नई दिल्ली: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने मंगलवार को नये सिरे से डिजाइन अपनी वेबसाइट शुरू की जिस पर छात्र, शिक्षक, कॉलेज, विश्वविद्यालय आदि संबंधी विस्तृत जानकारी आसानी से देखी जा सकती हैं.
इस अवसर पर यूजीसी के अध्यक्ष प्रोफेसर एम. जगदीश कुमार ने कहा कि यूजीसी की वेबसाइट को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की जरूरत के अनुरूप नये सिरे से डिजाइन किया गया है तथा इसमें छात्रों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों सहित अन्य खंडों के तहत सभी प्रकार की जानकारियां आसानी से देखी जा सकेंगी.
उन्होंने बताया कि इसमें डिजिटल माध्यम से उच्च शिक्षा से जुड़ी जानकारियां और योजनाओं को छात्र और अभिभावक आसानी से समझ सकेंगे.
कुमार ने बताया कि नयी वेबसाइट को विश्वविद्यालयों, कालेजों, प्रोफेसर और छात्रों की सुविधा के हिसाब से तैयार किया गया है ताकि वे सभी अपनी जरूरत के हिसाब से जानकारियां प्राप्त कर सकें.
बता दें कि विश्वविद्यालय ने इसके साथ ही डिजिटल लर्निंग, उद्योग संस्थान गठजोड़, अकादमिक शोध, अंतरराष्ट्रीयकरण, भारतीय ज्ञान परंपरा जैसी नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सुझावों के अनुपालन की प्रगति एवं प्रयासों से जुड़ी जानकारियां एकत्र करने एवं सुझाव प्राप्त करने के लिए ‘‘उत्साह पोर्टल’’ की भी शुरूआत की.
अध्यक्ष कुमार ने कहा कि इसमें 10 प्रमुख क्षेत्रों को श्रेणीबद्ध किया गया है जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति से जुड़े हुए हैं.
कुमार ने कहा कि इसमें छात्र केंद्रीत शिक्षा, डिजिटल लर्निंग, उद्योग संस्थान गठजोड़, अकादमिक शोध, अंतरराष्ट्रीयकरण, भारतीय ज्ञान परंपरा जैसे क्षेत्र शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि इस पोर्टल को तैयार करते समय आईआईटी, एनआईटी, आईआईएसईआर सहित अनेक विश्वविद्यालयों को मसौदा प्रारूप दिखाया गया था और उनसे राय प्राप्त की गई थी.
यूजीसी के अध्यक्ष ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को किस प्रकार से लागू किया जा रहा है, इस संबंध में डाटा एकत्र करना जरूरी है. ऐसे में यह पोर्टल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होगा.
बता दें कि विश्वविद्यालय ने ‘उत्साह पोर्टल’ के साथ मंगलवार को ही ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ के संबंध में नया पोर्टल तैयार किया है जिस पर विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ पंजीकरण करा सकेंगे और अपना बायोडाटा डाल सकेंगे.
इसपर कुमार ने कहा कि पोर्टल की शुरूआत होने के बाद फिक्की, सीआईआई सहित अन्य उद्योग संगठनों को इस पर पंजीकरण कराने के लिए अनुरोध किया जायेगा ताकि समय के साथ इससे अधिक संख्या में विषय विशेषज्ञ जुड़ सकें.
उन्होंने बताया कि इस पर यह जानकारी भी होगी कि कितनी संख्या में ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ नियुक्त किये गए और किन-किन क्षेत्रों में इनकी विशेषज्ञता है.
भाषा के इनपुट्स के साथ
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