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Wednesday, 8 May, 2024
होमफीचरBJP की कमलजीत सहरावत शादियों से लेकर मंदिरों तक हर जगह दिखाई दे रही हैं, मोदी उनके सेनापति हैं

BJP की कमलजीत सहरावत शादियों से लेकर मंदिरों तक हर जगह दिखाई दे रही हैं, मोदी उनके सेनापति हैं

बीजेपी ने 33 मौजूदा सांसदों को हटा कर उनकी जगह नये चेहरों को मैदान में उतारा है. पूर्व मेयर कमलजीत सहरावत पश्चिमी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र में एक ऐसा चेहरा हैं.

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नई दिल्ली: जैसे ही कमलजीत शेरावत अपनी कार में बैठती हैं, वे अपने एयरपॉड्स प्लग इन करती हैं और अपने सहयोगी को कई निर्देश देती हैं. “मिस्ड कॉल चैक कीजिए, “कॉल बैक कीजिए”, “अज्ञात नंबर चैक कीजिए”, “उसे यह नंबर व्हाट्सएप कर दीजिए”. कार में बैठे तीन लोगों में से एक उनका फोन तलाश रहा है. पहली शिकायत बिजली के मीटर के बारे में है, दूसरी अस्पताल के बिल के बारे में फिर स्कूल में एडमिशन के बारे में. लिस्ट लंबी है, लेकिन एक भी शिकायत अनसुनी नहीं रहेगी.

वे न केवल इन शिकायतों को संबंधित विभाग प्रमुखों को भेजती हैं बल्कि यह भी सुनिश्चित करती हैं कि सरकारी अधिकारी इस पर अमल करें. वे बिजली विभाग के एक जूनियर इंजीनियर को फोन पर बताती हैं, “प्लीज़ देखिए और मदद कीजिए. यह आदमी सचमुच परेशान है.”

यह लोकसभा चुनाव का समय है और शेरावत को हाल ही में राष्ट्रीय राजनीति में बड़ा मौका मिला है. दिल्ली भाजपा महासचिव पश्चिमी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र में दिल और दिमाग जीतने के लिए निकली हैं, एक विवादास्पद टिकट जिसे पार्टी ने मौजूदा सांसद प्रवेश वर्मा से छीनकर उन्हें दिया है. सहरावत भारतीय जनता पार्टी की ताकतवर महिला नेताओं की एक लंबी सूची में शामिल हैं — स्मृति ईरानी से लेकर निर्मला सीतारमण और सुषमा स्वराज तक.

सहरावत ने अपनी कार में बैठकर यह तय करते हुए कहा कि उन्हें अपने अगले गंतव्य तक पहुंचने के लिए मेट्रो लेनी चाहिए या नहीं, “जिम्मेदारी बड़ी है, लेकिन मेरी हिम्मत भी बड़ी है. हमारी पार्टी में बहुत सारी प्रेरक महिला नेता हैं. सुषमा स्वराज जी से लेकर स्मृति ईरानी जी तक. मैं हर किसी से प्रेरणा लेती हूं.”

52-वर्षीय सहरावत एक प्रखर वक्ता, मतदाताओं की शिकायतों की कुशल प्रबंधक और मोदी की नीतियों के उत्साही समर्थक हैं. अनुच्छेद 370 से लेकर अयोध्या, डिजिटल इंडिया से लेकर बालाकोट और यहां तक कि भारत में हींग की खेती तक, उनके भाषणों में हर जगह मोदी ही लिखा है. पिछले एक दशक में पीएम की लोकप्रियता कई नेताओं के लिए राष्ट्रीय राजनीति का आसान पासपोर्ट साबित हुई है.

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सहरावत ने हाल ही में बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक को संबोधित करते हुए कहा, “मोदी जी मेरे सेनापति हैं और मैं उनकी सैनिक हूं. उन्होंने सारा काम किया है. उन्होंने यज्ञ किया है, हमें बस इसमें आहुति डालनी है.”

और उनका नारा है कमल प्लस जीत, कमल की जीत — एक स्मार्ट वर्डप्ले. फिर, अपनी सरकार के कार्यक्रम का नामकरण करते समय या विपक्ष पर हमला करते समय अक्सर प्रधानमंत्री को इसका श्रेय दिया जाता है.

सहरावत ने हाल ही में दिल्ली में एक सभा में कहा, ‘आपको उन्हें वोट देना है जो राम को लाए हैं’ | फोटो: नूतन शर्मा/दिप्रिंट
सहरावत ने हाल ही में दिल्ली में एक सभा में कहा, ‘आपको उन्हें वोट देना है जो राम को लाए हैं’ | फोटो: नूतन शर्मा/दिप्रिंट

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राम से कृष्ण, हिंदी से पंजाबी

कमलजीत सहरावत हर उस जगह जाती हैं जहां उन्हें आमंत्रित किया जाता है या जिनके बारे में वे सुनती हैं. जैसे ही वे हरि नगर में एक बैठक खत्म करती हैं, उन्हें ख्याला में एक सार्वजनिक सभा के बारे में सूचित करने के लिए कॉल आता है — यह एक भागवत कथा है. सांसद उम्मीदवार तुरंत अपने दिन के कार्यक्रम में कुछ बदलाव करती हैं और अपने ड्राइवर से उन्हें वहां ले जाने के लिए कहती हैं.

वे अपनी टीम से कहती हैं, “मेरी डॉक्टर के साथ अपॉइंटमेंट को एंड ऑफ दि डे के लिए शिफ्ट कर दीजिए.” यह एक गुप्त सूचना की तरह है जिसका वे लोगों के सामने आने का इंतज़ार कर रही हैं.

जैसे-जैसे उनका काफिला ख्याला में मंदिर के करीब पहुंचा, सड़क संकरी हो गई. आमतौर पर उनके साथ 3-4 कारें चलती हैं. उनकी टीम में अधिकतर लोग पारिवारिक हैं. ड्राइवर से लेकर उन्हें भीड़ से बचाने वाले तक.

सहरावत को रिसीव करने आए बीजेपी कार्यकर्ता ने कहा, “गाड़ी आगे नहीं जाएगी, आपको पैदल चलना होगा.”

महिलाएं मंदिर के फर्श पर बैठती हैं. सहरावत के मंदिर में प्रवेश करते ही पुजारी ने भजन सुनाना बंद कर दिया. वे माइक पकड़ती हैं और अपना भाषण “जय श्री राम” के साथ शुरू करती हैं, लेकिन तुरंत अगले हिंदू मंदिर की ओर बढ़ जाती हैं जिसे भाजपा द्वारा पुनः प्राप्त करने की ज़रूरत है.

लाल दुपट्टा और गले में कई स्कार्फ पहने सहरावत महिलाओं को संबोधित करते हुए कहती हैं, “भगवान कृष्ण ने इस धरती पर 125 साल बिताएं और उन्होंने एक मजबूत संदेश दिया. इसका संबंध धर्म से था और हम धर्म का पालन करते हैं. आपको उन्हीं को लाना है जो राम को लाए हैं.”

पुजारी को सभा की नब्ज़ पता चल जाती है.

पुजारी ने चिल्लाते हुए कहा, “राम लल्ला आ गए हैं, अब कृष्ण की बारी है” और महिलाएं तालियां बजाने लगीं.

सहरावत का हिंदू मंदिर में जो जोरदार स्वागत हुआ, वे विष्णु गार्डन के मुख्यतः सिख बहुल इलाके के बर्फीले स्वागत से बिल्कुल अलग था.

सहरावत ने पड़ोस से बाहर निकलते समय स्थानीय लोगों को संबोधित करते हुए कहा, “सत श्री अकाल पाजी, कमलजीत सहरावत.” सहरावत अंग्रेज़ी, हिंदी और पंजाबी बोलती हैं.

सहरावत का दिन सुबह 7 बजे शुरू होता है. उनके चार मंजिला घर में औसतन लगभग 30-40 लोग रहते हैं, जो उनके कार्यालय के रूप में भी दोगुना है | फोटो: नूतन शर्मा/दिप्रिंट
सहरावत का दिन सुबह 7 बजे शुरू होता है. उनके चार मंजिला घर में औसतन लगभग 30-40 लोग रहते हैं, जो उनके कार्यालय के रूप में भी दोगुना है | फोटो: नूतन शर्मा/दिप्रिंट

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जल्द शुरुआत

सहरावत एक मिनट भी बर्बाद नहीं करतीं. वे अपनी अगली मंजिल तक पहुंचने के लिए सबसे तेज़ रास्ता अपनाती हैं, भले ही इसके लिए उन्हें मेट्रो में चढ़ने के लिए अपनी एसयूवी छोड़नी पड़े.

सहरावत की टीम के सदस्य आशीष कौशिक बताते हैं, “एक दिन, जब गूगल मैप ने उनके रास्ते पर भारी ट्रैफिक दिखाया, तो दीदी ने हमें मेट्रो लेने के लिए कहा. इसलिए हम सभी (सहरावत सहित) ने मेट्रो से यात्रा की.”

सहरावत का दिन सुबह 7 बजे शुरू होता है. उनके चार मंजिला घर में औसतन लगभग 30-40 लोग रहते हैं, जो उनके कार्यालय के रूप में भी दोगुना है. दो मंज़िल कार्यालय के लिए हैं. उनसे मिलने के लिए हर दिन करीब 100 लोग आते हैं.

सहरावत की टीम के एक सदस्य ने कहा, “टिकट की घोषणा से पहले, केवल 25-30 लोग आते थे.”

भगवान कृष्ण ने इस धरती पर 125 साल बिताए और उन्होंने एक मजबूत संदेश दिया. इसका संबंध धर्म से था और हम धर्म का पालन करते हैं. आपको उन्हीं को लाना है जो राम को लाए हैं

—कमलजीत सहरावत, पश्चिमी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार

घर अस्त-व्यस्त है. ऐसा लग रहा है जैसे एक आम शादी में खुशी का माहौल होने वाला है. सारे रिश्तेदार आए हैं, लेकिन ज्यादातर लोग उन्हें बधाई देना चाहते हैं और कुछ कनेक्शन जोड़ना चाहते हैं. कुछ लोग बाहर कुर्सियों पर बैठे हैं और राजनीति पर चर्चा कर रहे हैं. ग्राउंड फ्लोर पर कुछ लोग कमलजीत सहरावत के लिए लंबी बैठकें शेड्यूल कर रहे हैं. उनकी टीम के सदस्य ने कहा, “वे 14 तारीख को नहीं आ सकती, लेकिन 15 तारीख के लिए जगह है, मैं सिर्फ आपका नाम लिखूंगा.”

अगले 10 दिनों के लिए उनका शेड्यूल बहुत व्यस्त है.

लोग फूल देकर सहरावत से मिले और वे सभी से मुस्कुराकर मिलती हैं. पार्टी प्रत्याशी बदले जाने से स्थानीय नेताओं का ध्यान भी इस ओर जा रहा है.

निर्वाचन क्षेत्र के उत्तरी क्षेत्र की जिला उपाध्यक्ष प्रतिमा अरोड़ा सहरावत को बधाई देने के लिए उनके घर पहुंचीं. वे अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं.

उनके दिन में बैक-टू-बैक मीडिया इंटरव्यू, विभिन्न जिलों में भाजपा कार्यकर्ता बैठकें, शादियां, सालगिरह समारोह, भाजपा सदस्यों के साथ डिनर शामिल हैं.

सहरावत की सार्वजनिक बैठकों में पार्टी के कई कार्यकर्ताओं का मानना है कि “मोदी जी ने अपने कार्यों से सभी को आश्चर्यचकित कर दिया.” जब उनके नाम की घोषणा हुई तो सहरावत भी हैरान रह गईं.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “मुझे इसकी उम्मीद ही नहीं थी, मैं हैरान थी, लेकिन निश्चित रूप से खुश भी थी. टिकट मिलने के बाद मेरी ज़िंदगी बदल गई है.”

भाजपा ने तीन पूर्व महापौरों को टिकट दिया — पूर्वी दिल्ली नगर निगम के पूर्व महापौर हर्ष मल्होत्रा, पूर्वी दिल्ली सीट से और नॉर्थवेस्ट सीट से नॉर्थ एमसीडी के पूर्व मेयर योगेंद्र चंदोलिया.


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सांसद के लिए मोदी, मोदी

सहरावत के ज्यादातर भाषण मोदी के काम के बारे में होते हैं. वे मोदी के हर काम की पृष्ठभूमि बुनती हैं. पुलवामा, 370, अंतरराष्ट्रीय संबंध आदि वे कार्यकर्ताओं को भाजपा का इतिहास बताती हैं. वास्तव में, वे दक्षिणी दिल्ली के मेयर के रूप में अपने काम से ज्यादा मोदी के बारे में बात करती हैं.

तिलक नगर में लगभग 80-90 भाजपा कार्यकर्ताओं की भीड़ के सामने सहरावत कहती हैं, “हम सभी अपनी रसोई में हींग का उपयोग करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं, हम इसे बाहर से आयात करते थे और इसे उगाने वाले देश को इसका पौधा किसी को देने की इज़ाज़त नहीं थी? इसके लिए मृत्युदंड का प्रावधान था, लेकिन मोदी जी ने ईरान के साथ बेहतर संबंध बनाए और यहां हींग के पौधे खरीदे.”

वे आगे कहती हैं, “अब हम 50 प्रतिशत हींग का उत्पादन अपने देश में कर रहे हैं.”

हालांकि, तथ्य कुछ और ही कहते हैं. इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी था जिसने सबसे पहले 2020 में हींग की खेती शुरू की थी. यह पीएम का व्यक्तिगत हस्तक्षेप था जिसने इसे संभव बनाया यह ज्ञात नहीं है.

सहरावत तेज़ी से व्यापार और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच उलझ गईं और मोदी लगातार विषय बने रहे.

पूर्व मेयर ने बीजेपी कार्यकर्ताओं को बताया कि कैसे अनुच्छेद 370 को हटाना पीएम मोदी के लिए एक कठिन फैसला था और उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में ही इसकी तैयारी शुरू कर दी थी.

सहरावत के ज्यादातर भाषण मोदी के काम के बारे में होते हैं. वे मोदी के हर काम की पृष्ठभूमि बुनती हैं. पुलवामा, 370, अंतरराष्ट्रीय संबंध आदि | नूतन शर्मा/दिप्रिंट
सहरावत के ज्यादातर भाषण मोदी के काम के बारे में होते हैं. वे मोदी के हर काम की पृष्ठभूमि बुनती हैं. पुलवामा, 370, अंतरराष्ट्रीय संबंध आदि | नूतन शर्मा/दिप्रिंट

सहरावत कहती हैं, “अनुच्छेद 370 को हटाना कोई आसान काम नहीं था. लोग अक्सर पूछते हैं कि मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में इसे रद्द क्यों नहीं किया, लेकिन मोदीजी के पास व्यापक दृष्टिकोण है. उनके पहले कार्यकाल के दौरान, कश्मीर से एक प्रतिनिधिमंडल आता था और मोदीजी उन्हें समझाते थे कि धारा 370 और 35ए को हटाने के बाद लोगों की ज़िंदगियां बदल जाएंगी और अंततः वे सफल हुए.”

उन्होंने आगे कहा, “लोग कहते थे खून की नदिया बह जाएगी, पत्थर चल जाएंगे, लेकिन पत्थर तो क्या, एक कंकड़ भी नहीं उठा” इस दौरान बीजेपी के कार्यकर्ताओं से भरा हॉल “भारत माता की जय” के नारों से गूंज उठा.

वे 2019 में पुलवामा हमले के बाद हुए बालाकोट हवाई हमले की पिछली कहानी भी बताती हैं और बताती हैं कि कैसे तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने मोदी से कहा कि हमारे जवान बदला चाहते हैं.

वे बताती हैं, “हमें हवाई हमला करने में 14 दिन लग गए क्योंकि प्रमुखों से बात करने के बाद, मोदी जी ने कहा, आप हवाई हमला कर सकते हैं, लेकिन मैं केवल एक ही बात कहना चाहता हूं, जितने जाएंगे उतने वापस भी आने चाहिए.” हॉल खामोश हो जाता है. हर कोई उन्हें ऐसे देख रहा है जैसे कोई थ्रिलर फिल्म चल रही हो.

वे कहती हैं, “और हमने बदला लिया और अपना एक भी सैनिक नहीं खोया. यह मोदी हैं, वे कार्रवाई करते हैं.”

सहरावत ने सभा को बताया कि कैसे मोदी ने वैश्विक मंच पर अपनी प्रतिष्ठा बनाई और इससे यूक्रेन-रूस युद्ध के दौरान फंसे हुए छात्रों को कैसे लाभ हुआ, जिन्हें सुरक्षित रूप से वापिस देश लाया गया. उनका दावा है कि यहां तक कि संयुक्त अरब अमीरात ने प्रोटोकॉल से हटकर रात में भी अपना हवाई अड्डा केवल मोदी के लिए खोला.

हरि नगर की एक सभा में सहरावत कहती हैं, “मोदी ने उसी देश में मंदिर बनाया जहां लोग भगवान राम का नाम लेने से डरते थे. यह मोदी की ताकत है.” और भीड़ “जय श्री राम” के नारे लगाने लगती है.

उनका खाका तय है और हर सभा में इसे दोहराया जाता है. “यह चुनाव विकसित भारत के लिए है. याद रखिए कि मोदी जी क्या कहते हैं — “यही समय है, सही समय”.


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रैंकों के जरिए बढ़त

कमलजीत सहरावत ने यहां तक पहुंचने के लिए बीजेपी में 15 साल मेहनत की. एमसीडी के अतिरिक्त आयुक्त प्रमोद कुमार ने इन सभी वर्षों में सहरावत को उनके सभी चुनावी मुकाबलों में मार्गदर्शन करते हुए उनके साथ काम किया है. उन्होंने पहली बार 2008 में मटियाला विधानसभा से विधानसभा चुनाव लड़ा, 2017 में एमसीडी चुनाव जीता और पार्षद बनीं.

इस महीने की शुरुआत में भाजपा ने आगामी लोकसभा चुनावों के लिए अपने उम्मीदवारों की पहली सूची की घोषणा की. पार्टी ने 33 मौजूदा सांसदों को हटा दिया है और उनकी जगह नए चेहरों को शामिल किया है. कमलजीत सहरावत एक ऐसा चेहरा हैं, जो पश्चिमी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र से दो बार के मौजूदा सांसद प्रवेश वर्मा की जगह ले रही हैं.

टिकटों की घोषणा के बाद वर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा, “मुझे टिकट न देने के पीछे कोई वजह नहीं है. ये हमारी पार्टी है, जहां एक कार्यकर्ता सीएम बन सकता है और एक चाय बेचने वाला पीएम बन सकता है. भाजपा हर कार्यकर्ता को मौका देती है.”

लेकिन दिल्ली बीजेपी में मची हलचल वर्मा के बयान की पोल खोलती है. नाम न छापने की शर्त पर दिल्ली बीजेपी के एक सूत्र ने बताया, “प्रवेश वर्मा ने एक बयान जारी किया है, लेकिन उनकी सच्ची भावनाएं उनके एक्स पर किए गए पोस्ट में देखी जा सकती हैं.”

11 मार्च को पीएम मोदी ने द्वारका एक्सप्रेसवे का उद्घाटन किया था और कई नेता वहां मौजूद थे. यह सहरावत का निर्वाचन क्षेत्र था. रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कमलजीत सहरावत के साथ कार्यक्रम की तस्वीर पोस्ट की. उक्त व्यक्ति ने कहा, “लेकिन जब वर्मा ने वही तस्वीर पोस्ट की, तो सहरावत उसमें से गायब थीं. यह बहुत कुछ बताता है.”

दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की पूर्व महापौर, जिनके पास एलएलबी की डिग्री है, ने 2008 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में मटियाला विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था.

सहरावत ने कहा, “मैं केवल 6,000 वोटों से हार गई थी.”

द्वारका बी के मंडल अध्यक्ष कुमार बताते हैं, “वे बहुत सीधी-सादी हैं, कोई फर्ज़ी वादा नहीं करतीं.”

सहरावत महिला भाजपा कार्यकर्ताओं के दिलों में एक विशेष स्थान रखती हैं. कई लोग उनसे प्रेरणा लेते हैं और कई लोग सोचते हैं कि पार्टी महिलाओं को पहचानती है.

पश्चिमी दिल्ली की जिला उपाध्यक्ष प्रतिमा अरोड़ा ने कहा, “मोदी जी चीज़ें बदलते रहते हैं. उनका कहना है कि हर कार्यकर्ता को मौका मिलना चाहिए और अब उन्होंने ये साबित कर दिया है. एक महिला होने के नाते मैं बहुत खुश हूं कि सहरावत जी को टिकट मिला.” सहरावत की उम्मीदवारी की घोषणा के बाद, अरोड़ा ने सांसद उम्मीदवार के साथ सोशल मीडिया पर एक तस्वीर पोस्ट की थी जिसमें कहा गया था कि कमल जीतेगा और कमलजीत भी.

पिछले कुछ दिनों में कमलजीत सहरावत के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म काफी एक्टिव हो गए हैं. नई रील्स, उनके दिन के शेड्यूल और उनके द्वारा किए जाने वाले प्रत्येक कार्यक्रम की तस्वीरें पाई जा सकती हैं. तीन फोटोग्राफरों की एक टीम सहरावत के साथ यात्रा घूमती है और उनकी सोशल मीडिया टीम को तस्वीरें भेजती रहती है, जो उनके द्वारका कार्यालय में बैठती है. उनके पोस्ट बीजेपी का प्रचार करने वाले कार्यक्रमों और पोस्टरों से भरे रहते हैं. सहरावत द्वारा इंस्टाग्राम पर पोस्ट की गई एक तस्वीर में लिखा है, “मैं हूं मोदी का परिवार” जहां उनके 3.9 हज़ार फॉलोअर्स हैं, इसके अलावा एक्स पर 44 हज़ार और फेसबुक पर 3 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं.

सहरावत 2006 में भाजपा में शामिल हुईं और तब से विभिन्न पदों पर कार्य किया — जिला उपाध्यक्ष, नजफगढ़ (2007-2009) से लेकर सचिव, दिल्ली भाजपा और अध्यक्ष, महिला मोर्चा, दिल्ली भाजपा तक. इससे पहले वे विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) का हिस्सा थीं. वे वर्तमान में विदेश में एक अध्ययन कार्यक्रम, जीनियस कमर्शियल एंड एजुकेशनल इंस्टीट्यूट प्राइवेट लिमिटेड में निदेशक हैं.

लेकिन सहरावत इन सभाओं में मेयर के रूप में उनके द्वारा किए गए कार्यों को उद्धृत करती हैं — गुलाबी शौचालय से लेकर एलईडी लाइट तक.

उत्तम नगर में जन्मीं और द्वारका में रहने वाली सहरावत मतदाताओं के सामने अपना बेटी और बहू कार्ड खेलती हैं और बताती हैं कि वे आम लोगों के लिए कितनी सुलभ हैं.

वे कहती हैं, “मैं आपकी बेटी, बहू और बहन हूं. मैं आप में से एक हूं और अब मैं चाहती हूं कि आप सभी अगले 60 दिनों के लिए कमलजीत सहरावत बनें. आप 60 दिन संभल लें, मैं अगले 60 महीने संभल लूंगी.”

मतदाताओं द्वारा चुनावी प्रक्रिया में लाए जा रहे संशय से अवगत पूर्व मेयर जनता को मनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं. “मैं पहले भी ऐसी थी और भविष्य में भी ऐसी ही रहूंगी. आप कभी भी कोई भी समस्या लेकर मेरे पास आ सकते हैं मैं उसका समाधान करूंगी; ऐसा समय आएगा जब मैं इसे हल नहीं कर पाऊंगी क्योंकि किसी के पास हर समाधान नहीं है, लेकिन मैं आपको विश्वास दिलाती हूं कि मैं आपकी बात सुनूंगी और अपनी बेहतरीन कोशिश करूंगी.”

भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें पूरी करने के बाद सहरावत हर दिन 6-8 शादियों में शामिल होती हैं. ऐसी सभी सभाओं में एक बड़ी भीड़ उनके पास आती है और अपना परिचय देती है और अपने सोशल मीडिया के लिए एक तस्वीर खींचती है. हर कोई दिखावा करना चाहता है और सहरावत हमेशा पोज़ देने के लिए तैयार रहती हैं.

पूर्व पार्षद और महामंत्री, पश्चिमी दिल्ली, भाजपा श्वेता सैनी ने कहा, “जब वे महापौर थीं तब मैंने उनके साथ काम किया था. सोडियम स्ट्रीट लाइट को एलईडी लाइट में बदलने के लिए उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा सम्मानित किया गया था. उन्होंने अपनी टीम की महिलाओं को बढ़ावा दिया है.”

सैनी आगे कहती हैं, “उन्होंने मेयर के रूप में शहर में पहले पिंक बूथ शौचालय का उद्घाटन किया, हमें एक सांसद नहीं बल्कि एक बेटी और एक बहन मिलेगी.”

उनके साथ काम कर चुके एमसीडी अधिकारी उन्हें एक उत्कृष्ट नेता बताते हैं जो हमेशा काम और लोगों को प्राथमिकता देती हैं. एमसीडी के अतिरिक्त आयुक्त प्रदीप कुमार बताते हैं, “स्थानीय लोगों के बीच उनकी पहुंच अकथनीय है. मैडम का संचार कौशल उत्कृष्ट है. वे तुरंत एक्शन लेती थीं और काम को कभी नहीं टालती थीं. उनके साथ सब कुछ ईज़ी था.” कुमार सहरावत के साथ तब काम करते थे जब वे उपायुक्त थे.

हर एक मीटिंग के बाद, वे अपने बालों में कंघी करती हैं, अपने गालों को थपथपाती है और लिपस्टिक लगाती है, मिस्ड कॉल का जवाब देते समय यह सब काम करती हैं.

वे ट्रैफिक को मात देती हैं और समय पर आखिरी मीटिंग में पहुंचती हैं. उनका गला ख़राब हो रहा है, लेकिन वे ऐसा नहीं कर रही हैं. अपने भाषणों के बाद, वे गर्म पानी और गले के लिए गोलियां लेती हैं, लेकिन यह ठीक नहीं हो रहा है.

“डॉक्टरों की बैठकें प्राथमिकता पर थीं, लेकिन प्राथमिकता बदलती रहती हैं, यह राजनीतिक जीवन है. वे सब कुछ है जिसकी योजना बनाने की ज़रूरत है, लेकिन सब कुछ योजना के अनुसार नहीं होता है.”

(संपादन फाल्गुनी शर्मा)

(इस ग्राउंड रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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