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Friday, 19 April, 2024
होमएजुकेशनलॉकडाउन, इंटरनेट शटडाउन कश्मीर की इन लड़कियों को 12वीं में 100% अंक लाने से नहीं रोक सका

लॉकडाउन, इंटरनेट शटडाउन कश्मीर की इन लड़कियों को 12वीं में 100% अंक लाने से नहीं रोक सका

इशरत मुज़फ़्फ़र (विज्ञान) और खुशबू नज़ीर (कला) ने 100% स्कोर के साथ अपने क्षेत्र में टॉप किया है, सबीरा राशिद (गृह विज्ञान) ने 98% स्कोर किया.

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श्रीनगर: जम्मू और कश्मीर बोर्ड की परीक्षा में छात्राएं तो कई सालों से ही छात्रों को पछाड़ती आ रही हैं, लेकिन इस हफ्ते के शुरू में घोषित 12वीं कक्षा के नतीजे बताते हैं कि उन्होंने इस बार एक और खास मुकाम हासिल किया है.

विज्ञान, कला और गृह विज्ञान इन सभी विषयों में लड़कियां ही शीर्ष पर रही हैं, और पहले दो में तो शत प्रतिशत अंकों के साथ.

पिछले साल ने देशभर में छात्रों के लिए एक अलग ही चुनौती खड़ी दी थी क्योंकि कोविड-19 महामारी के कारण स्कूल बंद हो गए और कक्षाएं ऑनलाइन चलने लगीं.

बोर्ड परीक्षा में टॉपर रहीं इशरत मुजफ्फर (विज्ञान), खुशबू नजीर (कला) और सबीरा रशीद (गृह विज्ञान), सभी की उम्र 18 की है, ने दिप्रिंट से मुलाकात में बताया कि उन्होंने अपनी परीक्षा में सफलता के लिए इंटरनेट पर पाबंदी जैसी चुनौतियों पर कैसे काबू पाया. इन सबने उन कैरियर के बारे में भी चर्चा की जिन पर वे आगे बढ़ना चाहती हैं.


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डॉक्टर, सिविल सेवक, पोषण विशेषज्ञ

साइंस स्ट्रीम में 100 फीसदी अंक हासिल करने वाली इशरत मुजफ्फर डॉक्टर बनना चाहती हैं.

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श्रीनगर की रहने वाली इशरत ने कहा, ‘मुझे अच्छे अंक मिलने का यकीन था, लेकिन शत प्रतिशत अंक मिलना मेरे और मेरे परिवार के लिए निश्चित तौर पर आश्चर्यचकित करने वाला था. मुझे इस उपलब्धि के लिए ऊपर वाले को धन्यवाद देना है और प्रार्थना करनी है कि मुझे भविष्य में सफलता मिलती रहे.’

इशरत ने कहा कि डॉक्टर बनने का सपना उनका अपना है और इसके लिए परिवार की तरफ से कोई दबाव नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘विज्ञान हमेशा से मेरा पसंदीदा विषय रहा है और ख्यात वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन और आइजैक न्यूटन ने काफी प्रभावित किया है. लेकिन पेशेवर के तौर पर मैं हमेशा से डॉक्टर बनना चाहती थी. क्योंकि मेरा मानना है कि ये पेशा भगवान और लोगों के बीच एक कड़ी का काम करता है. वो डॉक्टर ही होते हैं जिन पर लोग ऊपर वाले के बाद सबसे ज्यादा भरोसा करते हैं और मैं इस भरोसे को कायम रखना चाहती हूं.’

राज्य में 2019 (अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद) और 2020 (कोविड-19 के कारण) में लागू लॉकडाउन और इसके ऊपर से इंटरनेट पर प्रतिबंधों—जो घाटी के कुछ हिस्सों में तनाव के कारण अक्सर ही लागू हो जातें हैं—ने तमाम चुनौतियां खड़ी कर दी. लेकिन बकौल इशरत, ‘मैंने खुद को शांत किया और यह सुनिश्चित किया कि बेहतर सेल्फ स्डटी के जरिये इन सब चीजों से उबर सकूं.’

उसने आगे कहा, ‘ऐसा नहीं कि जिन छात्रों ने मुझसे कम स्कोर किया है, वे स्थितियों का अच्छी तरह मुकाबला नहीं कर पाए या सिर्फ सेल्फ स्टडी से इंटरनेट न होने जैसी चुनौतियों से आराम से निपटा जा सकता है. विभिन्न परिस्थियों में छात्र अलग-अलग तरह से प्रतिक्रिया करते हैं. मैं चाहती हूं कि छात्रों को अपने सपनों को पूरा करने के लिए एक स्थिर माहौल मिले.’

खुशबू नजीर, जिनके माता-पिता किसान हैं, अपने परिवार में 12वीं की पढ़ाई पूरा करने वाली पहली सदस्य है. अन्य लोग 10वीं कक्षा से आगे पढ़ाई नहीं कर पाए हैं. वह कश्मीर प्रशासनिक सेवा (केएएस) में शामिल होना चाहती है.

500 में से 500 अंक भी हासिल करने वाली खुशबू कहती है, ‘मैं अभी एक आर्ट स्टूडेंट हूं और अपने स्नातक में संभवत: राजनीति विज्ञान विषय की पढ़ाई करूंगी. लेकिन मेरा सपना एक केएएस अधिकारी बनने का है.’

दक्षिणी कश्मीर स्थित बिजबेहारा क्षेत्र के शालगाम गांव की रहने वाली खुशबू ने कहा, ‘मुझे पता था कि मैं 450 से अधिक अंक ले आऊंगी. लेकिन पूरा 500 स्कोर करना एक ख्वाब की तरह है जिसे मैंने ख्वाब में भी नहीं सोचा था.’ उसका स्कूल उसके घर से आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

उसने बताया, ‘हमारे गांव में कनेक्टिविटी की समस्या है, लेकिन मैं दृढ़ प्रतिज्ञ थी. एक सबसे बड़ी समस्या तब सामने आई जब हमें ऑनलाइन कक्षाएं लेनी पड़ीं. मेरे पास स्मार्टफोन नहीं था तब मेरे चाचा ने मेरे पिता से कहा कि वह मेरे लिए एक स्मार्टफोन खरीदें. फिर इंटरनेट पर प्रतिबंध ने तमाम दिक्कतें पैदा कीं. आज भी हमारे क्षेत्र में एक मुठभेड़ हुई थी और इंटरनेट बंद कर दिया गया. मुझे पता था कि सेल्फ स्टडी से ही कुछ हासिल किया जा सकता है और मैंने यही किया.

सबीरा रशीद के लिए होम साइंस में 98 प्रतिशत का स्कोर अपने परिवार के सदस्यों के लिए उसका जवाब है जिन्होंने उसे यह विषय लेने से रोकने की कोशिश की थी.

उसका कहना है, ‘लोग हमेशा यह कहकर मुझे हतोत्साहित करते थे कि होम साइंस में बहुत गुंजाइश नहीं है. मुझे लगता है कि यह केवल उनकी गलती नहीं है कि वे इस क्षेत्र की क्षमता को नहीं समझते. बल्कि हमारी शिक्षा प्रणाली ऐसी है कि इस क्षेत्र की संभावनाओं का पूरी तरह पता नहीं लगाया गया है. मैंने तय किया कि निराश नहीं होऊंगी.’

वह होम साइंस में ही अपनी स्नातक की पढ़ाई करना चाहती हैं लेकिन अपने करियर को लेकर अब तक पूरी तरह कुछ मन नहीं बनाया है.

उसने कहा, ‘मेरी प्राथमिकता निश्चित तौर पर आहार विशेषज्ञ या पोषण विशेषज्ञ बनने और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में काम करने की है. लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि मैं उद्यमी बनकर या मिठाइयां आदि बनाकर खाद्य सेवा का विकल्प नहीं चुन सकती. लोग अब स्वस्थ खानपान को अपना रहे हैं और इस क्षेत्र में एक्सप्लोर किए जाने की संभावनाएं हैं. मैंने सिविल सेवाओं के लिए अध्ययन करने की योजना बनाई है और शायद उन क्षेत्रों में भी सेवा के अवसर तलाशूं जो मुझे आकृष्ट करें. अभी बहुत कुछ करना बाकी है.’

जम्मू और कश्मीर बोर्ड के छात्रों के पास होने का प्रतिशत 80 दर्ज किया गया है. इसमें जहां 78 फीसदी लड़के पास हुए हैं, वहीं लड़कियों के मामले में यह आंकड़ा 83 प्रतिशत है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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