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Sunday, 17 November, 2024
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मणिपुर के वायरल वीडियो ने अलवर गैंगरेप पीड़िता को याद दिलाई 4 साल पुरानी दरिंदगी, वह इसे भूलना चाहती है

जब से मणिपुर की कुकी महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार का वीडियो सामने आया, अलवर में कांस्टेबल के साथ 2019 में हुए सामूहिक बलात्कार के वीडियो को एक बार फिर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया गया.

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अलवर: भारत में जब भी किसी महिला के साथ सामूहिक बलात्कार या सार्वजनिक अपमान की खबर आती है, तो सविता* का फोन बजने लगता है. यह खबर उस तक पहुंचती है, इसलिए नहीं कि वह एक पुलिस अधिकारी है, बल्कि इसलिए क्योंकि 2019 में राजस्थान के अलवर जिले में भी उसके साथ कुछ ऐसा ही हुआ था. उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया, उसे पीटा गया और उसे भी नग्न घुमाया गया था.

पांच दिन पहले, जैसे ही मणिपुर की कुकी महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार का वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया, सविता का वीडियो भी एक बार फिर से प्रसारित किया जाने लगा और इसे वायरल भी कर दिया गया. उसके साथ घटे इस हमले को चार साल हो गए हैं और उसके बलात्कारियों को तीन साल पहले ही दोषी ठहराया जा चुका है. राजस्थान सरकार ने सविता को पुलिस बल में शामिल कर लिया ताकि वह एक नई पहचान के साथ अपनी जिंदगी फिर से शुरू कर सकें.

हालांकि, उसकी नई जिंदगी में भी इंटरनेट के जाल और देश की बलात्कार संस्कृति के जहर के बीच झूल रहा है और फंसा हुआ है.  और इंटरनेट उसे सब कुछ भूलकर आगे बढ़ने से बार बार रोक देता है.  पीड़ितों को डराकर चुप कराने के लिए सामूहिक बलात्कार के वीडियो भी रिकॉर्ड किए जाते हैं ताकि वे सामाजिक शर्म के डर से अपराध की रिपोर्ट न करें. अंततः, उन्हें ऑनलाइन अपलोड और साझा किया जाता है, और महिलाओं के जीवन पर हमेशा बदनामी का खतरा मंडराता रहता है. मणिपुर बलात्कार वीडियो ने सविता को एक बार फिर सदमे में डाल दिया है.

मणिपुर सामूहिक बलात्कार के भयानक दृश्यों के बीच कई भाजपा समर्थित हैंडलों ने कांग्रेस शासित राज्यों में सामूहिक बलात्कार और सार्वजनिक परेड के वीडियो को साझा कर राजनीतिक बकवास का एक नया प्रचलन शुरू कर दिया है. और जिस भयावह अतीत को सविता अपने पीछे छोड़ने की कोशिश कर रही थी वह फिर से जिन्न की तरह उनके सामने आ खड़ा हुआ है.

सविता  जो अब 23 साल की हैं ने कहा, “यह एक क्रूर और हमेशा मुजे याद दिलाने वाला वीडियो है और मैं इसे देखने के लिए खुद को तैयार नहीं कर सकी. ये वीडियो मेरे साथ घटी घटनाओं को याद दिलाता है.”

23 जुलाई की शाम तक, उसे इस बात का कोई अंदाजा नहीं था कि पांच पत्रकारों ने उसके ऑफिस का पता क्यों खोज रहे थे, और वो फोन करके उससे लगातार उसे दुख और दर्द पहुंचाने वाले सवाल क्यों कर रहे हैं. उनके द्वारा पूछे जा रहे हर सवाल उसे परेशान कर रहे थे.

उन्होंने उससे पूछा, “क्या आपने नया वीडियो देखा है? आपके साथ हुए बलात्कार के बारे में आपका क्या कहना है? कितने आदमी थे?”

कई नंबरों को ब्लॉक करने वाली सविता ने कहा, “उन्होंने मेरे सीनियर पर मुझसे बात करने के लिए दबाव डाला और मुझे उनसे बात करने के लिए मजबूर होना पड़ा.” वह बस से जब घर पहुंची तब उन्हें उनके पति अजय* से पता चला कि उसके बलात्कार का वीडियो फिर से वायरल हो गया है.


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याद रखना नहीं चाहती, लेकिन भूल भी नहीं सकती

सविता और अजय – दोनों दलित समुदाय से आते हैं, 26 अप्रैल 2019 को, खरीदारी के लिए अपनी बाइक पर निकले. उनके देवर की शादी की तैयारियां चल रही थी.

वे अलवर-थानागाजी राजमार्ग पर मुश्किल से कुछ किलोमीटर ही चले थे कि पांच लोगों के एक समूह ने उन्हें रोका और पास के टीलों में खींच लिया. एफआईआर के मुताबिक, लोगों ने जोड़े को पीटा, बारी-बारी से सविता के साथ बलात्कार किया और अपराध का वीडियो बनाया, जबकि अजय को देखने के लिए मजबूर किया गया. फिर उन्होंने जोड़े को नग्न करके घुमाया, और बाद में जबरन वसूली के लिए वीडियो का उपयोग करना शुरू कर दिया, और जोड़े को 10,000 रुपये का भुगतान नहीं करने पर इसे इंटरनेट पर अपलोड करने की धमकी दी.

दलित दंपत्ति को अलवर पुलिस के हाथों और अधिक अपमान का सामना करना पड़ा, जिसने 6 मई को लोकसभा चुनाव समाप्त होने का इंतजार करते हुए मामले पर कोई कार्रवाई नहीं की.

एक बार जब बलात्कार का वीडियो पूरे इंटरनेट पर फैल गया, तो अशोक गहलोत सरकार ने अधिकारियों के खिलाफ तेजी से कार्रवाई की. लापरवाही बरतने पर एसपी राजीव पचार को जिले से हटाकर एपीओ (पोस्टिंग ऑर्डर की प्रतीक्षा में) कर दिया गया है. थानागाजी SHO सरदार सिंह को निलंबित कर दिया गया और उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया. इस तरह के मामलों में,  एक बार प्रक्रिया शुरू होने के बाद वीडियो जहां मामला दर्ज करने और प्रशासन पर दबाव बनाने में मदद करता है, वहीं वायरल क्लिप पीड़ितों को परेशान करने के लिए बार बार वापस आ जाता है.

सविता ने याद करते हुए बताया, “न केवल [पंजीकरण] एफआईआर और गिरफ्तारी में देरी हुई, बल्कि जब हम अपनी शिकायत दर्ज करने के लिए पुलिस स्टेशन गए तो SHO ने मुझे अपमानित किया. मैं बाहर बैठी थी जब SHO मुझ पर चिल्लाए और मुझसे पूछने लगे कि क्या मेरे पैरों में मेहंदी लगी है, इसलिए मैं उनके पास नहीं जा सकती.”

वोटिंग के लिए तैयार राजनीतिक रूप से तनावपूर्ण स्थिति में, सविता के मामले पर नेताओं का सबसे अधिक ध्यान गया. सीएम अशोक गहलोत, उप मुख्यमंत्री रहे सीएम सचिन पायलट और कांग्रेस नेता राहुल गांधी उनसे मिलने आए और न्याय का वादा किया. कई विपक्षी नेता भी उनके घर पर पहुंचे.

उसका मामला फास्ट-ट्रैक कोर्ट में गया और 2020 में चारों आरोपियों को दोषी ठहराया गया. उन्हें जब तक मौत नहीं आती तब तक के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. पांचवां आरोपी, जिसे नाबालिग दिखाया गया था, अभी भी अलवर की POCSO अदालत में मुकदमे का सामना कर रहा है. छठे व्यक्ति, जिसने बलात्कार का वीडियो बनाया और उसे व्हाट्सएप पर वायरल किया, को गिरफ्तार कर लिया गया और पांच साल की कैद की सजा सुनाई गई.

गहलोत सरकार ने पीड़िता को पुलिस में नौकरी और 8 लाख रुपये का मुआवजा देने की पेशकश की. यह माना गया कि यह मदद उसे एक नया जीवन और पहचान देगी और इस वीभत्स घटना को भूलने में मदद करेगा .

‘क्या तुम वही महिला हो?’

हालांकि पुलिस बल में सविता का नया जीवन भी इस असहनीय बोझ और यादों को भूलने में मदद नहीं कर सका. अलवर में पुलिस लाइन में अपने दो कमरे के क्वार्टर में बैठकर, वह दिप्रिंट को बताती हैं कि हर बार जब उन्हें लगता है कि उन्होंने अपनी राह बदल ली है, तो कोई न तोई उन्हें इसकी याद दिला ही देता है और उन्हें 2019 में वापस ले जाता है. सविता के घर पर मेहमान कम ही आते हैं. ज्यादातर समय, वह अकेली रहती है क्योंकि उसका पति काम के सिलसिले में अलवर और जयपुर के बीच यात्रा करता है.

सविता मन मसोस कर बताती हैं, “एक बार, एक ड्राइवर जो मुझे और मेरे सहकर्मियों को ड्यूटी की जगहों पर छोड़ रहा था, उसने मुझसे पूछा कि क्या मैं वही महिला हूं. जब मैं 2018 में प्रशिक्षण ले रही थी, तो मेरे बैचमेट्स ने यूट्यूब पर मेरे बलात्कार के वीडियो को गूगल पर खोजकर मेरी पहचान की पुष्टि की. ”

और अब वह चाहती है कि सरकार एक बार और कदम उठाए और उसके बलात्कार के वीडियो को हमेशा के लिए इंटरनेट से हटा दे और उसके साथ हो रहे इस उत्पीड़न को खत्म कर दे.  उसका भूलने का ऑनलाइन अधिकार निजी जानकारी को ऑनलाइन खोजों से दूर रखने के वैश्विक अभियान को दर्शाता है. जैसा की अर्जेंटीना, फिलीपींस और यूरोपीय संघ ने अपने यहां इसे शुरू कर दिया है.

उसने कहा, “मैं इस वायरल वीडियो वाले पूरे प्रकरण को खत्म कर देना चाहती हूं, जिससे की जब मेरा बेटा बड़ो हो तो मैं चाहती हूं कि वो मुझे एक पुलिसकर्मी के रूप में देखे, न कि उस महिला के रूप में, जिसके साथ एक बार सामूहिक बलात्कार किया गया था. ” वह अकेली नहीं है जिनके साथ यह घटना घटी है. उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर से लेकर छत्तीसगढ़ के महासमुंद और राजस्थान के बारां तक, नाबालिग हों या फिर वृद्ध दोनों महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया है, बलात्कारियों द्वारा अपलोड किए गए अपराध वीडियो, अक्सर ब्लैकमेलिंग या जबरन वसूली के लिए उपयोग किए जाते हैं.

महिला की मां और उनके करीबी परिजन मीडिया से बात करने के लिए बैठ गए. यह तस्वीर 2019 में ली गई थी जब मामला सामने आया था | फोटो: ज्योति यादव/दिप्रिंट
महिला की मां और उनके करीबी परिजन मीडिया से बात करने के लिए बैठ गए. यह तस्वीर 2019 में ली गई थी जब मामला सामने आया था | फोटो: ज्योति यादव/दिप्रिंट

अपने घर से आखिरी कैमरे के निकल जाने के बाद, सविता ने अपने जीवन को नया रूप देने का कठिन काम शुरू किया. न्याय की चाह रखने वाली महिला के लिए पुलिस की नौकरी पहली मंजिल होती है.

सरकार ने उन्हें जून 2019 में ज्वाइनिंग लेटर दिया. उन्हें 2018 बैच आवंटित किया गया. जोधपुर में नौ महीने की ट्रेनिंग के बाद वह कांस्टेबल सविता बनकर घर लौटीं.

उसके चेहरे को ढकने वाले दुपट्टे की जगह पुलिस की वर्दी ने ले ली. उसे पुलिस बल में अपनी आवाज़ मिली. दो साल तक पढ़ाई न कर पाने के बाद उन्होंने 12वीं भी पास कर ली. उसकी निगाहें अब अगले लक्ष्य पर टिकी हैं – अपनी बीए की डिग्री हासिल करना और सब-इंस्पेक्टर परीक्षा पास करना, ताकि दुनिया को यह साबित हो सके कि उसकी पहचान एक सामूहिक बलात्कार पीड़िता से अलग कुछ और भी है.

लेकिन केस लड़ना आसान नहीं है, ड्यूटी के विषम घंटों के बीच जूझना, अपने दो साल के बेटे की परवरिश करना और हर दिन व्यंग्य से निपटना- ‘क्या आप वही महिला हैं?’ ‘क्या आपको यह नौकरी इसलिए मिली क्योंकि आपके साथ बलात्कार हुआ था?’

सविता ने अपना मोबाइल फोन एक तरफ रख दिया और डबडबाई आंखों के साथ, प्लास्टिक की एक कुर्सी पर बैठते हुए कहा, “मेरे आसपास हर कोई मुझे महसूस कराता है कि मैं इस वर्दी के लायक नहीं हूं मेरा रेप होने के बदले में मुझे ये नौकरी दी गई है.”  पिछले एक साल में उसका वज़न 10 किलो कम हो गया है और वह 17 साल की लड़की जैसी दिखने लगी है. जब उसने वीडियो का जिक्र किया और बताया कि उसके सहकर्मी उसे अक्सर किस चीज का शिकार बनाते हैं तो उसके हाथ कांप उठे.


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ताने, और चट्टान जैसा ठोस समर्थन

23 जुलाई को, वह विधानसभा में लंबी ड्यूटी के बाद अपने क्वार्टर में लौट आईं. वह रात का खाना बनाने के लिए बैठी और एक बलात्कार पीड़िता और एक पुलिसकर्मी के रूप में अपनी चार साल की यात्रा को याद किया.

“आदर्श रूप से, सबसे ख़ुशी का दिन वह होना चाहिए था जब मुझे अपना ज्वाइनिंग लेटर मिला या मेरी ज्वाइनिंग का पहला दिन, या जब मेरे बेटे का जन्म हुआ. लेकिन मेरे लिए सबसे संतुष्टिदायक दिन वह दिन है जब दोषियों को सजा दी गई.”

जब वह प्रशिक्षण ले रही थी, तो वह लगभग हर दिन रोने लगती थी.

सविता ने याद करते हुए कहा कि ट्रेनिंग के दौरान मेरे साथ की महिलाएं मुझे ताना मारा करती थीं, “वे महिलाएं थीं लेकिन फिर भी वे ऐसी बातें कहती थीं जिनसे मुझे दुख होता था. वे मुझे याद दिलाती थीं कि उन्होंने मुझे परीक्षा के दौरान नहीं देखा था.”

घर वापस आकर, उसके बलात्कार के केस को “मामला” कहा जाता है. और ‘मामला’ अब अक्सर पारिवारिक और आस-पड़ोस के झगड़ों में सामने आता है. लेकिन उनके पति अजय और उनके ससुराल के अन्य सदस्य उनके पीछे चट्टान की तरह खड़े हैं.

उसे जोश टॉक्स देखने का सुझाव देने से लेकर और उसके आस-पास के मामले के किसी भी उल्लेख से बचने के लिए, वह पूरी तरह से – एक पुलिसकर्मी बनने देने की पूरी कोशिश करती हैं.

सविता की सास  जो सविता के दो साल के बेटे को पालने में मदद कर रही हैं ने कहा, “वह अपने पीहर (माता-पिता के परिवार) और अपने ससुराल (ससुराल) में भी पुलिस अधिकारी बनने वाली पहली महिला हैं. हमें उस पर गर्व है. ”

अजय ने जयपुर में उसके साथ रहने और उसकी यात्रा में उसका समर्थन करने के लिए डिलीवरी मैन और सुरक्षा गार्ड के रूप में कई छोटी-मोटी नौकरियां की. लेकिन रिश्तेदारों के ताने और तेज होते गए.

अजय जिन्होंने गांव में टेंट हाउस का व्यवसाय शुरू किया है  ने कहा, “वे मुझे सामने से कुछ नहीं कहते थे लेकिन हमेशा मेरी पीठ पीछे बोलते थे. उन्होंने इस बारे में खुलकर बात की कि मैं अपनी पत्नी की नौकरी और मुआवजे पर कैसे रह रहा हूं. ”

लेकिन वह हर बार शांत रहना मुश्किल है ऐसे में कई बार ऐसा हुआ है कि उसे खुद को उससे दूर करने के लिए मजबूर होना पड़ा है.

हाल ही में, जब अजय अपने दो साल के बेटे के साथ जयपुर से आवार के लिए बस में चढ़े, तो एक जिज्ञासु सहयात्री ने उनकी पत्नी के बारे में पूछा. वह एक पुलिसकर्मी है, उसने गर्व से कहा. फिर उसने उससे उसके गांव के बारे में पूछा. नाम सुनते ही महिला ने आंखें घुमाईं और बोलीं, “क्या आप उस गैंग-रेप पीड़ित महिला के पति हैं? इसके लिए उन्हें पुलिस की नौकरी से सम्मानित किया गया.

उस दिन, अजय ने यात्री को बताया कि वह सविता का पति नहीं है.

(नोट: कांस्टेबल और उसके पति की पहचान गुप्त रखने के लिए उनके नाम बदल दिए गए हैं.)

(संपादन: पूजा मेहरोत्रा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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