नई दिल्ली: करीब एक साल पहले वसंत विहार की एयर इंडिया कॉलोनी के लोगों ने आखिरी बार कॉलोनी परिसर में जश्न का माहौल देखा था. आरुषि और सचिन की शादी 30 एकड़ में फैले इस परिसर की आखिरी शादी थी जो धूमधाम और भव्य तरह से मनाई गई थी और इसके लिए पहली बार परिसर में मौजूद ग्राउंड का इस्तेमाल किया गया था.
यहां रहने वाले लोगों के लिए वो काफी अच्छे दिन थे. लेकिन शादी में आए मेहमानों को पता था कि ऐसा खुशनुमा वक्त कुछ दिन ही रहने वाला है. एयर इंडिया जिसे टाटा ने खरीद लिया है, जिस कारण सब कुछ बदल जाने वाला है. इसी हफ्ते दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि एयर इंडिया के प्राइवेटाइजेशन के बाद एयर इंडिया लिमिटेड के कर्मचारी अब सरकारी कर्मचारी नहीं हैं और उन्हें सरकारी आवास में रहने का वैध अधिकार नहीं है. पायलट, इंजीनियर से लेकर अन्य स्टाफ तक सभी को 31 जुलाई तक कॉलोनी खाली करनी है.
लेकिन इस कॉलोनी में ऐसे कई परिवार हैं जिनकी दो-तीन पीढ़ियां यहां रहती आई है और इस कॉलोनी से उनकी यादें जुड़ी हुई हैं. करीब 125 परिवार अब भी इस कॉलोनी में रह रहे हैं और उन्हें अगले कुछ महीनों में यह जगह छोड़नी है.
जनवरी 2022 में एयर इंडिया के निजीकरण के बाद 67 परिवारों ने उसी साल जुलाई में दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया और यहां बने रहने की मांग की क्योंकि यह जगह उनकी विरासत से जुड़ी हुई थी. जब कोर्ट ने उनकी दलील नहीं मानी तो उन्होंने बच्चों के बोर्ड परीक्षाओं का हवाला देकर कुछ और समय मांगा.
जब यह जगह गुलजार रहती थी तब यहां रहने वाले सभी लोग एक परिवार की तरह रहते थे. दिवाली, क्रिसमस, होली से लेकर दशहरा तक सारे त्योहार साथ मनाए जाते थे. और तो और परिसर के पार्क में होने वाली रामलीला दक्षिणी दिल्ली की मशहूर रामलीलाओं में से एक मानी जाती है. वहीं लगभग बच्चे एक ही स्कूल में जाते थे और अक्सर उनके नंबरों पर एयर इंडिया के दफ्तर में उनके परिजन चर्चा करते थे.
कभी 800 से ज्यादा परिवार इस कॉलोनी में रहते थे जिसका निर्माण 1980 के दशक में हुआ था. लेकिन अब यही कॉलोनी एक ‘घोस्ट टाउन’ में तब्दील हो चुकी है. चारों तरफ मुर्दा शांति बिखरी हुई है और इक्के-दुक्के लोग ही इस बड़ी सी कॉलोनी में नजर आते हैं. जो लोग बच गए हैं वो आपस में यही पूछते हैं कि वो कब तक यहां से जाएंगे.
एयर इंडिया की दिल्ली और मुंबई में स्थित हाउसिंग कॉलोनी में हजारों लोग रहा करते थे. जब 2022 में टाटा ने एयर इंडिया लिमिटेड खरीदा तो नॉन कोर एसेट्स जैसे कि भूमि और बिल्डिंग एयर इंडिया एसेट्स होल्डिंग कंपनी को ट्रांसफर हो गई जिसे केंद्र सरकार ने 2019 में एयर इंडिया के कर्ज और नॉन कोर एसेट्स की होल्डिंग के लिए बनाया था. वर्तमान में ये जमीन शहरी विकास मंत्रालय के अंतर्गत है.
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परिसर में बिखरी यादें और खाली होती इमारतें
पिछले महीने की 15 मार्च तक इस कॉलोनी के गेट पर एयर इंडिया हाउसिंग कॉलोनी का बड़ा सा बोर्ड लगा होता था जिसपर लिखा था- आपका दिल से स्वागत है. लेकिन इस बोर्ड को हटा दिया गया और सीपीडबल्यूडी ने एक नया बोर्ड लगा दिया है जिस पर लिखा है: यह भूमि भारत सरकार की है. अतिक्रमक सजा के भागीदार होंगे.
कॉलोनी में पांच ब्लॉक है. एयर इंडिया में पोस्ट के हिसाब से लोगों को घर अलॉट होते थे. हालांकि 2020 के बाद से किसी को यहां घर अलॉट नहीं हुआ था. लेकिन 600 से ज्यादा परिवार यहां से घर छोड़कर जा चुके हैं और घरों पर अब ताले नजर आते हैं. कुछ ही महीनों में इन घरों की हालत ऐसी हो गई है कि जैसे कि यहां सालों से लोग नहीं रह रहे हों.
70 वर्षीय राम जन्म प्रसाद एयर इंडिया से काफी पहले रिटायर हो चुके हैं और उनका परिवार इसी साल जनवरी में वसंत कुंज शिफ्ट हो गया है. लेकिन कॉलोनी के अंदर मौजूद पोस्ट ऑफिस में उनका खाता चल रहा है जिस वजह से सोमवार को उनको यहां आना पड़ा. कॉलोनी में घुसते ही दशकों तक यहां रहने की यादें उनके मन में तैरने लगी. पुराने पड़ोसी से लेकर झाड़ू लगाने वाले तक उन्हें देखकर ठहर गए और हालचाल पूछने लगे.
एक घर की तरफ इशारा करते हुए प्रसाद ने कहा, “कुछ महीने पहले तक इस घर में लोग रहा करते थे. अब यही खंडहर हो गया है. कुछ दिन में पूरी कॉलोनी खाली हो जाएगी.”
27 वर्षीय नेहा का बचपन भी इसी कॉलोनी में बीता है. सोमवार को जैसे ही उनकी कार अपने घर के बाहर रुकती है वैसे ही उनका कुत्ता उनकी तरफ दोड़ता है और घर में पाला गया तोता आवाजें निकालने लगता है. नेहा के चेहरे पर साफ तौर पर मायूसी झलकती है लेकिन वो बड़े शान से बताती हैं कि इसी कॉलोनी में मशहूर बॉलीवुड अभिनेत्री तृप्ति डिमरी (जिन्होंने बुलबुल और कला जैसे हिट फिल्म में काम किया है) का भी बचपन बीता है और वो उसके साथ खेला करती थी.
वह बताती हैं, “मेरा पूरा बचपन यहीं बीता है. यहां चारों तरफ हरियाली है, ऐसी जगह कहीं और नहीं मिलेगी. आसपास रहने वाले लोगों के साथ हमारे परिवार की यादें जुड़ी थीं लेकिन लोग अब घर खाली कर जाने लगे हैं.”
रविवार की एक घटना बताते हुए नेहा कहती है, “जो लोग यहां से घर छोड़कर चले गए हैं, भले ही उन्होंने बड़े घर खरीद लिए हों लेकिन जैसा वातावरण यहां का है, वैसा उन्हें वहां नहीं मिल रहा. इसलिए वे लोग अक्सर यहां आ जाया करते हैं. हमारे लिए यह कॉलोनी एक कम्युनिटी जैसी थी.”
नेहा के घर के ठीक सामने रहने वाला परिवार, जो यहां से चला गया है, बीते रविवार अपने पुराने घर को देखने आया. नेहा कहती हैं, “उनका कहना था कि ऐसी हवा कहां मिलेगी. हमें अपने घर की याद आती है.”
इस कॉलोनी में हर तरह की सुविधाएं मौजूद है जो एक सरकारी हाउसिंग सोसाइटी में होती है. केंद्रीय भंडार, पोस्ट ऑफिस, एमसीडी स्कूल, बड़े-बड़े पार्क, सीनियर सिटिजन के लिए बैठने की जगह से लेकर कपड़ों में प्रेस करने की दुकानों तक.
50 वर्षीय कृष्णा का परिवार बीते 30 सालों से कॉलोनी में रहने वाले लोगों के कपड़े प्रेस करता है लेकिन अब उनका दिन लगभग खाली ही बीतता है क्योंकि लगभग परिवार यहां से जा चुके हैं.
कपड़ों से भरे मेज के एक कोने में लेटी कृष्णा कहती हैं, “अब गिने-चुने लोग ही यहां बच गए हैं. हमारी कमाई तो बिल्कुल ही कम हो गई है. मुश्किल से 100-150 रुपए कमा पाते हैं इसमें कैसे बच्चों का स्कूल और घर का खर्च निकलेगा.”
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लोगों के लिए कॉलोनी में रहना मुश्किल बना दिया गया
पिछले साल अक्टूबर में कॉलोनी में पानी की आपूर्ति बंद कर दी गई थी वहीं लिफ्ट भी बंद कर दी गई. वर्तमान आरडब्ल्यूए जो कि रजिस्टर्ड नहीं है, उसके एक सदस्य ने बताया, “बुनियादी सुविधाओं को बंद कर दिया गया ताकि लोग खुद से ही घर छोड़कर चले जाए.”
उन्होंने कहा, “हमारे एचआरए के पैसे से ही मेंटेनेंस हो रहा था कॉलोनी का. हर सरकारी कॉलोनी में ऐसा होता है. अक्टूबर के बाद पैसा सरकार के पास गया लेकिन मेंटेनेंस बंद कर दिया गया.” कॉलोनी में अभी रह रहे परिवारों ने अपने खर्च पर स्वीपिंग के काम के लिए 8 लोगों को हायर किया है वहीं लिफ्ट और पंप ऑपरेटर को भी रखा है.
वहीं यहां रहने वाले कई परिवारों ने कहा कि कर्मचारियों की सैलरी भी काटी जा रही है. आरडबल्यूए के सदस्य ने बताया, “कोर्ट में मामला होने के बावजूद सैलरी कटिंग हो रही थी.”
परिसर के गेट नंबर दो के पास का एक चार मंजिला ब्लॉक लगभग खाली पड़ा है. उस ब्लॉक में रहने वाली एक महिला ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “हम तो इस स्थिति में हैं कि कुछ बोल तक नहीं सकते. मेरे पति की हर महीने सैलरी कट होकर आ रही है. अब तो यहां से जाना ही पड़ेगा और एयर इंडिया वीआरएस लेने का भी दबाव बना रही है.”
दिप्रिंट ने कॉलोनी और वीआरएस पर एयर इंडिया की प्रतिक्रिया जानने के लिए संपर्क किया लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया. कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, “एयर इंडिया अभी इस मुद्दे पर कोई भी बयान नहीं दे सकता.”
लेकिन भले ही यहां से हर कोई चला जाए लेकिन अब भी यहां कई विरासत है जो बची रहने वाली है.
केंद्रीय भंडार में काम करने वाले एक कर्मचारी राजू ने कहा, “एमसीडी स्कूल, पोस्ट ऑफिस और केंद्रीय भंडार यहीं रहने वाले हैं.”
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अंतिम लड़ाई
एयर इंडिया कॉलोनी अब एक वीरान जगह बन चुकी है जहां मुश्किल से ही कोई नजर आता है. कुछ साल पहले तक यहां सुबह-शाम 15 से ज्यादा गार्ड सुरक्षा में रहते थे लेकिन अब मुश्किल से यह संख्या 4-5 रह गई है. पोस्ट ऑफिस वीरान पड़ा है, परिसर के अंदर की मार्केट बंद पड़ चुकी है और पार्क एकदम सुनसान पड़े रहते हैं.
लेकिन इस कॉलोनी में रहने वाले लोगों ने आखिरी दम तक यहां रुकने के लिए जंग लड़ी है. पहली बार कॉलोनी खाली करने का नोटिस 29 अक्टूबर 2021 को आया था और फिर 23 मई 2022 को, कि 26 जुलाई 2022 तक कॉलोनी खाली हो जानी चाहिए. लेकिन लोगों ने सरकार से मांग की कि एयर इंडिया की बिक्री होने के एक साल तक उन्हें वहां रहने दिया जाए जो समय 27 जनवरी 2023 को खत्म हो गया.
कोर्ट के आदेश में लिखा गया है कि 9 मार्च 2023 को याचिकाकर्ताओं ने एक हलफनामा देकर कहा कि 146 ऑक्युपेंट्स में से 54 ने पहले ही जगह खाली कर दी है वहीं 66 परिवार 31 जुलाई तक खाली कर देंगे. वहीं 38 परिवार इस जमीन के मोनिटाइज होने के एक महीने के भीतर जगह खाली कर देंगे.
आरडब्ल्यूए के सदस्य ने कहा, “इन 38 परिवारों का कहना है कि सरकार लोगों को यहां से निकालने के बजाए एक स्टैंडर्ड रेट पर उन्हें यहीं पर जमीन दे दें.” लेकिन कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया.
कोर्ट के आदेश के अनुसार, “वसंत विहार की एयर इंडिया कॉलोनी में अभी रह रहे लोगों के पास यहां बने रहने का कोई अधिकार नहीं है. वसंत विहार की एयर इंडिया कॉलोनी के क्वार्टर्स आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय की जमीन पर है.”
31 जुलाई में अभी चार महीने बाकी हैं और यहां रहने वाले लोगों को अभी भी कुछ उम्मीद बाकी है. हाई कोर्ट के आदेश के बाद आरडब्ल्यूए के सदस्य ने कहा, “अभी आदेश आया है. हम लीगल ऑप्शन देख रहे हैं.”
कॉलोनी के लोग आखिरी बार आरुषि और सचिन की शादी में ही एक साथ आए थे. यहां तक कि टेंट हाउस के मालिक तक को उस शादी के बारे में याद है.
आरुषि और सचिन की शादी को ओम टेंट हाउस ने भव्य बना दिया. टेंट हाउस के मालिक राम बाबू चौधरी ने बताया, “जब हम डेकोरेशन और केंटरिंग का काम कर रहे थे तो हमें मालूम था कि इस कॉलोनी को खाली कराया जा रहा है. कुछ परिवार खाली कर जा भी चुके थे.”
उन्होंने कहा, “इस कॉलोनी से हमें काफी ऑर्डर मिलते थे. यहां से लोगों के जाने से हमारा धंधा भी प्रभावित हुआ है.”
पहले शादी के लिए कम्युनिटी सेंटर का इस्तेमाल होता था लेकिन पहली बार बच्चों के ग्राउंड का इस्तेमाल किया गया था. किसी ने भी कोई ऐतराज नहीं जताया. संगीत की धुन पर सब झूम रहे थे. कहीं न कहीं लोगों के मन में ये बात थी कि आखिरी बार वो इस तरह से एक साथ जश्न मना रहे हैं.
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