लखनऊ: उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में क्रिकेट के कई सपनों की पहले ही मौत हो चुकी है, सिर्फ एक को छोड़कर. और वह है विश्व कप में सबसे अच्छी गेंदबाजी कर चारों ओर अपना लोहा मनवाने वाले भारतीय तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी. लेकिन मोहम्मद शमी का गांव सहसपुर-अलीनगर गांव अब चैन से नहीं बैठने वाला.
शमी भाग्यशाली थे कि उनके ‘पागल’ पिता ने अपने बेटे के सपनों को तब नहीं छोड़ा जब उनके आसपास के अन्य लोगों ने अपने बच्चों के भाग्य को अमरोहा में खेल सुविधाओं की कमी के कारण छोड़ दिया.
पड़ोसी गांव के शमी के एक 33 वर्षीय दोस्त ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, “उत्तर प्रदेश में शमी का चयन नहीं होने के बाद उनके पिता तौसीफ अली ने उन्हें कोलकाता भेज दिया. यहां के लोगों को माता-पिता से उस तरह का सपोर्ट शायद ही मिलता है क्योंकि आस-पास कोई सुविधा नहीं है. लोग उन्हें ‘पागल’ कहते थे लेकिन, वह अपने इरादे पर कायम रहा.”
लेकिन 2023 विश्व कप में शमी के शानदार प्रदर्शन ने सोए हुए अमरोहा को हरकत में ला दिया है. और जिला प्रशासन आगे बढ़कर इसका नेतृत्व कर रहा है. अब जिला प्रशासन यह सुनिश्चित करना चाहता है कि शमी जैसी क्रिकेट प्रतिभाओं को इस स्टार भारतीय तेज गेंदबाज की तरह मुश्किलों से न गुजरना पड़े.
शमी के पूर्व कोच बदरुद्दीन सिद्दीकी, जिनके पास शमी ने पहले कोचिंग ली थी, ने कहा, “14 साल की उम्र से शमी मुरादाबाद के स्टेडियम तक पहुंचने के लिए हर दिन 25 किलोमीटर की यात्रा करते थे. मैं यह नहीं कहूंगा कि पहली मुलाकात में मुझे वह असाधारण लगे लेकिन मुझे एहसास हुआ कि उसने बहुत मेहनत की है. यदि अन्य लोग मैदान पर दो-तीन घंटे देते थे, तो वह पांच घंटे देता था. दूसरे लोग जो एक या दो साल में सीखते हैं, उसने वह छह महीने में सीख लिया था.”
आईसीसी विश्व कप सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ शमी के सात विकेट के रिकार्ड प्रदर्शन के दो दिन बाद, स्टेडियम के लिए जमीन की पहचान करने के लिए अमरोहा जिला प्रशासन की एक टीम ने सहसपुर-अलीनगर गांव का दौरा किया.
अमरोहा के मुख्य विकास अधिकारी (CDO) अश्वनी कुमार मिश्रा ने कहा, “हमने शुक्रवार को साइट का निरीक्षण किया और महसूस किया कि ग्रामीण स्टेडियम और एक खुले जिम के लिए पर्याप्त जमीन है. हमने गांव में 1.09 हेक्टेयर जमीन की पहचान की है, जिसे बंजर भूमि के रूप में चिह्नित किया गया है.” स्टेडियम बनाने के लिए दो सप्ताह पहले भेजे गए ग्राम पंचायत के प्रस्ताव पर प्रशासन ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त दी थी.
मिश्रा ने कहा, “सरकार ने उन 20 जिलों के हर ब्लॉक में ग्रामीण स्टेडियम बनाने की योजना बनाई है, जिनके ग्रामीण इलाकों में कोई स्टेडियम नहीं है और यह शमी का गांव उनमें से एक हो सकता है.”
‘भविष्य के शमी’ यहां से निकलेंगे
अठारह वर्षीय मुख्तार अशरफ एक बल्लेबाज के रूप में भारतीय टीम के लिए खेलने का सपना देखते हैं, लेकिन शमी उनके प्रेरणाश्रोत हैं, जिनके बारे में हर कोई जानता था कि “एक दिन वह बड़ा नाम बनाएंगे”.
संभल जिले के मंसूरपुर माफी गांव के एक उभरते क्रिकेटर अशरफ ने कहा, “मैं केवल सात साल का था जब मैंने पहली बार शमी भाई के बारे में सुना. हम सुनते थे कि वह हमारे क्षेत्र से एक क्रिकेट ऑलराउंडर के रूप में कैसे उभर रहे हैं.” अशरफ मुरादाबाद के एक निजी स्कूल के परिसर में स्प्रिंगफील्ड्स क्रिकेट अकादमी मैदान में वह नियमित रूप से उपस्थित रहते हैं, जहां शमी के कोच सिद्दीकी पिछले कई सालों से युवा खिलाड़ियों को ट्रेंनिंग दे रहे हैं.
अशरफ संभल की उन 15 युवा प्रतिभाओं में से हैं जो जब भी शमी आते हैं तो वो उनसे मिलने सहसपुर-अलीनगर गांव जाते हैं. वे भारतीय तेज गेंदबाज के फार्महाउस के परिसर में स्थित एक मैदान पर उनसे क्रिकेट से जुड़े टिप्स मांगते हैं.
अशरफ ने कहा, “उन्होंने टूर्नामेंट के लिए बेहद कड़ी ट्रेनिंग की है. वह 25 सितंबर तक घर पर थे और उन्हें खेलते हुए देखकर हर कोई आश्चर्यचकित रह जाता था. उनकी कहानी और उन्हें टेलीविजन पर खेलते हुए देखने से मुझमें एक महत्वाकांक्षा पैदा हुई. मैं भी एक दिन खेल में बड़ा प्रदर्शन करना चाहता हूं लेकिन एक बल्लेबाज के रूप में.”
शमी की ‘कहानी’ उत्तर प्रदेश के कई युवाओं के लिए प्रेरणा है. क्रिकेटर मुरादाबाद के स्टेडियम तक पहुंचने के लिए मिनी बस लेते हैं, या राहगीरों से लिफ्ट लेकर वहां तक पहुंचते हैं.
लेकिन दिवंगत तौसीफ अली के लिए, एक पूरी तरह से सुसज्जित क्रिकेट स्टेडियम की अनुपस्थिति, जिसने कई युवाओं के सपनों को छोटा कर दिया, कोई बाधा नहीं थी.
शमी के बचपन के दोस्त सरफुद्दीन ने कहा, “उसके पिता आज उसके लिए खुश होंगे. वह अपने बेटे को क्रिकेट खेलते देखने के लिए अपना काम छोड़ देते थे. अली खुद एक तेज गेंदबाज थे, लेकिन वह क्रिकेटर बनने का अपना सपना कभी पूरा नहीं कर सके. उन्होंने शमी के माध्यम से उन्होंने अपना सपना पूरा किया.”
वर्षों तक, शमी ने चौधरपुर, सहसपुर-अलीनगर, बुढ़ानपुर और दीपपुर गांवों में गली क्रिकेट खेला और सोनकपुर स्टेडियम में नियमित रूप से खेलते रहे जो कि मुरादाबाद में दो सरकारी संचालित स्टेडियमों में से एक है. दूसरा रेलवे स्टेडियम क्रिकेट अकादमी के भीतर है.
सरफुद्दीन ने कहा, “अगर किसी को शमी की सफलता का श्रेय दिया जाना चाहिए तो वह उनके पिता तौसीफ अली हैं. उसके बाद, यह उनके कोच बदरुद्दीन सिद्दीकी हैं क्योंकि 2006 में कानपुर में अंडर -19 ट्रायल में जब उसका सिलेक्शन नहीं हुआ तो उन्होंने उन्हें पश्चिम बंगाल भेजा था.”
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अब सपने सच हो सकते हैं
सहसपुर-अलीनगर में एक स्टेडियम न केवल अमरोहा और पड़ोसी जिलों के महत्वाकांक्षी क्रिकेटरों के लिए गेम-चेंजर होगा, बल्कि यह शमी के सपनों में से एक को भी पूरा करेगा.
अमरोहा का एकमात्र सरकारी स्टेडियम, जिसकी नींव जनवरी 2018 में क्रिकेटर चेतन चौहान ने रखी थी, का काम जुलाई 2021 में रोक दिया गया, जब इसकी मुख्य दीवार का 50 मीटर का हिस्सा भारी मानसून की बारिश के कारण ढह गया, जिसके बाद मजिस्ट्रेट जांच शुरू हुई और ठेकेदार के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी.
कोच ने कहा, “शमी हमेशा से चाहते थे कि घर के पास ऐसी सुविधा हो. उन्होंने अपने फार्महाउस में चार पिचें तैयार की हैं और एक खेल फैसिलिटी बनाने की योजना बनाई है. उन्होंने मुझसे प्रशिक्षण ले रहे युवाओं को अपने फार्महाउस पर लाने के लिए कहा, लेकिन मैंने उनसे कहा कि आजकल वे अपने नजदीक की चीजें चाहते हैं. हर कोई शमी नहीं है जो हर दिन 25 किमी की यात्रा करेगा.”
शमी युवा प्रतिभाओं की हरसंभव मदद कर रहे हैं, जब भी वह शहर में होते हैं तो अपने फार्महाउस पर उनसे मिलते हैं.
अशरफ कहते हैं, “शमी भाई के आगे बढ़ने से मेरे आसपास के गांवों के कई युवाओं का जुनून जागा है. जब भी वह अमरोहा में होते हैं, तो वह हर दिन 40-50 खिलाड़ियों के लिए शेड्यूल तैयार करते हैं और उसे अपने फार्महाउस पर बुलाते हैं. वह खेल के सभी गुर हमारे साथ शेयर करते हैं और सिद्दीकी सर की अकादमी में भी हमसे मिलने आते हैं.”
सहसपुर-अलीनगर में एक मिनी स्टेडियम जैसी सुविधा, एक विश्व स्तरीय प्रशिक्षण मैदान, एक पिच और एक जिम उन लोगों के लिए बेहद फायदेमंद होगी जिन्होंने यूपी में अंडर -19 ट्रायल में मोरादाबाद जोन-स्तर पर जगह बनाई.
CDO ने कहा, “ग्रामीण स्टेडियम एक मिनी स्टेडियम की तर्ज पर बनेगा. इसकी लागत लगभग 5 करोड़ रुपये तक हो सकती है.” जब उनसे पूछा गया कि सुविधा कैसे रहेगी तो CDO ने कहा, “इसमें एक बहुउद्देश्यीय हॉल और एक स्टोर रूम, कार्यालय, सार्वजनिक शौचालय, सीवेज सुविधा, विद्युतीकरण, रनिंग ट्रैक और ओपन जिम होगा.”
हालांकि, महत्वाकांक्षी क्रिकेटरों और एथलीटों को उम्मीद है कि यह “मिनी स्टेडियम” के बराबर होगा.
कोच बदरुद्दीन ने कहा, “एक स्टेडियम न केवल अमरोहा बल्कि हमारे मंडल के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि होगी. दशकों तक अमरोहा में कोई सरकारी स्टेडियम नहीं था और महत्वाकांक्षी क्रिकेटर अक्सर निजी कॉलेजों की अकादमियों में जाते रहे हैं. मुझे बहुत खुशी है कि हमारे डिवीजन को एक स्टेडियम मिलेगा.”
यह अमरोहा, मुरादाबाद, संभल और रामपुर के युवाओं के लिए चीजें बदल सकता है और उन्हें उनके क्रिकेट सपनों को साकार करने में मदद कर सकता है.
अशरफ कहते हैं, “जब से शमी भाई ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में चमकना शुरू किया है, युवाओं ने निजी अकादमियों में अपना नामांकन कराना शुरू कर दिया है. एक मिनी स्टेडियम से उन लोगों को फायदा होगा जो निजी अकादमियों का खर्च वहन नहीं कर सकते.”
(संपादन: ऋषभ राज)
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