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Saturday, 4 May, 2024
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नए प्रदेश में ‘लव-जिहाद’, झारखंड में हुई हत्या के साथ आदिवासी बेल्ट में भी प्रवेश कर गया है यह मुद्दा

झारखंड की एक आदिवासी ईसाई युवती रेबिका पहाड़िन की उसके मुस्लिम साथी ने कथित तौर पर गला घोंटकर हत्या करने के बाद उसके 18 टुकड़े कर दिए थे.

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झारखंड के साहिबगंज में रहने वाली पहाड़िया समुदाय की एक ईसाई युवती रेबिका पहाड़िन- जो विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पर्टिक्यूलरली वल्नरेबल ट्राइबल ग्रुप या पीवीटीजी) से आती थी- की गला दबाकर हत्या कर दी गई और उसके बाद उसके शरीर को 18 टुकड़ों में काट दिया गया. पुलिस को संदेह है कि इस 23 वर्षीय युवती की 16 दिसंबर को हत्या कर दी गई थी और इस मामले में उसके मुस्लिम साथी को गिरफ्तार कर लिया गया है.

इसी तरह के एक हत्या करके-टुकड़े करने वाली मोडस ऑपरेंडी (कोई कृत्य करने का तरीका) के तहत की गई श्रद्धा वालकर की हत्या वाले मामले ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को हिलाकर रख दिया था. साहिबगंज जिले का यह बेल टोला गांव देश की राजधानी से 1,384 किलोमीटर दूर है, और दोनों मामलों में लगभग आठ सप्ताह का अंतर है. लेकिन इन दोनों का नतीजा वही है- ‘लव जिहाद’ के खिलाफ राजनीतिक युद्ध घोष.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक सदस्य साइमन माल्टो, जो पीड़िता की ही जनजाति से आते हैं, कहते हैं, ‘हम लगातार रूप से समाज में जागरुकता फैलाने का काम कर रहे हैं ताकि आदिवासी महिलाएं इन लोगों के चंगुल में न फंसें. वे गरीबी और अशिक्षा का फायदा उठाकर इन लड़कियों को अपने जाल में फंसा लेते हैं.’

इस हत्या और उसके बाद मृतका के मुस्लिम साथी, उसके माता-पिता और सात अन्य लोगों की गिरफ्तारी आदिवासी समुदायों के नाजुक सामाजिक ताने-बाने को खींच रही है और इसने साहिबगंज में ईसाई आदिवासियों और मुस्लिम समुदायों के बीच की विभाजन रेखाओं को उजागर किया है. यह त्रासदी आदिवासी सामाजिक रीति-रिवाजों को धार्मिक तनाव के करीब लाने की भी खतरा उत्पन्न करती है, यहां तक कि स्थानीय राजनीतिक नेताओं ने हेमंत सोरेन सरकार पर तुष्टीकरण और मुस्लिम लड़कों पर आदिवासी महिलाओं को लुभाने और फंसाने का आरोप भी लगाया है.

गुस्से में आगबबूला है आदिवासी समाज

48 घंटे से अधिक समय तक चले और पहाड़ी इलाकों में चलाये गए बड़े पैमाने वाले तलाशी अभियान के बाद, पुलिस ने बेल टोला गांव के पास के दूरदराज के इलाकों में बिखरे हुए मृतका के शरीर के सभी हिस्सों को बरामद किया: रेबिका की बहन शीला पहाड़िन ने तुरंत पहचान लिया कि जबड़े के ये हिस्से, अंग और बड़े करीने से रंगे हुए हाथ के नाखून उसके ही हैं.

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Sheela, sister of 23-year-old Rebika, who was allegedly murdered by Dildar Ansari's family | Praveen Jain, ThePrint
23 वर्षीय रेबिका, जिसकी दिलदार अंसारी के परिवार द्वारा कथित रूप से हत्या कर दी गई थी, की बहन शीला | फोटो – प्रवीण जैन, दिप्रिंट

उधर बेल टोला गांव में, जहां आरोपी 27 वर्षीय दिलदार अंसारी रहता था, इसके करीब 250 निवासी तनावग्रस्त और बेचैनी में हैं. यह युवक एक बाहरी महिला को घर ले आया था और उसे अपने उस घर के करीब रखा हुआ था जहां वह खुद अपने माता-पिता, पत्नी और बच्चे के साथ रहता है.

इस बीच, बेल टोला गांव से बमुश्किल 12 किलोमीटर दूर गोदा पहाड़ी के एक छोटे से गांव में रहने वाला  रेबिका का परिवार – और साथ ही वहां के कम-से-कम 30 अन्य परिवार – उसके लिए इंसाफ और मुआवजे की मांग कर रहे हैं. ‘लव जिहाद’ के बारे में सुगबुगाहट भी अब तेज होती जा रही है.

लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के सांसद विजय हंसदक और यहां तक कि मुख्यमंत्री सोरेन ने भी अन्य राज्यों में भी हुए इसी तरह के मामलों का हवाला देते हुए कहा कि इस तरह के हमले केवल झारखंड तक ही सीमित नहीं हैं.

इससे पहले, अगस्त 2022 में, दुमका जिले के एक मुस्लिम युवक द्वारा कथित तौर पर एक हिंदू छात्रा – जिसने उसके रोमांटिक प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिया था – को आग के हवाले किये जाने के बाद प्रदर्शनकारियों ने जमकर हंगामा किया था. बाद में. पुलिस की लापरवाही के आरोपों को और हवा देते हुए इस लड़की ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था. अब जब कि भावनाएं बहुत अधिक उमड़ रही हैं, तो पुलिस सूत्रों को उसी तरह की नाराजगी के विस्फोट का डर है.

लेकिन इस बार, बोरिया पुलिस – जिसके अधिकार क्षेत्र में यह घटना हुई थी – ने भारतीय दंड संहिता के की धारा 302 (हत्या), 201 (किसी अपराध के सबूतों को गायब करना), 120 बी (आपराधिक साजिश), और 34  सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किये गए आपराधिक कृत्य) के तहत गिरफ्तारियां करने में तेजी दिखाई है.

बोरिया पुलिस ने रेबिका के साथी दिलदार अंसारी के अलावा उसके पिता मुस्तकीम अंसारी, उसकी मां मरियम खातून और उसकी पत्नी सरेजा खातून को भी गिरफ्तार कर लिया है. अब तक दस लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है. हालांकि मामले का मुख्य आरोपी, दिलदार का मामा मैनुल अंसारी, अभी भी फरार है. जेल भेजे गए 10 लोगों में उनकी पत्नी जरीना खातून भी शामिल हैं.


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एक बदकिस्मत प्रेम कहानी

रेबिका का घर गोदा पहाड़ी पर स्थित है. यहां तक पहुंचने के लिए लगभग तीन किलोमीटर तक चट्टानी पहाड़ी इलाके की चढ़ाई करनी पड़ती है. ज्यादातर लोग या तो कठिन रास्ते से चलते हैं या मोटरसाइकिल पर ड्राइव करके जाते हैं. दिलदार और रेबिका एक स्थानीय बोरिया बाजार में मिले थे, जो पहाड़ी से नीचे और गोदा से 12 किमी दूर है. एक ग्रामीण ने कहा, ‘यही वह जगह है जहां ज्यादातर लड़कियां दूसरे लड़कों से मिलती हैं और फिर उनके प्यार में पड़ जाती हैं.’

Adivasi women on the Goda hill | Praveen Jain, ThePrint
गोदा पहाड़ी पर आदिवासी महिलाएं | फोटो – प्रवीण जैन, दिप्रिंट

लेकिन दिलदार और रेबिका के बीच का रिश्ता बदकिस्मती भरा था: शादीशुदा दिलदार का एक बेटा भी  था और रेबिका की भी उसके पिछले रिश्ते से पांच साल की एक बेटी थी.

उन दोनों के ही परिवार उनके रिश्ते के घोर विरोधी थे और जब इस जोड़े ने फैसला किया कि रेबिका बेल टोला में रहने के लिए अपनी बस्ती छोड़ देगी तो वे बहुत नाखुश थे. अपने कच्चे घर के आंगन में बैठी हुई रेबिका की बहन शीला ने कह, ‘दिलदार के साथ रेबिका का रिश्ता हाल ही का था. हमने दोनों को अलग करने की बहुत कोशिश की, लेकिन वे अलग नहीं होने वाले थे.’

उसने याद करते हुए कहा, ‘मैंने उसकी उंगलियों, नाखूनों पर लगे पेंट और अंगूठियां पहचान लीं. वह मेरी छोटी बहन थी. मैंने सब कुछ पहचान लिया. उसने वही कुर्ती पहनी हुई थी, जिसे हमने साथ में खरीदा था.’  रेबिका के परिवार का दावा है कि उनका रिश्ता शुरू से ही बिगड़ जाने लायक ही था. शीला कहती है, ‘उसने [दिलदार ने] कहा था कि वह उससे प्यार करता है. लेकिन वह हमारे समुदाय का नहीं था. इसलिए हम सभी ने उनके रिश्ते को मानने से इंकार कर दिया.’

दिलदार ने रेबिका को उसके माता-पिता और पत्नी के साथ अपने घर में नहीं रहने दिया. इसके बजाय, उसने उसे उसी गांव में एक कमरे की एक छोटी सी झोपड़ी में रखा हुआ था.

रेबिका के परिवार के सदस्य इस बात से नाखुश थे कि वह ‘उनकी बेटी की इज्जत नहीं कर रहा था.’ इस महीने की शुरुआत में, उन्होंने बोरिया पुलिस से संपर्क करते हुए उसके हस्तक्षेप की मांग की थी. दबाव में आकर दिलदार रेबिका को अपने घर ले गया. इसके कुछ ही दिन बाद पुलिस ने उसके शरीर के अंग बरामद किए. रेबिका के परिवार ने कहा कि सबसे पहले दिलदार ने ही उन्हें इस बारे में सूचित किया था कि वह गायब है. पुलिस, जिसने तलाशी अभियान शुरू कर दिया था, को शनिवार को एक गुप्त सूचना मिली और फिर उसने एक आंगनवाड़ी के पीछे से एक अंग बरामद किया. इसकी पहचान दिलदार ने ही की थी.

अब तक की तहकीकात

लाश की शिनाख्त से बचने के लिए रेबिका के शरीर को बुरी तरह क्षत-विक्षत कर दिया गया था. एक पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘उसका चेहरा कुचल दिया गया था. केवल जबड़ा और बालों का एक गुच्छा पाया गया.’

हालांकि, पुलिस ने दिलदार को गिरफ्तार तो कर लिया है, लेकिन अभी तक उसने इस हत्या में उसकी भूमिका पर कोई रौशनी नहीं डाली है. इस युवक ने ही रेबिका के परिवार को उसके लापता होने की सूचना दी थी. वह कबाडी का काम करता था और ऐसा बताया जाता है कि जिस दिन रेबिका की हत्या हुई उस दिन वह काम के सिलसिले में पश्चिम बंगाल में था.

पुलिस सूत्रों ने कहा कि उन्हें दिलदार की मां पर रेबिका की हत्या की साजिश रचने और उसके मामा मैनुल अंसारी द्वारा उसके शरीर के टुकड़े-टुकड़े करने का संदेह है. एक पुलिस सूत्र ने कहा, ‘गिरफ्तार किए गए परिवार के सभी सदस्यों से पूछताछ की गई है.’ मामले में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, दिलदार की मां मरियम, रेबिका को बोरिया पुलिस थाने से 500 मीटर दूर स्थित फाजिल बस्ती में अपने भाई मैनुल अंसारी के घर ले गई थी. इसमें कहा गया है कि यहीं पर उसकी हत्या की गई थी. मरियम ने कथित तौर पर लाश को ठिकाने लगाने के लिए मैनुल को 20,000 रुपये दिए थे.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘इस मामले का मुख्य आरोपी मैनुल अंसारी अभी फरार है. छापेमारी की जा रही है और उसकी तलाश की जा रही है. उसकी तलाश पूरी होने के बाद और भी खुलासे हो सकते हैं.’

रेबिका की आखिरी बार अपनी बहन से 16 दिसंबर की सुबह बात हुई थी. उन्होंने अपनी मां के तबीयत के बारे में विस्तार से बातें की थीं. उसकी लाश का पहला टुकड़ा बोरिया संथाली गांव के मोमिन टोले में एक आंगनवाड़ी के पीछे मिला था. इसके बाद करीब 100 मीटर दूर स्थित एक खाली पड़े मकान में ज्यादातर टुकड़े मिल गए.  एक गांव वाले ने कहा, ‘यह घर पिछले दो-तीन साल से खाली पड़ा है.’ अब, इसके बंद दरवाज़े और भूरे रंग का पुलिसिया फीता  उत्सुक ग्रामीणों को यहां से दूर ही रखते हैं.

The empty where maxium parts of Rebika's body were found | Praveen Jain, ThePrint
वह खाली जगह जहां से रेबिका के शरीर के ज्यादातर हिस्से मिले थे | फोटो – प्रवीण जैन, दिप्रिंट

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अपने समुदाय की छान-बीन से नाराज हैं आदिवासी

इस बीच आदिवासी समुदाय के सदस्य अपने जीवन के तौर-तरीके पर पड़ रही पूरे देश की नज़र से नाखुश हैं. अधिकांश आदिवासी जोड़े आपस में शादी नहीं करते- वे बस एक साथ रहते हैं. हालांकि, यह उनकी एक सांस्कृतिक रिवायत है, रेबिका की मौत ने ग्रामीणों को अपने जीवन के तरीके के बारे में अधिक सतर्क होने के लिए प्रेरित किया है. एक स्थानीय निवासी ने उनका नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘आदिवासी समुदायों में, लड़कियों का बिना शादी के अपने प्रेमी के साथ रहना और बच्चे पैदा करना एक आम बात है. लेकिन विवाद तब खड़ा होता है जब किसी लड़की को किसी दूसरे समुदाय या जाति के लड़के से प्यार हो जाता है. ज्यादातर मामलों में इन्हें आपसी सहमति से सुलझा लिया जाता है. लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि इस तरह के रिश्ते को लेकर किसी लड़की की इतनी बेरहमी से हत्या की गई है.’

मगर भाजपा के साइमन माल्टो के विचार कुछ अलग हैं.  रेबिका के साथ जो कुछ हुआ उसे वह ‘एक विशेष समुदाय के लड़कों’ द्वारा महिलाओं को अपने जाल में फंसाने के लिए चली गई सुनियोजित चाल के रूप में वह देखते हैं.

उन्होंने कहा, ‘पुलिस ने दिलदार की पहली पत्नी की मौजूदगी के बारे में जानने के बावजूद लड़की को उसके घर भेज दिया.’ जवाब, मुआवजे और सजा की मांग बढ़ती जा रही है. लोग विपक्षी पार्टी के सदस्यों से मिल रहे समर्थन के साथ नियमित रूप से ‘मोर्चा’ निकाल रहे हैं. इसके साथ ही रेबिका के परिवार के किसी योग्य सदस्य के लिए सरकारी नौकरी की सुगबुगाहट भी तेज होती जा रही है.  रेबिका के चाचा सुधांशु ने कहा, ‘सभी दलों के नेता यहां आते हैं, बात करते हैं और चले जाते हैं. लेकिन हमें नहीं पता कि हमें कब और कैसे न्याय मिलेगा.’

सुधांशु का दावा है कि उन्हें दो-तीन दिनों के लिए पुलिस सुरक्षा दी गई थी, लेकिन बाद में इसे तुरंत वापस ले लिया गया. उन्होंने कहा, ‘(रेबिका की) हत्या के सात-आठ दिन हो चुके हैं, और हमारे पास मामले से संबंधित कोई जानकारी नहीं है. हमें इस सरकार पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं है.‘

इस बीच, माल्टो अपने समुदाय के लिए एक ‘जागरूकता अभियान’ आयोजित कर रहे हैं. वे कहते हैं  ‘सरकार ऐसे मामलों के प्रति पूरी तरह से असंवेदनशील हो गई है. ऐसी घटनाएं आक्रोश पैदा कर रही हैं.’

माल्टो ने दुमका मामले का जिक्र करते हुए कहा, ‘अगर पहले की घटनाओं में सख्त सजा दी जाती, तो लोग इस तरह के घृणित कदम उठाने से पहले हजार दफा सोचते. हेमंत सोरेन की सरकार एक समुदाय विशेष को बचाने का काम कर रही है और तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है.’

Father Suraj Pahadiya looks at the blue wall where he put pictures of his daughter | Praveen Jain, ThePrint
रेबिका के पिता सूरज पहाड़िया उस नीली दीवार को देखते हैं जहां उन्होंने अपनी बेटी की तस्वीरें लगाई हुईं हैं | फोटो – प्रवीण जैन, दिप्रिंट

माल्टो का मानना है कि उनके मृतका के घर से जाने के बाद झामुमो सांसद विजय हंसदक ने वहां आकर पीड़ित परिवार को मुआवजे का चेक दिया. इस बारे में संपर्क किये जाने पर हंसदाक ने कहा कि शोक संतप्त परिवार को 5,000 रुपये दिए झामुमो की ओर से गए हैं. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘मेरी तरफ से और 10,000 रुपये दिए गए हैं. हम यह भी सुनिश्चित करेंगे कि रेबिका की बेटी को समुचित शिक्षा मिले. हम उनकी बाकी मांगों को भी पूरा करने के लिए सक्रिय कदम उठा रहे हैं.’

Sheela shows Rebika's favourite blue dress | Praveen Jain, ThePrint
रेबिका की पसंदीदा नीली ड्रेस को दिखाती हुई शीला  | फोटो – प्रवीण जैन, दिप्रिंट

उन्होंने माल्टो के इन आरोपों को खारिज कर दिया कि महिलाओं को किसी तरह के जाल में फंसाया जा रहा है या कि इस हत्या में कोई सांप्रदायिक भाव अन्तर्निहित हैं.  हंसदाक ने कहा ‘यह कोई आदतन घटना नहीं है, और यह एक सांप्रदायिक समस्या भी नहीं है. ऐसी घटनाएं पूरे भारत में हो रही हैं. हमें सामाजिक जागरूकता पैदा करने की जरूरत है… एक समाज के तौर पर हमें सावधान रहने की जरूरत है.’

इधर, रेबिका के कच्चे घर की नीली दीवार पर उसकी दो लेमिनेट की गईं तस्वीरें नाजुक रूप से लटकी हुई हैं. आने वाले लोग इन तस्वीरों को देखते हैं और उसकी खूबसूरती के बारे में बातें करते हैं. उसके भाई मैसा ने कहा, ‘मेरी बहन को फोटो खिंचवाने का बहुत शौक था. कई बार वह फेसबुक पर वीडियो बनाने की भी कोशिश करती थी. रेबिका ने नौवीं कक्षा तक पढ़ाई की थी.’ साथ ही, उसने बताया कि उसे नेल पेंट करना (नाख़ून रंगना) भी बहुत पसंद था. हालांकि, आदिवासी रीति-रिवाजों के अनुसार रेबिका का सारा सामान उसके साथ ही दफन कर दिया गया था, मगर उसका पसंदीदा नीला गाउन अभी घर पर ही है. उसका परिवार इसे उसके साथ दफनाना भूल गया. काले रंग के साथ-साथ नीला भी उसका पसंदीदा रंग था.

(अनुवादः राम लाल खन्ना | संपादन: ऋषभ राज)

(इस फ़ीचर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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