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Saturday, 5 October, 2024
होमफीचरबेगम अख्तर से लेकर शोभा गुर्टू तक – भारत की गायिकाएं गीतों और कहानियों से जीवंत हो रही हैं

बेगम अख्तर से लेकर शोभा गुर्टू तक – भारत की गायिकाएं गीतों और कहानियों से जीवंत हो रही हैं

गुज़रे ज़माने की गायिकाओं को अक्सर वेश्याओं के रूप में चित्रित किया जाता था. अवंती पटेल और उनका समूह इस कलंक को बदल रहे हैं और दर्शकों और मंच के बीच की दीवार को तोड़ रहे हैं.

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नई दिल्ली: बेहतरीन गज़ल और सेमी-क्लासिकल गायिकाओं में से एक बेगम अख्तर एक बार लखनऊ से भोपाल जा रही थीं, तभी एक लड़के ने उनके हाथ में चुपचाप एक चिट रख दी. उस कागज़ पर एक गज़ल लिखी थी. वो युवा लड़का कोई और नहीं बल्कि शकील बदायुनी थे जो बड़े होकर एक प्रसिद्ध कवि बने. बेगम अख्तर ने गज़ल की रचना की और इसे गीत का रूप देकर अमर कर दिया – ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया.

गज़ल अब मुंबई की अवंती पटेल और उनके समूह के संगीत प्रदर्शन का हिस्सा है – जहां वे कहानी कहते हुए, इतिहास और संगीत को जोड़ते हैं. वे अतीत की महिला गायकों के इस उत्सव को ओ गानेवाली कहते हैं.

बेगम अख्तर के बारे में यह किस्सा सुनाने के बाद, समूह गजल की भावपूर्ण प्रस्तुति प्रस्तुत करता है. शो के बाद मंच पर कलाकारों के बीच दर्शकों की बातचीत के साथ समान कहानियों और मधुर गीतों को जोड़ा जाता है.

छा रही काली घटा और मुद्दत हुई है यार को से लेकर पारंपरिक दादरा और होरी तक, वे धीरे-धीरे प्रत्येक गानेवाली (गायक) के काम का पता लगाते हैं. समूह गीतों के बीच उस विशेष रूप या कलाकार के बारे में आकर्षक कहानियां सुनाता है. इनमें कुछ चुनिंदा कलाकार बेगम अख्तर, इकबाल बानो, गौहर जान और निर्मला देवी हैं.

प्रस्तुति माधुर्य और लय की उत्कृष्ट कृति से कम नहीं है, जो आकर्षक कहानी कहने के साथ भारतीय अर्ध-शास्त्रीय संगीत की समृद्ध पारंपरिक ध्वनियों को मिश्रित करता है. इसके सभी कहानी-गीत-कहानी विराम ठीक वही राहत प्रदान करते हैं जो दर्शकों को पसंद आती है.


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क्लासिक्ल को लोकप्रिय बनाना

एक सैगमेंट इकबाल बानो को समर्पित है. वो पाकिस्तान के जनरल जिया उल हक शासन के प्रति अपना प्रतिरोध दर्ज कराते हुए काली साड़ी पहनकर ‘हम देखेंगे’ गाने की प्रसिद्ध कहानी से शुरू करते हैं.

कलाकारों के उपाख्यानों के अलावा, समूह श्रोताओं को दादरा, ठुमरी और उनके विभिन्न रूपों के बारे में एक-दूसरे से बात करके संगीत प्रदर्शन के माध्यम से उदाहरण देकर भी सिखाता है.

यह अर्ध-शास्त्रीय संगीत रूपों को लोकप्रिय बनाने का समूह का तरीका है, जो मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा गाए जाते थे.

गानेवाली और नाचनेवाली (गायिकाएं और नर्तकियां), जैसा कि पारंपरिक महिला मनोरंजनकर्ताओं को लोकप्रिय रूप से कहा जाता था, महिलाओं को वेश्यावृत्ति और सेक्स कार्य के दायरे में प्रतिबंधित कर दिया गया, लेकिन इनमें से कई महिलाओं ने ख्याल, ठुमरी, दादरा, होरी, झूला, चैती और गज़ल सहित भारत की विविध संगीत शैलियों के संरक्षण और पोषण में बहुत योगदान दिया.

कलाकारों की एक नई पीढ़ी

अवंती पटेल, जो प्रसिद्ध हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक अश्विनी भिडे-देशपांडे से पांच साल की उम्र से संगीत सीख रही हैं, ने इस शो की परिकल्पना की क्योंकि उन्हें लगा कि पारंपरिक संगीत विशेष रूप से ठुमरी, खो रहे हैं.

पटेल ने दिप्रिंट को बताया, “इसने मुझे संगीत के एक छात्र के रूप में आकर्षित किया और मैं फोकस बिंदु के रूप में ठुमरी के साथ एक शो करना चाहती थी. इसलिए मैंने फंड के लिए हरकत स्टूडियो से अनुरोध किया और यह मुझे मिल गया.”

हालांकि, उन्होंने कहा कि असली चुनौती जनवरी 2022 में उनके पहले वर्चुअल शो के लिए इस अवधारणा को वास्तविकता में बदलना था.

उन्होंने कहा, “संगीतकार मित्रों के समूह के साथ बात करने के बाद हम इसे करने में कामयाब रहे. हमारा पहला वर्चुअल शो काफी सफल रहा था.”

पटेल नई पीढ़ी के कलाकारों का हिस्सा हैं जो संगीत को सिर्फ संगीत के रूप में नहीं देखते हैं. वो एक नया परिप्रेक्ष्य लाते हैं और नए रूपों का प्रयोग करना चाहते हैं.

शास्त्रीय संगीत अपने पारंपरिक रूप में आमतौर पर एक औपचारिक सेटिंग में किया जाता है, जहां कलाकार और दर्शकों के बीच एक अदृश्य बाधा होती है. इसका आनंद लेने के लिए भी एक निश्चित स्तर के ज्ञान की ज़रूरत होती है.

ओ गानेवाली के माध्यम से पटेल और उनका समूह इसे बदलने की उम्मीद कर रहा है. वे चाहते हैं कि हर कोई संगीत से जुड़ा हुआ महसूस करे, यही कारण है कि वे अक्सर छोटे समूहों में प्रस्तुति देते हैं और मंच की सीमाओं को छोड़ कर अंतरंग बैठक करते हैं.


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गुज़रे हुए जमाने को फिर से बनाना

उनकी मंच सेटिंग उस युग को फिर से बनाने की कोशिश करती है जब गानेवाले गाते थे. माइक को चमेली के फूलों से सजाया जाता है और कोने में एक प्राचीन ग्रामोफोन रखा हुआ है. रेशमी साड़ियों में सजी दो महिलाएं, गहनों से सजी हैं और उनके बालों में गजरे लगे हुए हैं. उनके सिर पर मुगलकालीन झूमर लगा हुआ है और उनके झुमके रोशनी में झिलमिला रहे हैं. अगले दो घंटों में जो सामने आता है वो एक आकर्षक संगीत गाथा है जो आपको विभिन्न गायन रूपों और मौसमों की सैर कराती है.

समूह ने इस बात पर विशेष ध्यान दिया कि उन्हें क्या पहनना है. लोकप्रिय संस्कृति में, तवायफ या गानेवाली को ज्यादातर कथक नर्तकियों के रूप में तंग-फिटिंग कपड़े पहने दिखाया गया है. पटेल के अनुसार, ऐसी महिलाओं की एक श्रेणी मौजूद है जो साड़ी पहनती हैं, शायद ही कोई स्किन दिखाती हैं और तानपुरा लेकर बैठती हैं और गाती हैं.

पटेल ने कहा, “उन्होंने वेश्यावृत्ति में शामिल महिलाओं से अलग अपनी पहचान बनाने के लिए कड़ा संघर्ष किया. हालांकि, हम नैतिक रूप से इसके खिलाफ नहीं हैं, लेकिन गानेवालों के लिए उन्हें एक ही श्रेणी में रखना अनुचित होता, इसलिए हमने उनकी तरह साड़ी पहनने का फैसला किया.”

पटेल की गुरु-बहन या सह-शिक्षिका रुतुजा लाड दूसरी प्रमुख गायिका हैं. पटेल के पुराने दोस्त अक्षय जाधव तबला बजाते हैं. इसके अलावा समूह का हिस्सा अहमदाबाद के सारंगी वादक वनराज शास्त्री और हारमोनियम वादक नुसरत अपूर्व हैं. इस तरह की प्रस्तुति को अपनाना चुनौतीपूर्ण था जिसके लिए बहुत अधिक बोलने और मंच जागरूकता की आवश्यकता थी. यहीं पर निर्देशक मल्लिका सिंह और मेघना तैलंग आईं.

शास्त्री ने कहा, “हम संगीतकारों के लिए मंच पर आना, अपना वाद्य यंत्र बजाना और वापस जाना एक आदत है, लेकिन यहां हमें अपने संगीत प्रस्तुति के बीच दर्शकों के साथ जुड़ना, कहानियां सुनाना भी था. यह काफी चुनौतीपूर्ण था, लेकिन हमें इसकी आदत हो रही है.”

एक अनुभवी तबला वादक जाधव – जो बॉलीवुड गानों में भी बजाते हैं, इस शो का हिस्सा बनकर अनूठा अनुभव कर रहे हैं.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “सह-संगीतकार और कई लोग पूछते रहते हैं कि ओ गानेवाली का अगला शो कब हो रहा है. हमारे लिए, यह आत्मा से जुड़ा संगीत है.”

सही प्रतिनिधित्व के लिए प्रयासरत

सबा दीवान की तवायफनामा से लेकर विक्रम संपत की माई नेम इज़ गौहर जान तक, ऐसी कई किताबों और अकादमिक लेखों पर शोध करना और उनका संदर्भ देना पटेल के लिए मज़ेदार है.

पटेल ने कहा, “कई उपाख्यानात्मक ज्ञान भी हैं, उदाहरण के लिए वो कहानियां जो हमारे गुरु अश्विनी भिडे देशपांडे जी साझा करते हैं. उनकी मौसी शोभा गुर्टू की छात्रा थी, जो ठुमरी में एक बड़ा नाम है.”

ओ गानेवाली में गाए गए गाने भारत के पहले ‘रिकॉर्डिंग सुपरस्टार’ के रूप में जानी जाने वाली गौहर जान के ज़माने के हैं.

इतिहासकार विक्रम संपत ने दिप्रिंट को बताया कि बहुत ही कम लोग जानते हैं कि जब रिकॉर्डिंग तकनीक भारत में आई, तो ज्यादातर तवायफ और देवदासी समुदायों की महिलाएं थीं जिन्होंने पहले अपने गाने रिकॉर्ड किए थे.

उन्होंने कहा, “लेकिन उनकी कहानियों को पूरी तरह से इतिहास के कूड़ेदान में फेंक दिया गया है. मैं और मेरी टीम भारतीय संगीत के संग्रह पर भी काम कर रहे हैं. हमने इनमें से कई महिलाओं की मूल रिकॉर्डिंग को डिजिटाइज़ किया है और इसे साउंडक्लाउड पर जनता के लिए उपलब्ध कराया है. भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को फिर से खोजने की अवधारणा के साथ ओ गानेवाली परियोजना एक अच्छी पहल है.”

वरुण ग्रोवर, कल्कि कोचलिन और कबीर बेदी ने उनके शो में हिस्सा लिया है. समूह 8 मार्च को मुंबई के बोरीवली और 11 मार्च को ठाणे में शो कर रहा है.

(संपादनः फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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