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Monday, 6 May, 2024
होमफीचरहलवाई से लेकर हाई-एंड कैटरर्स—कैसा रहा है दिल्ली के रामा टेंट हाउस के ग्रैंड वेडिंग प्लानर बनने का सफर

हलवाई से लेकर हाई-एंड कैटरर्स—कैसा रहा है दिल्ली के रामा टेंट हाउस के ग्रैंड वेडिंग प्लानर बनने का सफर

जगन्नाथ बत्रा और उनके बेटों ने देखा—कैसे 50 के दशक में घर में होने वाली साधारण शादियों की जगह 70 और 80 के दशक में रस्मी फिजूलखर्ची ने ले ली है.

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लोगों की सांस्कृतिक जड़ों में गहराई से बसा—एक अनूठा भारतीय कारोबार, जो बाज़ार के उतार-चढ़ाव, नीतिगत परिवर्तनों, यहां तक कि बदलती सरकारों से भी प्रभावित नहीं हुआ. मजबूत और मंदी के समय भी भारत के शादियों से जुड़े उद्योग ने हमेशा ऊंचाइयां देखी हैं. दिल्ली के सबसे पुराने वेडिंग प्लानरों में से एक रामा टेंट हाउस ने बीते 70 से अधिक वर्षों में कईं शादियां करवाईं और कई बदलावों को देखा है.

लाहौर में जगन्नाथ बत्रा ने राज्य के बिजली डिपार्टमेंट में बतौर सरकारी कर्मचारी नौकरी की और विभाजन के बाद ज़िंदगी को नए सिरे से शुरू करने की उम्मीद में दिल्ली आ बसे. जल्द ही उन्हें समझ में आ गया कि सुरक्षित दिखने वाली वाली सरकारी नौकरी सामाजिक और वित्तीय उथल-पुथल से अछूती नहीं है. उन्होंने तुरंत ही परिवार के वास्ते अधिक पैसे कमाने और अधिक वित्तीय सुरक्षा की ओर बढ़ने के मकसद से कारोबार के अवसरों की तलाश शुरू कर दी.

तभी उन्हें, विवाह उद्योग में एक उम्मीद की किरण दिखी, जो कि 1950 के दशक में आज की तुलना में कहीं अधिक बेतरतीब उथल पुथल वाला काम था. पुराने दिनों में शादी-ब्याह के कार्यक्रम खुली छतों, आंगनों और बरामदों में आयोजित किए जाते थे, मेहमान हफ्तों तक धर्मशालाओं में रहते थे, पड़ोस के मंदिरों में जगराता या पूजा कराए जाते थे. खान पान, रहन-सहन और रीति-रिवाजों सहित शादी कराना किसी बुरे सपने से कम नहीं था पहाड़ की चोटी पर चढ़ने जैसा काम था.


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कंपनी बनाने के लिए राह चुनना

जगन्नाथ ने बड़े पैमाने पर हलवाई की रसोईए में खाना पकाने के बर्तन किराए पर देने का कारोबार शुरू किया, जिसकी शादियों के लिए हफ्ते तक ज़रूरत पड़ती थी. उन्होंने मेहमानों को ठहराने के लिए कुर्सियां, गद्दे, बोल्स्टर, डुवेट कवर, चादरें, पलंग और लकड़ी के बिस्तर किराए पर देने के लिए एक स्टोर भी खोला.

इसके बाद ज़रूरतें बढ़ने लगीं क्योंकि बुकिंग की लिस्ट लंबी होती चली गई और जगन्नाथ ने औपचारिक रूप से 1956 में रामा टेंट हाउस का शुभारंभ किया. अपने समय का यह एक आधुनिक वेडिंग प्लानर था जो शादी की रस्मों और अन्य सांस्कृतिक समारोहों में टेंट, लाइटें, सजावट, फूल, फोटोग्राफी, संगीत और खानपान एक साथ उपलब्ध करा सकता था.

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रामा टेंट हाउस के पार्टनर-सह-मालिक अखिल बत्रा ने बताया, जगन्नाथ बत्रा के बेटे राम और कुछ साल बाद इस कारोबार में उतरे और उन्होंने देखा कि कैसे 50-60 के दशक में सादगी भरी शादियों 70 और 80 के दशक तक एक औपचारिक बिजनेस की तरह बन गई थी. पारंपरिक हलवाई के बजाय अब हाई-एंड कैटरर्स थे जो मल्टी-कोर्स बुफे पेश करते थे, जिन्हें वर्दीधारी वेटर्स द्वारा परोसा जाता था. सरल टेंटों ने दूल्हा और दुल्हन के लिए थीम्ड स्टेज बैकड्रॉप के साथ फैंसी इलेक्ट्रिक सजावट, रोशनी और फूलों ने आधुनिक लाइटों को रास्ता दिया. “घोड़े पर बैठकर आने वाला दूल्हा अब राजाओं के जैसे रथ में सवार होकर आने लगा और साधारण शादी के बैंड को आज के ज़माने के एक जगमगाते डांस फ्लोर और लाइव संगीतकारों में तब्दील कर दिया गया.”

90 के दशक तक शादी उद्योग ने बड़े आयाम हासिल कर लिए थे, जो एक निजी पारिवारिक रस्म हुआ करती थी वो अब सार्वजनिक तमाशे में तब्दील होने लगी. अब शादियों को परिवार की हैसियत के हिसाब से कॉलिंग कार्ड माना जाने लगा. मेहमानों का स्वागत करने वाले हाथियों से लेकर हेलिकॉप्टर द्वारा हज़ारों लोगों पर फूल बरसाना एक नया नवाबी रिवाज सा बन गया.

टेक्टोनिक शिफ्ट

2000 के बाद से डेस्टिनेशन वेडिंग के चलन ने इस कारोबार को एक ऐसे मुकाम पर पहुंचा दिया, जहां न केवल शीर्ष वैश्विक लक्जरी ब्रांड भारतीयों को लुभा रहे थे, बल्कि विभिन्न देशों के सरकारी पर्यटन बोर्ड भी इस उद्योग पर नज़रें गड़ाए हुए थे.

भारतीय शादी उद्योग में महामारी के दौरान कई आमूलचूल परिवर्तन होने लगे. लगभग दो साल तक सार्वजनिक आयोजन करने की मनाही हो गई. मेहमानों की संख्या खुद-ब-खुद कम होने के साथ विवाह उद्योग को अपनी रूपरेखा बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा. अब विवाह स्थल भीड़भाड़ वाले महानगरों में नहीं, बल्कि एकांत पहाड़ियों के बीच बसे महल दूरस्थ किलों में बनने लगे. यहां तक कि विशेष मेहमानों के लिए आरक्षित विशेष जहाज डेक बन गए, हालांकि, कारोबारियों को झटके लगे लेकिन ग्लैमर और चकाचौंध कभी कम नहीं हुई.

दशकों से शादी उद्योग के बड़े पैमाने पर विकास के कारण, कई नए खिलाड़ियों ने इस कारोबार में गोते लगाए, जिसने रामा टेंट हाउस के लिए मुकाबले को और मुश्किल बना दिया.

हाल ही में कराई गई शादियों की तस्वीरों की ओर मुस्कुरा कर देखते हुए अखिल ने कहा, “रामा टेंट हाउस में हमने अपने बिजनेस को हमेशा ऊपर की ओर बढ़ते हुए देखा है, लेकिन हमें नई और उभरती हुई फर्मों से लगातार दबाव का सामना करना पड़ा. हमारा लक्ष्य हमेशा शानदार और बेहतर सेवाएं प्रदान करने का रहा है. इसलिए हमें भी लगातार अपने खेल में सुधार करना होगा, लीक से हटकर सोचना होगा, प्रतिस्पर्धियों को पछाड़ना होगा और हर इवेंट में खुद को साबित करना होगा. यह स्पष्ट रूप से कमज़ोर दिल वालों का कारोबार नहीं है.”

जगन्नाथ के छोटे से स्टोर रूम से लेकर आज एक मल्टी लेयर सेट-अप तक, जिसमें प्लानर, डिजाइनर, आर्टिस्ट, कैटरर्स और फूलवाले शामिल हैं, जो एक प्रोडक्शन कंपनी के साथ भी जुड़े हैं और शानदार शादियों का सपने देखने वाले दूल्हे और दुल्हन के लिए हर एक पलों की एक फिल्म बनाने के लिए रामा टेंट हाउस बहुत आगे निकल चुका है.

यह लेख बिजनेस हिस्ट्रीज़ नामक सीरीज़ का एक हिस्सा है, जो भारत में प्रतिष्ठित व्यवसायों की खोज कर रहा है, जिन्होंने कठिन समय और बदलते बाज़ारों का सामना किया है. सभी लेख यहां पढ़ें जा सकते हैं.

(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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