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Wednesday, 1 May, 2024
होमएजुकेशनमंत्री और सचिव में असहमति, लेकिन सरकार ने यौन उत्पीड़न के आरोपी VC का कार्यकाल बढ़ाया

मंत्री और सचिव में असहमति, लेकिन सरकार ने यौन उत्पीड़न के आरोपी VC का कार्यकाल बढ़ाया

दस्तावेज दर्शाते हैं कि शिक्षा मंत्री ने मोतिहारी स्थित महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के वीसी के रूप में संजीव शर्मा का कार्यकाल बढ़ाने को मंजूरी दे दी है, जबकि शिक्षा सचिव इसके खिलाफ थे.

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नई दिल्ली: मोदी सरकार ने एक केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति का कार्यकाल बढ़ा दिया है जिन पर यौन उत्पीड़न और दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा करने के आरोप हैं. दिप्रिंट को मिली जानकारी में यह बात सामने आई है.

बिहार के मोतिहारी स्थित महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय (एमजीसीयू) के कुलपति संजीव शर्मा का कार्यकाल 2 फरवरी को पूरा होने वाला था लेकिन शिक्षा मंत्रालय ने वीसी की नियुक्ति तक इसे बढ़ा दिया है. मंत्रालय की तरफ से उनके कार्यकाल विस्तार संबंधी पत्र दिप्रिंट के पास मौजूद है.

यह बात सामने आई है कि यह विस्तार शिक्षा मंत्री, जो इस पर राजी थे और शिक्षा सचिव, जो इसके लिए तैयार नहीं थे, के बीच विचारों में असहमति के बाद दिया गया है.

शर्मा के खिलाफ लगे आरोपों में यौन उत्पीड़न की शिकायतें शामिल हैं और यह आरोप भी है कि मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (सीसीएसयू) में रहने के दौरान अपनी पदोन्नति के लिए उन्होंने दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा किया था.

यह मामला मई 2020 में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के कार्यालय भेजा गया था, जिन्होंने इसे मंत्रालय को भेज दिया था.

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विस्तार पर सरकार के भीतर असहमति

सूचना का अधिकार कानून के तहत हासिल किए गए दस्तावेज बताते हैं कि शर्मा का कार्यकाल बढ़ाने के प्रस्ताव पर विचार करते हुए सचिव (उच्च शिक्षा) अमित खरे ने शर्मा के कार्यालय छोड़ने के बाबत कागजात पर हस्ताक्षर किए थे जबकि शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कुलपति के कार्यकाल को बढ़ाने का समर्थन कर दिया.

दस्तावेज यह भी बताते हैं कि मंत्रालय अभी जनवरी तक वीसी के खिलाफ आरोपों की जांच कर रहा था, जब विस्तार को मंजूरी दी गई.

आरटीआई कार्यकर्ता निखिल कुमार की तरफ से फरवरी में दाखिल आरटीआई से पता चलता है कि खरे ने जो विकल्प चुना था उसके मुताबिक, ‘प्रो. संजीव कुमार शर्मा को सलाह दी जाती है कि 2.2.2021 को कार्यकाल पूरा होने पर महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति का कार्यालय छोड़ सकते हैं और केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 के प्रावधानों के अनुसार वीसी का प्रभार हैंडओवर कर सकते हैं.’

सचिव ने इस नोट शीट पर 28 जनवरी को हस्ताक्षर किए थे. हालांकि, उसी दिन पोखरियाल ने अपने हस्ताक्षर के लिए यह विकल्प अपनाया कि ‘महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के मौजूदा कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा अपना कार्यकाल पूरा होने के बावजूद अपने उत्तराधिकारी की नियुक्ति तक अपने पद पर बने रह सकते हैं.’

दस्तावेज यह भी दर्शाता है कि मंत्री ने शुरू में विकल्प बी चुना था, जो कि यह है कि इस मामले को राष्ट्रपति के समक्ष उठाया जाना चाहिए, लेकिन अंततः ए को चुना गया और कार्यकाल बढ़ाने की अनुमति दे दी गई.

मंत्री के अनुमोदन के बाद मोतिहारी विश्वविद्यालय को एक पत्र भेजा गया जिसमें शर्मा के कार्यकाल को विस्तार देने के बाबत जानकारी दी गई.

इस मामले पर प्रतिक्रिया के लिए मंत्री के कार्यालय को एक विस्तृत ईमेल भेजा गया लेकिन रिपोर्ट प्रकाशित होने तक इस पर कोई जवाब नहीं आया था.

दिप्रिंट ने टेक्स्ट मैसेज के जरिये खरे से संपर्क किया पर उनकी तरफ से भी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. हालांकि, इस बीच फोन पर संपर्क किए जाने पर शर्मा ने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

शर्मा के खिलाफ आरोप

शर्मा के खिलाफ ऐसी शिकायतें भी मिली थीं कि उन्होंने अपनी पैरेंट यूनिवर्सिटी सीसीएसयू, मेरठ में रीडर के तौर पर आठ साल पूरे करने की अनिवार्यता को दरकिनार करके एक प्रोफेसर के रूप में पदोन्नति हासिल की थी. यूनिवर्सिटी में उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न का मामला भी दर्ज किया गया था. इसके बावजूद उन्हें सतर्कता मंजूरी मिली और एमजीसीयू में वीसी के रूप में नियुक्त कर दिया गया.

नियुक्ति में कथित अनियमितताओं के अलावा शर्मा के पदभार संभालने के बाद भी उनके खिलाफ शिकायतें हुईं. दस्तावेजों से पता चलता है कि यूनिवर्सिटी के चांसलर महेश शर्मा ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को कुछ पत्र लिखकर वीसी के साथ चल रहे मसलों की जानकारी दी थी. उन्होंने केंद्रीय विश्वविद्यालयों के विजिटर के तौर पर राष्ट्रपति से मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह भी किया था.

इसी तरह का एक पत्र बताता है कि महेश शर्मा को ‘वीसी के आचरण को लेकर गंभीर चिंता’ थी, जो उनके अनुसार गांधीजी के नाम पर पर चलने वाले और चंपारण में स्थित किसी केंद्रीय विश्वविद्यालय से अपेक्षित नैतिक मानदंडों के एकदम खिलाफ है.

दिप्रिंट के पास मौजूद चांसलर के इस पत्र में लिखा है, ‘उन्हें झूठ बोलने, शराब के सेवन और ऐसा ही बहुत कुछ करने की आदत है.’

राष्ट्रपति के कार्यालय ने तब मंत्रालय को एक पत्र भेजा था जिसमें इस पर उचित तरीके से ध्यान देने के लिए कहा गया था.

यह पत्र, जिसकी एक प्रति दिप्रिंट ने हासिल की है, राष्ट्रपति के सचिव के.डी. त्रिपाठी की तरफ से 20 मई, 2020 को खरे को भेजा गया था.

इस पत्र में लिखा था, ‘महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी-चंपारण, बिहार के चांसलर डॉ. महेश शर्मा ने भारत के राष्ट्रपति को संबोधित करके दिनांक 11.05.2020 को भेजे गए एक पत्र में विश्वविद्यालय की मौजूदा स्थिति की जानकारी दी है और यूनिवर्सिटी के विजिटर के नाते राष्ट्रपति से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है. मामले पर उपयुक्त तरीके से ध्यान देने के लिए उक्त पत्र की एक प्रति साथ भेजी जा रही है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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