संपादक का पद संभालने के बाद ही एम्मा टकर “अनावश्यक घुटन” से छुटकारा पाने के लिए कदम उठा रही हैं. इतिहास में पहली बार, तीन सबसे बड़े बिजनेस न्यूजपेपर-मैगजीन, द वॉल स्ट्रीट जर्नल, फाइनेंशियल टाइम्स और द इकोनॉमिस्ट के संचालन की जिम्मेदारी महिलाओं के कंधे पर है. यह परिवर्तन वित्तीय दुनिया में बदलाव से भी कहीं आगे निकल चुका है.

कई वैश्विक न्यूज आउटलेट और डिजिटल पब्लिकेशन, जो सूचना के प्रसार और ओपिनियन को आकार देने में सहायक हैं, उनकी कमान आज महिलाओं के पास है.

2015 में, जब कैथरीन विनर ने एलन रुसब्रिजर की जगह ली, तो वह द गार्जियन का नेतृत्व संभालने वाली पहली महिला बनीं. कुछ साल बाद (वित्त वर्ष 2018-19) अखबार ने 1998 के बाद से अपना पहला लाभ प्राप्त किया. 2021 में डेनिएल बेल्टन हफ़पोस्ट में शामिल हुई, उन्होंने खुद को ‘न्यूज़रूम थेरेपिस्ट’ कहा था, और वह प्रधान संपादक बनीं.

ऐसा लगता है कि विविधता के लिए मुखर नारे ने न्यूज रूम में अपनी जगह बना ली है, भले ही द रॉयटर्स इंस्टीट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ जर्नलिज्म द्वारा 2023 की एक स्टडी बताती है कि 12 देशों में 240 ब्रांडों के शीर्ष 180 संपादकों में से केवल 22 प्रतिशत महिलाएं थीं.

एम्मा टकर

जब 56 वर्षीय टकर ने वॉल स्ट्रीट जर्नल की बागडोर संभाली, तो मीडिया इंडस्ट्री में काफी बदलाव हो रहा था. उनके पास दो विकल्प थे: या तो 200 साल पुराने अखबार में सामंजस्य बनाकर चलते रहना या इसे अप्रासंगिक बना दें. डब्लूएसजे को अपने डिजिटल ऑडियंस की जरूरतों को पूरा करने की जरूरत थी, और उसे “विशिष्ट” पत्रकारिता भी जारी रखना था. टकर ने खुद को पत्रकारिता के “ऑडियंस-फर्स्ट” युग में सबसे आगे पाते हुए सफलता हासिल की.

टकर की न्यूयॉर्क टाइम्स प्रोफ़ाइल में उन्हें “असामान्य पसंद” कहा गया है. वह ब्रिटिश हैं और पहले केवल ब्रिटिश पब्लिकेशन्स में काम करती थीं. डब्ल्यूएसजे में शामिल होने से पहले, वह द संडे टाइम्स में संपादक थीं. उनके पास आर्थिक पृष्ठभूमि में काम करने का बहुत अनुभव भी नहीं था. आखिरी बार उन्होंने 15 साल पहले एक वित्तीय पब्लिकेशन में काम किया था.

हालांकि, इतिहास बनाने में टकर का यह पहला प्रयास नहीं है. जब वह द संडे टाइम्स में संपादक के रूप में आईं, तो अखबार में 1901 के बाद से कोई महिला संपादक नहीं थी. एक पॉडकास्ट में, टकर ने अपनी सफलता का रहस्य “अलग होने से डरे बिना” काम करने को बताया.

उन्होंने कहा, “आपको अपने रास्ते पर चलने के लिए आत्मविश्वास रखना होगा क्योंकि फ्लीट स्ट्रीट एक वास्तविक ताकत हो सकती है जिससे हर कोई व्यापक तस्वीर और अपने पाठकों के बारे में सोचते हुए एक-दूसरे को देख रहा है.”

अधिकांश महिलाओं की तरह, टकर अपने बच्चों के पालन-पोषण करने के साथ-साथ दुनिया के कई हिस्सों में घूमने भी जाती है. वह कहती हैं, “कार्यस्थल पर वह अपनी जिम्मेदारी निभाती हैं और उनके बच्चे उन्हें युवा बनाए रखते हैं.”


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रौला खलाफ

फाइनेंशियल टाइम्स के 131 साल के इतिहास में पहली महिला संपादक बनने से पहले रौला खलाफ इस अखबार की उत्तरी अफ्रीका संवाददाता थीं और बाद में मध्य पूर्व, अफ्रीका और यूरोप में प्रकाशन के संचालन की देखरेख करने वाली विदेशी संपादक थीं. FT के पास युद्ध संवाददाता नहीं थे और खलाफ़ राजनीति, संस्कृति और विदेशी मामलों को कवर करती थीं. 

उन्होंने वोग यूके को बताया था, “मैं शायद ही कभी डरती हूं. हालांकि, मैं तब डर गयी जब मेरा बड़ा बेटा अखबार पढ़कर पूछा कि इसमें डेटलाइन कहां का है. क्योंकि तब मैं चिंतित थी कि वह मेरे बारे में चिंतित होगा. मैं अपने परिवार और अपने माता-पिता को बताती थी कि मैं जॉर्डन जाऊंगी, जबकि सच यह था कि मैं इराक जा रही थी. मुझे अच्छी तरह से याद है कि एक बार मैंने अपने बेटे को फोन किया था, जब उसने कहा था, ‘मुझे पता है कि तुम बगदाद में हो.’ बेशक, मुझे हर सुबह टास्क मिलता था, और मेरे पति को इसे छिपाना होता था.” 

उसी इंटरव्यू में खलाफ को एक दिलचस्प शीर्षक दिया गया: “स्तरहीन कट्टरपंथी.” वह वैश्विक मीडिया चर्चा में फाइनेंशियल टाइम्स की उपस्थिति को स्वीकार करती है, लेकिन वह उनका खुद पर भी दृढ़ विश्वास है. 

पत्रकारिता के दरवाजे पर कई परिवर्तन दस्तक दे रहे हैं, जिनमें से संभवतः सबसे बड़ा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का प्रभाव है. इस साल की शुरुआत में, खलाफ ने इस मामले पर एफटी के दृष्टिकोण को रेखांकित करते हुए एक बयान जारी किया. “हमारी पत्रकारिता उन मनुष्यों द्वारा रिपोर्ट, लिखी और संपादित की जाती रहेगी जो अपने क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ हैं.”

उप संपादक के रूप में भी खलाफ ने अखबार को अलग तरीके से प्रकाशित किया. एफटी ने जेनेट बॉट विकसित किया और दोनों को महिलाओं की आवाज को अखबार के पन्नों पर लाने के लिए बनाया गया था. यह एक खोज के जवाब में था कि केवल 21 प्रतिशत उद्धरण महिलाओं के थे. दोनों बॉट एफटी की छवि को फिर से कॉन्फ़िगर करने के प्रयास थे, जिसमें आम तौर पर “सूट में पुरुष” शामिल थे.

कैथरीन विनर

पद पर बैठके के दो साल बाद 2017 के एक भाषण में द गार्जियन की एडिटर-इन-चीफ कैथरीन विनर ने एक ऐसे मंच को विकसित करने की बात कही जो बदलते मीडिया परिदृश्य के साथ आगे बढ़ रहा हो. 

उन्होंने कहा था, “अगर लोग एक बेहतर दुनिया बनाने की इच्छा रखते हैं, तो हमें कल्पना को आगे बढ़ाने के लिए अपने मंच का उपयोग करना चाहिए. हम केवल यथास्थिति की आलोचना नहीं कर सकते; हमें उन नए विचारों का भी पता लगाना चाहिए जो इसे विस्थापित कर सकते हैं. हमें आशा जगानी चाहिए.”

छह साल बाद, अखबार को अपने धुंधले इतिहास का सामना करना पड़ा. द गार्जियन की स्थापना गुलामी से अर्जित धन से की गई थी और इसके पहले संपादक जॉन एडवर्ड टेलर भी दास व्यापार से जुड़े थे. विनर ने माफीनामा जारी किया और अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टिंग के प्रति अखबार की प्रतिबद्धता की भी पुष्टि की. उन्होंने घोषणा की कि वह अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में अपनी टीमों का विस्तार करेंगे. साथ ही यूके और यूएस में भी पत्रकार “सभी प्रकार के लोगों के जीवन और अनुभवों” पर ध्यान केंद्रित करेंगे.

विनर ने स्वीकार किया कि इससे पहले का “प्रतिनिधित्व काफी खराब था” और इंट्री लेवल या फिर बीच के पदों पर ब्लैक जर्नलिस्ट बिल्कुल भी नहीं थे. द गार्जियन अब ब्लैक जर्नलिस्ट्स को शामिल करने के लिए डिज़ाइन किए गए नए फंडिंग प्रोग्राम्स के माध्यम से इसका मुकाबला करना चाहता है.

अखबार द्वारा गुलामी के संबंधों के बारे में विस्तार से बताया गया. विनर ने लिखा, “मेरी आशा है कि द गार्जियन का अपने अतीत पर विचार करना अन्य संस्थानों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करेगा.”

यह सीधी स्वीकृति और जवाबदेही थी. कुछ महीने बाद विनर एक और विवाद में फंस गईं, जिसने उनके नेतृत्व को सवालों के घेरे में ला दिया. द न्यूयॉर्क टाइम्स की एक जांच के बाद द गार्जियन को फिर से माफ़ी मांगनी पड़ी. इसके ‘स्टार स्तंभकारों’ में से एक निक कोहेन ने सात महिला कर्मचारियों के साथ यौन संबंध बनाए थे. इसके बाद अखबार को अपनी यौन उत्पीड़न नीतियों को बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा. इससे पहले यह शिकायतें एक बाहरी एजेंसी द्वारा देखी जाती थी, लेकिन उसे बदल दिया गया.

विनर की पहली नौकरी कॉस्मोपॉलिटन में थी, जो महिलाओं की एक पत्रिका थी जिसका तुच्छ और अगंभीर होने के चलते मजाक उड़ाया जाता था. वह 1997 में द गार्जियन में शामिल हुईं और अखबार में कई पदों पर अपनी सेवाएं दीं. इसमें अमेरिकी कवरेज, ऑस्ट्रेलिया कवरेज और इसके रविवार संस्करण का नेतृत्व शामिल है. जब वह संपादक बनीं तो इस पद पर पहुंचने वाली चुनिंदा महिलाओं के एक समूह का हिस्सा बन गईं. उस वक्त “गुणवत्तापूर्ण ब्रिटिश प्रकाशनों” का संचालन केवल चार महिलाएं कर रही थीं.

अखबार की पहली महिला संपादक के रूप में विनर का कार्यकाल आसान नहीं रहा. उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. वह भी एक ऐसे पेशे में जो “उनके लिए नहीं था”.

उन्होंने 2005 में कहा था, “मैंने ईमानदारी से सोचा था कि पत्रकारिता मेरे लिए नहीं है, मुझे लगा कि यह लंदन में सूट पहनने वाले पुरुषों के लिए है.”

बता दें कि एक शानदार संपादक होने के साथ-साथ विनर एक नाटककार भी हैं.

विनर और दिवंगत ब्रिटिश अभिनेता एलन रिकमैन द्वारा संयुक्त रूप से संपादित माई नेम इज राचेल कोरी, दूसरे इंतिफादा के दौरान वाशिंगटन से गाजा पट्टी तक एक अमेरिकी कॉलेज छात्रा की यात्रा का वर्णन करती है, जहां उसे इज़रायली रक्षा बलों ने मार डाला था. यह 2005 में आया था. 

ज़ैनी मिंटन बेडडोज़

इस साल की शुरुआत में वर्ल्ड इकोनॉमिक फ़ोरम में द इकोनॉमिस्ट की संपादक ज़ैनी मिंटन बेडडोज़ ने प्रामाणिक होने के बारे में बात की थी. कॉर्पोरेट ढिलाई, पर्यावरण, सामाजिक और शासन मानदंडों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “प्रामाणिकता का निर्माण करना वास्तव में कठिन है.” लेकिन हो सकता है कि वह इस बारे में बात कर रही हो कि वह अपनी अखबार में क्या लाने की कोशिश कर रही है.

वह इसे अपनी स्पष्टवादिता के माध्यम से करती है: “वह दुनिया जो आपकी दुनिया है, द इकोनॉमिस्ट उतनी मौजूद नहीं है जितनी होनी चाहिए. निर्णय लेने वाले लोगों में हमारा बहुत बड़ा प्रभाव है. मीडिया की आवाजों में हम उतना नहीं जितना हमें होना चाहिए. मुझे लगता है कि हमें इस पर काम करने की ज़रूरत है.” ये बातें उन्होंने वैनिटी फ़ेयर के साथ एक इंटरव्यू में कही. 

वह विवादों से जूझने और सवाल पूछने के लिए तैयार हैं और वह द इकोनॉमिस्ट की पहचान के बारे में गहराई से जानती हैं.

विश्व स्तर पर प्रसिद्ध पब्लिकेशन्स के अन्य संपादकों की तरह, मिंटन बेडडोज़ एक शैक्षिक वंशावली के साथ आते हैं. उन्होंने ऑक्सफ़ोर्ड और हार्वर्ड केनेडी स्कूल में पढ़ाई की, और डब्लूएसजे की संपादक एम्मा टकर के साथ एक अपार्टमेंट में साथ भी रही. पत्रिका के साथ लगभग 20 साल के कार्यकाल के बाद उन्हें 2015 में संपादक के रूप में नियुक्त किया गया था. पढ़ाई के दौरान, मिंटन बेडडोज़ ने अर्थशास्त्र, आर्थिक नीति और बाज़ार की शक्ति पर रिसर्च की थी.

1990 में प्रसिद्ध अर्थशास्त्री जेफरी सैक्स के तहत ग्रीष्मकालीन इंटर्नशिप के बारे में बात करते हुए उन्होंने वैनिटी फेयर को बताया, “आप सचमुच देख सकते हैं कि जब बाजार काम करता है तो क्या होता है. यह कार्रवाई में उद्यमिता थी.”

वह अर्थशास्त्र और नीति को काफी करीब से जानती हैं. लेकिन संपादक के रूप में उन्हें और भी बहुत कुछ करना पड़ा है. उन्होंने कहा, “चाहे अच्छा हो या बुरा, मेरा कार्यकाल द इकोनॉमिस्ट को 21वीं सदी में ट्रांसफर करने के बारे में रहा है.”

डेनिएल बेल्टन

हफपोस्ट एक न्यूज वेबसाइट है, जिसका स्वामित्व बज़फीड के पास है. इसे घुटन भरा या खुद को बहुत गंभीरता से लेने वाला नहीं माना जाता है. यह नई पीढ़ी के लिए तैयार किया गया है. लेकिन यहीं और अभी में रहना इसे वैश्विक मीडिया उद्योग के नुकसान से अलग नहीं कर पाया है. उथल-पुथल के बीच डेनिएल बेल्टन 2021 में संपादक के रूप में हफ़पोस्ट में शामिल हुईं. प्रकाशन हाल ही में बज़फ़ीड को बेचा गया था और 70 कर्मचारियों को निकाल दिया गया था. हालांकि इसमें किसी भी संपादक के साथ ऐसा नहीं किया गया था. 

बेल्टन पहले द रूट में थी, जो एक ऑनलाइन पत्रिका है जो अफ्रीकी-अमेरिकी समुदाय से संबंधित समाचारों को कवर करती है. यह असम्मानजनक और अभद्र है, लेकिन यह वास्तविक दुनिया के मुद्दों से भी संबंधित है. यह बेल्टन के लेखन में दिखता है. हाउ ‘द रियल हाउसवाइव्स’ और रियलिटी टीवी सेव्ड माई लाइफ, बेल्टन द्वारा 2021 में हफपोस्ट के लिए लिखे गए एक लेख का शीर्षक है. यह रियलिटी टेलीविजन की नासमझी को मानसिक स्वास्थ्य की अनिश्चितता से जोड़ता है.

बेल्टन खुद को “न्यूज़रूम थेरेपिस्ट” भी कहती हैं. यह एक ऐसी भूमिका है जो उसने अपने करियर के दौरान निभाई है.

उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान कहा, “मैं अपने मालिकों से कहता थी, ‘आप लोगों को मुझे न्यूज़ रूम थेरेपिस्ट बनने के लिए भुगतान करना चाहिए. मैं पूरे दिन बस हर किसी से बात कर सकती हूं और उनकी समस्याएं सुन सकती हूं और उन्हें हल करने में उनकी मदद कर सकती हूं. साथ ही उनकी स्टोरी में भी उनकी मदद कर सकती हूं. और मूल रूप से मैं अब यही सब कर रही हूं. मैं न्यूज़रूम थेरेपिस्ट हूं.” 

हफ़पोस्ट में, उनकी संपादकीय ज़िम्मेदारियां एक स्वस्थ कार्यक्षेत्र के साथ विलीन हो गई हैं. वह निश्चित रूप से एक मासिक राउंडअप करती है, जिसमें वह अपने पसंदीदा काम के बारे में बात करती है और महीने में एक बार डिनर का आयोजन भी करती है. वह अंदर आकर बड़े बदलाव नहीं करना चाहती थी, बल्कि न्यूज़ रूम को जानना और समझना चाहती थी.

उनके नेतृत्व के पहले साल के दौरान ही हफ़पोस्ट का इंटरनेट ट्रैफ़िक 300 प्रतिशत तक बढ़ गया था.


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सैली बुज़बी

वाशिंगटन पोस्ट की पहली कार्यकारी संपादक, सैली बुज़बी, द एसोसिएटेड प्रेस से 143 साल पुराने इस अखबार में आईं, जहां उन्होंने “अपना पूरा करियर” बिताया और 2017 में इसकी संपादक बनीं. वैनिटी फेयर के मुताबिक, वह अभी भी अपेक्षाकृत अज्ञात थीं और सामान्य मीडिया मंडलियों का हिस्सा नहीं थीं.

बुज़बी ने कहा, “मैं बहुत ग्लैमरस महिला नहीं हूं.” उनका शांत सार्वजनिक व्यक्तित्व अखबार की प्रतिष्ठा के विपरीत था जो मार्टिन बैरन जैसे संपादकों के लिए जाना जाता था, जिन्हें पॉप सांस्कृतिक घटनाओं और उनकी यात्राओं को ऑस्कर जीतने वाली फिल्मों में लिया गया था. 

2021 में, जब बुज़बी ने अपना पद संभाला तो द वाशिंगटन पोस्ट “मुश्किल दौर” से गुजर रहा था. उन्होंने एक नई शुरुआत की और न्यूज़ रूम को पूरी तरह से बदल दिया.

अखबार के एक वरिष्ठ प्रबंध संपादक ने कहा, “सैली अधिक समावेशी और सहयोग करने वाला माहौल चाहती है.”

हालांकि, उनका कार्यकाल हाई-प्रोफाइल गोलीबारी, पदोन्नति विवाद, सोशल मीडिया पर उथल-पुथल जैसे कुछ विवादों से भी अछूता नहीं रहा. अखबार के स्टाइल सेक्शन के एक रिपोर्टर की पदावनति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं है कि मैंने यह अजीब तरीके से किया.” इसके बाद एक सहयोगात्मक न्यूज़रूम होने के बाद भी बुज़बी की आलोचना हुई.

लेकिन कुछ पत्रकार कुछ और ही कहते हैं. एक रिपोर्टर ने कहा, “मैंने अपने करियर में सबसे अच्छी बातचीत सैली के साथ की है क्योंकि वह पूरी तरह से सुनती है और शांत रहती हैं.”

एलेसेंड्रा गैलोनी

रॉयटर्स के प्रधान संपादक के रूप में, इतालवी पत्रकार एलेसेंड्रा गैलोनी पर दुनिया भर में 200 स्थानों पर सीमा पार समाचार, 2,500 पत्रकारों और 600 फोटो जर्नलिस्टों को संभालने की जिम्मेदारी है. यह कोई मामूली उपलब्धि नहीं है, और बुज़बी के समान, उन्हें 2021 में सेवानिवृत्ति के बाद इस पद पर नियुक्त किया गया था.

वॉल स्ट्रीट जर्नल में 13 साल बिताने के बाद, गैलोनी 2013 से रॉयटर्स में हैं. अपनी पदोन्नति के साथ गैलोनी के पास अब दोहरी ज़िम्मेदारी है – अब वह एक संपादक और उद्यमी दोनों हैं.

जब उन्हें शीर्ष भूमिका के लिए नियुक्त किया गया था, तो न्यूयॉर्क टाइम्स के एक लेख में लिखा गया था कि उनकी जिम्मेदारियों में “समाचार एजेंसी में लागत में कटौती और राजस्व बढ़ाने के तरीकों की तलाश करना” शामिल होगा.

इस साल की शुरुआत में, गैलोनी ने रॉयटर्स की तीसरी राजस्व मॉडल की घोषणा की- सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचना और न्यूज़ एजेंसी मॉडल से अलग बनना. उन्होंने इसके लिए रॉयटर्स की ‘वैश्विकता’ को जिम्मेदार ठहराया. 

उन्होंने कहा, “उन समाचार संगठनों के लिए एक बड़ी और बढ़ती ज़िम्मेदारी है जो दुनिया भर में स्थानीय पत्रकारों का समर्थन करना चाहते हैं जो विदेशी रिपोर्टिंग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं.”

2021 में तालिबान के हाथों विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त भारतीय रॉयटर्स के फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी की मौत के बाद, गैलोनी को एक बार फिर खतरों के साथ-साथ उनके द्वारा चलाए जा रहे ऑपरेशन के पैमाने का सामना करना पड़ा.

गैलोनी ने रॉयटर्स के फोटो जर्नलिस्ट इस्साम अब्दुल्ला की मौत के जवाब में कहा, “मैं इज़रायली अधिकारियों को अपना आह्वान दोहरा रहा हूं जिन्होंने कहा है कि वे जो कुछ हुआ उसकी त्वरित, संपूर्ण और पारदर्शी जांच कर रहे हैं.” 

बता दें कि इस्साम अब्दुल्ला की मौत उस वक्त हुई थी जब वह इज़रायल और लेबनान के बीच सीमा पार गोलीबारी को कवर कर रहे थे.

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस फीचर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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