करीमनगर/गजवेल/हैदराबाद : जैसा कि तेलंगाना चुनाव में अंत में पहुंच गया है, एक वर्ग जिसके वोटों का संतुलन कांग्रेस या भारत राष्ट्र समिति के पक्ष में झुकने की उम्मीद है, वह है मुस्लिम.
कई जनमत सर्वेक्षणों में गुरुवार को होने वाले मतदान में दोनों पार्टियां इनकी पसंदीदा बनकर उभरी हैं.
यह देखते हुए कि हैदराबाद स्थित ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) भी उसी पाई या वोट के लिए प्रतिस्पर्धा कर रही है, लिहाजा यह कोई भी अनुमान लगा सकता है कि अल्पसंख्यक वोट किस तरफ जाएगा. इन तीन पार्टियों के बारे में समुदाय के भीतर राय परिवारों और धार्मिक निकायों के साथ-साथ चुनाव दर चुनाव क्षेत्र में अलग-अलग है.
एआईएमआईएम के गढ़ हैदराबाद के नामपल्ली रेलवे स्टेशन के पास यात्रियों का इंतजार कर रहे 45 साल के ऑटो-चालक मो. वसीम का कहना है कि उनके परिवार के वोट कांग्रेस और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के बीच बंटे हुए हैं.
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव के विधानसभा क्षेत्र गजवेल में, 71 वर्षीय मो. यूसुफ अली को शक है कि केसीआर और भाजपा आपस में मिले हुए हैं. “बीआरएस को वोट देने से बीजेपी को मदद मिलेगी.”
यूसुफ तर्क देते हैं, “मुसलमान होने के नाते, हमें केसीआर से कोई समस्या नहीं है, लेकिन अब हमें शक है कि वह भाजपा के हाथों खेल रहे हैं. जब उनकी बेटी के. कविता को (कथित दिल्ली शराब घोटाले में) गिरफ्तार नहीं किया गया, तो हमें कुछ गड़बड़ी का आभास हुआ क्योंकि AAP के बड़े नेताओं समेत बाकी सभी को गिरफ्तार कर लिया गया है.”
हालांकि, उनके 53 वर्षीय दोस्त मजार अली उनसे सहमत नहीं हैं.
इस तरह के वोट बंटवारे के परिदृश्यों से भाजपा को उम्मीद है कि 3 दिसंबर को चुनाव परिणाम आने पर करीमनगर जैसे कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में यह उसके पक्ष में काम करेगा. इस निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा के पूर्व राज्य प्रमुख और मौजूदा सांसद बंदी संजय का मुकाबला बीआरएस मंत्री और मौजूदा विधायक गंगुला कमलाकर से है. पुरुमल्ला श्रीनिवास कांग्रेस के उम्मीदवार हैं. ये तीनों एक ही समुदाय मुन्नुरू कापू से हैं, जिसे पिछड़ा वर्ग में रखा गया है.
शाम की नमाज के बाद करीमनगर की असलामी मस्जिद से बाहर निकलते हुए मो. हुसैन, जो ऑटोमोबाइल बिक्री का काम करते हैं, उनका कहना है कि वह कमलाकर से निराश हैं. 25 साल के इस शख्स ने बेरोज़गारी का मुद्दा उठाया, और कहा कि “पिछली बार बीआरएस को वोट दिया था.”
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मस्जिद के इमाम और बगल में स्थित अल ज़ैद फ्रेगरेंस के मालिक मो. शफीउद्दीन कांग्रेस की धर्मनिरपेक्षता को लेकर मुश्किल में हैं. हालांकि, शैक सलीम और इत्र की दुकान में एक अन्य सहायक “एआईएमआईएम को समर्थन के साथ” उत्साहित हैं और शहरी सीट पर बीआरएस की जीत की गारंटी दे रहे हैं.
अल्पसंख्यक वोट अहम
तेलंगाना की आबादी में लगभग 13 प्रतिशत मुस्लिम हैं. उनकी सबसे अधिक आबादी पुराने हैदराबाद में है, जहां एआईएमआईएम ने सभी 7 विधानसभा क्षेत्रों और ओवैसी की हैदराबाद लोकसभा सीट पर कब्जा बरकरार रखा है.
जबकि एआईएमआईएम को चारमीनार, चंद्रयानगुट्टा, मलकपेट, कारवां, याकूतपुरा, बहादुरपुरा और नामपल्ली को बरकरार रखने की उम्मीद है, वह इस बार हैदराबाद शहर के दो और क्षेत्रों – जुबली हिल्स और राजेंद्रनगर – में अपने उम्मीदवार उतार रही है. अन्य चुनाव क्षेत्रों में, ओवैसी की पार्टी ने केसीआर को अपना समर्थन देने की घोषणा की है.
एआईएमआईएम ने पिछले कुछ समय से अपने गढ़ राजेंद्रनगर पर फोकस किया है, क्योंकि वहां मुस्लिम वोट की संख्या बढ़ रही है. जुबली हिल्स के लिए कांग्रेस उम्मीदवार मो. अज़हरुद्दीन ने आरोप लगाया कि एआईएमआईएम बीआरएस की मदद करने वाली वोटकटवा पार्टी है.
कुल 119 सीटों में से बाकी 20-25 सीटों पर लोकल समीकरण के आधार पर मुस्लिम वोटों को निर्णायक माना जाता है. 2018 में, इनमें से ज्यादातर ने बीआरएस को वोट दिया था.
ताजा रुझानों और राजनीतिक टिप्पणियों से पता चलता है कि मुस्लिम वोटों का एक बड़ा हिस्सा सत्तारूढ़ दल से दूर जा रहा है. मुस्लिम धार्मिक संगठन भी बंटे हुए दिखाई दे रहे हैं, कुछ कांग्रेस का समर्थन कर रहे हैं तो कुछ बीआरएस का.
पिछले हफ्ते, जमात-ए-इस्लामी हिंद ने एक सूची जारी की, जिसमें पूरी तरह से तो नहीं, लेकिन विधानसभा क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग पार्टियों को अपना समर्थन देने की घोषणा की, जिनमें- 69 सीटों पर कांग्रेस, 41 सीटों पर बीआरएस, 7 सीटों पर एआईएमआईएम और 1-1 सीट पर बसपा व लेफ्ट को समर्थन दिया है.
तेलंगाना में कांग्रेस, उसके नेताओं का कहना है कि वह समुदाय को यह संदेश देने में वह कामयाब रहे हैं कि “बीआरएस भाजपा के साथ काम कर रही और केसीआर के लिए हर वोट केंद्र में भाजपा को मजबूत करने करेगा.”
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और इसके राष्ट्रीय प्रवक्ता सैयद नसीर हुसैन ने दिप्रिंट से कहा, “जो लोग लोकतंत्र और संविधान की रक्षा में विश्वास करते हैं, जो देश में गंगा-जमुनी तहजीब (समन्वय संस्कृति) को जीवित देखना चाहते हैं, वे भाजपा और बीआरएस के खिलाफ जाएंगे.”
जैसा कि राहुल गांधी ने अपनी चुनावी रैलियों में बीआरएस को “भाजपा रिश्तेदार समिति” करार दिया है, बीआरएस और उसके प्रमुख अपने मुस्लिम वोट बैंक के नुकसान के नैरेटिव का मुकाबला करने के लिए तेजी से काम कर रहे हैं. केसीआर ने कथित तौर पर 96 जनसभाओं को संबोधित किया, जिसमें मुख्य रूप से कांग्रेस और इंदिरा गांधी जैसे उसके प्रधानमंत्रियों को निशाना बनाया गया.
“किसके शासन में बाबरी मस्जिद को ढहाया गया? यदि आप धर्मनिरपेक्ष हैं, तो आपके कामों में यह नजर आना चाहिए.” केसीआर दो सप्ताह पहले निज़ामाबाद में गरजे थे. उन्होंने कांग्रेस पर मुसलमानों को केवल वोट बैंक मानने का आरोप लगाया और राहुल गांधी की ‘मोहब्बत की दुकान’ को अधूरी टिप्पणी बताया.
अन्य मुस्लिम प्रभाव वाले क्षेत्रों की अपनी रैलियों में भी, केसीआर इस समुदाय तक पहुंच रहे हैं और कह रहे हैं, “हिंदू और मुस्लिम मेरी दो आंखें हैं.”
उन्होंने कहा, “कांग्रेस शासन (90 के दशक) के दौरान सांप्रदायिक दंगे, कर्फ्यू आम बात थी. 2014 के बाद से यहां ये सब नहीं हुआ है. हमने अल्पसंख्यक कल्याण पर 12,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं.”
चुनाव प्रचार के अंतिम दिन सोमवार को हैदराबाद के पास की सीटों पर रैलियों में भाजपा पर हमला करते हुए केसीआर ने कहा, “यह एक कट्टर पार्टी है जो (सांप्रदायिक) आग भड़काने के लिए मस्जिदों, दरगाहों को खत्म करने के बारे में सोचती रहती है.”
कर्नाटक के प्रभाव की पुनरावृत्ति?
हर कोई मुसलमानों को अपनी ओर खींचने के लिए कांग्रेस की उसकी कर्नाटक रणनीति को दोहराने की कोशिशों से सहमत नहीं है, जिनमें से एक बड़ा हिस्सा पिछले दो चुनावों में केसीआर ने छीन लिया था.
मेडक में एक ऑटो चालक मो. मौलाना महिलाओं को फ्री आरटीसी बस यात्रा की कांग्रेस पार्टी की गारंटी से चिंतित हैं.
मौलाना ने दिप्रंट से कहा, “अगर सभी महिलाओं को फ्री बस यात्रा दी जाएगी, तो मेरे ऑटो रिक्शा में कौन चलेगा? मैं बेरोजगार हो जाऊंगा. मौलाना ने दिप्रिंट को बताया, ”हमने कर्नाटक में कांग्रेस की गारंटी लागू होने के बाद वहां ऑटो चालकों की दुर्दशा देखी है.”
ऑटो चालक का कहना है, “केसीआर सरकार ने हमें बीमा दिया है, रोड टैक्स माफ किया है, और शादी मुबारक योजना के तहत (कल्याण लक्ष्मी योजना का मुस्लिम संस्करण जो गरीब परिवारों को उनकी बेटियों की शादी के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है) 1 लाख रुपये दे रही है. हमें कोई भरोसा नहीं है कि कांग्रेस अपनी गारंटी लागू करेगी.”
(अनुवाद और संपादन : इन्द्रजीत)
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