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Friday, 19 April, 2024
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भारत में इतिहास पर लड़ाई के लिए मिला एक और बड़ा क्लासरूम- यूट्यूब

अयोध्या में राम मंदिर के पुनर्निर्माण के इस युग में इतिहास के बारे में बताना सिर्फ रोमिला थापर और इरफान हबीब जैसे कुलीन विद्वानों का काम नहीं रहा है, बल्कि आज हर कोई इसका जानकार बन गया है.

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दिन के समय में ऋत्विक त्रिपाठी एक आम सा 24 साल का शख्स है, जिसे राजस्थान में अपने गांव जैतारण में वहां रहने वाले बच्चों को महाभारत की कहानियां सुनाना बेहद पसंद है. लेकिन जैसे ही रात होती है वह एक विख्यात ‘डिमांडिंग पंडित’ में बदल जाता है. वह एक ऐसा यूट्यूब कहानीकार और इतिहास की ‘विकृतियों’ से बदला लेने वाला ऐवेंजर बन जाता है, जिसके पास अपनी बात कहने के लिए अपने शहर की आबादी से 63 गुना बड़ा मंच है.

लेकिन वहां आपको सिर्फ उसकी आवाज सुनाई देगी, वह अपना चेहरा कभी नहीं दिखाता- दूरदर्शन के महाभारत सीरियल में ‘मैं समय हूं’ जैसा कुछ.

महाराणा प्रताप की वीरता पर एक वीडियो में वह गरजती आवाज में कहते हैं, ‘अगर धर्म बचेगा, तो दुनिया बचेगी.’ कमेंट सेक्शन में उनके चाहने वालों ने लिखा कि इसे सुनकर उनकी आंखों में आंसू आ गए और उन्हें सुनते ही उनके शरीर में रक्त संचार बढ़ गया. दो साल पहले पोस्ट किए गए इस वीडियो को अब तक 95 लाख बार देखा जा चुका है.

त्रिपाठी उस तहखाने के इतिहासकार हैं, जहां से वह ढूंढ-ढूंढ कर इतिहास लाते हैं, निराधार थ्योरी साझा करते हैं, जानकारी के लिए असत्यापित साइटों को गूगल करते हैं और उन्हें एक क्राइम पेट्रोल एंकर की तरह पूरे नाटकीय जोश के साथ पेश करते हैं. वह इतिहास को एक हिंदू ट्विस्ट देने वाले ‘इतिहासकार’ हैं.

वह कहते हैं, ‘भारत का भविष्य अंधकारमय है क्योंकि मुसलमान खुद को यहां ‘दूसरा’ मानते हैं. उनका मिशन अपने 14 लाख फॉलोअर्स को बताना है कि यह सच नहीं है कि ‘सभी भारतीय हिंदू हैं.’

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लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह क्या कह रहे हैं. डीप-वॉयस नैरेशन के साथ उनके ग्राफिक्स-भारी वीडियो, चकाचौंध से भरा बैकग्राउंड म्यूजिक और पोन्नियिन सेलवन- मैं बाहुबली और हॉलीवुड हिट 300 सक्स यू जैसी फिल्मों के युद्ध क्लिप के साथ वह अपने फॉलोअर्स को स्क्रीन से चिपकाए रखते हैं. सोफ्ट स्पोकन त्रिपाठी पर वीडियो रिकॉर्ड करते समय जोश हावी हो जाता है. वह एक हिंदू योद्धा बन जाते हैं- इस्लाम, वामपंथियों और ‘राष्ट्र-विरोधी’ की संयुक्त ताकतों के खिलाफ एक सांस्कृतिक युद्ध छेड़ते हैं. और इस सबका नतीजा! उनका चैनल ‘हिंदुत्व’ इतिहास पढ़ाने वाला भारत का सबसे बड़ा क्लासरूम बन गया है.

डिमांडिंग पंडित, अभि और नियू, अभिजीत चावड़ा और प्रखर श्रीवास्तव जैसे यूट्यूबर्स भारत की एक अधीन, प्राचीन और प्रतिगामी राष्ट्र होने के बारे में लोकप्रिय धारणाओं को चुनौती देने की खोज में हैं. पौराणिक कथाओं, धर्म और तथ्यों और विद्वता के बीच पहले से धुंधली हो चुकी रेखा इन यूट्यूबर्स के रास्ते में नहीं आती है.

हिंदुत्व की ये लड़ाई उस समय से आगे बढ़ गई है जब हर भाजपा सरकार पहले इतिहास की पाठ्यपुस्तकों में बदलाव या सड़कों और रेलवे स्टेशनों का नाम बदलने से अपनी शुरुआत करती थी. अपने तरीके से इतिहास बताने का यह चलन रोमिला थापर और इरफान हबीब जैसे नेहरू-युग के इतिहासकारों को गाली देने और लुटियंस दिल्ली में सेमिनार आयोजित करने से भी आगे बढ़ गया है.

इतिहास बताना अब सिर्फ कुलीन विद्वानों का काम नहीं रहा है. अयोध्या में राम मंदिर के पुनर्निर्माण के युग में इतिहास का अब हर कोई अपने-अपने तरीके से जानकार है. यह व्हाट्सएप फॉरवर्ड और लिविंग रूम में होने वाली बातचीत का हिस्सा है और स्मार्टफोन वाला कोई भी व्यक्ति अचानक से इसका शौकीन बन जाता है.

और यह तब तक चलता रहेगा, जब तक कि भारत की हिन्दू संस्कृति की गौरव-गाथा उन्हें सुनाई जाती रहेगी.

इस ‘ब्रह्मांड’ में हल्दीघाटी का युद्ध जीता गया था, हारा नहीं था. राम एक ऐतिहासिक शख्सियत हैं और रामायण एक ऐतिहासिक तथ्य है, पौराणिक कथा नहीं. और मुस्लिम, जिन्होंने पाकिस्तान के लिए मुस्लिम लीग की ओर से प्रचार किया था और वहां नहीं गए, ताकि वो सभी कांग्रेस का एक महत्वपूर्ण वोट बैंक बनाए रख सकें.

लेकिन हर कोई इतिहास की बात नहीं करता. कुछ भगवद्गीता के श्लोकों के जरिए मैनेजमेंट का पाठ भी पढ़ाते हैं, भू-राजनीति और भारत की वैश्विक छवि पर चर्चा करते हैं. वे छत्रपति संभाजी महाराज या सुजान सिंह शेखावत जैसे हिंदू योद्धाओं के बारे में बात करते हैं. उन्हें लगता है कि इन्हें दरकिनार कर दिया गया है. वे चाहते हैं कि दुनिया भारत के प्राचीन, सभ्यतागत गौरव को स्वीकार करे- एक ऐसी प्रतिष्ठा जिसे वे बार-बार होने वाले आक्रमणों और उपनिवेशवाद से कमजोर होते हुए देखते हैं. और अगर उनके फॉलोअर्स की संख्या लगातार बढ़ रही है, तो वे अपने मकसद में कामयाब हो रहे हैं.

त्रिपाठी ने कहा, ‘मेरे हिंदू दर्शक तय करेंगे कि सही या गलत क्या है.’ वह एक छोटे से बेडरूम में बैठे हुए हैं, जो उनके स्टूडियो से लगभग दोगुना है. उनका कमरा नारंगी दीवार पर पारंपरिक नीली राजस्थानी टाइलों से सजा है, जिस पर दर्जनों उगते सूरज के डिजाइन बने हैं. एक लाल व सफेद टेडी बियर और एक यूट्यूब अवार्ड जिसमें उसके 10 लाख सब्सक्राइबर होने की घोषणा है. एक साफ-सुथरी सी शेल्फ पर अकाउंटेंसी और इतिहास की किताबें रखीं हैं.

उनकी गोद में भूरा पैटर्न वाला एक तकिया रखा है. उन्होंने कहा, ‘वैसे भी हम हिंदू बहुसंख्यक हैं, हम अपने आप को नीचा क्यों देखें?’


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एजेंडा सेट करना

यूट्यूबर्स अलग-अलग बैकग्राउंड से आए हैं- प्रशिक्षित भौतिक विज्ञानी, पूर्व रिपोर्टर, इंजीनियरिंग ग्रेजुएट और एक वह जो एकाउंटेंट बनने की राह पर था. ये सभी राजनीतिक और सांस्कृतिक विकास पर बारीकी से नजर रखते हैं और एक सामयिक वीडियो के साथ बातचीत में कूदने के लिए तैयार रहते हैं.

उनके कुछ तीखे और कड़े विचार कम उम्र में ही बनने लगे थे. त्रिपाठी के मामले में कहानी कुछ इस तरह से शुरू हुई थी- 18 साल की उम्र में, जब वह अपनी बहन को ट्यूशन क्लास से लेने स्कूटर पर जा रहा था तो गलती से एक युवा मुस्लिम लड़के से टकरा गए. हंगामा हुआ और भीड़ इकट्ठी हो गई. उन्हें याद है कि कोई उन्हें अपनी बाइक से टक्कर मारने की कोशिश कर रहा था. जब तक वह और उसकी बहन घर पहुंचे, उन्होंने बताया कि आस-पास रहने वाले मुस्लिमों के एक बड़े ग्रुप ने गुस्से में उनके घर को घेर लिया था.

उन्होंने कहा, ‘मैं उस समय काफी छोटा था. यह बहुत डरावना था. मुझे लगा कि वे हमें चोट पहुंचाने वाले हैं. उन्होंने मुसलमानों का जिक्र करते हुए कहा, ‘इसके बाद से मेरा यह सोचना शुरू हुआ कि वे ऐसे क्यों हैं.’

यह ऑनलाइन दुनिया में त्रिपाठी की यात्रा की शुरुआत थी. यूट्यूब पर उनका छद्म नाम ‘डिमांडिंग पंडित’ है यानी एक ब्राह्मण की ओर से दिया जाने वाला ज्ञान. उनका दावा है कि उन्होंने गीता और कुरान दोनों का अध्ययन किया है. और उन्होंने निष्कर्ष निकाला है कि भारतीय मुसलमान स्वयं अब्राहमिक विचारधारा के शिकार हैं.

दूसरे यूट्यूबर्स के पास इस ओर जाने का एक सहज कारण है. वो कुछ उसी तरह का कंटेंट बना रहे हैं जिसे वे देखना चाहते हैं.

30 लाख से अधिक सब्सक्राइबर वाली जोड़ी ‘अभि और नियू’ खुद को राष्ट्र-निर्माता के रूप में देखती है. उनके यूट्यूब का सफर भारत की सांस्कृतिक सुंदरता और देश में हो रही ‘सकारात्मक चीजों’ को दिखाने की इच्छा से शुरू हुई. वे भू-राजनीति और करंट अफेयर्स से लेकर हिंदू धर्म के आधुनिक पाठों और टेकअवे तक हर चीज पर वीडियो बनाते हैं. और यह सब मुंबई में उनके छोटे से दो बेडरूम के अपार्टमेंट में तैयार किया जाता है.

अभि ने कहा, ‘हम एक कॉमन थ्रेड बनाना चाहते हैं, एक पहचान जो हम सभी को बांधती है’. और वह पहचान यह है कि ‘इंडिया’ भारत है, जो कि राजनीतिक सीमाओं से नहीं बंधा था जैसा कि आज है.

नीयू ने कहा, ‘मुख्य संदेश जो हम देना चाहते हैं कि लोग इस विचार को वापस लें कि यह एक सभ्यतागत देश है’. भारत का अतीत कितना भव्य था और कैसे अतीत के गौरव को बहाल करने की जरूरत है, भारत को फिर से महान बनाने के लिए आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले कोड का हवाला देते हुए उन्होंने आगे कहा, ‘भारत 75 साल का नहीं है. यह 5,000 वर्ष से अधिक पुराना है.’


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यू-ट्यूबर्स की शूटिंग का अंदाज

इतिहास आज भारत में एक जीता-जागता युद्ध का मैदान बन गया है और यहां इतिहासकारों के सिर काटे जा रहे हैं. इससे पहले कि एक नया भारतीय नैरेटिव गढ़ा जा सके, स्थापित इतिहासकारों को यहां से बर्खास्त करना होगा, उन्हें ध्वस्त करना होगा.

प्रखर श्रीवास्तव ने कहा, ‘मुझे चीजों के बारे में बताने के लिए रोमिला थापर और आर.एस. शर्मा जैसे बेवकूफों की ज़रूरत नहीं है.’ श्रीवास्तव यूट्यूब चैनल CapitalTV चलाते हैं और उनके 30 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं. उन्होंने आगे कहा, ‘मैं खुद स्रोतों तक पहुंच सकता हूं. हम अपने इतिहासकारों पर भरोसा नहीं कर सकते- हमें उन पर भरोसा नहीं करना चाहिए.’

श्रीवास्तव टेलीविजन पर ऐतिहासिक शो शुरू करने वाले ‘पहले पत्रकार’ होने का दावा करते हैं. वह कहते हैं कि स्वतंत्र रूप से काम करने से उन्हें जो कुछ भी पसंद है उसे कवर करने की आजादी मिलती है. ज़ी न्यूज़, इंडिया टीवी, आज तक और न्यूज़ 24 में काम करने के बाद उन्होंने इस इंडस्ट्री को छोड़ दिया. क्योंकि उन्हें लगा कि उनके पास टेलीविजन पर इतिहास के बारे में कुछ भी कहना-सुनना जारी रखने की गुंजाइश या समर्थन नहीं बचा था.

उन्होंने कहा, ‘ऐतिहासिक तथ्य खूंखार हैं.’ वह आगे कहते हैं, ‘मैं वामपंथी उदार लॉबी द्वारा शुरू किए गए नैरेटिव को ध्वस्त करना चाहता हूं.’ विभाजन के दौरान भारतीय मुसलमान पाकिस्तान क्यों नहीं गए, इस पर उनके पास चार-भाग की सीरीज है. पटना फाइल्स, मोपला फाइल्स और नोआखली फाइल्स जैसे अन्य विवादास्पद सांप्रदायिक झड़पों के वीडियो बनाने के लिए विवेक अग्निहोत्री की ‘द कश्मीर फाइल्स’ से आइडिया लिया है.

श्रीवास्तव का कहना है कि उन्हें कभी किसी कानूनी कार्रवाई का सामना नहीं करना पड़ा है, लेकिन उन्हें कमेंट सेक्शन में और कभी-कभी ‘धमकी’ मिल जाती है. एक फेसबुक यूजर ने उन्हें मैसेज भेजकर धमकी दी कि उन्हें गोली मार दी जाएगी और उनकी बहन के साथ रेप किया जाएगा.

अपने वीडियो में- एक शो का हिस्सा जिसे वह खरी बात कहते हैं- श्रीवास्तव उन पुस्तकों को दिखाते हैं जिनसे वह अपना कंटेंट लेते हैं और दर्शकों से खुद से रिसर्च करने के लिए चुनौती देते हैं. ‘क्या भगत सिंह एम.के. गांधी के धोखे का शिकार थे’, इस वीडियो का सेट ‘मार्क्स और एंगेल्स’- सेलेक्टेड वर्क्स, ‘मेजॉरिटेरियन स्टेट- हाउ हिंदू नेशनलिज्म इज चेंजिंग इंडिया’, और ‘एन एंड टू एविल- हाउ टू विन द वार ऑन टेरर’ जैसी किताबों के साथ सजाया गया है. अन्य यूट्यूबर्स हमेशा अपने स्रोतों को सूचीबद्ध नहीं करते हैं. लेकिन यहां ऐसा नहीं है. वह जहां अपनी बात रख रहे हैं वो माध्यम उन्हें रोमांचक दृश्यों और ऑडियो के साथ अपने ‘रिसर्च’ को अलंकृत करने की अनुमति देता है.

त्रिपाठी अपने वीडियो के अंत में अपने स्रोतों को सूचीबद्ध करते हैं लेकिन क्या कोई उन तथ्य की जांच करने तक पहुंच पाता है. वह खुद ही सब कुछ संभालते हैं. वह बच्चों से प्यार करते हैं और अपनी कहानियों को सुनने के लिए अपने संयुक्त परिवार के सदस्यों को इकट्ठा करते हैं. वह उन्हें रामायण और महाभारत की कहानियां सुनाते हैं, राजस्थानी राजाओं और रानियों की लड़ाइयों को नाटकीय अंदाज में बयां करते हैं. उनके घर में कोई बुजुर्ग नहीं हैं जो इन कहानियां को सुनाए. उनके लिए, उनका युवा यूट्यूब स्टार कहानीकार है.

अभिजीत चावड़ा के चैनल के 5 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं. उनका कहना है कि वह बचपन से ही इतिहास के छात्र रहे हैं, लेकिन सैद्धांतिक भौतिकी की उनकी पृष्ठभूमि रही है- कुछ ऐसा जो उन्हें अपने रिसर्च में वैज्ञानिक भाव लाने की इजाजत देता है. त्रिपाठी एक बीकॉम स्नातक हैं, जो चार्टर्ड एकाउंटेंसी एग्जाम के फर्स्ट लेवल में विफल रहे, एक ऐसी विफलता जिसने उन्हें पूरे समय यूट्यूब पर बिताने के लिए विवश कर दिया.

यूट्यूबर्स अपने एकेडमिक ट्रेनिंग की कमी को एक बाधा के रूप में नहीं देखते हैं. वे खुद को एक डोरमेंट नैरेटिव के रूप में देखते हैं- इसका मकसद इतिहास, धर्म और पौराणिक कथाओं को सभी के लिए आसान बनाना है.

लेकिन कभी-कभी इसके नतीजे अच्छे नहीं होते हैं. सुजान सिंह शेखावत, एक राजपूत योद्धा जिसके बारे में लोगों को ज्यादा पता नहीं हैं. उनका सिर काट लिए जाने के बाद मुगलों से लड़ने के लिए हिंदू समूह ने बहादुरी दिखाई थी. उन पर बना त्रिपाठी का वीडियो हिंसा और अनुचित सामग्री के लिए फ्लैग किया गया था. जब त्रिपाठी परिवार के लिए चाय बनाने के लिए कमरे से बाहर निकले, तो उनकी बड़ी बहन अंकिता ने धीरे से फुसफुसाते हुए कहा कि उन्हें उनकी और अपनी सुरक्षा की चिंता रहती है.

उन्होंने कहा, ‘लेकिन वह कभी अपना चेहरा ऑनलाइन नहीं दिखाता है. और हिंदू वैसे भी एकजुट हैं- हमें हमेशा उनका समर्थन मिलता रहेगा.’


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दर्शक क्या चाहते हैं

इन सभी क्रिएटर्स को आज भी याद हैं जब वे पहली बार यूट्यूब पर वायरल हुए थे.

डिमांडिंग पंडित का पहला वायरल वीडियो ‘गुरु गोबिंद सिंह’ पर था. अगला वीडियो मंदिरों के अपमान के बारे में था. चावड़ा का पहला वायरल वीडियो चंगेज़ खान पर था, अभी और नियू का वीडियो गणेश चतुर्थी को लेकर था, जिसमें वह इको-फ्रेंडली तरीके से त्योहार को सेलिब्रेट करते हैं.

त्रिपाठी यूट्यूब में ऐसे रम गए जैसे मछली पानी में खो जाती है. उन्होंने अपने एकाउंटेंसी करियर के सपने को आगे बढ़ाने की जरूरत महसूस नहीं हुई. यह उन्हें प्रसिद्धि और पैसा के साथ-साथ निश्चित रूप से एक बड़ा उद्देश्य- एक सिविलाइजेशनल मिशन को पूरा करने का जज्बा भी देता है.

एक मंच के रूप में यूट्यूब कई बार खतरनाक भी हो जाता है. यह एक एल्गोरिद्म की तरह काम करता है, जहां दर्शकों को किसी चीज की गहराई तक ले जाते हुए बांधे रखा जाता है. और प्रोवोकेटिव कंटेंट से पैसे कमाने का अवसर देता है. वेबसाइट Google.com के बाद दूसरा सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला सर्च इंजन भी है. त्रिपाठी खुद अपना रिसर्च यूट्यूब से शुरू करते हैं. उसके बाद गूगल पर जाते हैं और फिर अपनी एनसीईआरटी की किताबों को खंगालते हैं. अंतिम चरण में अपने दर्शकों को इससे जोड़ने के लिए एक ‘भावनात्मक’ स्क्रिप्ट लिखना भी शामिल है.

उनका कहने का ढंग रूपकों और भावनाओं से भरा है. वह एक वीडियो में कहते है, ‘उसकी तलवार की गति उसके दुश्मनों के खिलाफ धीमी नहीं हुई, काफिरों को युद्ध के मैदान से खदेड़ दिया.’ राणा सांगा पर बनी एक अन्य वीडियो में वे कहते हैं, ‘उन्होंने अपना जीवन हमारे लिए अखंड भारत के निर्माण करने के उद्देश्य से समर्पित कर दिया.’

इन यूट्यूबर्स का कहना है कि एक बार वायरल होना पहला महत्वपूर्ण कदम है, जिसके बाद सिर्फ एक ही काम करना है कि उसी तर्ज पर कंटेंट बनाते रहो.

बड़ा बिजनेस के विवेक बिंद्रा का फॉर्मूला डाउन पैट है. प्रेरक वक्ता, मैनेजमेंट गुरु और पूर्व इस्कॉन मोंक के यूट्यूब पर 20.2 मिलियन फॉलोअर्स हैं. उनकी नई सीरीज ‘गीता इन एक्शन’ एक शानदार हिट है. वह खचाखच भरे सभागारों में गीता के 108 श्लोकों से मैनेजमेंट पाठ पर व्याख्यान देते हैं, जिन्हें यूट्यूब के लिए भी फिल्माया गया था.

वीडियो की शुरुआत दर्शकों की अगुवाई करते हुए बिंद्रा द्वारा गाए गए श्लोक के साथ होती है. फिर वह बोलना शुरू करते हैं. गीता से लिए गए युद्ध जीतने की रणनीतियों पर उनका व्याख्यान द्रोणाचार्य के अपने शिष्यों को पढ़ाने वाले एनिमेटेड ग्राफिक्स के साथ आते हैं. बीच-बीच में आने वाले इन ग्राफिक्स में पांडव युद्ध की रणनीतियों पर चर्चा कर रहे हैं, युद्ध के मैदान में लाल आंखों वाला दुर्योधन चिल्ला रहा है और एक चालाक चाणक्य विषकन्या बना रहा है. फिर वह श्लोकों को आज के परिपेक्ष्य के साथ जोड़ते हैं- जैसे व्यापार में प्रतियोगी का विश्लेषण करने का महत्व.

बिंद्रा और उनकी टीम डेटा-संचालित निर्णय लेना पसंद करती है. उन्हें प्रति वीडियो औसतन 1.9 मिलियन व्यूज मिलते हैं. उनके चैनल से जुड़े लोग काफी लॉयल है. उन्होंने सात गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड जीते हैं जो उनके ऑफिस की लॉबी में टंगे हैं. उनके व्यूअर्स किस बारे में जानना चाहते है, इसका सर्वे करने के लिए उनकी टीम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से कमेंट इकट्ठा करती है.

उनके और उनकी टीम के अनुसार, उनके दर्शक जानने की चाह रखने वाले हैं. उनके कई फॉलोअर्स टियर-2 और टियर-3 शहरों से हैं और उनमें अंतर्राष्ट्रीयता वादी दृष्टिकोण की कमी है. यही कारण है कि वह उनसे एक राष्ट्रवादी भाषा में बात करते हैं जिसे वे समझते हैं, ग्रंथों और कहानियों से उदाहरण लेते हुए जिन्हें वे सुनते हुए बड़े हुए हैं. बिंद्रा कहते हैं, महत्वपूर्ण कंटेंट को एक प्रभावशाली उद्घाटन और समापन वक्तव्य के साथ एक कहानी की तरह बताया जाना चाहिए. वीडियो ग्राफिक्स लोगों को अपने साथ जोड़े रखने के लिए जरूरी हो जाती है. अपनी बात को मजबूती से रखने के लिए वह अपनी आवाज तेज कर लेते है और अपने व्यूअर्स को अपने बाद छोटे-छोटे स्लोगन दोहराने के लिए कहते हैं. भावनाओं को भड़काना कंटेंट को और अधिक यादगार बना देता है.

बिंद्रा कहते हैं, ‘जब आप कंटेंट बनाते हैं, तो आपको एक मुख्य संदेश पर ध्यान रखना होता है.’ वह गहरी सोच में पड़ते हुए अपनी आंखें बंद कर लेते है. ऐसा लगता है मानों वह यादों से बाहर आते हुए बोल रहे हों. उन्होंने कहा, ‘कंज्यूमर और क्रिएटर को जितना संभव हो उतना करीब रहना चाहिए. जब कस्टमर आपको संकेत देता है, तो आप उस हिसाब से कंटेंट तैयार करते हैं.’


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जिम्मेदार बनाम गैर जिम्मेदार इतिहास

त्रिपाठी जानते हैं कि वे अन्य कंटेंट क्रिएटर की तुलना में अधिक प्रोवोकेटिव हैं, लेकिन वे अपने प्रायोजकों को अपनी कंटेंट की प्रासंगिकता के उदाहरण के रूप में उद्धृत करते हैं. उनके स्पांसर्स में से एक PrepLadder है, जो यूपीएससी उम्मीदवारों के लिए Unacademy के स्वामित्व वाली सर्विस है. वह कहते हैं, ‘अगर भविष्य के सिविल सेवक मेरे वीडियो देख रहे हैं, तो निश्चित रूप से उनके लिए यहां कुछ तो है जो उनके लिए फायदेमंद है?’

यहां तक कि अगर कंटेंट क्रिएटर अपने व्यूअर्स के इशारों को समझते हुए, उन पर आगे बढ़ता है, तब भी उन्हें अपने कंटेंट के प्रभाव से जूझना पड़ता है और कोई भी कंटेंट काफी ज्यादा कट्टरपंथी भी हो सकता है.

BeerBiceps के नाम से ऑनलाइन जाने जाने वाले रणवीर अहलूवालिया विवाद के लिए अजनबी नहीं हैं. यूट्यूब पर उनके 4.6 मिलियन और इंस्टाग्राम पर 2.1 मिलियन फॉलोअर्स हैं. वह पुरुषत्व, इतिहास, एंटरप्रेन्योरशिप और आध्यात्मिकता पर कंटेंट बनाते है. गड़बड़ी के किसी भी आरोप को दूर करने के लिए विवादास्पद मुद्दों पर चर्चा करने के लिए वह अपने शो में ‘विशेषज्ञों’ को आमंत्रित करते हैं. उनके पॉडकास्ट में उनके मेहमानों की एक लंबी लाइन में अनन्या पांडे और प्रियंका चोपड़ा जैसे बॉलीवुड अभिनेताओं के साथ-साथ पुरातत्वविद, आध्यात्मिक गुरु और तांत्रिक शामिल हैं.

अहलूवालिया कहते हैं, ‘एक भारतीय के रूप में मुझे हिंदू संस्कृति में दिलचस्पी है लेकिन यह मेरी पहचान का प्रतिबिंब है, न कि मेरे राजनीतिक विचारों के कारण.’ वह बताते हैं, ‘उस नैरेटिव को वामपंथी बहुत पसंद करते हैं, लेकिन ईमानदारी से कहूं तो मुझे कंटेंट बनाने और सीखने में मज़ा आ रहा है.’

खुद को ‘सेंट्रिस्ट’ और ‘ऑब्जर्वर’ बताते हुए अहलूवालिया ने कहा कि कंटेंट क्रिएटर्स की ज़िम्मेदारी है कि वे ‘सेंट्रिस्ट’ बनें, क्योंकि उनका संस्कृति और इंटरनेट पर प्रभाव पड़ता है. वह आगे कहते हैं, ‘या तो राजनीतिक राय न दें या 360 डिग्री का व्यू दें.’

अभिजीत चावड़ा खुद को ऑनलाइन कुछ इस तरह से वर्णित करते हैं, ‘न तो वह धर्मनिरपेक्ष और न ही समाजवादी’. उनका दावा है कि इतिहास पर उनके वीडियो तथ्यों पर आधारित हैं और समाज का एक वर्ग हमेशा रहेगा जो राष्ट्रवादी है, और यूट्यूब कंटेंट को अनुचित स्तर तक ले जा सकता है.

चावड़ा और अहलूवालिया दोनों ही यूट्यूब पर मिस इन्फोर्मेशन की समस्या से अवगत हैं. और साथ ही इस बात से भी कि बड़ी संख्या में फॉलोअर्स वाले क्रिएटर्स अक्सर फेक्ट-चैक्ड किए बिना गलत होने के जाल में फंस सकते हैं.

चावड़ा कहते हैं, ‘मुझे लगता है कि ऐसे बहुत से लोग हैं जो जानकारी तो होती है, लेकिन इतिहास की सबसे अच्छी समझ नहीं रखते हैं. मेरा मानना है कि ज्यादातर लोग अच्छी जानकारी रखते हैं. मैं उन्हें गैर-जिम्मेदार नहीं कहूंगा, बस इल-इनफॉर्म्ड कहूंगा. मैं उन्हें संदेह का लाभ दूंगा.’

लेकिन यहां एक वैचारिक और वर्ग विभाजन भी है. चावड़ा और अहलूवालिया ज्यादातर अंग्रेजी बोलने वाले, अधिक ‘उदार’ दर्शकों को संबोधित करते हैं.

त्रिपाठी ने इस पर भी चुटकी ली. त्रिपाठी के अनुसार, अहलूवालिया के दर्शक ज्यादातर विदेशी हैं– इसलिए वह लीक से हटकर नहीं चल सकते हैं. और न ही अपने किसी भी दर्शक को नाराज करना होगा.

त्रिपाठी कहते हैं, ‘क्योंकि उनका कंटेंट मुख्य रूप से हिंदी भाषी दर्शकों को संबोधित करता है, इसलिए उन्हें विदेशी व्युअर के अलग हो जाने की चिंता करने की ज़रूरत नहीं है. वह अपने भौतिक परिवेश में अपनी सामान्य गुमनामी से सुरक्षित रहते हुए जहां तक चाहे फैल सकते हैं. उनका कहना है कि ‘उनकी सीमा औरंगज़ेब है’. उदाहरण के लिए, पैगंबर मुहम्मद के बारे में बुरा बोलना एक ऐसी रेखा है जिसे वह पार नहीं करेंगे.


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छोटा शहर, बड़ा मंच

त्रिपाठी की ऑनलाइन लोकप्रियता से जैतारण में अधिकांश लोग परिचित नहीं है. ज्यादातर लोगों को नहीं पता कि वह क्या करते हैं. जब कोई उनके परिवार से पूछता है कि वह क्या करते हैं, तो उनका जवाब होता है- ‘वह ऑनलाइन काम करता है’.

सिर्फ युवा, टेक सेवी लोग ही उनकी उपलब्धियों के पैमाने को समझ पाते हैं. उनकी महत्वाकांक्षाएं बड़ी हैं. वह जयपुर जाने और कर्मचारियों के साथ एक पेशेवर स्टूडियो स्थापित करने की योजना बना रहे हैं. उन्होंने पहले से ही इंदौर और मुजफ्फरनगर के दो वीडियो संपादकों को काम पर रख लिया है.

त्रिपाठी कहते हैं, ‘यहां जैतारण में मेरा कोई प्रतिस्पर्धी नहीं है. सभी बड़े यूट्यूबर्स बड़े शहरों में हैं. यहां कोई बिजनेस माइंडसेट नहीं है.’

वह अपने संयुक्त परिवार के साथ एक मुस्लिम इलाके से दो लेन नीचे एक तंग गली में रहते हैं. उनके साथ वह बमुश्किल ही बातचीत करते हैं. सच तो ये है कि वह जैतारण में किसी के भी साथ मुश्किल से बातचीत कर पाते हैं. क्योंकि वह दिन में सोते हैं और रात में रिसर्च और रिकॉर्ड करने के लिए जागते हैं. उनका कहना है कि उनके शहर में देखने और करने के लिए कुछ भी नहीं है, लेकिन ऑनलाइन दुनिया समान विचारधारा वाले लोगों से जुड़ने के असीमित अवसर प्रदान करती है.

उनकी बहन अंकिता कहती हैं, ‘लोग हिंदुत्व की भावनाओं के साथ जाग रहे हैं.’ वह उसके बगल में बैठे सिर हिलाने लगता है. उन्होंने आगे कहा, ‘वे इनकी वीडियो से अपनी पहचान करते हैं. वे अपनी पहचान की भावना महसूस करते हैं. हिंदू हमेशा खुले हुए विचारों की और एकजुट रहे हैं. यह अन्य लोग हैं जो ऐसा नहीं करते हैं.’

त्रिपाठी के घर से कुछ गलियां पार करते हुए जब हम सड़क पर चल रहे थे तो एक मुस्लिम पड़ोसी ने अपनी भौहें उठाईं और त्रिपाठी को देखकर मुस्कुराई और बोलीं ‘आज आप इस रास्ते पर कैसे?’ उसने स्थानीय मारवाड़ी में पूछा. वह हैरान थीं क्योंकि त्रिपाठी आमतौर पर मुस्लिम मोहल्ले में नहीं जाते हैं. वह और उनकी बहन मुस्कुराए और कहा कि वे सिर्फ गूगल मैप के हिसाब से चल रहे हैं.

जब वह उनसे थोड़ा दूर पहुंची तो वह घूमे और कहने लगे-

‘देखा? मुझे मुसलमानों से कोई समस्या नहीं है. बस, मुझे उनकी सोच से दिक्कत है.’

(अनुवाद: संघप्रिया मौर्य | संपादन: कृष्ण मुरारी)

(इस फीचर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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