जब बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना 5 अगस्त को एक सैन्य हेलीकॉप्टर से भारत भाग गईं, तो उनकी पार्टी अवामी लीग के छात्र विंग के 50 लाख युवा महिला-पुरुष, नेता और कार्यकर्ता अपने ही देश में बाहरी हो गए. हसीना की पार्टी और उसके छात्र विंग छात्र लीग के खिलाफ लोगों में इतना गुस्सा था कि लीग के पूर्व महासचिव इशाक अली खान पन्ना जैसे कुछ लोग भागने की कोशिश करते हुए मारे गए, जबकि लीग की जहांगीरनगर यूनिवर्सिटी इकाई के पूर्व ऑर्गनाइजिंग सचिव शमीम अहमद जैसे अन्य लोगों को पीट-पीटकर मार डाला गया.
हाल ही में 11 नवंबर को दो अलग-अलग अदालतों ने छात्र लीग के 55 नेताओं और कार्यकर्ताओं को जेल भेज दिया. छात्र लीग के अध्यक्ष सद्दाम हुसैन ने एक अज्ञात स्थान से दिप्रिंट को दिए वीडियो इंटरव्यू में बताया, “लेकिन हमारे साथ सबसे बड़ा अन्याय तब हुआ जब यूनुस शासन ने हमें आतंकवादी संगठन करार दिया और हम पर प्रतिबंध लगा दिया.” हुसैन ने कहा, “छात्र लीग से 50 लाख से ज़्यादा नेता और कार्यकर्ता जुड़े हुए हैं. लीग के कैडर के तौर पर 15 साल तक युवाओं के आइकन रहे हम पर रातों-रात आतंकवादी का ठप्पा लगा दिया गया.”
छात्र लीग को एक “आतंकवादी संगठन” करार देते हुए 25 अक्टूबर को जारी एक सरकारी अधिसूचना में कहा गया, “पर्याप्त सबूत हैं जो दर्शाते हैं कि छात्र संगठन अवामी लीग सरकार के पतन के बाद भी राज्य के खिलाफ षड्यंत्रकारी, विनाशकारी और उत्तेजक गतिविधियों में संलग्न रहा है”.
‘छात्रों के लिए देश नहीं’
हुसैन ने कहा कि केवल छात्र लीग से सीधे जुड़े लोग ही नहीं, बल्कि इसके समर्थकों को भी यूनुस प्रशासन द्वारा निशाना बनाया जा रहा है. “अवामी लीग या छात्र लीग का समर्थन करना बांग्लादेश के नागरिक के रूप में एक लोकतांत्रिक अधिकार है, जैसा कि उनका विरोध करना है.” सद्दाम का दावा है कि 5 अगस्त के बाद अवामी लीग या छात्र लीग का समर्थन करने वाले 500 से अधिक मेडिकल छात्रों के सर्टिफिकेट रद्द कर दिए गए हैं. कई छात्रों की इंटर्नशिप रद्द कर दी गई, जबकि अन्य को अपनी परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी गई. सद्दाम ने आरोप लगाया, “जो छात्र किसी भी रूप में हमारा समर्थन करते हैं, उन पर मुकदमा चलाया गया है, उन्हें गैरकानूनी तरीके से जेल में डाला गया और यूनिवर्सिटी के अधिकारी और अंतरिम सरकार उनकी सुरक्षा की कोई जिम्मेदारी नहीं ले रही है.”
राजनीतिक पत्रकार शाहिदुल हसन खोकन ने दिप्रिंट को बताया कि बांग्लादेश के उथल-पुथल भरे राजनीतिक इतिहास में किसी छात्र संगठन के खिलाफ इस तरह की “धरपकड़” पहले कभी नहीं हुई. उन्होंने कहा, “देश ने खूनी स्वतंत्रता संग्राम, अपने संस्थापक की राजनीतिक हत्या, सैन्य अधिग्रहण, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव नहीं देखे हैं, लेकिन इससे पहले कभी किसी छात्र संगठन को इस तरह से निशाना नहीं बनाया गया.”
खोकन ने कहा कि यह विडंबना है कि बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी और उसके छात्र संगठन छात्र कैंप, यूनुस के बांग्लादेश में खुलेआम घूम रहे हैं और सत्ता हासिल कर रहे हैं, जबकि लीग एक प्रतिबंधित संगठन बन गया है. खोकन ने कहा, “हसीना ने जमात पर प्रतिबंध लगा दिया था, जो बांग्लादेश के स्थापित होने के खिलाफ थी और जिसने विद्रोह में उठे पूर्वी पाकिस्तानी लोगों को प्रताड़ित करने और मारने के लिए पश्चिमी पाकिस्तान की सेना का साथ दिया था. वह खुले तौर पर शरिया कानून की वकालत करते हैं और आज बांग्लादेश में वह सभी शक्तिशाली हो गए हैं. यह लोकतंत्र का मज़ाक है.”
हुसैन का दावा है कि बांग्लादेश धीरे-धीरे यह महसूस कर रहा है कि सरकारी नौकरियों में कोटा के खिलाफ छात्र आंदोलन, जो अंततः हसीना को बाहर करने के लिए एक जन आंदोलन बन गया था, जमात और उसके छात्र संगठन द्वारा घुसपैठ की गई थी. उन्होंने कहा, “मुझे बताइए, क्या आपने किसी छात्र आंदोलन में छात्रों को पुलिसकर्मियों की हत्या करते, उन्हें नंगा करते और उनके शवों को पुलों से लटकाते सुना है? और वह भी इतनी बड़ी संख्या में! आरक्षण विरोध आंदोलन को शुरू से ही हाईजैक कर लिया गया था. धीरे-धीरे देश को यह एहसास हो रहा है.”
छात्र लीग के एक संगठन सचिव ने नाम न बताने की शर्त पर दिप्रिंट को फोन पर बताया कि वे छिप गए हैं और उनके पिता को शिबिर के सदस्यों ने सड़कों पर पीटा था. खान ने कहा, “उन्होंने धमकी दी कि अगर उन्होंने मेरे छिपने की जगह नहीं बताई तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. हसीना के जाने के बाद से मेरी छोटी बहन कॉलेज नहीं जा पाई है और वे लीग का हिस्सा भी नहीं है. क्या यह वे देश है जो छात्रों की क्रांति से आया है?”
खान के अनुसार, अक्टूबर से ही छात्र समूह एक-दूसरे से लगातार भिड़ रहे हैं. 25 नवंबर को, एक दर्जन से ज़्यादा कॉलेजों के छात्रों ने ओल्ड ढाका में सरकारी शहीद सुहरावर्दी कॉलेज पर हमला किया. डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, छात्रों के दो समूहों ने एक-दूसरे पर ईंटें फेंकी, जिसमें कम से कम 30 लोग घायल हो गए.
26 अगस्त को ढाका में कम से कम 50 लोग घायल हो गए, जब नौकरी नियमितीकरण के लिए विरोध प्रदर्शन के दौरान छात्रों और सैकड़ों अर्धसैनिक बलों के जवानों के बीच झड़प हुई.
हुसैन ने कहा, “भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन द्वारा समर्थित यूनुस की अंतरिम सरकार ने बांग्लादेश के लिए एक नई शुरुआत का वादा किया था. इसके बजाय, हमारे पास सड़कों पर अराजकता है.”
लीग की विवादित विरासत
छात्र लीग, जिसे पहले ईस्ट पाकिस्तान स्टूडेंट लीग के नाम से जाना जाता था, की स्थापना शेख हसीना के पिता मुजीबुर रहमान ने 4 जनवरी 1948 को ढाका विश्वविद्यालय के फजलुल हक मुस्लिम हॉल में की थी. खालिक नवाज़ खान संस्थापक महासचिव थे और नईमुद्दीन अहमद पहले संयोजक थे. हालांकि, लीग ने 1952 के बंगाली भाषा आंदोलन के साथ-साथ 1971 के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, लेकिन हसीना के कार्यकाल के दौरान इसे काफी विवादों का सामना करना पड़ा.
22-वर्षीय छात्र अबरार फहद को अक्टूबर 2019 में ढाका में लीग के सदस्यों द्वारा कथित तौर पर पीट-पीटकर मार डाला गया था क्योंकि उसने फेसबुक पोस्ट में सरकार की आलोचना की थी. घटना ने बांग्लादेश में एक बड़े विवाद को जन्म दिया.
बांग्लादेश यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के एक छात्र ने दिप्रिंट को बताया, “न केवल अपने विरोधियों के खिलाफ हिंसा, बल्कि लीग के नेता सेक्स रैकेट, जबरन वसूली और बलात्कार के आरोपों में भी शामिल रहे हैं.” पाल ने कहा, “इसके अलावा, आज उन्हें बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ एकजुटता व्यक्त करते देखना कुछ हद तक विडंबनापूर्ण है. प्रधानमंत्री के रूप में हसीना के समय, कई लीग नेताओं ने अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित होने के कारण परिसरों के अंदर छात्रों को परेशान किया था.”
हुसैन ने कहा कि इतना बड़ा छात्र संगठन कुछ विवादों में फंसना तय है, भले ही वह कितने भी दुर्भाग्यपूर्ण क्यों न हों. हुसैन ने कहा, “2008 से पहले, छात्र संगठनों के बीच हिंसक झड़पों के कारण यूनिवर्सिटी महीनों तक बंद रहती थी. पिछले 15 साल में शैक्षणिक संस्थान ऐसे कारणों से कभी बंद नहीं हुए. अवामी लीग सरकार और छात्र लीग ने शैक्षणिक संस्थानों में सामान्य स्थिति सुनिश्चित की.”
नदीम खान के अनुसार, लीग के लाखों सदस्यों के लिए एकमात्र चीज़ जो मायने रखती है, वह है शेख हसीना को प्रधानमंत्री के रूप में देश में वापस लाना. खान ने कहा, “शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार ने लगातार राष्ट्रीय चुनाव जीते हैं, और लोगों के वोट से सत्ता में बनी हुई है. हसीना के सत्ता में रहने के दौरान विपक्षी दलों ने राष्ट्रीय चुनावों में भाग लिया. यूनुस की सरकार एक अनिर्वाचित सरकार है और उसके पास लोगों का जनादेश नहीं है. यह सत्ता में कैसे रह सकती है?”
हुसैन ने कहा कि लीग के छिपे हुए नेता हसीना को वापस लाने के लिए देश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन आयोजित करने की योजना बना रहे हैं. उन्होंने कहा, “जब हम बाहर निकल कर आते हैं, तो हमें गिरफ्तार कर लिया जाता है या मार दिया जाता है, लेकिन अब हालात बदलने लगे हैं. यूनुस ने बांग्लादेश के भीतर कट्टरपंथी तत्वों को बढ़ावा दिया है जो इसे पूर्वी पाकिस्तान के दिनों में वापस ले जा रहे हैं जब अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जाता था और देश के बारे में इस्लामवादी विचार लागू किया जाता था. आम लोग चार महीने में यूनुस सरकार से तंग आ चुके हैं जो हमें 1971 के हमारे स्वतंत्रता इतिहास से भी वंचित कर रही है.”
हुसैन के अनुसार, बांग्लादेश का नागरिक समाज यूनुस प्रशासन द्वारा पाकिस्तान के साथ घनिष्ठता को पसंद नहीं कर रहा है, एक ऐसा देश जिससे बांग्लादेश ने अपनी स्वतंत्रता छीन ली थी.
5 सितंबर को अंतरिम सरकार के प्रसारण और आईटी मंत्री नाहिद इस्लाम ने ढाका में पाकिस्तानी दूत के साथ एक बैठक के दौरान कहा कि बांग्लादेश पाकिस्तान के साथ 1971 के मुक्ति संग्राम के मुद्दे को सुलझाना चाहता है और “एक लोकतांत्रिक दक्षिण एशिया सुनिश्चित करने के लिए दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करना चाहता है”.
हुसैन ने कहा, “1971 में पश्चिमी पाकिस्तानी सेना ने तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तानी आबादी पर अकल्पनीय अत्याचार किए थे. पाकिस्तान के साथ घनिष्ठता सचमुच आखिरी तिनका है. छात्र लीग हसीना को प्रधानमंत्री के रूप में बांग्लादेश वापस लाने के लिए जल्द ही एक बड़े पैमाने पर ऑनलाइन अभियान शुरू करेगी और, इंशाअल्लाह, इसे पूरे देश का समर्थन मिलेगा.”
हुसैन ने कहा कि शीर्ष नेतृत्व के साथ-साथ ग्राउंड लेवल के कार्यकर्ता भी स्वस्थ हो रहे हैं और सदस्यों के बीच राष्ट्रव्यापी संपर्क फिर से स्थापित कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “हम बांग्लादेश के उस विचार के लिए लड़ने के लिए कमर कस रहे हैं जिसे यूनुस बदलने की कोशिश कर रहे हैं.”
हुसैन ने कहा कि यह आसान लड़ाई नहीं होगी. उन्होंने कहा, “सरकार के दबाव के कारण मेरा इंटरव्यू किसी मीडिया आउटलेट ने नहीं छापा. मीडिया को अवामी लीग और छात्र लीग की किसी भी गतिविधि की रिपोर्ट न करने का निर्देश दिया गया है. यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल इस्लाम ने कहा है कि अवामी लीग और छात्र लीग को किसी भी राजनीतिक गतिविधि की अनुमति नहीं दी जाएगी. कानून प्रवर्तन एजेंसियों को निर्देश दिया गया है कि अगर हम जुलूस निकालते हैं या इकट्ठा होते हैं तो हमारे कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करें और जेल में डालें। लेकिन हम हार नहीं मानेंगे.”
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