गांधीनगर: बड़ी संख्या में युवा और थके हुए वित्त पेशेवर सूर्यास्त के समय बड़ी-बड़ी और कांच से सजी हुई इमारतों से बाहर निकलते हैं. जैसे ही सभी पुरुष और महिलाएं इन चौड़ी और सुंदर सड़कों से होते हुए ऑफिस वैन में बैठकर अपने घर की ओर निकलते हैं, उसी समय ढलते हुए सूरज की किरणें इन इमारतों के शीशों पर पड़ती है. यह दृश्य गुरुग्राम और मुंबई के व्यस्त व्यापारिक जिलों से काफी अलग है, जहां पेशेवर लोग काम के बाद निकटतम पब या रेस्तरां में जाते हैं.
लेकिन गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी या गिफ्ट सिटी, भारत का नया वित्तीय व्यवसाय जिला और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पसंदीदा परियोजना, एक सूना और बेजान केंद्र है.
यहां काम करने वाले लोगों का कहना है कि इस चमकदार नए स्मार्ट शहर में आत्मा, उत्साह और शराब का अभाव है, जो नए भारत में युवा शहरी कार्यबल के लिए आवश्यक सहायक उपकरण हैं. और, यह वॉक-टू-वर्क लक्ष्य में भी विफल हो रहा है. अभी के लिए, गिफ्ट सिटी टेक-ऑफ मोड में है.
गांधीनगर जिले में स्थित, GIFT सिटी की परिकल्पना 2007 में की गई थी और इसे भारत का पहला ग्रीनफील्ड स्मार्ट सिटी और इंटरनेशनल फाइनेंसियल सर्विस सेंटर (IFSC) माना जाता है. आज, गिफ्ट सिटी ओरेकल, बैंक ऑफ अमेरिका, सिरिल अमरचंद मंगलदास लॉ फर्म, सिटी बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज जैसी 400 से अधिक कंपनियों के 20,000 से अधिक कर्मचारियों का घर है. यहां एक कमोडिटी एक्सचेंज और एक बुलियन एक्सचेंज भी है.
टावर 1 में अपने ऑफिस बिल्डिंग के बाहर खड़े सुधी रंजन साहा गर्म चाय का कप और सिगरेट अपने हाथ में पकड़े हुए कहते हैं, “उन्होंने इसे खूबसूरती से बनाया है, लेकिन इरादा इसे सिंगापुर जैसा बनाने का था. ऐसा लगता है कि वह उद्देश्य पीछे रह गया है.” उन्होंने 2015 में छह महीने के लिए गिफ्ट सिटी में काम किया और पिछले दो साल से फिर से यहीं काम कर रहे हैं.
साहा को गुजरात के अन्य स्थानों की तरह गिफ्ट सिटी में भी निषेध का ध्यान है, और इसका गांधीनगर के निकट होना भी मदद नहीं करती है. उन्होंने कहा, “बैंकिंग और वित्त में, शराब और एक व्यस्त शहर संस्कृति का हिस्सा हैं. अहमदाबाद में कुछ हद तक यह है, लेकिन यह एक शांत शहर है.”
यहां अन्य समस्याएं भी हैं. अब तक, केवल एक आवासीय परियोजना पूरी हुई है – जनाधार मंगला जिसमें निम्न-आय समूहों के लिए घर हैं और कुछ अन्य पर काम चल रहा है. लेकिन गिफ्ट सिटी का ‘वॉक टू वर्क’ मोटो एक सपना बना हुआ है. जब तक किसी के पास गाड़ी न हो, गांधीनगर या अहमदाबाद से गिफ्ट सिटी तक यात्रा करना एक संघर्ष है. एक अकेला फाइव स्टार होटल और कुछ रेस्तरां, काम के बाद के मनोरंजन को पूरा नहीं कर सकते है.
गिफ्ट सिटी के प्रबंध निदेशक और समूह सीईओ तपन रे ने दिप्रिंट के कॉल और टेक्स्ट संदेशों का जवाब नहीं दिया.
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सिंगापुर से बहुत दूर
गिफ्ट सिटी के पीछे का दृष्टिकोण कार्यालय स्थानों, आवासीय अपार्टमेंट, स्कूलों, अस्पतालों और होटलों से लेकर क्लबों, खुदरा और मनोरंजक सुविधाओं तक हर कल्पनाशील बुनियादी सेवा के साथ एक आत्मनिर्भर शहर बनाना था. अंतिम लक्ष्य दुबई और सिंगापुर जैसे वैश्विक वित्तीय केंद्रों के साथ प्रतिस्पर्धा करना था.
पूर्व ग्रुप सीईओ ने कहा, “कंपनियों के अधिकांश कार्यबल मुंबई जैसी जगहों पर हैं.
भले ही यह शहर, 62 मिलियन वर्ग फुट निर्मित क्षेत्र के साथ 886 एकड़ भूमि में फैला हुआ है, जिसमें विभिन्न आधुनिक बुनियादी ढांचें हैं, एक यूटिलिटी टनल, एक डिस्ट्रिक्ट कूलिंग सिस्टम और एक ऑटोमेटेड वेस्ट कलेक्शन सिस्टम होने के बाद भी विशेषज्ञों का तर्क है कि यह सिंगापुर और दुबई के पहुंच से बहुत दूर है. अब तक, कंपनियों को 22 मिलियन वर्ग फुट से अधिक भूमि आवंटित की जा चुकी है, जिसमें कुल प्रतिबद्ध निवेश 240 मिलियन डॉलर से अधिक है.
रमाकांत झा, जिन्होंने 2010 से 2015 तक प्रबंध निदेशक और ग्रुप सीईओ के रूप में कार्य किया और शहर के अधिकांश भौतिक बुनियादी ढांचे के विकास की देखरेख की, कहते हैं कि “कई कंपनियों ने गिफ्ट सिटी में रुचि दिखाई है, लेकिन उनमें से कई के पास केवल छोटे सेटअप वाले शेल कार्यालय हैं. उनका अधिकांश कार्यबल मुंबई जैसी जगहों पर है. हालांकि यहां निर्माण 2012 में शुरू हुआ, लेकिन ड्रिल की आवाज़ और क्रेन की आवाजाही अभी भी आम है.
GIFT सिटी में एक विशिष्ट घरेलू क्षेत्र और एक बहु-सेवा स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन (SEZ) है. 2015 में, मोदी सरकार ने घरेलू अर्थव्यवस्था के अधिकार क्षेत्र से बाहर व्यापार को आकर्षित करने के लिए IFSC को भी अधिसूचित किया था. आईएफएससी सीमाओं के पार वित्तीय उत्पादों और सेवाओं के प्रवाह से निपटते हैं. फिलहाल, ग्लोबल फाइनेंशियल सेंटर्स इंडेक्स में गिफ्ट सिटी को 62वें स्थान पर रखा गया है, जो कि सिंगापुर से काफी दूर है, और न्यूयॉर्क और लंदन के बाद तीसरे स्थान पर है.
GIFT IFSC कई लाभ प्रदान करता है, जिसमें IFSC क्षेत्र में कार्यालय इकाइयों के लिए 10 वर्षों के लिए कुल कर छूट, नई कर व्यवस्था का चयन करने वाली कंपनियों के लिए कोई न्यूनतम वैकल्पिक कर नहीं, इकाइयों द्वारा प्राप्त सेवाओं पर माल और सेवा कर (जीएसटी) छूट, आईएफएससी में इकाइयों द्वारा प्राप्त सेवाओं पर छूट, निवेशकों के लिए आईएफएससी एक्सचेंजों में किए गए लेनदेन पर कोई जीएसटी नहीं, और राज्य सब्सिडी की एक श्रृंखला शामिल हैं.
IFSC के लिए एक एकीकृत नियामक, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (IFSCA) की स्थापना, जिसने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) जैसे चार घरेलू नियामकों की भूमिकाओं को संयोजित किया, साथ ही पेंशन फंड नियामक-विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए), और भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने निवेश को और बढ़ावा दिया.
गिफ्ट सिटी गैर-आईएफएससी एसईजेड इकाइयों के लिए भी प्रोत्साहन प्रदान करता है जिसमें एसईजेड में आयातित सभी वस्तुओं के लिए सीमा शुल्क में छूट, सेवाओं पर जीएसटी और संघ या राज्य सरकार से सभी अनुमोदनों के लिए सिंगल विंडो मंजूरी शामिल हैं.
झा कहते हैं, दुनिया भर से सीनियर पेशेवर यहां नहीं आए क्योंकि उनके पास सिंगापुर जैसे व्यापारिक जगह में सभी संभव सुविधाएं हैं.
उन्होंने आगे कहा, “हम इसकी बराबरी नहीं कर पाए हैं. इसे बेहतर करने की बात तो दूर. वहां एक संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र विकसित किया गया है. हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि कहीं हम अपने मकसद से भटक न जाएं.”
लगभग 10 साल पहले, गिफ्ट सिटी कंपनी ने एक क्षेत्रीय योजना तैयार की थी, जिसमें आसपास के अतिरिक्त 2,500 एकड़ क्षेत्र को शामिल किया गया था. चूंकि अंतिम लक्ष्य गिफ्ट सिटी में लगभग दस लाख लोगों को काम करना था, इसलिए शहर को इतना बड़ा होना आवश्यक था कि वह प्रति परिवार कम से कम तीन सदस्यों के लिए कार्यालय स्थान, आवास, स्कूल, कॉलेज, अस्पताल और मनोरंजन प्रदान कर सके. लेकिन वर्तमान आकार यह सब बिल्कुल भी प्रदान नहीं कर सकता.
रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार अब इस पर कार्रवाई कर रही है. विस्तार से परियोजना क्षेत्र में चार गांवों में फैली 2,300 एकड़ जमीन जुड़ जाएगी.
मुंबई स्थित धन प्रबंधन और निवेश सलाहकार फर्म डीआर चोकसी फिनसर्व प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक देवेन चोकसी कहते हैं, “आईएफएससी, एक एकीकृत नियामक है, जो पूंजी बाजार के उत्पादों का निर्माण कर रहा है, जिनका गिफ्ट सिटी से कारोबार किया जा रहा है और त्वरित मंजूरी के साथ बैंकों और वित्तीय संस्थानों को मदद मिल रही है, जिससे कंपनियों को व्यापार जिले में आकर्षित किया गया है और यह निवेशकों के देश में आने का प्रवेश द्वार बन गया है.”
हालांकि, निषेध कानून और काम के बाद आराम करने के विकल्पों की कमी अभी भी बहुराष्ट्रीय कंपनियों और विदेशी निवेशकों के लिए प्रमुख बाधाएं हैं. चोकसी कहते हैं, ”दूसरे चरण (गिफ्ट सिटी विस्तार के) में उन्हें इसी पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है.”
काम के अलावा कुछ नहीं
पिछले साल जुलाई में, द इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक साक्षात्कार में, सिंगापुर के उच्चायुक्त साइमन वोंग ने गिफ्ट सिटी को “काम के घंटों के बाद घोस्ट टाउन” कहा था.
लेकिन दिन में भी यह काफी सुनसान रहता है.
बुधवार को दोपहर के लगभग 1.30 बजे, दोपहर के भोजन के समय के दौरान, बंटी राजपूत एक छोटे से दक्षिण भारतीय भोजनालय, संकल्प एक्सप्रेस में इत्मीनान से खड़े है. यह गिफ्ट टावर्स 1 और 2 के पास एकमात्र रेस्तरां है. किसी भी अन्य व्यावसायिक जिले में, टेबल के लिए इंतजार करने वाले लोगों की कतार होती, लेकिन संकल्प एक्सप्रेस के प्रबंधक, राजपूत, आराम करने का जोखिम उठा सकते हैं. इतनी देर में दो टेबल पर खाना परोसने का कान खत्म किया गया.
भोजनालय के पीछे पार्किंग स्थल के बगल में एक छोटी सी चाय की दुकान है. शाम को जैसे ही कार्यालय खाली हो जाते हैं, पार्किंग स्थल की ओर जाने वाला हर दूसरा व्यक्ति यहीं रुकता है.
गिफ्ट सिटी के अकेले फाइव स्टार होटल, ग्रैंड मर्क्योर ने 2019 में अपनी स्थापना की. इसमें दो बहुत कम भीड़ वाले रेस्तरां हैं- संगम, एक पूरे दिन चलने वाला बहु-व्यंजन भोजनालय जिसमें आकर्षक फ्यूजन सजावट है, जिसमें कुर्सियों के पीछे मंडला कला है और छत से लटकते लम्बे लैंप. और एक समोराह, एक बढ़िया भोजन वाला विशेष रेस्तरां जो प्रसिद्ध गुजराती थाली पेश करता है. ग्रांड मर्क्योर गिफ्ट सिटी में एकमात्र स्थान है जहां कोई ठंडी बियर या स्कॉच के लिए अपनी लालसा को शांत कर सकता है. परमिट धारक होटल की शराब की दुकान से शराब खरीद सकते हैं और अपने कमरों में पी सकते हैं.
यहां एक गिफ्ट सिटी क्लब भी है, जिसमें दो रेस्तरां, एक पूल और एक स्पोर्ट्स बार, आफ्टरवर्क्स शामिल है.
हालांकि, शराब बेचने की अनुमति के बिना, क्लब की वेबसाइट पर बार की एक तस्वीर में चार गिलास को एक-दूसरे के साथ टकराते हुए देखा जा सकता है जिसमें बीयर मग या शैंपेन नहीं, बल्कि जूस और पानी भरा हुआ है.
ग्रैंड मर्क्योर में सात महीने से काम कर रही डिंपी उन कुछ लोगों में से हैं जो गिफ्ट सिटी में काम करते हैं और वहीं रहते भी हैं. होटल ने अपने कर्मचारियों के लिए जनाधार मंगला कॉम्प्लेक्स में मकान किराए पर लिए हैं.
वह कहती हैं, “हर ज़रूरत के लिए, छोटी या बड़ी, मुझे गांधीनगर जाना पड़ता है. हमारे पास अंडे और ब्रेड जैसी मुख्य चीजें खरीदने के लिए बस एक छोटी सी किराने की दुकान है. यहां कोई मॉल, कोई कैफ़े नहीं है.”
राज्य परिवहन निगम द्वारा चलाई जाने वाली इलेक्ट्रिक बसें गांधीनगर को गिफ्ट सिटी से जोड़ती हैं, लेकिन लगभग हर चीज के लिए शहर की यात्रा करना काफी कठिन साबित होता है.
हातिम खोकावाला के लिए, जो कॉलेज के तुरंत बाद अमेरिका स्थित एक चिप निर्माता में शामिल हो गए, GIFT सिटी का वातावरण “बहुत अच्छा” है.
खोकावाला कहते हैं, ”मेरी कंपनी परिवहन, एक अच्छा कैफेटेरिया जैसी कई चीजें मुहैया कराती है.” लेकिन कुछ चीजें ऐसी हैं जिनका उन्हें अनुभव नहीं हो पा रहा हैं. पहला है महानगरीय संस्कृति. वह कहते हैं, ”मैं जिनके साथ काम करता हूं उनमें से ज्यादातर गुजरात के स्थानीय लोग हैं.” उनकी दूसरी शिकायत पूरे गिफ्ट सिटी में सर्वव्यापी है – काम के बाद घूमने की जगह का न होना.
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गुजराती गौरव
यहां समस्याओं के बावजूद गुजराती गौरव बहुत है. स्थानीय कर्मचारी, व्यवसायों के प्रमुख, साथ ही उद्योगपति गिफ्ट सिटी के बारे में एक महत्वाकांक्षी दृष्टि के रूप में बात करते हैं जिसे आकार लेने में अपना स्वाभाविक समय लग रहा है.
गुजरात ने पिछले कुछ वर्षों में राज्य भर में सफलतापूर्वक कई निवेश केंद्र बनाए हैं, जैसे कि साणंद या तापी. लेकिन ये सभी अधिकतर औद्योगिक विनिर्माण संपदाएं हैं. इसकी तुलना में गिफ्ट सिटी, राज्य के लिए सीखने का एक नया मोड़ है.
बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अमित ढोलकिया कहते हैं, गिफ्ट सिटी को राज्य में द्विदलीय समर्थन प्राप्त है.
उन्होंने कहा, ”कांग्रेस ने विधानसभा के अंदर या बाहर गिफ्ट सिटी को लेकर कभी कोई सवाल नहीं उठाया. कुल मिलाकर, इसे गुजरात के लिए कुछ अच्छा माना जा रहा है, कुछ ऐसा जो राज्य को वैश्विक मानचित्र पर लाएगा. यह गर्व और दूरदर्शिता जैसे शब्दों से जुड़ा है.”
समर्थक आगामी मेट्रो लाइन और मनोरंजक सुविधाओं के ब्लूप्रिंट को उजागर करना पसंद करते हैं, जिसमें ‘गिफ्ट आई’ – लंदन आई को मात देने के लिए एक फेरिस व्हील शामिल है.
चिराग पटेल, जो तीन महीने से गिफ्ट सिटी के दलाल स्ट्रीट में एक व्यापारी के रूप में काम कर रहे हैं, कहते हैं, “सार्वजनिक परिवहन बसों की आवृत्ति को शिफ्ट समय के साथ समन्वित किया जाता है. इससे कर्मचारियों को कुछ काम निपटाने के लिए रुकने की सुविधा नहीं मिलती है, जब तक कि उनके पास अपना वाहन न हो.”
रतन मूंदड़ा कहते हैं, “इसमें थोड़ा समय लगेगा लेकिन GIFT सिंगापुर की तरह सामने आएगा.”
लेकिन पटेल ने तुरंत कहा कि गिफ्ट सिटी को गांधीनगर और अहमदाबाद से जोड़ने वाली निर्माणाधीन मेट्रो रेलवे लाइन अगले साल किसी समय चालू हो जाने पर परिवहन संकट अतीत की बात बन सकती है.
उन्होंने कहा, “इन अच्छी सड़कों, सुनियोजित इमारतों को देखो. बाकी सब कुछ भी अपने समय पर आएगा…ये सब मोदीजी का विजन है.”
GIFT सिटी कंपनी ने SEZ क्षेत्र में न्यूनतम 20.59 एकड़ में होटल, कन्वेंशन सेंटर, एम्यूजमेंट पार्क, ग्रीन स्पेसेस, थिएटर, आर्ट गैलरी, वॉटर स्पोर्ट, गेमिंग ज़ोन आदि विकसित करने के लिए सितंबर में एक अभिव्यक्ति (EOI) जारी की गई थी.
मून एसईजेड कंसल्टेंट्स के संस्थापक रतन मूंदड़ा, जो ग्राहकों को एसईजेड और आईएफएससी क्षेत्रों में आधार स्थापित करने या लेनदेन करने में मदद करता है, कहते हैं कि किसी भी नई चीज़ में कुछ बाधाएं होंगी. इसमें कुछ समय लगेगा लेकिन GIFT सिंगापुर की तरह सामने आएगा. मून एसईज़ेड का GIFT सिटी में एक छोटा सा कार्यालय है और इसने शहर में आने वाले कई वैकल्पिक निवेश कोष, फंड प्रबंधकों और सहायक कंपनियों को अपनी सेवाएं प्रदान की हैं.”
उन्होंने कहा, “सामाजिक बुनियादी ढांचा तैयार होगा, लेकिन हमें कुछ नियामक बदलावों की भी जरूरत है. एसईजेड और आईएफएससी अनुमोदन के लिए एकल समेकित विंडो की आवश्यकता है.”
गिफ्ट सिटी निवेशकों के साथ काम करने वाले सलाहकारों का कहना है कि केंद्र और राज्य सरकारें बाधाओं की पहचान कर रही हैं और जहां आवश्यक हो, नियामक परिवर्तन कर रही हैं.
अहमदाबाद स्थित रियल एस्टेट सलाहकार कमल वतालिया का कहना है कि गुजरात सरकार ने GIFT सिटी में आवासीय रियल एस्टेट में निवेश को बढ़ावा देने के लिए 2021 में एक महत्वपूर्ण संशोधन किया है.
वातालिया कहते हैं, जिन्होंने गिफ्ट सिटी में वाणिज्यिक और आवासीय सौदों पर बारीकी से काम किया है, “पहले केवल गिफ्ट सिटी में काम करने वाले लोग ही वहां आवासीय संपत्ति के मालिक हो सकते थे. 2021 में, उन्होंने पहले 5,000 घरों के लिए नियम में ढील देते हुए कहा कि कोई भी घर खरीद सकता है और गिफ्ट सिटी के अंदर रह सकता है. कई बिल्डर आगे आए और लॉन्च के समय ही लगभग 80-90 फीसदी स्टॉक बिक गया.”
रियल एस्टेट ब्रोकर कहते हैं, “अक्षय कुमार का निवेश गुजरात के बाहर के निवेशकों के लिए एक विक्रय बिंदु है.”
सोभा लिमिटेड, काव्यरत्न ग्रुप, एटीएस सेवी डेवलपर्स एलएलपी, संगथ इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड और शिवालिक ग्रुप जैसे बिल्डरों द्वारा अब आवासीय परियोजनाओं का एक समूह निर्माणाधीन है. वटालिया का कहना है कि कम से कम दो बिल्डर इस साल कब्जा सौंपना शुरू कर देंगे.
नियमों में बदलाव से GIFT सिटी को अपना सबसे बड़ा कॉलिंग कार्ड, यानि एक बॉलीवुड स्टार – पाने में मदद मिली. इस साल जून में, अभिनेता अक्षय कुमार ने एक शानदार नदी के सामने वाला डुप्लेक्स अपार्टमेंट खरीदा.
गिफ्ट सिटी में सौदों पर काम कर चुके रियल एस्टेट ब्रोकर मितेश ठक्कर कहते हैं, “अक्षय कुमार का निवेश गुजरात के बाहर के निवेशकों के लिए एक विक्रय बिंदु है जो अधिक शांतिपूर्ण जीवन के लिए व्यस्त, तेज गति वाले केंद्रों को छोड़ना चाहते हैं.”
रमाकांत झा कहते हैं कि हालांकि ये सही दिशा में उठाए गए कदम हैं, लेकिन इस परियोजना के लिए कुछ अलग सोच की जरूरत है.
झा कहते हैं, “पूरे क्षेत्र को एक राष्ट्रीय शहर के रूप में अधिसूचित किया जा सकता है, जिसे हम वैश्विक वित्त शहर कहते हैं, और इसे केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अधीन रखा जा सकता है, जैसे छावनी क्षेत्र रक्षा मंत्रालय के अधीन होते हैं. वित्त मंत्रालय द्वारा एकत्र किया गया सारा कर गिफ्ट सिटी के लिए आवंटित किया जा सकता है.”
इस तरह, देश, यानी गुजरात राज्य के कानूनों से अलग, विशिष्ट नियम और कानून होंगे.
झा सुझाव देते हैं, GIFT IFSC में एकत्रित कर का एक छोटा प्रतिशत – लगभग 10 प्रतिशत, अलग रखा जा सकता है और इसे व्यावसायिक जिले में बुनियादी ढांचे और सामाजिक सुविधाओं के विकास के लिए वापस लगाया जा सकता है.
BKC से बेहतर
महाराष्ट्र आईएफएससी पैनल के सदस्य ने कहा, “पैनल में शामिल लोगों ने केंद्र में मंत्रियों को अनौपचारिक रूप से बताया था कि कैसे गांधीनगर और अहमदाबाद मुंबई की नकल करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं.”
गिफ्ट सिटी को अपना आईएफएससी टैग तब मिला जब भाजपा के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार, पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस के नेतृत्व में, मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) को एक व्यवहार्य आईएफएससी उम्मीदवार के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रही थी.
जब यह स्पष्ट हो गया कि मोदी सरकार ने सबसे पहले आईएफएससी बनने के लिए गिफ्ट सिटी को चुना है, तो महाराष्ट्र ने मुंबई और गिफ्ट सिटी में आईएफएससी के सह-अस्तित्व के लिए एक ‘हब एंड स्पोक’ मॉडल का सुझाव दिया. दोनों केंद्रों में से एक में आधार कार्यालय हो सकता है, जबकि दूसरे में बड़ा सेटअप हो सकता है.
महाराष्ट्र सरकार के मुंबई आईएफएससी पैनल के एक सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि “आखिरकार, अब वही हो रहा है. एक अनौपचारिक हब और स्पोक मॉडल है. पैनल में शामिल लोगों ने केंद्र में मंत्रियों को अनौपचारिक रूप से बताया था कि कैसे गांधीनगर और अहमदाबाद मुंबई की नकल करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं. और हमें कभी भी आधिकारिक तौर पर मुंबई आईएफएससी परियोजना को बंद करने के लिए नहीं कहा गया था.”
लेकिन GIFT सिटी के उत्साही समर्थकों का मानना है कि कभी कोई प्रतिस्पर्धा नहीं थी. गिफ्ट सिटी, स्वयं मोदी द्वारा प्रेरित एक ग्रीनफील्ड विकास होने के नाते, अभी भी एक स्पष्ट विजेता है.
वातालिया कहते हैं, ”यह बीकेसी से बेहतर होने वाला है.” उन्होंने आगे कहा, “आप GIFT सिटी से बाहर निकलें और आधे घंटे के भीतर आप अहमदाबाद हवाई अड्डे पर हैं, जो 21 किमी दूर है. आप बीकेसी से बाहर निकलते हैं, और बुनियादी ढांचे के मामले में कुछ भी नहीं है और आप हवाई अड्डे पर कब पहुंचेंगे इसकी कोई गारंटी नहीं है.”
वैश्विक सूचकांक में गिफ्ट सिटी को 62वें स्थान पर रखते हुए मुंबई को 66वें स्थान पर रखा गया है. कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह क्लासिक चिकन और अंडे वाली स्थिति है. क्या बुनियादी ढांचा पहले आना चाहिए या व्यवसाय?
“अगर आप इसे बनाते है तो वे ज़रूर आएंगे.”
एक स्वतंत्र बाजार विश्लेषक, अंबरीश बालिगा, बीकेसी-गिफ्ट के निकटतम घरेलू प्रतिद्वंद्वी का उदाहरण देते हैं.
उन्होंने कहा, “आपको बस कुछ एंकरों की ज़रूरत है. 2002-03 में बीकेसी क्या था? वहां केवल IL&FS थी. फिर भारत डायमंड एक्सचेंज एक ट्रिगर साबित हुआ. अगला ट्रिगर तब था जब कुछ बैंक स्थानांतरित हो गए. तब आपके पास स्टॉक ब्रोकरेज हाउस वगैरह थे. 2015-16 तक, हमारे पास सभी आवश्यक बुनियादी ढांचे थे और बीकेसी आदर्श स्थान बन गया.”
बालिगा कहते हैं कि चीजें समय के साथ सही हो जाएंगी. गिफ्ट सिटी के बारे में हर चीज़ महानता के लिए अपनी सांसें रोके हुए है. ‘यदि आप इसे बनाएंगे, तो वे आएंगे’, यह प्रचलित मनोदशा प्रतीत होती है.
इस बीच, जैसे ही साहा ने गिफ्ट टावर 1 के बाहर अपनी सिगरेट खत्म की, उन्होंने बताया कि वह पश्चिम बंगाल से हैं, लेकिन मुंबई, बेल्जियम में रह चुके हैं और वर्तमान में अहमदाबाद में रहते हैं. हालांकि उनका जीवन अब तेज़ गति से दूर है, उनका मानना है कि मुंबई में ऐसा कुछ भी नहीं है जो अहमदाबाद नहीं दे सकता – सिर्फ मुफ्त में मिलने वाली शराब को छोड़कर.
“अगर GIFT सिटी को कनेक्टिविटी और मनोरंजन जैसी कुछ चीजें सही मिलती हैं, तो क्या पता….” साहा अपने चाय के कप की ओर देखते हुए कहते हैं, यह आधा भरा हुआ है.
(संपादन: अलमिना खातून)
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