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Sunday, 28 April, 2024
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दरभंगा से देवघर तक- छोटे शहर UDAN एयरपोर्ट के साथ बड़े सपने देख रहे हैं लेकिन समस्याएं भी कई हैं

2016 में शुरू की गई पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी UDAN योजना ने पिछले 7 वर्षों में छोटे शहरों और कस्बों में 517 नए उड़ान मार्ग और 76 हवाई अड्डे पेश किए हैं. लेकिन उड़ान के रास्ते में कई समस्याएं भी हैं.

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दरभंगा/देवघर: दीपक यादव का इंस्टाग्राम हैंडल किसी पहाड़, स्मारक या मठ के तस्वीरों से नहीं बल्कि दरभंगा हवाई अड्डे, हवाई जहाज, साथी यात्रियों, टेक-ऑफ और लैंडिंग की तस्वीरों और रील से गुलजार है- जिन पर लता मंगेशकर का जब से मिले नैना जैसे बॉलीवुड गाने लगाए गए है. बिहार के इस छोटे शहर के हवाई अड्डे से बमुश्किल तीन किलोमीटर दूर रहने वाले सेल्स एजेंट को अपनी इस नई जीवनशैली पर गर्व है. उनका छोटा सा शहर भारत के विमानन मानचित्र पर है और वह चाहते हैं कि हर कोई इसके बारे में जाने.

यादव एक रील में कहते हैं, “यह मेरा सपना था कि मैं जब भी और जहां भी यात्रा करूं, तो प्लेन से ही करूं. और अब मैं सिर्फ प्लेन से ही सफर करता हूं.” 2020 में दरभंगा हवाईअड्डा चालू होने के बाद से, यादव उर्वरक जैसे कृषि उत्पाद बेचने के लिए ट्रेन या बस लेने के बजाय दिल्ली और अन्य शहरों के लिए उड़ान भर रहे हैं. उन्होंने शहर को विकसित होते हुए भी देखा है और अब यहां एक कैफे, बड़े वेयरहाउस, एक स्टार्ट-अप इनक्यूबेटर, कई आवासीय और वाणिज्यिक परियोजनाएं हैं और सूट और साड़ी में लोग दरभंगा आ रहे हैं. मखाना, मछली और पान के लिए प्रसिद्ध यह शहर अब पर्यटकों, व्यवसायियों और उद्यमियों को आकर्षित कर रहा है. और एम्स-दरभंगा के विपरीत, जो कागज पर सिर्फ स्टेटस सिंबल बना हुआ है, इस हवाई अड्डे का काम शुरू भी हो चुका है.

यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2016 में शुरू की गई महत्वाकांक्षी योजना UDAN –उड़े देश का आम नागरिक का हिस्सा है, जिसने पिछले सात वर्षों में देश के छोटे कस्बों और शहरों में 517 परिचालन उड़ान मार्ग और 76 हवाई अड्डे पेश किए हैं. इस योजना के तहत “हवाई चप्पल” पहनने वाले लोगों को “हवाई जहाज” पर उड़ते देखने का लक्ष्य रखा गया था. पिछले साल घरेलू यात्रियों की रिकॉर्ड संख्या देखी गई, जो अप्रैल और नवंबर 2023 के बीच, 20 करोड़ से अधिक यात्रियों ने प्लेन में सफर किया, जो 2014 के बाद से 120 प्रतिशत की बढ़ोतरी है. लेकिन खराब बुनियादी ढांचे (दरभंगा में उपकरण लैंडिंग सिस्टम नहीं है), टर्बुलेंट एविएशन सेक्टर (गो फर्स्ट का दुर्घटनाग्रस्त होना और 2023 में जलना), और टिकट की बढ़ती कीमतें पीएम के सपने को पीछे धकेल रही हैं.

ग्राफिक: रमनदीप कौर

UDAN पर्यटन को बढ़ावा देने, व्यापार को बढ़ावा देने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने की मोदी सरकार की योजना का केंद्र है. भारत के दूर-दराज के हिस्सों में हवाई अड्डे – सिक्किम में पाक्योंग, केरल में कन्नूर, उत्तर प्रदेश में बरेली और अयोध्या, ओडिशा में झारसुगुड़ा और अरुणाचल प्रदेश में होलोंगी हैं, जहां कभी केवल रेल या सड़क मार्ग से ही पहुंचा जा सकता था, वे अब लोगों के यात्रा करने के तरीके को बदल रहे हैं. इस साल गोवा को मोपा में दूसरा हवाई अड्डा मिला, जबकि अयोध्या में नया लॉन्च किया गया महर्षि वाल्मिकी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा 22 जनवरी को राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह से पहले भारी यातायात के लिए खुद को तैयार कर रहा है.

हवाई अड्डों ने श्रम गतिशीलता, पर्यटन और आर्थिक उछाल के लिए तैयार छोटे शहरों की आकांक्षाओं के एक नए युग की शुरुआत की है. टाटा ग्रुप की जिंजर, लेमन ट्री होटल्स, रेडिसन होटल ग्रुप और अन्य होटल शृंखलाएं विकास के लिए टियर-II शहरों पर विचार कर रही हैं. मुजफ्फरपुर की लीची और मिथिला का मखाना जमीन और महासागरों के पार उड़कर राष्ट्रीय और वैश्विक बाजारों को एक साथ जोड़ रहे हैं.

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मोदी ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा UDAN पर एक पोस्ट का जवाब देते हुए पिछले साल अप्रैल में ट्वीट किया था, “पिछले नौ साल भारत के विमानन क्षेत्र के लिए परिवर्तनकारी रहे हैं. मौजूदा हवाई अड्डों का आधुनिकीकरण किया गया है, नए हवाई अड्डे त्वरित गति से बनाए गए हैं और रिकॉर्ड संख्या में लोग उड़ान भर रहे हैं. इस बढ़ी हुई कनेक्टिविटी ने वाणिज्य और पर्यटन को एक बड़ा प्रोत्साहन दिया है.”

Domestic flights and passengers
ग्राफिक: रमनदीप कौर

हालांकि, मार्क मार्टिन जैसे विमानन विशेषज्ञ, जो एक कंसल्टेंसी चलाते हैं, UDAN की स्थिरता पर संदेह जताते हैं. सीएजी की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, उड़ान क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना के तहत केवल 7 प्रतिशत मार्ग ही तीन साल की सरकारी सब्सिडी अवधि के बाद टिकाऊ हैं.

मार्टिन कहते हैं, “इस योजना के बुनियादी सिद्धांत त्रुटिपूर्ण हैं, क्योंकि गैर-व्यवहार्य हवाई अड्डों की संख्या बढ़ रही है. और व्यवहार्यता रातोंरात हासिल नहीं की जा सकती. विकास होने में कई साल लग जाते हैं.”

फिर भी, आसमान की सैर करने को उत्सुक भारतीय यात्रियों के लिए हवाई अड्डे समय बचाने का वादा लेकर आते हैं.

यादव, जो दिल्ली में एक वार्षिक सम्मेलन में भाग लेने गए थे, उन्होंने कहा, “दिल्ली पहुंचने में 15-18 घंटे लगते थे लेकिन हवाई अड्डे की वजह से अब मैं कुछ ही घंटों में अपनी मंजिल पर पहुंच जाता हूं. बिजनेस में समय से अधिक मूल्यवान कुछ भी नहीं है.”

दरभंगा हवाई अड्डे से बाहर निकलने वाले यात्री लगभग 30 मीटर दूर मछली बेच रही एक महिला के पास रुकते हैं. अन्य लोग टर्मिनल में प्रवेश करने से पहले लिट्टी-चोखा खाते हैं. ये हवाई अड्डे अब नए रेलवे स्टेशन बन चुके हैं.

जबकि सरकार ने उड़ान योजना के तहत 13 ऑपरेटरों को 1,154 मार्ग आवंटित किए हैं, लेकिन 27 दिसंबर 2023 तक केवल 517 मार्ग वास्तव में चालू थे. और हालांकि घरेलू हवाई यात्रा में वृद्धि हुई है, फिर भी UDAN के तहत कई मार्गों पर सेवाएं बंद हो चुकी हैं.


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चाय, इंतज़ार और टेकऑफ

दरभंगा हवाईअड्डे से 20 मीटर से भी कम दूरी पर स्थित कैफे में युवा पुरुष और महिलाएं चाय के साथ पनीर टिक्का का स्वाद लेते हैं, साथ ही वे विमानों के उतरने और उड़ान भरने की तस्वीरें भी खींचते हैं. यह न केवल यात्रियों के लिए बल्कि स्थानीय निवासियों के लिए भी एक लोकप्रिय स्थान है.

दिसंबर की ठंडी शाम को, दरभंगा शहर से लगभग 15 किमी दूर क्योटी गांव के ऋषि कुमार अपने 10 दोस्तों के साथ बैठे हैं और उन दो गिटारों में से एक को बजा रहे हैं जो कैफे मालिक राज प्रसाद ने ग्राहकों के लिए रखा है. ऋषि कहते हैं, “हवाई अड्डा शुरू होने के बाद ही यह कैफे खोला गया है. पहले अगर कुछ चाहिए होता था तो हमें और दूर जाना पड़ता था.” कैफे, जिसमें बाहर बैठने की भी जगह है, नींबू सोडा से लेकर वेज और नॉन-वेज तक सब कुछ परोसा जाता है.

Darbhanga Airport check in
दरभंगा हवाईअड्डे पर यात्री चेक-इन का इंतजार कर रहे हैं | फोटो: कृष्ण मुरारी | दिप्रिंट

एक तरफ जहां कैफे आकर्षण का केंद्र है, वहीं दरभंगा हवाई अड्डा अव्यवस्थित है. 2020-2021 में यात्रियों की संख्या 1.53 लाख से बढ़कर 2022-23 में 6.17 लाख हो गई. उत्तर बिहार में एकमात्र हवाई अड्डे के रूप में, यह UDAN योजना के तहत सबसे व्यस्त हवाई अड्डों में से एक है, यहां तक कि यह पटना हवाई अड्डे को भी पीछे छोड़ रहा है.

दरभंगा से दिल्ली तक केवल कुछ ट्रेनों के साथ लोगों को ट्रेन पकड़ने के लिए या तो पटना जाना पड़ता है या 100 किलोमीटर की दूरी तय करके सहरसा जाना पड़ता है, लेकिन हवाईअड्डे से यात्रा का समय दिनों के हिसाब से कम हो जाता है. यहां इंडिगो और स्पाइसजेट, दरभंगा से दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू, हैदराबाद और कोलकाता के लिए उड़ानें संचालित होती है.

दरभंगा के होटल मालिक प्रशांत झा ने कहा, “कुछ साल पहले तक लोग यहां आने से भी डरते थे. लेकिन अब, यह चर्चा में है.”

प्रस्थान स्थल के ऊपर एक टिन शेड यात्रियों के लिए वेटिंग एरिया के रूप में काम करता है. हवाई अड्डे के एकमात्र प्रवेश बिंदु पर लोगों की कतार लगी है. जैकेट और स्वेटशर्ट में पुरुष, महिलाएं और बच्चे, लगभग सभी स्पोर्ट्स जूते पहने हुए, अपने आधार कार्ड पकड़े हुए हैं. “आप कहां से आए हैं? आप कहां जा रहे हैं? आपकी फ्लाइट कितने बजे की है?” वे एक-दूसरे से मैथिली में कई सवाल करते हैं. ट्रेन यात्रा के विपरीत, जहां यात्री स्टाइल से अधिक आराम को प्राथमिकता देते हैं, लोग हवाई यात्रा के लिए अधिक औपचारिक कपड़े पहनकर आते हैं. लेकिन कोई भी खाने से समझौता नहीं करता – कई लोगों ने ठेकुआ और बालूशाही को जूट के थैलों में पैक किया है. एक यात्री ने अपने बैग में लिमिट से ज्यादा किलोग्राम सामान के लिए 600 रुपये का भुगतान भी किया.

उड़ान क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना के तहत शुरू होने वाला दरभंगा बिहार का पहला हवाई अड्डा है | फोटो: कृष्ण मुरारी | दिप्रिंट

टर्मिनस के अंदर, अकेले बैगेज चेक-इन काउंटर पर स्कर्ट या पतलून और जैकेट में वर्दीधारी कर्मचारी परेशान होते हैं और समय से ज्यादा देर तक काम करते हैं, जबकि सिक्योरिटी चेक पॉइंट पर भीड़ जमा हो जाती है. “कृपया सभी लाइन में ही खड़े रहें”, स्पाइसजेट का एक कर्मचारी हिंदी में कहता है जब एक अधीर यात्री लाइन तोड़ने की कोशिश करता है. दो उड़ानें – एक मुंबई के लिए और दूसरी दिल्ली के लिए – उड़ान भरने वाली हैं. मुंबई की उड़ान को प्राथमिकता दी गई.

शंभू यादव, जो दिल्ली के गांधी नगर में एक कपड़ा फैक्ट्री में काम करते हैं, 12,000 रुपये प्रति माह कमाते हैं, जब उनके पिता की तबीयत खराब हुई तो उन्होंने दरभंगा आने के लिए छुट्टी ले ली थी. ट्रेन में बहुत अधिक समय लगता, इसलिए उन्होंने दिल्ली जाने के लिए 6,000 रुपये खर्च किए. वह कहते हैं, “मेरी आधी तनख्वाह टिकट पर खर्च हो गई, लेकिन मैं अपने पिता के निधन से पहले उन्हें देख सका.”

सिक्योरिटी चेक के बाद, यात्रियों को वेटिंग एरिया में ले जाया जाता है, जहां 40 से अधिक सीटों वाली टिन की छत के नीचे एक खुली जगह है. बाकी छोटे टर्मिनस की तरह यह एयर-कंडिशन्ड नहीं है. प्रतीक्षा करते समय, यात्री विमानों को देखने के लिए अपनी गर्दन ऊपर उठाते हैं.

Darbhanga airport waiting area
दरभंगा हवाईअड्डे पर यात्री उस बस का इंतजार कर रहे हैं जो उन्हें उनके फ्लाइट तक ले जाएगी | फोटो: कृष्ण मुरारी | दिप्रिंट

भाजपा नेता और दरभंगा से सांसद गोपाल जी ठाकुर कहते हैं, दरभंगा और इसके आसपास के जिलों से बड़ी संख्या में बाहर से आने वाले प्रवासियों को देखते हुए, हवाई अड्डा एक वरदान साबित हुआ है, खासकर तब जब घर पर कोई इमरजेंसी होती है. वह आगे कहते हैं, “यहां पहुंचने में बहुत समय लगता था. लेकिन आज, हवाईअड्डे की वजह से लोग 2-3 घंटों के भीतर पहुंच जाते हैं.” दरभंगा हवाई अड्डे के एक पूर्व निदेशक, नाम न छापने का अनुरोध पर बताते हैं कि नेपाल के लोग भी इस हवाई अड्डे का उपयोग करते हैं.

हालांकि, हवाई अड्डा काफी समय से मौजूद है. 1950 में दरभंगा के पूर्व महाराजा कामेश्वर सिंह द्वारा निर्मित, यह वास्तव में, बिहार के सबसे पुराने हवाई अड्डों में से एक है. उद्यमशील महाराजा ने एक निजी वाहक, दरभंगा एविएशन भी लॉन्च किया, लेकिन यह 1962 में बंद हो गया. कथित तौर पर चीन के साथ युद्ध के दौरान हवाई अड्डे को भारतीय वायु सेना ने अपने कब्जे में ले लिया था.

UDAN हवाई अड्डों के लिए एक सामान्य प्रक्षेप पथ है, इसमें 76 में से केवल 11 पूरी तरह से नए निर्माण हैं. बाकी मौजूदा रक्षा या निष्क्रिय हवाई अड्डे थे जिन्हें ठीक किया गया था. सरकार की योजना रनवे को मजबूत करने, 54 एकड़ भूमि पर स्थायी टर्मिनल भवन के साथ दरभंगा हवाई अड्डे का विस्तार करने और रात में और खराब मौसम के दौरान लैंडिंग की सुविधा के लिए एक इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (आईएलएस) स्थापित करने की है. लेकिन निर्माण अभी तक शुरू नहीं हुआ है.

फिलहाल यात्रियों को मौजूदा सुविधाओं से ही काम चलाना होगा. डॉ. सोहेल अहमद, जिन्हें दिल्ली में एक शादी में शामिल होना है, को बताया गया है कि उनकी फ्लाइट में ढाई घंटे की देरी होगी. वह चिंतित है कि समय पर समारोह में नहीं पहुंच पाएंगे. बैठने के लिए जगह ढूंढ़ते हुए वह कहते हैं, “शायद मुझे ट्रेन ही पकड़ लेनी चाहिए थी.”

शहर से 2 किमी दूर दरभंगा हवाई अड्डे के आसपास का एक वीरान इलाका पिछले कुछ वर्षों में बदल गया है. अब यह होटल और रेस्तरां वाले एक व्यस्त क्षेत्र में बदल चुका है.


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पहले रियल एस्टेट, फिर लीची और अब मखाना

उत्तर बिहार भारत के पर्यटन मानचित्र पर कहीं भी दिखाई नहीं देता है लेकिन उम्मीद है कि दरभंगा हवाई अड्डा यात्रियों के लिए नए अवसर खोलेगा.

प्रशांत झा कहते हैं, जो हवाई अड्डे से लगभग 200 मीटर की दूरी पर स्थित एक होटल के मालिक हैं, “कुछ साल पहले तक लोग यहां आने से डरते थे. अब, यह गुलज़ार है. व्यवसाय अच्छा चल रहा है और होटल के 12 कमरे लगभग हमेशा बुक रहते हैं.” झा के अधिकांश मेहमान निवेशक और व्यवसायी व्यक्ति हैं जो हवाईअड्डे की तेजी से लाभ उठाने के लिए संपत्ति और अवसरों की तलाश में हैं. दरभंगा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के सहयोग से एक स्टार्ट-अप इनक्यूबेटर भी स्वरूप ले रहा है.

मधुबनी जिले के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर अरविंद झा कहते हैं, “लोग अब न केवल गांवों में अपने परिवारों से मिलने के लिए लौट रहे हैं. बल्कि वे यहां आकर काम भी करना चाहते हैं.” पहले वे कभी-कभार ही अपने गांव आते थे लेकिन जब से हवाई अड्डा खुला है, वह साल में कई बार घर के लिए उड़ान भरते हैं.

पिछले कुछ वर्षों में, हवाई अड्डे के आसपास कई टाउनशिप और गोदाम बन गए हैं, जिससे जमीन की कीमतें दोगुनी हो गई हैं. निजी आवासीय टाउनशिप, श्री राम जानकी चलाने वाले प्रॉपर्टी डेवलपर राजन ठाकुर कहते हैं, 2020 के बाद से, 15 से अधिक रियल एस्टेट कंपनियों दरभंगा में खुली हैं. अब तक, उन्होंने हवाई अड्डे के 10 किमी के दायरे में 150 लोगों को जमीन बेची है.

ठाकुर कहते हैं, ज्यादातर खरीदार पड़ोसी जिलों से हैं, लेकिन बिहार के बाहर के लोग भी व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए यहां जमीन ले रहे हैं. “एयरपोर्ट से पहले यहां जमीन की कीमत 6-7 लाख रुपये प्रति कट्ठा थी. अब यह 14-15 लाख रुपये प्रति कट्ठा है. हवाई अड्डे के कारण, परिवहन, व्यवसाय और चिकित्सा सुविधाओं तक पहुंच आसान हो गई है.”

इस नई आर्थिक वृद्धि को आगे बढ़ाने वाले वे अकेले व्यक्ति नहीं हैं. निजी टैक्सी क्षेत्र भी फलफूल रहा है. कैब सेवा कंपनी रोडबेज़ के सीईओ दिलखुश कुमार ने दरभंगा में अब और अधिक ड्राइवर आवंटित किए हैं. वे कहते हैं, “जीवनशैली बदल रही है और जो लोग फ्लाइट का उपयोग करते हैं उन्होंने टैक्सियों का उपयोग करना शुरू कर दिया है.”

किसान भी पीछे नहीं रहे हैं. कार्गो फ्लाइट्स की शुरूआत ने उनकी उपज के लिए नए रास्ते खोल दिए हैं. वर्तमान में, दरभंगा हवाई अड्डे से लीची बिहार से बाहर भेजी जाती है, पिछले तीन वर्षों में 300 टन फल का निर्यात किया गया है. हालांकि, कार्गो फ्लाइट्स साल में केवल पीक लीची सीज़न के दौरान लगभग दो महीने ही चलती हैं.

Darbhanga litchi boxes
दरभंगा हवाई अड्डे पर कार्गो सुविधा के माध्यम से लीची के बक्सों का परिवहन किया जा रहा है | फोटो: विशेष व्यवस्था

बिहार के लीची उत्पादक संघ के विपणन और नीति प्रमुख कृष्ण गोपाल, जो 2 लाख से अधिक किसानों का प्रतिनिधित्व करते हैं, साल भर कार्गो फ्लाइट्स की वकालत करते हैं.

वे कहते हैं, “फ्लाइट्स के कारण सामान जल्दी पहुंच जाता है और ताज़ा रहता है. यह एक फायदा है लेकिन कार्गो सुविधा सीमित समय के लिए और केवल लीची के लिए उपलब्ध है.”

अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय मार्गों पर कृषि उपज के परिवहन की सुविधा के लिए 2020 में शुरू की गई केंद्र सरकार की कृषि उड़ान योजना वर्तमान में 58 हवाई अड्डों को कवर करती है. लेकिन गोपाल जैसे किसानों और व्यापारियों का कहना है कि दरभंगा में इस योजना का पूरी क्षमता से उपयोग नहीं किया जा रहा है.

उत्तर बिहार मखाना और मछली के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन अभी केवल मौसमी लीची का ही निर्यात किया जा रहा है. गोपाल कहते हैं, “यहां आय के पर्याप्त अवसर हैं लेकिन सुविधाएं नहीं हैं.”

टर्मिनल के भीतर बुनियादी ढांचे-एयर कंडीशनर, पर्याप्त बैठने की जगह, डिस्प्ले बोर्ड और भोजनालयों की कमी-यात्रियों के बीच निराशा का विषय है.


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छोटे शहरों के हवाई अड्डे, बड़ी चुनौतियां

दरभंगा स्थित पत्रकार मणिकांत झा ने अपनी किताब Udan: A Journey Translated में हवाई अड्डे के बारे में विस्तार से बताया है. उन्होंने लिखा, “हवाईअड्डा मुख्य रूप से वह स्थान था जहां मैं विमानों को उतरते और उड़ान भरते देखता था. यात्री विमान सेवाओं की व्यस्तता से यह आज जो हो गया है, उससे कोसों दूर था. यह बताना काफी दिलचस्प है कि यह हवाई अड्डा कैसे विकसित हुआ है.”

लेखक मणिकांत झा, दरभंगा से दिल्ली की फ्लाइट के पहले यात्रियों में से एक, ने अपने अनुभवों को एक पुस्तक में दर्ज किया है | फोटो: कृष्ण मुरारी | दिप्रिंट

हालांकि, शिकायतों की संख्या भी बढ़ रही है.

15 दिसंबर को दिगंबर कुमार एक सार्वजनिक बस से करीब 100 किमी की यात्रा कर मधेपुरा से दरभंगा पहुंचे. जब वह सुबह 10 बजे हवाई अड्डे पर पहुंचे, तो उन्हें बताया गया कि उनकी फ्लाइट चार घंटे लेट है. यह अब एक आम बात बन गई है. फ्लाइट एरा द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, दरभंगा हवाई अड्डे से सेवा देने वाली 67 प्रतिशत उड़ानें – प्रतिदिन लगभग पांच फ्लाइट देरी से चल रही हैं.

कुमार हवाई अड्डे के गेट के बाहर लिट्टी-चोखा खाते हुए कहते हैं, “4-5 घंटे बचाने के लिए मैंने ट्रेन के बजाए दरभंगा से एक फ्लाइट बुक की. लेकिन फ्लाइट लेट हो गई और मुझे समय पर सूचित भी नहीं किया गया.”

टर्मिनल के भीतर बुनियादी ढांचे-एयर कंडीशनर, पर्याप्त बैठने की जगह, डिस्प्ले बोर्ड और भोजनालयों की कमी-यात्रियों को निराश करती है. मोतिहारी के नितेश चौधरी कहते हैं, जिन्हें बेंगलुरू के लिए फ्लाइट पकड़नी थी, “किसी भी शहर का बस स्टैंड इससे बेहतर है. हम घंटों से बाहर खड़े हैं, यहां बैठने तक की कोई व्यवस्था नहीं है.”

देवघर एयरपोर्ट के निदेशक प्रवीण कुमार ने कहा कि “एयरपोर्ट शुरू करना और उसे चलाना दो अलग-अलग बातें हैं.”

कई बार खराब मौसम या तकनीकी खराबी के कारण दिल्ली से दरभंगा जाने वाली उड़ानों को पटना डायवर्ट कर दिया जाता है.

ILS देरी को कम करेगा और फ्लाइट्स को रात में उड़ान भरने और उतरने की अनुमति देगा, लेकिन तीन साल बाद भी, सिस्टम अभी तक स्थापित नहीं किया गया है.

बार-बार यात्रा करने वाले यात्री पिछले तीन वर्षों में हवाई अड्डे के उन्नयन की कमी पर अफसोस जताते हैं. एक और आम शिकायत यह है कि टिकट की कीमतें मजदूरों और प्रवासी श्रमिकों के लिए अप्राप्य हैं. शादी के सीजन और छठ पूजा के दौरान दिल्ली से दरभंगा के लिए हवाई टिकट की कीमत 15,000 रुपये से 20,000 रुपये के बीच हो जाती है. सांसद ठाकुर कहते हैं, “हम कीमतें उचित रखने के लिए एयरलाइन कंपनी से लगातार बात कर रहे हैं.” हवाई अड्डे के विस्तार के लिए भूमि के लिए राज्य सरकार से जमीन मांगी गई जिसमें 76 एकड़ जमीन दी जा चुकी है, टेंडर प्रक्रिया अभी शुरू ही हुई है. बीजेपी सांसद का कहना है कि “916 करोड़ रुपये का टेंडर जारी किया गया है.”

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दरभंगा हवाई अड्डे के ठीक सामने एक लिट्टी-चोखा बेचने वाला बहुत अच्छी कमाई कर लेता है | फोटो: कृष्ण मुरारी | दिप्रिंट

बढ़ते किराये की समस्या सिर्फ दरभंगा तक ही सीमित नहीं है. CAG ने अपनी अगस्त 2023 की रिपोर्ट में क्षेत्रीय मार्गों पर सीटों की बुकिंग में सुधार का आह्वान किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि एयरलाइन ऑपरेटर सरकार की क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना में निर्धारित सीमा से ज्यादा टैक्स न लें.

मधुबनी स्थित एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज के पूर्व निदेशक डीएम दिवाकर कहते हैं, “बिहार में अंतर-क्षेत्रीय असमानता बहुत अधिक है और प्रति व्यक्ति आय भी बहुत कम है. इसलिए, केवल वे लोग जो अच्छी कमाई करते हैं, हवाई यात्रा का उपयोग कर पा रहे हैं.”

विडंबना यह है कि जहां घरेलू हवाई यात्रा बढ़ी है, वहीं उड़ान के तहत कई मार्गों पर सेवाएं बंद हो गई हैं. देवघर, सूरत, हुबली और मैसूरु जैसे दरभंगा हवाईअड्डे कुछ ऐसे हैं, जो अपवाद हैं. नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री वीके सिंह ने राज्यसभा को बताया था कि पिछले साल 31 अक्टूबर तक, 103 क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना (आरसीएस) मार्गों को तीन साल के बाद बंद कर दिया गया था और अन्य 136 मार्गों को तीन साल की सब्सिडी अवधि पूरी करने से पहले समाप्त कर दिया गया था.

केंद्र सरकार के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले पांच वर्षों में आठ घरेलू एयरलाइंस बंद हो गई हैं, जिनमें गो एयरलाइंस, एयर डेक्कन, एयर ओडिशा और ट्रूजेट शामिल हैं. इनमें से ट्रूजेट 40 आरसीएस मार्गों पर परिचालन चला रहा था. जबकि सरकार ने योजना के तहत 13 ऑपरेटरों को 1,154 मार्ग आवंटित किए हैं, 27 दिसंबर 2023 तक केवल 517 मार्ग वास्तव में चालू थे. वित्त मंत्रालय ने उड़ान के लिए परिव्यय को पिछले वित्तीय वर्ष में 601 करोड़ रुपये से दोगुना करके 2023-2024 में 1,244 रुपये कर दिया है.

UDAN airlines
ग्राफिक: रमनदीप कौर

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धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना

UDAN के माध्यम से, सरकार आकर्षक मंदिर गलियारों और धार्मिक पर्यटन को भुनाना चाहती है, जिसका मूल्य बाजार के अनुमान के अनुसार, वित्त वर्ष 2023 में लगभग $56 बिलियन था, जो 2020 में $44 बिलियन से अधिक था. राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह से एक सप्ताह पहले अयोध्या के नए खुले हवाई अड्डे के लिए हवाई टिकट सामान्य दर से तीन गुना ज्यादा है.

सरकार का दावा है कि पासीघाट, जीरो, होलोंगी और तेजू हवाई अड्डों की शुरुआत के कारण पूरे पूर्वोत्तर में पर्यटन उद्योग में काफी उछाल आ रहा है. पिछले छह वर्षों में, आरसीएस योजना के तहत 53 धार्मिक मार्गों को शुरू किया गया, जिनमें खजुराहो, अमृतसर और किशनगढ़ (अजमेर) शामिल हैं.

जबकि अयोध्या हवाई अड्डा उड़ान का हिस्सा नहीं है, झारखंड में देवघर हवाई अड्डा धार्मिक सर्किट में एक सफलता की कहानी के रूप में सामने है और दरभंगा में अपने समकक्ष की तुलना में अधिक उन्नत है. बाबा बैद्यनाथ धाम के लिए प्रसिद्ध, देवघर में लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह तक, जो पिछले साल फरवरी में दिल्ली से आए थे, के वीआईपी दौरे के लिए कोई अजनबी नहीं है. यह लगभग 50 किमी दूर जैन तीर्थ स्थल पारसनाथ के लिए भी एक लोकप्रिय आधार है. अब, यह शहर अपनी धार्मिक अपील को और बढ़ाते हुए, तिरूपति के बालाजी मंदिर की प्रतिकृति की मेजबानी करने के लिए तैयार है.

जुलाई 2022 में देवघर हवाई अड्डे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी | फोटो: X/@@narendramodi

पहले से ही, हर साल लाखों लोग देवघर आते हैं, खासकर जुलाई-अगस्त में सावन के महीने में, जो हवाई अड्डे को धार्मिक भावना से जुड़े लोगों के लिए एक व्यवहार्य केंद्र बनाता है. लेकिन हवाई अड्डे पर ILS सुविधा नहीं है और अभी तक केवल इंडिगो एयरलाइंस द्वारा सेवा प्रदान की जा रही है.

देवघर एयरपोर्ट के निदेशक प्रवीण कुमार कहते हैं, “एयरलाइन का एकाधिकार है, इसलिए टिकट की कीमतें अधिक हैं. जब अधिक एयरलाइंस यहां आएंगी तो किराया अपने आप कम हो जाएगा. और फिर आम आदमी भी अधिक से अधिक हवाई यात्रा कर सकेगा, जो फिलहाल नहीं हो रहा है.”

जिला प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, यह देखते हुए कि हवाईअड्डा आसपास के छह झारखंड जिलों को कवर करता है और बिहार और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों से आसानी से पहुंचा जा सकता है, यह देवघर की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.

उन्होंने कहा, “पहले लोग रांची जाकर फ्लाइट लेते थे लेकिन अब काफी समय बच रहा है. वहीं लोग सुविधा की ओर भी ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. भविष्य में इसका (हवाईअड्डा) और विस्तार होगा.” अधिकारी ने यह भी उम्मीद जताई कि हवाई अड्डा उद्योगपतियों को आकर्षित करेगा और आसान कनेक्टिविटी के कारण कंपनियां यहां आना शुरू कर देंगी.

देवघर, झारखंड में बाबा वैद्यनाथ धाम | कृष्ण मुरारी | दिप्रिंट

654 एकड़ में फैला, देवघर हवाई अड्डा, जो शहर से 12 किमी दूर है और पिछले साल चालू हुआ, शहर के धार्मिक और आदिवासी इतिहास से जुड़ा है. हवाई अड्डे के अंदरूनी हिस्से में स्थानीय आदिवासी कला और हस्तशिल्प का प्रदर्शन होता है, जबकि एयरपोर्ट के सामने के हिस्से पर बाबा बैद्यनाथ धाम शिखर की नक्काशी है. दरभंगा हवाई अड्डे के समान, यह अब एक स्थानीय पर्यटक आकर्षण है.

दिसंबर की एक दोपहर में, 30 किमी दूर मधुपुर के निवासी मोहम्मद सिराज अंसारी अपने भाइयों के साथ हवाई यात्रा के लिए नहीं, बल्कि हवाई अड्डे के माहौल को देखने के लिए पहुंचे. वीडियो बनाते और तस्वीरें लेते हुए वह कहते हैं, “मैं लंबे समय से यहां आना चाहता था. मैंने हर किसी से हवाई अड्डे के बारे में सुना था, आज इसे देख भी लिया. यह काफी खूबसूरत है.”

दिल्ली से देवघर उतरने के बाद, मनोज कुमार और उनकी पत्नी सुधा ने टैक्सी ली और सीधे भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा बैद्यनाथ धाम गए. नोएडा में एक इंजीनियर, मनोज कहते हैं, “मैं कई वर्षों से यहां पूजा करना चाहता था. लेकिन ट्रेन से लगभग 17-18 घंटे लगते हैं. जब हवाई अड्डा शुरू हुआ, तो हम बहुत खुश थे.”

उन्हें अगले दिन ही दिल्ली लौटना था लेकिन यह निश्चित नहीं है कि फ्लाइट समय पर होगी या नहीं. देवघर हवाई अड्डे पर भी फ्लाइट की देरी और रद्द होना एक समस्या बन चुकी है.

निर्देशक कुमार कहते हैं, “यह अभी-अभी शुरू हुआ है. हवाईअड्डे को शुरू करना और उसे चलाना दो अलग-अलग चीजें हैं.”

(संपादन: अलमिना खातून)

(इस ग्राउंड रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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