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Monday, 18 November, 2024
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लिव-इन रिलेशन को शक की निगाह से देखता है भारतीय समाज, श्रद्धा की हत्या ने स्थिति को और खराब किया

श्रद्धा वालकर हत्याकांड ने हर किसी को चौकन्ना कर दिया गया है. अब मकान मालिक और रियल एस्टेट एजेंट अविवाहित जोड़ों को किराए पर घर देने से कतरा रहे हैं.

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हां, हम जल्द ही शादी कर लेंगे. हां, वह मेरी मंगेतर है, हां, हमारे माता-पिता इस बारे में जानते हैं… अगर आप एक लिव-इन कपल हैं और यहां किराए के अपार्टमेंट की तलाश में हैं, तो आपने इन शब्दों को सुना या कहा जरूर होगा. लेकिन जघन्य महरौली हत्याकांड ने इन जोड़ों के सामने अब एक और सवाल ला खड़ा किया है- कहीं आप किसी संभावित हत्यारे के साथ तो नहीं रह रहे हैं?

श्रद्धा वालकर की हत्या के बाद से दिल्ली एनसीआर में युवा जोड़ों पर लोगों की निगाहें अब फिर से गड़ गई हैं. एक ऐसा शहर जहां प्यार कंटीली तारों में बंधा हुआ है, कपल्स, दोस्तों और लंबे समय तक लिव-इन पार्टनर के बीच बिना शर्त वाले प्यार की छानबीन की जाती है, उसका दम घोटा जाता है और अक्सर उसे खत्म ही कर दिया जाता है. वॉकर की मौत के बाद से, शक की नजर से देखा जाने वाले इस ‘प्यार’ ने अब सभी को सतर्क कर दिया है. मकान मालिक और रियल एस्टेट एजेंट अविवाहित जोड़ों को उनकी पसंद का घर देने से कतरा रहे हैं.

गुड़गांव की रहने वाली 29 साल की अंकिता घोष पिछले सात साल से अपने पार्टनर के साथ रह रही हैं. कई लोगों को लगता है कि वे शादीशुदा हैं इसलिए उन्हें ज्यादा मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ा. लेकिन आफताब पूनावाला के अपने लिव-इन पार्टनर की कथित हत्या ने नई खुसफुसाहट और संदेह को जन्म दे दिया है.

अंकिता कहती हैं, ‘मेरे माता-पिता मेरे साथी के साथ रहने के मेरे फैसले से अभी असहमति से सहमति की ओर आए थे. लेकिन इस हत्या ने हमारे प्रयासों को और कई साल पीछे की ओर धकेल दिया है. अब हर किसी के पास हम जैसे कपल्स के लिए ज्यादा से ज्यादा सवाल होंगे.’

बस एक ही सवाल ‘शादी कब होगी’

जब घर ढूंढने की बात आती है, तो सबसे बेहतर विकल्प ‘परिवारों’ के लिए होता है. इसका मतलब है शादी-शुदा जोड़ा. जिन लोगों के पास अपने रिश्ते को वैध बनाने के लिए मैरिज सर्टिफिकेट नहीं है, उनके प्रति अविश्वास तो लीज एग्रीमेंट में ही लिखा नजर आ जाता है.

जिन कपल्स को मकान-मालिकों और दलालों की तमाम तरह की छानबीन के बाद जैसे-तैसे घर मिल भी जाता है, तो उनके सामने लगातार एक सवाल मुंह बाए खड़ा रहता है कि आपकी शादी कब होगी?

नोएडा स्थित रियल एस्टेट एजेंट ममता को हाल ही में बड़ी मुश्किल से एक अविवाहित जोड़े के लिए घर मिल पाया है, वो भी मकान-मालिक से उनके बारे में झूठ बोलने के बाद.

ममता कहती हैं, ‘मैंने मकान-मालिक से कहा कि फ्लैट में सिर्फ एक ही व्यक्ति रहेगा. इसके अलावा कोई रास्ता नहीं था. वह एक लिव-इन जोड़े को घर किराए पर देने के लिए सहमत नहीं हो रहे थे. वॉकर की मौत ने उनके पक्षपातपूर्ण रवैये को और मजबूत किया है.’ वह आगे बताती है, ‘आपने समाचार में देखा कि प्रेमी के साथ रहने वाली लड़की के साथ क्या हुआ. मकान मालिकों का डर समझ में आता है.’

उनकी नजर में लिव-इन रिलेशनशिप वैसे भी टिकता नहीं है.

वह सवाल करती हैं, ‘लड़कियां प्रेग्नेंट हो जाती हैं. उनके बीच लड़ाई-झगड़े बढ़ने लगते हैं. सबसे बुरी बात यह है कि वे अपने माता-पिता से झूठ बोलते हैं. अगर भविष्य में कुछ होता है, तो मकान मालिकों को पुलिस केस से क्यों जूझना पड़े?’

ममता ऐसी अकेली ब्रोकर नहीं हैं जिन्हे लैंडलॉर्ड के साथ सहानुभूति है. लगभग सभी लोगों का रवैया लिव-इन कपल्स के साथ ऐसा ही होता है. रोमांटिक रिश्ते में खटास आने की संभावना उनके लिए सहज नहीं है. उन्होंने इसका सबसे बुरा नतीजा हाल ही में देखा है. इसका सीधा सा मतलब है कि उनके पास जोड़ों के लिए सवाल ज्यादा हैं लेकिन घर कम.

ब्रोकर या आम लोगों को क्या कहें. भारतीय न्यायपालिका का रुख भी लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर साफ नहीं है. ऐसे जोड़ों के अधिकारों की रक्षा करने वाला कोई कानून नहीं है. लेकिन प्रगतिशील व्याख्याओं और मौजूदा कानून के संशोधनों के कारण उन्हें एक साथ रहने का कानूनी अधिकार जरूर है. न्यायाधीशों ने रिश्तों को नैतिक रूप से अनुचित, माता-पिता को दुख का एक संभावित कारण और सांस्कृतिक रूप से अस्वीकार्य कहा है.


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लिव इन सिर्फ रोमांस के लिए नहीं

29 साल की पूजा मानेक ने अपने बॉयफ्रेंड के साथ तीन साल तक लिव-इन रिलेशन में रहने के बाद हाल ही में उससे शादी की है. शादी से पहले साथ रहने के फैसले के पीछे ‘रोमांस’ ही एकमात्र कारण नहीं था. इसके पीछे ‘व्यावहारिक और तार्किक कारण भी रहे. वह कहती हैं, ‘इस तरह से आप न सिर्फ अपने साथी को जान पाते हैं बल्कि आपको यह भी पता चल जाता है कि आप एक साथ घर कैसे चलाएंगे.’ शादी से पहले अपने साथी के साथ रहकर, उसने पैसे का प्रबंधन करने और चार दीवारों को घर बनाने के तरीके खोजे. मानेक अब बीते उन तीन सालों को अपने रिश्ते की सच्ची परीक्षा बताती हैं.

तीन साल पहले जब मानेक और उनका साथी बेंगलुरु में एक साथ रहने के लिए अपना पहला घर तलाशने गए, तो उनके ब्रोकर ने उनकी सगाई के बारे में झूठ बोला था. जबकि तब तक तो उन्होंने शादी के बारे में गंभीरता से सोचना भी शुरू नहीं किया था.

मानेक कहती हैं, ‘जब ब्रोकर मालिकों से कह रहा था कि हमारी सगाई हो चुकी है और हम जल्द ही शादी करने वाले हैं, तो ऐसा लगा कि मानों हम अपने ही अधिकारों को छीन रहे हैं. लेकिन एक जगह रहने के लिए हमें यह करना पड़ा.’ मकान मालिक उनसे अक्सर उनकी शादी की तारीख के बारे में पूछताछ करते रहते थे.

सोशल साइंटिस्ट शिव विश्वनाथन लिव-इन रिलेशनशिप को विश्वास, आजादी और रिश्ते की नाजुकता का सेलिब्रेशन बताते है. उन्होंने कहा, ‘ऐसे रिश्तों की नाजुकता अब सवालों के घेरे में है. चूंकि ऐसे रिश्तों को अभी तक समाज ने स्वीकार नहीं किया है, इसलिए इन्हें लेकर काफी संदेह है. लिव-इन कपल्स को असंतुष्ट माना जाता है और उनसे जुड़ी किसी भी बुरी खबर को अजीब तरीके से सार्वजनिक किया जाता है. इस तरह के संघर्षों को हल करने का कोई प्रयास नहीं किया जाता है और यही वह जगह है जहां उदासी है.’

वे मुसलमानों से ‘नफरत’ करते हैं

लिव इन कपल्स के सामने आज भी सबसे बड़ी बाधा धर्म है. 31 साल की शाहाना दिल्ली में रहती हैं. वह चार साल से लिव-इन रिलेशन में हैं. अपने पार्टनर के साथ सितंबर में उसने एक बड़े घर की तलाश शुरू की तो उन्हें हर कदम पर परेशानी का सामना करना पड़ा. ब्रोकर्स ने पलट कर फोन नहीं किया. एक लैंडलॉर्ड ने उससे उसका बर्थ सर्टिफिकेट मांगा और उसे कुत्ता बताते हुए वहां से जाने के लिए कहा. वह बताती हैं, ‘उन्होंने कहा कि इमारत में पहले से ही दो कुत्ते हैं और हमें तीसरा नहीं चाहिए. मुझे लगता है कि हमारे रिश्ते से ज्यादा, यह मेरी मुस्लिम पहचान थी जिसने उन्हें ज्यादा असहज कर दिया.’

पूजा मानेक को उसके मकान मालिक ने कहा कि यह अच्छी बात है कि उसका पार्टनर ईसाई है. मानेक ने कहा, ‘वह बोले-कम से कम वह मुसलमान तो नहीं है’ मानेक आगे बताती हैं, ‘क्योंकि वे मुसलमानों से बहुत नफरत करते हैं. ईसाइयों के लिए उनके मन में इतनी नफरत नहीं है.’

पुणे की रहने वाली 25 साल की निशा कहती हैं कि हमारे मकान मालिक लिव-इन रिलेशनशिप को समझते हैं, इसके लिए मैं उनकी शुक्रगुजार हूं. उन्होंने कहा, ‘मैंने और मेरे साथी ने साथ रहने का फैसला किया क्योंकि हम दोनों की आर्थिक हालात ठीक नहीं थे. हम शहर के अलग-अलग छोर पर अकेले रह रहे थे. एक साथ रहने से हमारी कई समस्याएं हल हो गई हैं और हम एक-दूसरे का बेहतर तरीके से साथ देने में सक्षम हैं.’

लेकिन दूसरों के जीवन में तांक-झांक करने वाले लैंडलॉर्ड से थोड़ा सावधान ही रहें. श्रद्धा की हत्या के बाद से कपल्स को चिंता इस बात की है कि ‘अच्छे बनने’ के चक्कर में मकान मालिक इसे अपनी जिम्मेदारी समझते हुए कहीं उनके माता-पिता को फोन न कर दे या फिर इससे भी ज्यादा बुरा- उन्हें घर खाली करने के लिए न कह दें.

(अनुवाद: संघप्रिया मौर्या)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


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