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Monday, 15 September, 2025
होमफीचरपहली बार 50 विजन इंपेयर्ड लोगों ने छुआ ताजमहल, जानिए आगे क्या कुछ हुआ

पहली बार 50 विजन इंपेयर्ड लोगों ने छुआ ताजमहल, जानिए आगे क्या कुछ हुआ

दिल्ली से आगरा का यह एक दिन का दौरा 'राइजिंग स्टार: खिलते चेहरे' नाम की एक गैर-सरकारी संस्था (NGO) ने कराया था. यह संस्था समावेशी यात्रा के ज़रिए दिव्यांग लोगों को सशक्त बनाती है. 2019 में शुरू हुई यह पहल अब तक अपनी 12वीं सुलभ यात्रा पूरी कर चुकी है.

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आगरा: 50 लोगों का एक ग्रुप ताजमहल के भव्य परिसर से होकर गुज़रा — लेकिन उसकी खूबसूरती आंखों से देखने नहीं, बल्कि महसूस करने के लिए. ये सभी लोग दृष्टिहीन (विजन इंपेर्ड) थे, जो दुनिया के सबसे मशहूर प्यार के प्रतीक को अपने अंदाज़ में अनुभव कर रहे थे.

जब मीनााक्षी चतुर्वेदी ने लाल बलुआ पत्थर की दीवार को छुआ, तो उनकी उंगलियों ने एक नक्काशीदार फूल जैसा आकार महसूस किया. लेकिन जब प्रिया ने उसी जगह को छुआ, तो उसे हाथी की सूंड जैसा लगा और वह ज़ोर से हंस पड़ी. दोनों की जिज्ञासा और बढ़ गई — वे जानना चाहती थीं कि असली में वो नक्काशी क्या है. तभी एक वालंटियर आगे आई और बताया कि वो सच में एक फूल है, जिसकी डंडी और पत्तियां भी बनी हैं.

32 साल की चित्रलेखा ताजमहल की ठंडी सफेद संगमरमर की दीवार को हल्के से छूते हुए यह बात कहती हैं, “मैंने हमेशा इस प्यार के प्रतीक की खूबसूरती के बारे में सुना था, लेकिन जब मैंने इसे छूकर महसूस किया, तो मेरे मन में इसकी अपनी ही एक ख़ूबसूरत तस्वीर बन गई.”

दिल्ली से आगरा का यह एक दिन का ट्रिप ‘राइजिंग स्टार: खिलते चेहरे’ नाम की एक NGO ने आयोजित किया था, जो दिव्यांग लोगों को समावेशी यात्रा के ज़रिए सशक्त बनाने का काम करती है. 2019 में शुरू हुई यह पहल अब तक अपनी 12वीं विशेष यात्रा पूरी कर चुकी है.

A tour guide explains the history of the Taj Mahal and Agra to the group | Almina Khatoon, ThePrint
एक टूर गाइड समूह को ताजमहल और आगरा का इतिहास समझाती हुई | अलमीना खातून, दिप्रिंट

राइजिंग स्टार की प्रोजेक्ट मैनेजर लवली सरकार ने कहा, “यात्रा क्लासरूम और किताबों से परे हमें लिखाती हैं — तो फिर किसी को इससे बाहर क्यों रखा जाए?”. उन्होंने समझाया कि यात्रा के ज़रिए प्रतिभागी न केवल नई जगह घूमते हैं, बल्कि संवाद करने और समस्याओं को सुलझाने जैसी ज़रूरी क्षमताएं भी विकसित करते हैं, जो उन्हें अपने आस-पास की दुनिया से गहराई से जुड़ने में मदद करती हैं.

राइजिंग स्टार ने अब तक लैंसडाउन, गोवा, वैष्णो देवी, मसूरी, थाईलैंड, जयपुर, ऋषिकेश और दुबई जैसी जगहों के भी दौरे कराए हैं. इन यात्राओं का उद्देश्य है कि प्रतिभागी दुनिया को कम से कम रुकावटों के साथ देख सकें. हर यात्रा के लिए एक रजिस्ट्रेशन फीस होता है और इन्हें इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि प्रतिभागियों में आत्मनिर्भरता, आत्मविश्वास और सामूहिक भावना बढ़े.

यह सब 2018 में शुरू हुआ, जब राइजिंग स्टार के संस्थापक अमित जैन की मुलाकात विजन इंपेयर्ड छात्रों के एक समूह से हुई. उनमें से ज्यादातर की एक ही इच्छा थी जो कि अधूरी थी – घूमना और उन जगहों को देखना जिनके बारे में उन्होंने सिर्फ सुना था. इसके बाद अमित जैन ने एक टीम बनाई और यात्राएं आयोजित करना शुरू किया. पहली यात्रा उसी साल दिसंबर में ऋषिकेश की गई थी.

अमित जैन ने कहा, “विजन इंपेर्ड लोगों की आज़ादी को अक्सर नज़रअंदाज़ किया गया है. उन्हें खाना, कपड़े और छत तो दे दी जाती है, और लोग मान लेते हैं कि बस यही उनकी ज़रूरतें हैं.”

Rising Star Khilte Chehre NGO volunteers assisting the group while boarding and deboarding the bus| Almina Khatoon
राइजिंग स्टार खिलते चेहरे एनजीओ के स्वयंसेवक बस में चढ़ने और उतरने के दौरान समूह की सहायता कर रहे हैं | अलमिना खातून

लवली सरकार ने कहा, “आज ताजमहल और पूरा आगरा शहर उनके लिए एक क्लासरूम बन गया — सिर्फ़ इतिहास सीखने के लिए नहीं, बल्कि एक नए माहौल को जानने, नए लोगों से मिलने और दोस्त बनाने के लिए भी.”

ताज की यात्रा

समूह के लोग एक लाइन में, एक-दूसरे का हाथ पकड़े, सफेद संगमरमर के इस स्मारक के पास से गुजर रहे थे. तभी एक खुशमिजाज आवाज गूंजी — “अमर, क्या तुम मेरे लिए भी ऐसा कुछ बनवाओगे?” चतुर्वेदी ने मज़ाक में कहा, जो इस यात्रा में अपने पति अमर जैन के साथ शामिल हुई थीं.

उन्होंने हंसते हुए कहा, “लेकिन यहां तो बहुत गर्मी है, यहां मत बनवाना, कोई ठंडी जगह चुनना!” उनके इस मज़ाक ने समूह में हंसी और हल्की-फुल्की चर्चा छेड़ दी — कि अगर किसी के लिए ताजमहल जैसा स्मारक बनवाना हो, तो उसमें कितना खर्च आएगा!

यात्रा की शुरुआत सुबह 7:00 बजे मयूर विहार से हुई, जहां वालंटियर ने प्रतिभागियों का स्वागत पीले चमकदार टी-शर्ट और आईडी कार्ड देकर किया. हर कार्ड के एक तरफ प्रतिभागी का नाम और संपर्क विवरण लिखा था, और दूसरी तरफ NGO की जानकारी — यह सब सुरक्षा और आपसी जुड़ाव बनाए रखने के लिए किया गया था.

जब बस मयूर विहार मेट्रो स्टेशन, दिल्ली (जो समूह का पिकअप प्वाइंट था) से लगभग 190 किलोमीटर दूर मैजिक फूड ज़ोन पर अपनी पहली चाय की ब्रेक के लिए पहुंची, तब तक नई दोस्तियों की शुरुआत हो चुकी थी. कुछ लोग अपने पेशेवर जीवन की कहानियां बांट रहे थे, तो कुछ अपने परिवार के बारे में खुलकर बात कर रहे थे.

32 वर्षीय चित्रलेखा ने ऐसे समावेशी दौरों के बारे में बात करते हुए कहा कि “हर रोज़ की ज़िंदगी में कितने लोग हैं जो हमसे दोस्ती करना चाहते हैं? लेकिन यहां, मेरे जैसे लोगों के इस समूह में, मैं जितनी चाहूं उतनी दोस्तियां कर सकती हूं.”

ताजमहल के परिसर में प्रवेश करने से पहले, समूह को ताजमहल की एक छोटी सी प्रतिकृति दी गई — ताकि वे उसे छूकर, महसूस कर सकें, उसकी बनावट को समझ सकें और उसकी कल्पना कर सकें कि वह असल में कैसा दिखता है.

जैसे-जैसे यह यात्रा एक धूप भरे दिन में आगे बढ़ी, दो टूर गाइड्स भी समूह के साथ जुड़ गए. उन्होंने ताजमहल से जुड़ी कई रोचक जानकारियां और कहानियां साझा कीं.

एक गाइड ने समझाया, “पूरा परिसर पूरी तरह से द्विपक्षीय समरूपता (bilateral symmetry) के अनुसार डिज़ाइन किया गया है. ताजमहल सफेद संगमरमर से बना मक़बरा है, जिसके केंद्र में एक बड़ा गुंबद है, चारों कोनों पर चार मीनारें हैं, और इसे कई अन्य इमारतों के परिसर ने घेर रखा है.”

“जब हम विजन इंपेयर्ड पर्यटकों का मार्गदर्शन करते हैं, तो हम हर उस बारीकी को समझाने पर ध्यान देते हैं जो उनके मन में एक तस्वीर बना सके.”

जैसे-जैसे यात्रा आगे बढ़ी, माहौल में जिज्ञासा और प्रशंसा की भावना घुलती चली गई — खासकर उस वक्त जब गाइड ने बताया कि ताजमहल में इस्तेमाल हुआ मकराना का संगमरमर दिन के अलग-अलग समय पर अपना रंग बदलता है: सूर्योदय के समय हल्का गुलाबी या नारंगी, दोपहर में चमकदार सफेद, और चांदनी रात में नीले-चांदी जैसा.

“वाह, ये तो बहुत सुंदर लगता होगा!” “अभी ये किस रंग जैसा दिख रहा है?” “क्या लोग रात में भी आ सकते हैं इसका नीला रंग देखने?” “क्या और भी स्मारक हैं जो इसी संगमरमर से बने हैं?”

समूह की ओर से एक के बाद एक सवाल और मुग़ल स्थापत्य की तारीफ़ें आने लगीं. गाइड्स और वालंटियर ने हर सवाल का बेहद धैर्य और उत्साह से जवाब दिया.

भीड़ के बीच से पंकज लाखबेरा की आवाज़ आई, “अब ताजमहल सच में खूबसूरत लगने लगा है.”

The group poses in front of the Taj Mahal for both group and individual photos | Almina Khatoon, ThePrint
समूह ताजमहल के सामने सामूहिक और व्यक्तिगत दोनों तरह की तस्वीरें खिंचवाता है | अलमीना खातून, दिप्रिंट

यात्रा की कहानियां

32 वर्ष के राजेश कुमार सिंह के लिए यह अपनी तरह की पहली यात्रा थी. व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन की भागदौड़ से थोड़ा विराम लेने की चाह में, उन्होंने इस यात्रा के बारे में एक दोस्त से सुनने के कुछ ही दिन बाद समूह से जुड़ने का फैसला कर लिया.

पेशे से बैंककर्मी सिंह आमतौर पर अपने आस-पास बैंकरों, प्रोफेसरों, पीएचडी स्कॉलर्स, मैनेजर्स और इंजीनियरों से घिरे रहते हैं. उन्हें उम्मीद नहीं थी कि अजनबियों के साथ की गई यह यात्रा इतनी सुखद होगी — लेकिन अब वे न केवल इन नए लोगों से फिर मिलने की इच्छा रखते हैं, बल्कि कईयों से संपर्क भी साझा कर चुके हैं.

The group takes turns reading the Braille descriptions at the Taj Mahal | Almina Khatoon, ThePrint
समूह बारी-बारी से ताजमहल में ब्रेल लिपि में विवरण पढ़ता है | अलमिना खातून, दिप्रिंट

सिंह की आंखों की रौशनी तीन साल की उम्र में एक संक्रमण के कारण चली गई थी, लेकिन उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और न ही इसका कोई पछतावा किया. उनका मंत्र है —”जो होता है, अच्छे के लिए ही होता है.”

इस अनुभव पर विचार करते हुए सिंह ने बताया कि यह उनकी न केवल पहली यात्रा थी, बल्कि अब तक की सबसे बेहतरीन यात्रा भी रही. उन्होंने यह यादगार सफर चतुर्वेदी के साथ साझा किया, जो इससे पहले अयोध्या और गोवा की यात्राओं में भी शामिल हो चुकी थीं.

चतुर्वेदी के लिए आज भी गोवा सबसे सुंदर जगह है जहां वे गई हैं. उन्होंने कहा,

“भले ही हम देख नहीं सकते, लेकिन हम महसूस कर सकते हैं कि कौन-सी जगह सबसे सुंदर है — यह पूरी तरह आपके अनुभव पर निर्भर करता है. माहौल, लोग और खाना — सबकुछ मिलकर उस सुंदरता को तय करते हैं.”

उन्होंने मुस्कराते हुए कहा, “मुझे समुद्र के किनारे शांति, खुशी का एहसास होता है. वहाँ जाकर मुझे खुद भी सुंदर महसूस होता है — इसलिए वही जगह मेरे लिए सबसे सुंदर है.”

इन यात्राओं को कैसे जीवंत बनाया जाता है, इस बारे में NGO की प्रोग्राम मैनेजर मुस्कान गुप्ता ने बताया कि हर यात्रा के लिए प्रशासन से अनुमतियां लेना और सुरक्षा की सभी जरूरतों को पूरा करना जरूरी होता है. कई बार वे खुद पहले से स्थल पर जाकर वहां की स्थिति का जायज़ा भी लेती हैं.

मुस्कान गुप्ता ने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि एक लाख से अधिक विजन इंपेयर्ड (VI) व्यक्तियों को इस काबिल बनाया जाए कि वे अपने घरों से निकलें और आप और मेरी तरह आत्मविश्वास से इस समाज का हिस्सा बनें.”

The group walks in a line, touching the walls and carvings of the Taj Mahal and other monuments within the premises| Almina Khatoon, ThePrint
समूह एक पंक्ति में चलता है और ताजमहल तथा परिसर के अन्य स्मारकों की दीवारों और नक्काशी को छूता है। | अलमिना खातून, दिप्रिंट

अगला पड़ाव — दुबई

ताजमहल के सामने ‘राइजिंग स्टार’ समूह ने ‘चीज़’ कहकर एक फोटो खिंचवाई.

जहां प्रतिभागी इस ऐतिहासिक स्मारक को लेकर उत्साहित थे, वहीं राहगीरों की नजरें भी उन पर ही थीं. कुछ लोगों ने उनकी तस्वीरें भी लीं.

एक गुजरते पर्यटक ने जिज्ञासावश पूछा, “क्या ये सब लोग नेत्रहीन हैं?”

कुछ राहगीरों ने मदद की पेशकश भी की, किसी ने सीढ़ियां चढ़ने में सहारा दिया, तो कोई उन्हें रास्ता दिखाने लगा.

लवली सरकार ने कहा, “एक समाज के रूप में हमें सबसे पहले ये सीखना चाहिए कि सहानुभूति दिखाने से ज़्यादा ज़रूरी है सही ढंग से मदद करना.”

जहां कुछ प्रतिभागी NGO की आगामी पहल — दिल्ली-एनसीआर में बाइकर राइड को लेकर उत्साहित हैं, वहीं कुछ अपने परिवार को मनाने और तैयारी करने में जुटे हैं छह दिन की दुबई यात्रा के लिए, जिसका बेसब्री से इंतज़ार हो रहा है.

“अब मैं महसूस करना चाहती हूं कि दुबई में होना कैसा लगता है — बुर्ज खलीफा को छूकर देखना चाहती हूं,” सुप्रित कौर ने बड़ी मुस्कान के साथ कहा, जो अपने पति को इस यात्रा में साथ चलने के लिए मनाने की कोशिश करती हैं.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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